बेसिक शिक्षा की तरह माध्यमिक शिक्षा में लागू होगा लर्निंग आउटकम, जानिए! क्या है लर्निंग आउटकम?
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कक्षा एक से आठ की तरह माध्यमिक कक्षाओं में भी लर्निंग आउटकम से छात्र-छात्राओं के ज्ञान का स्तर परखेंगे। यूपी बोर्ड से जुड़े प्रदेशभर के 27 हजार से अधिक स्कूलों में पढ़ने वाले कक्षा नौ से 12 तक के एक करोड़ से अधिक विद्यार्थियों के लिए राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) ने पाठ्यसामग्री और लर्निंग आउटकम विकसित किया है।
इसकी समीक्षा करने के लिए गठित प्रमाणीकरण कमेटी की पहली बैठक 29 अगस्त को एससीईआरटी लखनऊ में हो चुकी। बैठक में यूपी बोर्ड, राज्य विज्ञान शिक्षा संस्थान, राज्य शिक्षा संस्थान एवं आंग्ल भाषा शिक्षण संस्थान के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया। पाठ्यसामग्री और लर्निंग आउटकम को मंजूरी मिलने के बाद इन्हें माध्यमिक कक्षाओं में लागू किया जाएगा।
क्या है लर्निंग आउटकम
लर्निंग आउटकम का मतलब है कि बच्चे ने किसी विषय में कितना सीखा या ज्ञान अर्जित किया। समय-समय पर मूल्यांकन के जरिए इसका पता चलता है। बच्चे कई तरीकों से सीखते हैं जैसे सुनकर, पढ़कर, खेलकर, बातचीत से और काम करते हुए। इस तरह सीखने से उनके व्यवहार में परिवर्तन आते हैं। ये परिवर्तन जब महसूस किए जाते हैं और आकलित किए जाते हैं तो ये सीखने के प्रतिफल (लर्निंग आउटकम) कहलाते हैं।
माध्यमिक शिक्षा में भी लागू होगा ‘लर्निंग आउटकम’
लखनऊ : लर्निंग आउटकम के माध्यम से कक्षा 9 से 12 तक के विद्यार्थियों के ज्ञान का स्तर परखा जाएगा। राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) की ओर से इसके लिए बकायदा पाठ्य सामग्री एवं लर्निंग आउटकम विकसित किया गया है। सरकार ने इसके लिए विशेषज्ञों की एक प्रमाणीकरण समिति बना दी है जो जल्द ही तैयार पाठ्य सामग्री और लर्निंग आउटकम की ग्राह्यता की जांच करेगी। समिति की मंजूरी के बाद माध्यमिक शिक्षा में इसे लागू किया जाएगा।
प्राइमरी व अपर प्राइमरी की भांति माध्यमिक कक्षाओं में भी लर्निंग आउटकम का ज्ञान बढ़ाने के प्रयास शुरू कर दिए गए हैं ताकि कक्षा 9 से 12 तक के विद्यार्थियों द्वारा अर्जित किये गये ज्ञान का मूल्यांकन किया जा सके। मंगलवार को समिति की हुई बैठक में विषय वस्तु विशेषज्ञों के अलावा यूपी बोर्ड, राज्य विज्ञान शिक्षा संस्थान, राज्य शिक्षा संस्थान तथा आंग्ल भाषा शिक्षण संस्थान के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया।
लर्निंग आउटकम
किसी विषय में बच्चे ने कितना सीखा या ज्ञान अर्जित किया उसे लर्निंग आउटकम कहते हैं। अलग-अलग अंतरालों पर किए जाने वाले मूल्यांकन के माध्यम से इसका पता चलता है।
माध्यमिक कक्षाओं में भी होगा लर्निंग आउटकम, यूपी बोर्ड के एक करोड़ से अधिक विद्यार्थियों को पढ़ाई में होगा लाभ, लर्निंग आउटकम से परखा जाएगा छात्रों के ज्ञान का स्तर
प्रयागराज : कक्षा एक से आठ की तरह माध्यमिक कक्षाओं में भी लर्निंग आउटकम से छात्र-छात्राओं के ज्ञान का स्तर परखेंगे। यूपी बोर्ड से जुड़े प्रदेशभर के 27 हजार से अधिक स्कूलों में पढ़ने वाले कक्षा नौ से 12 तक के एक करोड़ से अधिक विद्यार्थियों के लिए राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) ने पाठ्यसामग्री और लर्निंग आउटकम विकसित किया है।
इसकी समीक्षा करने के लिए गठित प्रमाणीकरण कमेटी की पहली बैठक 29 अगस्त को एससीईआरटी लखनऊ में होने जा रही है। बैठक में यूपी बोर्ड, राज्य विज्ञान शिक्षा संस्थान, राज्य शिक्षा संस्थान एवं आंग्ल भाषा शिक्षण संस्थान के प्रतिनिधियों को भी बुलाया गया है। पाठ्यसामग्री और लर्निंग आउटकम को मंजूरी मिलने के बाद माध्यमिक कक्षाओं में लागू किया जाएगा।
क्या है लर्निंग आउटकम
लर्निंग आउटकम का मतलब है कि बच्चे ने किसी विषय में कितना सीखा या ज्ञान अर्जित किया। समय-समय पर मूल्यांकन के जरिए इसका पता चलता है। बच्चे कई तरीकों से सीखते हैं जैसे सुनकर, पढ़कर, खेलकर, बातचीत से और काम करते हुए। इस तरह सीखने से उनके व्यवहार में परिवर्तन आते हैं। ये परिवर्तन जब महसूस किए जाते हैं और आंकलित किए जाते हैं तो ये सीखने के प्रतिफल कहलाते है।
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