आमतौर पर देखा गया है कि किसी भी विभाग में सीनियर अधिकारी निरीक्षण के दौरान जूनियर की कुर्सी पर बैठै नजर आते हैं। लेकिन अब बेसिक शिक्षा विभाग में ऐसा नहीं होगा। स्कूल के निरीक्षण के दौरान जाने वाले अधिकारी हेडमास्टर की कुर्सी पर नहीं बैठेंगे।
अलीगढ़ के बीएसए डॉ. राकेश कुमार ने यह पहल की है और अपने सभी अधिकारियों के लिए निर्देश जारी किए हैं। इसमें उन्होंने अधिकारियों को स्पष्ट आदेश दिए हैं कि जब भी वह किसी स्कूल के निरीक्षण के लिए जाएंगे तो वह वहां हेडमास्टर की कुर्सी पर बैठकर निरीक्षण नहीं करेंगे।
दूसरी कुर्सी का करेंगे इस्तेमाल
बीएसए ने स्पष्ट आदेश जारी करते हुए ब्लाक शिक्षा अधिकारी, जिला समन्वयक, एसआरजी और एआरपी को निर्देश दिए हैं कि जब भी वह किसी स्कूल के निरीक्षण पर जाएं, तो हेडमास्टर की कुर्सी पर बैठकर अभिलेखों की जांच करने का काम न करें।
हेडमास्टर की कुर्सी पर सिर्फ हेडमास्टर ही बैठेगा, वह दूसरी कुर्सी का इस्तेमाल करें। अगर ऐसी शिकायत आती है कि अधिकारियों ने हेडमास्टर की कुर्सी पर बैठकर निरीक्षण किया है या अभिलेखों की जांच की है, तो ऐसी स्थिति में संबंधित अधिकारी के खिलाफ विभागीय अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। इसके जिम्मेदार वह स्वयं होंगे।
शिक्षक संघों ने जताई खुशी
बीएसए के इन आदेशों के बाद जिले भर में शिक्षकों ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए खुशी जताई है। शिक्षकों का कहना है कि इस तरह के फैसले से शिक्षकों को सम्मान देने का काम किया गया है। इसके चलते शिक्षक भविष्य में पूरी ईमानदारी और तत्परता से अपना काम करेंगे।
1-उप्र जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष डॉ. प्रशांत शर्मा ने कहा, बीएसए के इन आदेशों ने शिक्षकों को सम्मान देने का काम किया है। कई बाद शिक्षकों को निरीक्षण करने वाले अधिकारियों की उपेक्षा सहनी पड़ती थी। अब ऐसा नहीं होगा।
2-राष्ट्रीय शिक्षक संघ के जिला व मंडल अध्यक्ष राजेश चौहान ने कहा कि यह बीएसए का ऐतिहासिक फैसला है। पूरे बेसिक शिक्षा विभाग के इतिहास में अलीगढ़ पहला ऐसा जिला बना है, जहां पर हेडमास्टर की कुर्सी को इतना बड़ा सम्मान दिया गया है। सभी शिक्षक इन आदेशों का स्वागत करते हैं।
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