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Sunday, August 6, 2023

हाईकोर्ट ने बीएसए बुलंदशहर के आदेश पर लगाई रोक, समकक्ष के आदेश पर नहीं कर सकते टिप्पणी, जानिए अंतर्जनपदीय तबादले से जुड़ा पूरा मामला

बीएसए को दूसरे बीएसए, बेसिक शिक्षा सचिव के फैसले पर टिप्पणी करने का अधिकार नहीं, अंतरजनपदीय तबादले के मामले में हाईकोर्ट की टिप्पणी

न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ल ने अर्चना तालिया की याचिका पर दिया आदेश


प्रयागराज इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, बुलंदशहर को पति के दिल्ली पुलिस में केंद्रीय अधिकारी होने की वजह से याची अध्यापिका को दस अंक देकर अमेठी से बुलंदशहर स्थानांतरित करने के बीएसए अमेठी तथा सचिव बेसिक शिक्षा परिषद, प्रयागराज के फैसले पर सवाल उठाने का अधिकार नहीं है।

कोर्ट ने बीएसए बुलंदशहर को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर यह बताने का निर्देश दिया है कि किस कानूनी प्राधिकार से उन्होंने तबादला आदेश मानने से इन्कार किया है। याचिका की अगली सुनवाई 16 अगस्त को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ल ने की है। अर्चना तालिया की याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है।

याची का कहना है कि वह अमेठी में अध्यापिका के पद पर कार्यरत है। उसने बीएसए अमेठी से अंतरजनपदीय तबादले की मांग की। कहा, उसके पति दिल्ली पुलिस में अधिकारी हैं। बीएसए ने उसे दस अंक देकर सचिव, बेसिक शिक्षा परिषद के पास संस्तुति भेजी। सचिव ने याची का बुलंदशहर तबादला कर दिया। किंतु बीएसए बुलंदशहर ने याची के पति को केंद्र सरकार का अधिकारी मानने के फैसले को ग़लत करार दिया। कहा, बीएसए अमेठी ने दस अंक देकर गलती की है।


कोर्ट ने कहा, एक वीएसए को दूसरे बीएसए तथा परिषद के सचिव के निर्णय पर टिप्पणी करने का अधिकार नहीं है। तबादले पर अमल न करने का आदेश कानून की दृष्टि में कायम रहने योग्य नहीं है। कोर्ट ने बीएसए बुलंदशहर के आदेश पर रोक लगाते हुए सफाई मांगी है कि किस अधिकार से ऐसा आदेश दिया है।


हाईकोर्ट ने बीएसए बुलंदशहर के आदेश पर लगाई रोक, समकक्ष के आदेश पर नहीं कर सकते टिप्पणी


प्रयागराज : बेसिक शिक्षा अधिकारी बुलंदशहर ने अपने ही विभाग के वरिष्ठ अधिकारी सचिव बेसिक शिक्षा परिषद के आदेश को दरकिनार कर दिया। सिर्फ इतना ही नहीं उन्होंने अपने समकक्षीय अधिकारी बीएसए अमेठी के आदेश पर भी प्रतिकूल टिप्पणी कर दी। मामला हाईकोर्ट पहुंचा तो कोर्ट ने बीएसए बुलंदशहर के आदेश पर रोक लगाते हुए उनसे व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है। कोर्ट ने उन्हें यह बताने को कहा है कि किस अधिकार के तहत उन्होंने इस प्रकार का आदेश किया। यह आदेश न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ल ने अर्चना तालियान की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।


याची के अधिवक्ता ऋषि श्रीवास्तव के मुताबिक याची ने अंतर्जनपदीय स्थानांतरण नीति के तहत अमेठी से बुलंदशहर स्थानांतरण के लिए बीएसए अमेठी को आवेदन किया था। याची ने अपने आवेदन में कहा कि उनके पति दिल्ली पुलिस में कार्यरत हैं इसलिए याची का स्थानांतरण दिल्ली के पास स्थित बुलंदशहर किया जाए। बीएसए अमेठी ने याची के पति के दिल्ली पुलिस में कार्यरत होने के आधार पर आवेदन पर याची को 10 अंक दिए और प्रार्थना पत्र सचिव बेसिक शिक्षा परिषद को अग्रसारित कर दिया गया। विस्तृत समीक्षा के बाद सचिव बेसिक शिक्षा परिषद ने अंतर्जनपदीय स्थानांतरण को मंजूरी दे दी। उसके बाद याची का स्थानांतरण अमेठी से बुलंदशहर कर दिया गया। जब याची ने बीएसए बुलंदशहर से ज्वाइन कराने के लिए संपर्क किया तो उन्होंने न सिर्फ ज्वाइन कराने से इनकार कर दिया बल्कि बीएसए अमेठी द्वारा याची के आवेदन पर आवंटित 10 अंक पर भी टिप्पणी करते हुए उनके निर्णय को गलत बताया।

इस आदेश को याचिका के माध्यम से चुनौती दी गई। कोर्ट ने कहा कि प्रथमदृष्टया बीएसए बुलंदशहर को सचिव बेसिक शिक्षा परिषद व बीएसए अमेठी के कार्य पर टिप्पणी करने का कोई क्षेत्राधिकार नहीं है। कानून की नजर में बीएसए बुलंदशहर का आदेश जारी रहने योग्य नहीं है। कोर्ट ने 15 जुलाई 2023 को जारी बीएसए बुलंदशहर के आदेश पर रोक लगा दी और बेसिक शिक्षा परिषद के अधिवक्ता से इस मामले में जानकारी तलब की है। साथ ही बीएसए बुलंदशहर को मामले में व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है कि किस कानूनी प्रावधान के तहत उन्हें इस प्रकार का आदेश करने का अधिकार है।

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