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Sunday, September 3, 2023

अब 40 वर्ष से ऊपर वालों को छात्रवृत्ति नहीं देगी सरकार, छात्रवृत्ति योजना में कई महत्वपूर्ण बदलाव करने की तैयारी

🔵 अब 40 वर्ष से ऊपर वालों को छात्रवृत्ति नहीं देगी सरकार

🔵 छात्रवृत्ति योजना में कई महत्वपूर्ण बदलाव करने की तैयारी

🔵 दूसरे राज्य बोर्ड से पास छात्र- छात्राओं को भी छात्रवृत्ति नहीं

🔵 छात्रों को डिजिलाकर में कराना होगा पंजीकरण, शैक्षिक डाटा की होगी जांच

🔴 50 लाख से अधिक छात्र-छात्राओं को दशमोत्तर छात्रवृत्ति, शुल्क प्रतिपूर्ति एवं पूर्व दशम छात्रवृत्ति देती है सरकार

🔴 15 लाख तक छात्र-छात्राएं हैं. अनुसूचित जाति की पांच सौ रुपये प्रतिवर्ष और मिलेंगे छात्रवृति में

🔴 75 वर्ष तक के लोग भी ले रहे थे छात्रवृत्ति, जांच में हुआ था राजफाश



प्रदेश सरकार अब 40 वर्ष से ऊपर वालों को छात्रवृत्ति नहीं देगी। अभी तक छात्रवृत्ति के लिए अधिकतम उम्र की कोई सीमा नहीं है। दूसरे राज्य बोर्ड से हाईस्कूल पास छात्र- छात्राओं को भी छात्रवृत्ति अब सरकार नहीं देगी। केंद्रीय बोर्ड सीबीएसई व आइसीएसई बोर्ड के छात्रों को यूपी बोर्ड की तर्ज पर छात्रवृत्ति मिलती रहेगी। छात्रवृत्ति पाने के लिए छात्रों को डिजिलाकर में पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा। उनके शैक्षिक डाटा की आनलाइन जांच आसानी से हो सकेगी। 


प्रदेश सरकार हर वर्ष करीब 50 लाख से अधिक गरीब परिवारों के छात्र-छात्राओं को दशमोत्तर छात्रवृत्ति शुल्क प्रतिपूर्ति एवं पूर्व दशम छात्रवृत्ति प्रदान करती है। इसमें से 14-15 लाख अनुसूचित जाति की छात्र-छात्राएं शामिल होते हैं। सरकार समाज कल्याण विभाग की छात्रवृत्ति नियमावली में कई अहम बदलाव करने जा रही है। नियमावली में बदलाव को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी सहमति दे दी है। शीघ्र ही संशोधित नियमावली जारी होने की उम्मीद है।


सबसे बड़ा बदलाव उम्र को लेकर किया जा रहा है। यह बदलाव इसलिए किया जा रहा है क्योंकि पिछले वर्षों में मथुरा व गाजियाबाद आइटीआइ संस्थानों में हुए छात्रवृत्ति घोटाले की जांच में यह तथ्य सामने आया था कि इस योजना में 45 से 75 वर्ष के लोगों को छात्र बनाकर छात्रवृत्ति की रकम हजम कर ली गई। इनमें से कई बुजुर्ग तो पेंशन पाते थे किंतु उन्हें भी छात्र दिखाकर छात्रवृत्ति की रकम हड़पी गई छात्रवृत्ति पाने के लिए डिजिलाकर को समाज कल्याण विभाग एपीआइ पोर्टल से जोड़ने जा रहा है। इससे आनलाइन शैक्षिक डाटा जांचने में आसानी होगी।


सरकार ऐसी व्यवस्था करने जा रही है कि छात्रवृत्ति का आनलाइन आवेदन करने के दौरान आधार नंबर डालते ही प्रमाणीकरण हो जाएगा। इससे आधार में दर्ज नाम, पता, उम्र व पिता का नाम सहित अन्य जानकारी तत्काल आपके छात्रवृत्ति के फार्म में अपने आप आ जाएगी। यदि किसी छात्र को किसी पाठ्यक्रम में छात्रवृत्ति मिल रही है और बीच में ही उसका प्रतिष्ठित संस्थान में उच्च स्तर के किसी पाठ्यक्रम में दाखिला हो जाता है, तो भी उसे नए पाठ्यक्रम में छात्रवृत्ति प्रदान की जाएगी। अभी यदि किसी पाठ्यक्रम में छात्रवृत्ति मिल रही है और उसे बीच में छोड़ने पर दूसरे पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने पर छात्रवृत्ति प्रदान नहीं की जाती थी। इसके अलावा अब दूसरे प्रदेशों के विश्वविद्यालयों के यूपी में खुले कैंपस के छात्रों को भी छात्रवृत्ति नहीं मिलेगी।


सरकार एससी के छात्र-छात्राओं की छात्रवृत्ति 500 रुपये बढ़ाने की तैयारी कर रही है। अभी इन छात्रों को तीन हजार रुपये प्रति वर्ष मिलता है। इसे साढ़े तीन हजार रुपये प्रति वर्ष किया जाएगा। सरकार छात्रवृत्ति नियमावली में जो बदलाव कर रही है उसके अनुसार अब एक साथ दो पाठ्यक्रम करने पर भी छात्रवृत्ति मिल सकेगी। एक व्यावसायिक व एक सामान्य पाठ्यक्रम होना चाहिए। अभी तक एक पाठ्यक्रम के लिए ही छात्रवृत्ति मिलती थी। समाज कल्याण विभाग में आठ स्तरों के एक हजार पाठ्यक्रम हैं जिनमें छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है।


मैला ढोने वालों के बच्चों के लिए आय की सीमा नहीं

मैला ढोने व कच्चे चमड़े का कार्य करने वाले परिवारों के बच्चों को छात्रवृत्ति योजना का लाभ देने के लिए आय की सीमा के बंधन को हटा दिया गया है। नियमावली संशोधन के बाद कक्षा नौ व 10 के बच्चों को 3500 रुपये प्रति वर्ष छात्रवृत्ति दी जाएगी। अभी ढाई लाख रुपये सालाना तक की आय वाले अनुसूचित जाति के परिवारों के बच्चों को ही छात्रवृत्ति का लाभ मिलता है।



एक करोड़ रुपये या उससे ज्यादा ली स्कॉलरशिप तो शिक्षण संस्थानों का होगा सत्यापन



लखनऊ। अगर किसी शिक्षण संस्थान ने एक करोड़ रुपये या उससे ज्यादा के छात्रवृत्ति आवेदन अग्रसारित किए हैं, तो उसके रिकॉर्ड का अनिवार्य रूप से सत्यापन कराया जाएगा। भ्रष्टाचार रोकने के लिए चालू वित्त वर्ष से इस नियम का सख्ती से पालन करने का निर्णय लिया गया है।


इतना ही नहीं अगर किसी संस्थान में 40 फीसदी से ज्यादा अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्र हैं, तो वहां के भी संबंधित रिकॉर्ड का सत्यापन कराया जाएगा। उसके बाद ही छात्रों के खातों में राशि भेजी जाएगी। प्रदेश में अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्रों को ढाई लाख रुपये तक और अन्य वर्गों के लिए दो लाख रुपये तक परिवार की सालाना आय होने होने पर छात्रवृत्ति के साथ शुल्क भरपाई की सुविधा दी जाती है।

नियमावली में यह व्यवस्था है कि अगर किसी संस्थान से एक करोड़ रुपये या उससे ज्यादा के आवेदन अग्रसारित किए गए हैं तो

घपलों पर सख्ती : 40 फीसदी से ज्यादा एससी छात्र होने पर भी रहेगी निगाह

विद्यार्थियों के रिकॉर्ड का सत्यापन कराया जाएगा, ताकि किसी तरह के भ्रष्टाचार की गुंजाइश न रहे। लेकिन, देखने में आया है कि जिला स्तर पर इस नियम का कढ़ाई से पालन नहीं हो रहा है। वर्तमान में इंटर से ऊपर के करीब 9 हजार शिक्षण संस्थान हैं। इनमें से करीब 15 फीसदी यानी 1300-1400 संस्थानों में एक करोड़ रुपये से ऊपर के आवेदन अग्रसारित किए जाते हैं। इनमें बीटेक, बीफार्मा, बीएड और डिप्लोमा इंजीनियरिंग के संस्थान प्रमुख हैं।

शासन ने इन संस्थानों के विद्यार्थियों का सत्यापन कराने के निर्देश जिला स्तरीय समिति को दिए हैं। इसमें मुख्य रूप से यह देखा जाएगा कि विद्यार्थियों ने किसी अन्य पाठ्यक्रम में तो दाखिला नहीं लिया है या किसी तरह का कोई फर्जीवाड़ा तो नहीं है। भुगतान से पहले सत्यापन की प्रक्रिया अनिवार्य रूप से पूरी की जाएगी।

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