पढ़ाना टीचर की ड्यूटी का हिस्सा, 'मिड-डे मील' लागू करना नहीं, बॉम्बे हाई कोर्ट ने खारिज की केंद्र की पुनर्विचार याचिका
बॉम्बे हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी जिसमें 'मिड-डे मील' योजना को लागू करने की जिम्मेदारी शिक्षकों को नहीं दी जा सकती है। इसमें शिक्षा अधिकार कानून में शिक्षकों को दूसरी ड्यूटी देने का प्रावधान नहीं दिया गया है। पहली से आठवीं के स्टूडेंट्स के लिए केंद्र ने 1995 में योजना शुरू की थी।
'शिक्षा अधिकार कानून में शिक्षकों को दूसरी ड्यूटी देने का प्रावधान नहीं'पहली से आठवीं के स्टूडेंट्स के लिए केंद्र ने 1995 में 'मिड-डे मील' योजना शुरू की थी। राज्य सरकार ने इस योजना के अमल को लेकर जून, 2009 और फरवरी, 2011 में निर्णय लिया था। सरकार के निर्णय के मुताबिक तय शर्तों को पूरा करने के बाद महिला बचत गट को 'मिड-डे मील' का ठेका दिया जाता है। इस योजना में 75 प्रतिशत हिस्सेदारी केंद्र सरकार की है, जबकि 25 प्रतिशत राज्य सरकार की हिस्सेदारी की है। 22 जुलाई, 2013 में केंद्र सरकार ने योजना को लेकर नए सिरे से नियमावली जारी की। इस नियम के तहत छात्रों को भोजन देने से पहले शिक्षक उसे जांचे और उसका रिकॉर्ड रखें।
साल 2014 में हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि 'मिड-डे मील' की योजना से जुड़ा काम शिक्षकों का न दिया जाए। इसके लिए क्षेत्र के विशेषज्ञों की नियुक्ति की जाए, जो 'मिड-डे मील' के किचन व स्वच्छता से जुड़े पहलू को देखेंगे। शिक्षा अधिकार कानून की धारा 27 के तहत शिक्षकों को शैक्षणिक कार्य के अलावा कोई दूसरा काम नहीं दिया जा सकता है।
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