माध्यमिक : हर बार सिर्फ आदेश, चार साल से समायोजन नहीं
प्रयागराज : प्रदेश के 2363 राजकीय विद्यालयों के सरप्लस शिक्षकों के लिए आदेश तो हर साल जारी हो रहे हैं लेकिन समायोजन चार साल में नहीं हो सका है। माध्यमिक शिक्षा विभाग के अफसर छात्रसंख्या के आधार पर सरप्लस शिक्षकों का समायोजन करना चाहते हैं जबकि शिक्षक संगठन सृजित पद पर कार्यरत शिक्षकों को हटाने के विरोध में हैं। इसी विवाद के कारण 2018 के बाद से समायोजन नहीं हो सका है। निदेशक डॉ. महेन्द्र देव ने पांच सितंबर को सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों और मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशकों से सरप्लस शिक्षकों की सूचना मांगी है।
निदेशक ने छात्रसंख्या के अनुसार शिक्षकों का निर्धारण करते हुए रिपोर्ट मांगी है। साथ ही जिन विद्यालयों में छात्रसंख्या के अनुपात में शिक्षकों व प्रवक्ता की तत्काल आवश्यकता है उसे भी निर्धारित प्रारूप पर भेजने के निर्देश दिए हैं। राजकीय शिक्षक संघ बीपी सिंह गुट के प्रदेश महामंत्री डॉ. रवि भूषण का कहना है कि यदि शिक्षक अपने स्वीकृत विषय के पद पर कार्यरत हैं और उसमें छात्र नामांकित हैं तो उसे पीरियड की गणना कर सरप्लस घोषित करना विधिक नहीं है। राजकीय विद्यालयों में प्रवक्ता एवं सहायक अध्यापक के पदों की स्वीकृति विषयवार होती है।
संगीत, शारीरिक शिक्षा में दो पद पर तीन शिक्षक
कई स्कूल ऐसे हैं जहां स्वीकृत पद से अधिक शिक्षक कार्यरत हैं लेकिन उनकी तरफ किसी का ध्यान नहीं है। उदाहरण के तौर पर राजकीय इंटर कॉलेज प्रयागराज में संगीत व शारीरिक शिक्षा विषय के दो-दो पद स्वीकृत हैं लेकिन यहां इन विषयों के तीन-तीन की तैनाती है। जिला मुख्यालय के इस स्कूल में पुरुष शिक्षकों के पद पर अनियमित तरीके से शिक्षिकाओं को पदस्थापित कर दिया गया है। जबकि ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में पद खाली होने के बाद शिक्षकों की तैनाती नहीं है।
416 प्रवक्ताओं की ऑनलाइन तैनाती जल्द
राजकीय इंटर कॉलेजों में सहायक अध्यापक से पदोन्नत 416 प्रवक्ताओं की जल्द ऑनलाइन तैनाती होगी। एनआईसी के पोर्टल पर रिक्त पदों की फीडिंग का काम चल रहा है जो पूरा होने के बाद पदोन्नत प्रवक्ताओं से विकल्प लेते हुए पदस्थापन किया जाएगा। इन सहायक अध्यापकों की नियुक्ति 2010-11 से 2018-19 तक हुई थी। इनमें सर्वाधिक 109 शिक्षक हिंदी के हैं। संस्कृत 85, अर्थशास्त्रत्त् 57, नागरिक शास्त्रत्त् 51, व इतिहास के 46 प्रवक्ताओं को भी तैनाती दी जाएगी।
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