मुजफ्फरनगर में छात्र को थप्पड़ मारने और विवादित टिप्पणी का मामला गहराया, सुप्रीम कोर्ट ने दर्ज FIR पर खड़े किए सवाल
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर से अगस्त महीने में वायरल एक वीडियो में नेहा पब्लिक स्कूल की टीचर एक छात्र को अन्य छात्रों से थप्पड़ लगवा रही थी। साथ ही विवादित टिप्पणी भी की थी। इस मामले पर नोटिस जारी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से पूछा था कि इस मामले पर क्या एक्शन लिया गया। अब इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कई सवाल खड़े किए हैं। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को लेकर दर्ज FIR पर भी आपत्ति जताई है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पिता ने बयान में आरोप लगाया था कि धर्म के कारण उनके बेटे को पीटा गया है, लेकिन FIR में इस बात का कहीं जिक्र नहीं है। मामले में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के प्रपोत्र तुषार गांधी की ओर से दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि स्टूडेंट को पीटने की घटना की जांच की निगरानी राज्य सरकार की ओर से नामित वरिष्ठ पुलिस अधिकारी करेंगे और रिपोर्ट कोर्ट में जमा करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश सुनाया
सुप्रीम कोर्ट ने कहा ये मामला मूल अधिकारों का भी हनन है। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार पीड़ित बच्चे को क्वालिटी एजुकेशन मुहैया कराए। राज्य सरकार RTE एक्ट के तहत पीड़ित बच्चे की उचित शिक्षा की व्यवस्था करेगी। राज्य सरकार सुनिश्चित करे कि पीड़ित लड़का उस स्कूल में नहीं पढ़ेगा। राज्य सरकार तीन हफ्ते में कोर्ट के आदेश का अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करेगी।
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कोर्ट ने आगे कहा कि केवल पीड़ित बच्चे का ही नहीं, उन बच्चों की भी काउंसलिंग होनी चाहिए जिन्होंने बच्चे को पीटा था। पीड़ित बच्चे की जिम्मेदारी राज्य सरकार को लेनी चाहिए। हम इसे हल्के में नहीं ले सकते, क्योंकि ये काफी गंभीर मामला है।
30 अक्टूबर को होगी अगली सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि टीचर के कहने पर बच्चों ने उस लड़के को मारा, तो यह किस तरह का एजुकेशन सिस्टम है ? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले की जांच आईपीएस रैंक के अधिकारी से कराई जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या पीड़ित छात्र की काउंसलिंग कराई गई? अवैध तरीके से स्कूल चलाने पर भी खड़ा किया सवाल। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि गवाहों को क्या सुरक्षा दी गई? एजुकेशन सिस्टम पर भी सवाल उठाए हैं। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट पहले ही यूपी सरकार को नोटिस जारी कर चुका है।
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