NCTE का इशारा : प्राइमरी में बीएड डिग्री धारकों को मौका नहीं!
योग्यता के सवाल पर दिए जवाब में एनसीटीई ने सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले का भी किया जिक्र
लखनऊ : प्राइमरी स्कूलों में शिक्षक बनने की न्यूनतम योग्यता से बीएड को हटाए जाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद नैशनल काउंसिल ऑफ टीचर्स एजुकेशन (एनसीटीई) की ओर से अभ्यर्थियों के लिए राहत की उम्मीद खत्म होती जा रही है। भर्ती की न्यूनतम योग्यता के लिए मांगी गई जानकारी पर दिए जवाब में एनसीटीई ने योग्यता की शर्तों में सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले की कॉपी भी भेजी है। इससे इशारा साफ है कि फैसले के खिलाफ अपील के बजाय उसके अमल की तैयारी है।
शिक्षक पाठ्यक्रमों का स्वरूप तय करने से लेकर भर्ती की योग्यता तय करने की जिम्मेदारी एनसीटीई के पास है। 2018 में एनसीटीई ने एक अधिसूचना जारी कर प्राइमरी स्कूल (कक्षा 1 से 5 तक) में शिक्षक बनने के लिए बीएड को भी न्यूनतम योग्यता में शामिल कर दिया। इसी महीने राजस्थान से जुड़े एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इस अधिसूचना को यह कहते हुए रद कर दिया था कि यह निर्णय एनसीटीई ने स्वविवेक से नहीं लिया था बल्कि, शिक्षा मंत्रालय के निर्देश पर योग्यता बढ़ाई गई थी। गुणवत्ता का हवाला देकर सुप्रीम कोर्ट ने बीएड डिग्रीधारियों के लिए रास्ते बंद कर दिए थे। अब सोमवार को दिए जवाब में एनसीटीई ने भी इसी राह चलने का इशारा कर दिया है।
तैयारी कर रहे लाखों अभ्यर्थियों को झटका !
बेसिक स्कूलों में नौकरी की उम्मीद लगाए प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे लाखों अभ्यर्थियों को फैसले से झटका लगा है। अकेले यूपी में ही बीएड के लगभग 2400 कॉलेजों में 2.50 लाख
से अधिक सीटे हैं। 2018 में बीएड को भी प्राइमरी शिक्षक की न्यूनतम योग्यता में शामिल किए जाने के बाद बीएड करने वालों की संख्या में इजाफा भी हुआ था। प्राथमिक स्कूलों की संख्या अधिक होने के चलते शिक्षक भर्ती में सर्वाधिक सीटें भी इसी सेक्शन में आती हैं इसलिए प्रतियोगियों का जोर भी प्राइमरी पर ज्यादा होता है, लेकिन, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद एनसीटीई के भी रुख से रास्ते और बंद होते नजर आ रहे हैं।
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