कृषि शिक्षा में बदलाव की तैयारी, बहुआयामी बनाएगी सरकार
नई शिक्षा नीति- 2020 के अनुसार तैयार होने हैं कृषि विवि के कार्यक्रम व पाठ्यक्रम
कृषि विवि में किस तरह हो रहे शोध और आ रहे परिणामों की समीक्षा करेगी सरकार
लखनऊ। नई शिक्षा नीति 2020 के तहत प्रदेश में कृषि शिक्षा में बदलाव की तैयारी हो रही है। जिससे कृषि शिक्षा बहुआयामी हो सके। कृषि विश्वविद्यालयों में किस तरह के शोध हो रहे हैं और उनका क्या परिणाम आ रहा है, सरकार इसकी समीक्षा करेगी।
राज्य सरकार का उद्देश्य है कि वह केंद्र की नई शिक्षा नीति 2020 के तहत कृषि शिक्षा में ऐसे कार्यक्रम व पाठ्यक्रम तैयार करें, जो बहुआयामी हों जिससे छात्र न सिर्फ नौकरी करें बल्कि ऐसे प्रस्तावों पर भी काम करें कि दूसरों के लिए भी रोजगार का सृजन हो सके।
प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही के मुताबिक कार्यक्रम व पाठ्यक्रम तैयार करने में विशेषज्ञों की मदद ली जा रही है। वहीं, प्रदेश के कृषि विश्वविद्यालयों से भी सुझाव मांगे गए हैं। यह देखा जाएगा कि वहां किस तरह के शोध हो रहे हैं और उनका क्या परिणाम आ रहा है।
यह भी पता किया जाएगा कि संस्थाओं में कितने संसाधन हैं। इनका बेहतर उपयोग करते हुए नई शिक्षा नीति के उद्देश्यों के तहत कैसे कार्यक्रम तैयार किए जाएं, इस पर काम होना है। वहीं, छात्रों की संख्या भी दस फीसदी बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है।
अन्य संस्थाओं को जोड़ने की कवायद
कृषि मंत्री ने कहा कि प्रदेश के सभी कृषि विवि को भारत सरकार के विश्वविद्यालय व भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की संस्थाओं के साथ जोड़ा जाना है। इसके अलावा कृषि छात्रों को विदेशी संस्थाओं में भेजने तथा विदेशी छात्रों को प्रदेश के विश्वविद्यालयों में दाखिले के लिए नए स्तर से प्रयास करना है। पर, यह तभी संभव हो सकेगा जब नई शिक्षा नीति के हिसाब से कृषि शिक्षा में परिवर्तन होगा। संस्थानों में वैश्विक स्तर की सुविधाएं विकसित करनी होंगी।
लोक संस्कृति को भी देना होगा बढ़ावा
कृषि विवि में लोक संस्कृति को बढ़ावा दिया जाना है। अपर मुख्य सचिव कृषि डॉ. देवेश चतुर्वेदी के मुताबिक विवि को इस तरह काम करना होगा कि यहां छात्र हर विषय जैसे गीत, संगीत, साहित्य, लोक गायन, संस्कृति सभी की शिक्षा ले सके। केवल खेती तक सीमित न रहे। इसके लिए लोक नृत्य व गायन और डिजिटल वकिंग के कोर्स को अनिवार्य रूप से शामिल करना होगा।
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