शिक्षा में गुणवत्ता सुधार के लिए प्रदेश स्तर पर बनाई जाएगी नीति
शासन ने राज्य स्तरीय गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ का किया गठन
राज्य एवं नैक के बीच नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करेगा प्रकोष्ठ
प्रयागराज । प्रदेश के विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए प्रदेश स्तर पर नीति का निर्धारण किया जाएगा। इसके लिए शासन ने राज्य स्तरीय गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ का गठन किया है, जो राज्य और राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) के बीच नोडल एजेंसी के रूप में भी कार्य करेगा।
प्रकोष्ठ में 18 सदस्य नियुक्त किए गए हैं, जिनमें उच्च शिक्षा मंत्री पदेन अध्यक्ष और अपर मुख्य सचिव / प्रमुख सचिव/सचिव उत्तर शिक्षा विभाग पदेन उपाध्यक्ष होंगे। प्रकोष्ठ के सदस्य के रूप में उच्च शिक्षा निदेशक, उच्च शिक्षा परिषद के अध्यक्ष सहित नैक सीजीपीए प्राप्त संस्थानों के कुलपतियों, कॉलेज प्रबंधक, प्राचार्यों आदि को शामिल किया गया है। इनका कार्यकाल तीन वर्ष का होगा।
आगामी तीन वर्षों में प्रदेश के समस्त अर्ह उच्च शिक्षण संस्थानों का नैक मूल्यांकन सुनिश्चित करने के लिए उत्तरदायित्व आधारित नीति निर्धारित करने, नैक मूल्यांकन के लिए मापदंडों को उच्च शिक्षण संस्थानों में कियन्वित कराने, प्रदेश के विश्वविद्यालयों / महाविद्यालयों की नैक मूल्यांकन में सहायता के लिए मेंटर की भूमिका निभाने की जिम्मेदारी इसी प्रकोष्ठ की होगी।
राज्य स्तरीय प्रकोष्ठ क्षेत्रीय गुणवत्ता
आश्वासन प्रकोष्ठ का गठन, निगरानी एवं मूल्यांकन करेगा। क्षेत्रीय प्रकोष्ठ के पदेन अध्यक्ष संबंधित क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी, पदेन उपाध्यक्ष संबंधित राज्य विश्वविद्यालय के कुलसचिव और पदेन संयोजक विश्वविद्यासलय के आईक्यूएसी कोऑर्डिनेटर होंगे। इसके अलावा चार अन्य सदस्य होंगे।
राज्य पुरस्कार योजना, सेमिनार अनुदान, रिसर्च एंड डेवपलमेंट अनुदान के प्रस्ताव की स्क्रीनिंग कर उनको उत्तर प्रदेश राज्य उच्च शिक्षा परिषद को उपलब्ध कराने और विश्वविद्यालयों/महाविद्यालयों में सभी प्रकार की प्रोन्नति के लिए राज्य सरकार एवं यूजीसी के दिशा-निर्देशों के अनुरूप नीति तैयार कर शासन को उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी भी गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ की होगी। कॅरियर एडवांसमेंट स्कीम के तहत प्रोन्नति का डिजिटिलाईजेशन भी किया जाएगा।
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