बिना शिक्षक देखा जा रहा बच्चों को निपुण बनाने का सपना, नगर क्षेत्र के 20 प्रतिशत प्राइमरी स्कूलों में शिक्षक ही नहीं
शिक्षामित्र और अनुदेशक करवा रहे हैं पढ़ाई, कई विद्यालय एक शिक्षक के भरोसे चल रहे
लखनऊ। राजधानी में बगैर संसाधनों और शिक्षकों के प्राइमरी स्कूल के बच्चों को निपुण बनाने का सपना देखा जा रहा है। हकीकत यह है कि नगर क्षेत्र के कुल परिषदीय विद्यालयों में से 20 फीसदी में एक भी नियमित शिक्षक नहीं है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम में सिर्फ नियमित शिक्षकों को ही मानक के अनुरूप माना जाता है। इसके बावजूद ये स्कूल सिर्फ शिक्षामित्र और अनुदेशकों के भरोसे चल रहे हैं।
लखनऊ के नगर क्षेत्र में 252 विद्यालय हैं। इनमें से 195 प्राथमिक व 57 उच्च प्राथमिक स्कूल हैं। इन स्कूलों में से 50 से ज्यादा ऐसे हैं, जहां एक भी नियमत शिक्षक की तैनाती नहीं है। उधर, प्राथमिक विद्यालय कैविनटगंज, उदयगंज, कंधार बाजार, भेडीमण्डी, लऊआखेड़ा व बड़ी जुगीली सहित कई ऐसे विद्यालय हैं, जो सिर्फ एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं।
निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम के अनुसार प्राथमिक स्कूलों में 30 छात्रों पर कम से कम एक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में 35 छात्रों पर एक शिक्षक का होना जरुरी है। यह मानक पूरे करना तो दूर प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की तैनाती ही नहीं है।
2011 से नहीं हुआ स्नानांतरण
नगर क्षेत्र में साल 2011 से अभी तक किसी भी शिक्षक का स्थानांतरण नहीं हुआ। लंबे समय से शिक्षकों का अभाव है। बिना शिक्षकों के निपुण का लक्ष्य कैसे पूरा किया जाएगा। शिक्षकों के स्थानांतरण को लेकर शासन को कई बार पत्र भेजा या, पर अभी तक मांग पर अमल नहीं किया गया। संदीप कुमार, यूपी प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ
नगर क्षेत्र के स्कूलों में पोस्टिंग पर लगी है रोक नगर क्षेत्र के स्कूलों में पोस्टिंग और प्रमोशन पर फिलहाल रोक लगी हुई है। इन विद्यालयों में शिक्षकों की कमी है, लेकिन शिक्षामित्र और अनुदेशकों के सहारे पढ़ाई चल रही है। अरुण कुमार, बीएसए, लखनऊ
नगर क्षेत्र के प्राइमरी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था ध्वस्त, शिक्षकों को संबद्ध कर किसी तरह चला रहे काम, सैकड़ों विद्यालय हुए शिक्षक विहीन
लखनऊ : वर्ष 2011 से ग्रामीण क्षेत्र से नगर क्षेत्र के स्कूलों में शिक्षकों के समायोजन नहीं होने से प्रदेश के शहरी क्षेत्र के प्राइमरी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था ध्वस्त होने की कगार पर पहुंच चुकी है। हालत यह है कि कई क्षेत्रों में दूसरे विद्यालयों के शिक्षकों को अटैच कर किसी प्रकार स्कूलों को संचालित किया जा रहा है। इतना ही नहीं, समायोजन नहीं होने से प्रदेश के सैकड़ों विद्यालय शिक्षक विहीन हो चुके हैं जबकि सैकड़ों स्कूल ऐसे हैं जो शिक्षामित्रों के भरोसे हैं।
अकेले लखनऊ में शहरी क्षेत्र के 55 विद्यालय ऐसे हैं, जो शिक्षक विहीन हैं। कानपुर में ऐसे स्कूलों की संख्या 137 से अधिक है। करीब 12 वर्षों से ग्रामीण क्षेत्र से नगर क्षेत्र में समायोजन न होने से प्राइमरी स्कूल शिक्षक विहीन होते जा रहे हैं, जिसका असर इन स्कूलों के बच्चों की पढ़ाई पर पड़ रहा है।
राजधानी लखनऊ को ही लें तो यहां नगर क्षेत्र में 252 प्राइमरी विद्यालय हैं, इनमें से 195 प्राथमिक और 57 उच्च प्राथमिक स्कूल है। इनमें से 55 विद्यालय शिक्षक विहीन हो चुके हैं। जिनमें 37 प्राथमिक विद्यालय और 18 उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं।
एक शिक्षक के हवाले 13 किताबें जिन विद्यालयों में पास के स्कूल से एक-एक शिक्षक अटैच किये गये हैं, वहां भी बुरी तरह पढ़ाई प्रभावित है। शिक्षक कई कक्षाओं के छात्रों को एक साथ पढ़ाते हैं, प्राथमिक विद्यालय में एक कक्षा में 5 किताबें जबकि उच्च प्राथमिक में 13 किताबें हैं।
जिले स्कूलों की संख्या
गौतमबुद्धनगर 61
गाजियाबाद 58
वाराणसी 50
मेरठ 67
बरेली 69
प्रयागराज 70
गोरखपुर 53
अयोध्या 62
इस सम्बन्ध में शासन को पत्र भेजा जा चुका है, जल्द ही ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों के अतिरिक्त शिक्षकों को प्रतिनियुक्ति पर शहरी क्षेत्रों के प्राथमिक विद्यालयों में तैनात किया जाएगा ताकि यह समस्या दूर हो सके। -विजय किरन आनंद, महानिदेशक, स्कूल शिक्षा, उत्तर प्रदेश
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