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Tuesday, October 31, 2023

Global Trustworthiness Index 2023 Teacher / Doctor सर्वे : भारत में टीचर सबसे ज्यादा भरोसेमंद और दुनिया में डॉक्टर



Global Trustworthiness Index-2023 Doctors Most Trusted in the world: इप्सॉस ग्लोबल ट्रस्टवर्दीनेस इंडेक्स-2023 का डेटा जारी हुआ है। डेटा के मुताबिक, भारत में टीचर सबसे ज्यादा भरोसेमंद हैं, जबकि पूरी दुनिया में डॉक्टरों को सबसे अधिक ट्रस्टवर्दी बताया गया है। देश में शिक्षकों के बाद आर्म्ड फोर्स के जवान और तीसरे नंबर पर डॉक्टर्स हैं। इनसे अलग, भारत में लोगों को जजों और वैज्ञानिकों पर कम भरोसा है। भारत समेत 31 देशों में 22 हजार 816 लोगों के सैंपल के आधार पर ये डेटा तैयार किया गया है।



भारत के शिक्षकों पर 53%, सशस्त्र बलों पर 52% और डॉक्टरों पर 51% लोगों ने भरोसा जताया। इनके अलावा, वैज्ञानिकों पर 49%, जजों पर 46%, सामान्य पुरुष और महिलाओं पर 46% और बैंकर पर 45% लोगों ने भरोसा जताया। वहीं, ग्लोबल लेवल पर लोगों ने डॉक्टरों पर 58%, वैज्ञानिकों पर 57%, शिक्षकों पर 53% और सशस्त्र बलों के सदस्यों को सबसे ज्यादा भरोसेमंद का दर्जा दिया।


ग्लोबल मार्केट रिसर्चर, इप्सोस इंडिया के CEO अमित अदारकर ने कहा कि भारतीय लोग शिक्षकों, सशस्त्र बलों के सदस्यों और डॉक्टरों पर सबसे अधिक भरोसा करते हैं, जो आश्चर्य की बात नहीं है। उन्होंने कहा कि ये सभी प्रोफेशन समर्पण और सेवा से जुड़ा है। ये पेशे हमारे समाज के महत्वपूर्ण अंग हैं। शिक्षक समाज की नींव बनाते हैं, सशस्त्र बल हमेशा और हर समय हमारी सीमाओं को सुरक्षित रखने में अदम्य भावना प्रदर्शित करते हैं और डॉक्टर समाज को स्वस्थ रखने के लिए उत्साह प्रदर्शित करते हैं।


अदारकर ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान जब पूरा देश लॉकडाउन में था, इन तीन व्यवसायों ने संक्रमितों की ओर कदम बढ़ाया और देश की सेवा करना जारी रखा। शिक्षक निर्बाध रूप से ऑनलाइन कक्षाओं में चले गए, जिससे छात्रों का सेशन बिना किसी व्यवधान के बच गया। सशस्त्र बलों ने कभी भी सतर्कता में कमी नहीं आने दी और डॉक्टरों ने व्यक्तिगत सुरक्षा की कीमत पर भी सेवा जारी रखी।


जापान, साउथ कोरिया को छोड़ दुनिया में शिक्षकों को माना भरोसेमंद

जापान और दक्षिण कोरिया को छोड़कर पूरी दुनिया में शिक्षकों पर लोगों की विश्वसनीयता देखी गई। इनके अलावा, भारतीयों ने कैबिनेट मंत्री और सरकारी अधिकारियों पर 39%, राजनेताओं पर 38%, पादरी और पुजारी पर 34%, पुलिस पर 33%, सरकारी नियोक्ता और सिविल सेवकों पर 32%, वकीलों पर 32% और पत्रकारों पर 30% भरोसा जताया। इस मामले में ग्लोबल स्तर पर लोगों की बात की जाए तो 60% लोगों ने राजनेताओं को सबसे अविश्वसनीय माना। इसके बाद 53 फीसदी लोगों ने कैबिनेट मंत्री या फिर सरकारी अधिकारी पर भरोसा जताया। थे।


अदारकर ने इस संबंध में कहा कि भारतीय राजनीति और सरकारी विभागों की कार्यप्रणाली में काफी पारदर्शिता होने के बावजूद नागरिकों का उन पर अविश्वास बना हुआ है। इस फील्ड से जुड़े लोगों की छवि शुरुआत से ही साफ नहीं रही है। समय-समय पर भ्रष्टाचार के कुछ मामले सामने आने से इनकी छवि खराब हो गई है।



भारत में किसी पेशे से जुड़े लोगों पर कितना भरोसा?
  • शिक्षक- 53%
  • सशस्त्र बल- 52%
  • डॉक्टर- 51%
  • वैज्ञानिक- 49%
  • जज- 46%
  • महिला- 46%
  • बैंकर- 45%

दुनियाभर में डॉक्टरों के बाद वैज्ञानिक भरोसेमंद
  • डॉक्टर- 58%
  • वैज्ञानिक- 57%
  • शिक्षक- 53%
  • सशस्त्र बल- 53%

Monday, October 30, 2023

बिना मान्यता मदरसों और छात्रवृत्ति में गड़बड़ी की होगी उच्चस्तरीय जांच

बिना मान्यता मदरसों और छात्रवृत्ति में गड़बड़ी की होगी उच्चस्तरीय जांच

अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री धर्मपाल सिंह ने अधिकारियों को दिए जरूरी निर्देश 

शुल्क भरपाई के लिए आवेदन करने वाले 14 हजार छात्र फर्जी मिले हैं


लखनऊ। यूपी में बिना मान्यता चल रहे मदरसों और अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति में गड़बड़ियों की उच्चस्तरीय जांच होगी। इस संबंध में प्रदेश सरकार ने कड़ा रुख अपनाया है और संबंधित अधिकारियों को जरूरी निर्देश दे दिए गए हैं।


प्रदेश में हजारों की संख्या में बिना किसी वैध मान्यता के मदरसे चल रहे हैं। एसआईटी मदरसों को मिल रहे विदेशी फंड की भी जांच कर रही है। हाल ही में केंद्रीय अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति और शुल्क भरपाई के लिए आवेदन करने वाले 14 हजार छात्र फर्जी मिले हैं।


अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा कि इन मामलों को लेकर हम गंभीर हैं। उच्चस्तरीय जांच कराने का फैसला किया गया है। छात्रवृत्ति की केंद्रीय योजना हो या राज्य सरकार की योजना, हम उसमें पारदर्शिता बरतने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हर जिले में कड़ी जांच होगी, जो भी दोषी मिलेगा, उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई करने के निर्देश दे दिए गए हैं।

विजिलेंस जांच में पकड़ में आ सकते हैं कई और फर्जी, बलरामपुर, संभल के अलावा कुछ और जिलों में फर्जी चयनित

विजिलेंस जांच में पकड़ में आ सकते हैं कई और फर्जी, बलरामपुर, संभल के अलावा कुछ और जिलों में फर्जी चयनित

मुजफ्फरनगर में भी फर्जी चयन प्रमाणित कर चुका है चयन बोर्ड

हाई कोर्ट के आदेश पर शासन ने शुरू कराई थी जांच


प्रयागराज : उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक (टीजीटी) भर्ती 2013 में फर्जी तरीके से चयनित / समायोजित की संख्या कहीं ज्यादा हो सकती है। बलरामपुर, संभल के अलावा मुजफ्फरनगर में भी जालसाजों ने फर्जी ढंग से एडेड माध्यमिक विद्यालयों में तीन आरोपितों को कार्यभार ग्रहण कराए। फर्जी चयन का प्रकरण सामने आने के बाद आरोपित विद्यालयों से फरार हो चुके हैं। 


फर्जी ढंग से नियुक्ति के मामले में चयन बोर्ड हाई कोर्ट में पक्ष रख चुका है। हाई कोर्ट के आदेश पर शासन से विजिलेंस जांच शुरू कराने पर फर्जी चयनितों की संख्या ज्यादा सामने आ सकती है। चयन बोर्ड के सत्यापन में संभल और बलरामपुर में छह छह तथा मुजफ्फर नगर में तीन का समायोजन फर्जी निकल चुका है। इसके अलावा कुछ और जिलों में फर्जी तरीके से कार्यभार ग्रहण कराया गया है। 


बलरामपुर में ही 17 फर्जी चयनित विद्यालय से फरार हैं। एक आरोपित की बीएड की डिग्री फर्जी निकली थी। इस तरह 18 प्रकरण बलरामपुर में ही सामने आए। बलरामपुर के छह, संभल के एक और मुजफ्फरनगर के तीन के मामले हाई कोर्ट में पहुंचे हैं। इन्हें वेतन निर्गत करने में कई की संलिप्तता मानते हुए विजिलेंस जांच शुरू होने वाली है।


 जांच होने पर आरोपितों से आरोपितों के तार जोड़े जाने पर इस फर्जीवाड़े के मास्टरमाइंड और उसमें संलिप्त शिक्षा विभाग के अधिकारियों के कारनामे भी सामने आएंगे, क्योंकि कई के समायोजन का संबंधित जिला विद्यालय निरीक्षक न तो चयन बोर्ड की वेबसाइट से आनलाइन सत्यापन किया और न ही चयन बोर्ड से कराया। ऐसे में जांच शुरू होने पर कई की गर्दन फंस सकती है।



फर्जी चयनितों के खिलाफ मुकदमा लिखाने को डीआइओएस, प्रबंधक व प्रधानाचार्यों में खींचतान

प्रयागराज : उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक (टीजीटी) भर्ती 2013 में फर्जी चयनितों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने को लेकर डीआइओएस, स्कूल के प्रबंधकों और प्रधानाचार्यों में खींचतान मची है। फर्जीवाड़ा खुलने पर मुकदमा दर्ज कराने से सब पीछे हट रहे हैं। 


अभी तक सामने आए 12 फर्जी मामलों में तीन के खिलाफ केस को मुकदमा दर्ज होने पर गिरफ्तार किया गया है, लेकिन अन्य मामले में प्रधानाचार्य मुकदमा नहीं दर्ज करा रहे हैं। इधर, हाई कोर्ट के आदेश पर शासन से भी विजिलेंस जांच शुरू करने के निर्देश दे दिए जाने के बाद डीआइओएस, प्रबंधक और प्रधानाचार्य मुकदमा दर्ज कराने को लेकर उलझे हुए हैं।

प्रधानाचार्यों ने फर्जी चयनितों को कार्यभार तो बिना चयन बोर्ड के सत्यापन कराए ग्रहण करा दिया गया, लेकिन उनका कहना है कि समायोजन सूची का सत्यापन जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआइओएस) ने नहीं कराया और फर्जी चयनित को नियुक्ति पत्र विद्यालय प्रबंधक ने जारी किया है तो मुकदमा प्रधानाचार्य क्यों दर्ज कराएं।

समायोजन पत्र का बिना सत्यापन कराए बलरामपुर और संभल में 12 लोगों को कार्यभार ग्रहण कराने के मामले में माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड ने दोनों जिला विद्यालय निरीक्षकों को आरोपितों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराने के निर्देश दिए थे।

 बलरामपुर में दबाव पड़ने पर प्रधानाचार्यों ने तीन आरोपितों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया। पुलिस ने तीनों आरोपितों को गिरफ्तार किया है। अन्य के विरुद्ध संबंधित प्रधानाचार्यों पर जिला विद्यालय निरीक्षक और प्रबंधक दबाव बना रहे हैं कि वह मुकदमा दर्ज कराएं।

18 साल बाद भी शुरू नहीं हो सकी शिक्षकों की NPS कटौती

18 साल बाद भी शुरू नहीं हो सकी शिक्षकों  की NPS कटौती


■ परिषदीय स्कूलों के 4619 शिक्षकों की नहीं हो रही कटौती

■  संबद्ध प्राइमरी- संस्कृत विद्यालय के शिक्षकों को भी घाटा


प्रयागराज। राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) लागू होने के 18 साल बाद भी दर्जनों शिक्षकों की कटौती शुरू नहीं हो सकी है। जिले के परिषदीय विद्यालयों में एक अप्रैल 2005 के बाद नियुक्त 4619 शिक्षकों की एनपीएस कटौती शुरू न होने से उनको आर्थिक नुकसान हो रहा है।


वर्तमान में परिषदीय स्कूलों के कुल 9454 शिक्षक एनपीएस के दायरे में आते हैं। इनमें से केवल 4835 शिक्षकों की कटौती हो रही है जबकि 4619 शिक्षक अब तक कटौती का इंतजार कर रहे हैं।

इसी प्रकार एडेड स्कूलों से संबद्ध 44 प्राइमरी और 25 एडेड संस्कृत विद्यालयों के 50 से अधिक शिक्षकों व कर्मचारियों की कटौती नहीं हो रही है। सरकार ने 28 मार्च 2005 को ही परमानेंट रिटायरमेंट एकाउंट नंबर (प्रान) खाता आवंटन करने के साथ कटौती शुरू करने के आदेश दिए थे। लेकिन अफसरों की लापरवाही के कारण शिक्षक-कर्मचारी बुढ़ापे की लाठी से वंचित हैं। 


वैसे तो संबद्ध प्राइमरी और संस्कृत विद्यालय के एक भी शिक्षक की कटौती नहीं हो रही थी। लेकिन शासन की सख्ती के बाद जून 2023 से तकरीबन आधे शिक्षकों की कटौती शुरू हुई है। शेष आधे शिक्षकों में से कई के अब तक प्रान नंबर भी आवंटित नहीं हुए हैं। इसी प्रकार एडेड माध्यमिक कॉलेजों में भी अभी सैकड़ों शिक्षक ऐसे हैं जिनकी कटौती शुरू नहीं हो सकी है।


तबादलों की प्रक्रिया को लेकर मुख्यमंत्री से शिकायत, चहेतों के तबादलों की तैयारी का मामला तूल पकड़ने लगा

तबादलों की प्रक्रिया को लेकर मुख्यमंत्री से शिकायत, चहेतों के तबादलों की तैयारी का मामला तूल पकड़ने लगा 


प्रयागराज। सूबे के 4512 सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के प्रधानाचार्यों और शिक्षकों के ऑनलाइन तबादलों की अनदेखी करते हुए चहेतों के तबादलों की तैयारी का मामला तूल पकड़ने लगा है। शिक्षक संगठनों ने निदेशालय के अधिकारियों की मनमानी का विरोध शुरू कर दिया है।

 17 चहेतों के तबादलों की तैयारी की शिकायत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पहुंच गई है। इसके साथ ही महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद से भी शिक्षकों ने पत्र भेजकर शिकायत की है। 

उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ (ठकुराई गुट) के प्रदेश महामंत्री लालमणि द्विवेदी की तरफ से मुख्यमंत्री को भेजे गए शिकायती पत्र में कहा गया कि कि प्रदेश के विभिन्न जिलों के सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत 17 शिक्षकों के स्थानांतरण का प्रस्ताव / पत्रावली मांगने का आदेश नियमों के विरुद्ध है। 

सहायता  प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के संस्था प्रधान और अध्यापकों के तबादलों के लिए इंटर शिक्षा अधिनियम 1921 के विनियमों के अध्यय-तीन के विनियम 55 से 61 में ऑनलाइन स्थानांतरण की व्यवस्था बनाई गई है। कानून के मुताबिक सामान्य अध्यापकों के लिए ऑफलाइन व्यवस्था में भी प्रबंधकों से एनओसी लेकर आवेदन की प्रक्रिया कार्यरत विद्यालय से शुरू होती है। इसे जिला विद्यालय निरीक्षक और संयुक्त शिक्षा निदेशक द्वारा निदेशालय को अग्रसारित किया जाता है, लेकिन इस मामले में इन 17 शिक्षकों के आवेदन की कोई फाइनल फाइल निदेशालय में उपलब्ध नहीं है।

 पिछले सात साल से शिक्षक पारदर्शी और न्याय संगत व्यवस्था की मांग कर रहे हैं। एडेड विद्यालयों में शिक्षकों के तबादलों की मौजूदा व्यवस्था भ्रष्टाचार में डूबी हुई है।



नियम दरकिनार, सत्रह तबादले को साहब तैयार, एडेड कॉलेज के शिक्षकों के ऑनलाइन तबादले का है नियम

● संयुक्त शिक्षा निदेशक और डीआईओएस को जारी किया निर्देश

प्रयागराज : प्रदेश के 4512 सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के प्रधानाचार्यों एवं शिक्षकों के तबादले के कायदे-कानून दरकिनार कर एक बार फिर चहेते शिक्षकों के मनमाने ऑफलाइन ट्रांसफर की तैयारी शुरू हो गई है। तबादले की प्रक्रिया नियमत स्कूल स्तर से शुरू होती है लेकिन इसके उलट शिक्षा निदेशालय के अधिकारियों ने मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशकों और जिला विद्यालय निरीक्षकों से 17 शिक्षकों के एकल स्थानान्तरण का प्रस्ताव और संस्तुति भेजने के निर्देश दिए हैं।


शासन में बैठे अधिकारियों ने छह सितंबर को 11, 21 सितंबर को एक और चार अक्तूबर को चार ‘वीआईपी’ अध्यापकों के ट्रांसफर की फाइल मंगवाने के लिए खुद ही शिक्षा निदेशालय को निर्देश दिया है। जिसके अनुपालन में शिक्षा निदेशालय में उप शिक्षा निदेशक रामचेत ने 25 अक्तूबर को इन 16 शिक्षकों समेत कुल 17 ट्रांसफर की फाइल व प्रस्ताव मंगाने के लिए संबंधित जेडी और डीआईओएस को निर्देश जारी किया है। वैसे तो प्रधानाचार्यों-शिक्षकों के तबादले के लिए ऑनलाइन व्यवस्था है लेकिन विशेष परिस्थितियों में ऑफलाइन स्थानान्तरण का अधिकार शासन में निहित है। उसके लिए शिक्षक को लंबी-चौड़ी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। पहले तो उन्हें दोनों संस्थाओं के प्रबंधकों से एनओसी लेनी पड़ती है। उसके बाद दोनों जिलों के डीआईओएस, दोनों मंडल के जेडी अपनी संस्तुति के साथ अग्रसारित करते हैं। अंत में अपर शिक्षा निदेशक माध्यमिक तबादले की मंजूरी देते हैं। उसके लिए भी समय निर्धारित है और मध्य सत्र में तबादले नहीं होते। लेकिन एक तो मध्य सत्र में तबादले हो रहे हैं उस पर शिक्षकों से आवेदन लेने के बजाय सीधे अफसरों से संस्तुति मांगी जा रही है।


एडेड माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों के ट्रांसफर में अंधेरगर्दी चल रही है। कानून की उल्टी गंगा बह रही है। बड़ी सिफारिश के बिना ट्रांसफर संभव नहीं है। यह सरकार पिछले सात वर्ष में एक न्याय संगत और पारदर्शी ट्रांसफर की व्यवस्था बनाने में विफल रही है।

लालमणि द्विवेदी, प्रदेश महामंत्री, माध्यमिक शिक्षक संघ (ठकुराई गुट)

दुविधा में शिक्षक, तबादला चुनें या प्रमोशन! म्यूचुअल तबादलों की प्रक्रिया रोक कर दिए प्रमोशन के आदेश

तबादलों के लिए बन चुके हैं पेयर, प्रमोशन चुना तो तबादले से हो जाएंगे वंचित

दुविधा में शिक्षक, तबादला चुनें या प्रमोशन!  म्यूचुअल तबादलों की प्रक्रिया रोक कर दिए प्रमोशन के आदेश


शिक्षक संशय में क्यों ?

कई जिलों में शिक्षक प्रमोशन के लिए 10-15 साल से इंतजार कर रहे हैं। अब यदि प्रमोशन छोड़ते हैं तो फिर उनको भविष्य में कभी प्रोन्नति नहीं मिलेगी। साथ ही चयन वेतनमान से भी वंचित रहना पड़ेगा। यदि प्रमोशन ले लिया तो फिर मनचाहे जिले में तबादला नहीं पा सकेंगे। 


लखनऊ : म्यूचुअल तबादला चुनें या फिर प्रमोशन? दोनों के लिए ही वर्षों से इंतजार कर रहे शिक्षक अब दुविधा में फंस गए हैं। वजह ये कि म्यूचुअल तबादलों के लिए आपसी सहमति से पेयर बना लिए गए हैं। पर विभाग ने तबादला आदेश करने की बजाय अब प्रमोशन के आदेश कर दिए हैं। प्रमोशन आठ नवंबर तक पूरे करने के आदेश किए गए हैं। ऐसे में अगर प्रेयर के एक भी शिक्षक का प्रमोशन होता है तो दोनों तबादले से वंचित हो जाएंगे। वहीं, प्रमोशन छोड़ते हैं तो फिर भविष्य में प्रमोशन और चयन वेतनमान आदि लाभों से वंचित हो जाएंगे।


ऐसे चली तबादला और प्रमोशन प्रक्रिया : बेसिक शिक्षा विभाग ने फरवरी में प्रमोशन, अंतरजनपदीय तबादले, म्यूचुअल अंतरजनपदीय और अंतः जनपदीय तबादलों की प्रक्रिया एक साथ शुरू कर दी थी। पहले आवेदन और फिर विकल्प भरने सहित सभी की तारीखें बढ़ती रहीं।


 जून तक अंतरजनपदीय तबादले तो पूरे हो गए लेकिन रिलीविंग और जॉइनिंग अगस्त तक हुई। उसके बाद म्यूचुअल, अंत: जनपदीय और अंतरजनपदीय तबादलों की प्रक्रिया शुरू कर दी गई। पोर्टल पर आपसी सहमति से पेयर बनाने की प्रक्रिया चली। इसके लिए भी तारीख बढ़ती गई और यह प्रक्रिया जून से सितंबर तक चली। तब से अबतक कोई आदेश नहीं आया। 


विभाग का तर्क है कि तबादले गर्मियों या सर्दियों की छुट्टियों में ही हो सकते हैं। अब अचानक फिर से आदेश कर दिया गया है कि प्रमोशन किए जाएंगे। प्रमोशन के लिए 30 अक्तूबर तक ज्येष्ठता सूची जारी करने और आठ नवंबर तक प्रमोशन पूरे करने के आदेश किए गए हैं।


तबादलों के संबंध में शासनादेश है कि गर्मियों और सर्दियों की छुट्टियों में ही किए जा सकते हैं। प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। सिर्फ रिलीविंग और जॉइनिंग के आदेश होने हैं। तबादलों में वक्त लग रहा है। इसलिए यह सोचा गया कि तब तक प्रमोशन का काम कर लिया जाए। -प्रताप सिंह बघेल, सचिव बेसिक शिक्षा परिषद



पदोन्नति से बेसिक शिक्षकों का टूट जाएगा जोड़ा, पदोन्नति से पहले पारस्परिक स्थानांतरण की मांग


• स्थानांतरण के लिए शिक्षकों ने आपस में बनाया है जोड़ा

• अब आठ नवंबर को पदोन्नति की सूचना से परेशानी में आए शिक्षक


परस्पर तबादले के लिए बने पेयर टूटने का संकट

परस्पर तबादले का इंतजार कर रहे शिक्षक इस कवायद से चिंतित हैं। अगर परस्पर तबादले से पहले पदोन्नति हो गई तो उनके जोड़े टूट जाएंगे। उप्र. बेसिक शिक्षक संघ के निर्भय सिंह कहते हैं कि जिले के अंदर परस्पर तबादले से पहले पदोन्नति होने से सैकड़ों शिक्षकों की घर वापसी की उम्मीद टूट जाएगी। जबकि तबादले की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, सिर्फ रिलीविंग और ज्वाइनिंग बाकी है। अभी वरिष्ठता सूची में एक से दूसरे जिले में तबादला पाए शिक्षकों के नाम भी हटाने हैं। बिना सूची अपडेट किए, पदोन्नति विभाग किस आधार पर करेगा?


प्रयागराज ।  कई वर्ष से पदोन्नति की प्रतीक्षा कर रहे बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षक व शिक्षिकाओं ने अंत: जनपदीय पारस्परिक एवं जिला से बाहर पारस्परिक स्थानांतरण प्रक्रिया शुरू होने पर बेसिक शिक्षा परिषद सचिव देने के निर्देश पर जोड़ा (पेयर) बनाया। शिक्षक पारस्परिक स्थानांतरण मिलने गई की उम्मीद ही कर रहे हैं कि अब के परिषद सचिव ने जूनियर बेसिक के शिक्षकों की पदोन्नति के लिए समय सारिणी जारी कर दी है। 


इसके तहत आठ नवंबर तक पदोन्नति प्रक्रिया पूरी की जानी है। इससे पारस्परिक स्थानांतरण के लिए बना कई का जोड़ा टूट जाएगा। ऐसे में मांग की गई है कि पहले पारस्परिक स्थानांतरण किया जाए, उसके बाद पदोन्नति दी में जाए।


परिषद सचिव प्रताप सिंह बघेल ने अंतरजनपदीय स्थानांतरण के बाद अंतः जनपदीय पारस्परिक एवं जिले के बाहर पारस्परिक स्थानांतरण की प्रक्रिया शुरू की। इसके लिए शिक्षक शिक्षिकाओं ने जानकारी जुटाकर आपस में पेयर बनाया। प्रक्रिया आनलाइन की गई थी, लेकिन किसी का स्थानांतरण नहीं किया गया, लेकिन अब आठ नवंबर को पदोन्नति की तिथि तय कर दी गई। इसके लिए शिक्षकों की पात्रता सूची मांगी है। 


पदोन्नति मिलने पर पेयर टूटने साथ स्थानांतरण मिलने की उम्मीद भी टूट जाएगी। उत्तर प्रदेश बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने बताया कि प्राइमरी के हेडमास्टर ने दूसरे हेडमास्टर से पेयर बनाया होगा तो जूनियर हाईस्कूल में पदोन्नति मिलने पर वह टूट जाएगा। ऐसा ही प्राइमरी के सहायक अध्यापक एवं सहायक अध्यापिकाओं के मामले भी है। यदि सहायक अध्यापक या अध्यापिका को जूनियर में पदोन्नति मिल गई तो उनके साथ जोड़ा बनाए सहयोगी शिक्षक को भी झटका लग जाएगा। 


इस स्थिति में सरकार यदि शिक्षकों को लाभ देना चाहती है तो पहले पारस्परिक स्थानांतरण की सूची जारी करे, जो कि बनी हुई है। सिर्फ आदेश जारी किया जाना है। उसके बाद पदोन्नति की प्रक्रिया पूरी की जाए, जिससे शिक्षकों को दोनों का लाभ मिल सके।

Sunday, October 29, 2023

अल्पसंख्यक छात्रवृत्तिः बायोमीट्रिक सत्यापन अनिवार्य करने से घटे पात्र

अल्पसंख्यक छात्रवृत्तिः बायोमीट्रिक सत्यापन अनिवार्य करने से घटे पात्र


प्रयागराज । अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति के लिए बायोमीट्रिक सत्यापन अनिवार्य किए जाने के बाद बड़ी संख्या में विद्यार्थी पीछे हट गए हैं। उन्होंने सत्यापन ही नहीं कराया। इससे गड़बड़ी की आशंका बन गई है। ऐसे में सत्यापन के लिए नहीं आने वाले विद्यार्थियों का विवरण एकत्रित करने के साथ कारणों की छानबीन की जा रही है। 


पिछले वर्ष छात्रवृत्ति का वितरण नहीं किया गया। गड़बड़ी की शिकायतों को देखते हुए सभी का बायोमीट्रिक वेरिफिकेशन कराने के लिए कहा गया। अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति के लिए अब बायोमीट्रिक सत्यापन अनिवार्य भी कर दिया गया है। इसके तहत छात्र छात्रा के साथ प्रधानाचार्य या संस्था प्रमुख का भी बायोमीट्रिक वेरिफिकेशन होना चाहिए।


 यह व्यवस्था लागू होने के बाद सत्र 2022-23 में आवेदन करने वाले कुछ विद्यार्थी बायोमीट्रिक वेरिफिकेशन के लिए नहीं आए। ऐसे में कई तरह के सवाल खड़े हो गए हैं। हालांकि, यह भी कहा जा रहा है कि ये पिछले सत्र के विद्यार्थी हैं और वेरिफिकेशन अब कराया जा रहा है। ऐसे में कई विद्यार्थी पासआउट हो चुके होंगे। ऐसे में बायोमीट्रिक वेरिफिकेशन न कराने वालों का विवरण खंगाला जा रहा है। 



अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति के 14 हजार आवेदक निकले फर्जी

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में केंद्रीय अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति के 14 हजार आवेदक फर्जी निकले हैं। जिन संस्थानों ने इन छात्रों का डाटा अग्रसारित किया, अब उन्होंने ही इन्हें अपना छात्र मानने से इन्कार कर दिया है। राज्य अल्पसंख्यक कल्याण विभाग शीघ्र ही पूरी रिपोर्ट केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय को भेजेगा। इसके बाद संबंधित शिक्षण संस्थानों के खिलाफ भी कार्रवाई तय मानी जा रही है।


केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय ने वर्ष 2022-23 में छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति के लिए आवेदन करने वाले छात्रों का बॉयोमीट्रिक सत्यापन कराने के निर्देश सभी राज्यों को दिए थे। शुरुआती जांच में गड़बड़ियां मिलने पर यह निर्णय लिया गया था। उत्तर प्रदेश में वित्त वर्ष 2022-23 में 359659 छात्रों ने आवेदन किया था।


राज्य अल्पसंख्यक कल्याण विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक, बॉयोमीट्रिक सत्यापन के दौरान 17473 छात्रों का नाम आधार में दिए गए नाम से अलग मिला। 11377 छात्रों का आधार सत्यापन फेल हो गया। 93 आवेदकों की मृत्यु हो गई। 



बॉयोमीट्रिक सत्यापन हुआ तो 27 फीसदी छात्र गायब,  केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय ने कराई थी आधार की जांच

मुरादाबाद, कुशीनगर, सीतापुर, बिजनौर, बस्ती व संतकबीरनगर समेत कई जिलों में बड़ी संख्या में छात्रों ने नहीं कराया सत्यापन



लखनऊ। बॉयोमीट्रिक सत्यापन में 27 फीसदी अल्पसंख्यक छात्र गायब मिले हैं। केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय ने छात्रवृत्ति और शुल्क भरपाई के लिए आवेदन करने वाले छात्रों की उनके आधार के जरिये जांच कराई थी। इसमें मुरादाबाद, कुशीनगर, सीतापुर, बिजनौर, बस्ती और संतकबीरनगर समेत कई जिलों में बड़ी संख्या में छात्र गायब मिले हैं। बड़े फर्जीवाड़े की आशंका को देखते हुए प्रदेश सरकार ने इसके असली कारणों की पड़ताल की तैयारी शुरू कर दी है।


अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय ने 2022-23 में छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति के लिए आवेदन करने वाले छात्रों के बॉयोमीट्रिक सत्यापन कराने के निर्देश सभी राज्यों को दिए थे। शुरुआती जांच में गड़बड़ियां मिलने पर यह निर्णय लिया गया था। यह भी तय किया गया कि सत्यापन के बाद ही छात्रों को भुगतान किया जाएगा।


इस योजना में यूपी में उस वित्त वर्ष में 3,59,659 छात्रों ने आवेदन किया था। इनमें से 97,463 छात्रों ने दी गई अंतिम तिथि तक बॉयोमीट्रिक सत्यापन नहीं कराया। मुरादाबाद में 46,211 छात्रों में से सबसे ज्यादा 12, 161 ने सत्यापन नहीं कराया। इसी तरह कुशीनगर में 5630, सीतापुर में 4073, बिजनौर में 6738, वस्ती में 3726, फर्रुखाबाद में 4228, गोंडा में 4416 और संतकबीरनगर में 3339 छात्र आगे नहीं आए। इस मामले में औरेया, अंबेडकरनगर, सहारनपुर, उन्नाव, मेरठ, अमरोहा, रामपुर, संभल और अलीगढ़ जिलों में भी स्थिति काफी खराब मिली।


27 तक डाटा आगे बढ़ा सकते हैं संस्थान

बॉयोमीट्रिक सत्यापन के लिए संस्थान स्तर पर 4483 आवेदन और जिला नोडल अधिकारी के स्तर पर 231 आवेदन लंबित हैं। संस्थान स्तर पर आवेदन अग्रसारित करने की अंतिम तिथि 27 अक्तूबर और जिला व राज्य नोडल अधिकारी के स्तर पर सत्यापन की अंतिम तिथि 28 अक्तूबर कर दी गई है।

 

साढ़े चार रुपये की लागत से मिलेगा गरम भोजन, आंगनबाड़ी के बच्चों को गर्म भोजन देने के लिए तय की गई कनवर्जन कॉस्ट

साढ़े चार रुपये की लागत से मिलेगा गरम भोजन, आंगनबाड़ी के बच्चों को गर्म भोजन देने के लिए तय की गई कनवर्जन कॉस्ट



आंगनबाड़ी केंद्रों पर पंजीकृत तीन से छह साल के बच्चों को दोपहर में गर्म भोजन दिया जाएगा। एक बच्चे पर साढ़े चार रुपये खर्च किए जाएंगे। इसमें तीन रुपये 75 पैसे कनवर्जन कॉस्ट तय की गई है। प्राथमिक विद्यालय में संचालित केंद्रों का भोजन वहां की रसोइया की ओर से बनाया जाएगा। इसके लिए उन्हें मानदेय मिलेगा। अन्य केंद्रों पर सहायिका भोजन बनाएंगी।


आंगनबाड़ी के बच्चों को गरम पका भोजन देने के लिए दो श्रेणी तय की गईं हैं। जो केंद्र प्राइमरी या जूनियर हाई स्कूल में संचालित हो रहे हैं। उन्हें को-लोकेटेड नाम दिया गया है। यहां के बच्चों का गरम भोजन स्कूल की रसोइया की ओर से बनाया जाएगा। इसके लिए उसे प्रति बच्चा 50 पैसे का भुगतान होगा। ऐसे केंद्र जो स्कूलों में नहीं संचालित हो रहे हैं। वहां के बच्चों का भोजन केंद्र की सहायिका बनाएंगी। इन केंद्रों पर रसोइयों की दी जाने वाली धनराशि को कनवर्जन कॉस्ट में जोड़ा जाएगा। राशन पर प्रति बच्चा 25 पैसे खर्च होगा। केंद्रों पर एक माह का राशन स्टोर करने की व्यवस्था की जानी है।


राशन उठान की पारदर्शिता के लिए केंद्र की हॉट कुक्ड पंजिका पर प्रधान, कार्यकर्ता और कोटेदार के हस्ताक्षर होंगे। केंद्रों पर अध्ययनरत प्रति बच्चे पर आठ रुपये खर्च किया जाना है। इसके तहत साढ़े तीन रुपये प्रति लाभार्थी मॉर्निंग स्नैक के रूप में टीएचआर वितरित किया जा रहा है। बच्चों को सुचारु रूप से गर्म पका भोजन देने के लिए कई निर्देशों का पालन करने के निर्देश निदेशक बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग ने दिए हैं।  आंगनबाड़ी केंद्रों के बच्चों हॉट कुक्ड मील उपलब्ध कराया जाएगा।

यूपी बोर्ड : उत्तरपुस्तिका का रंग बदलेगा, होगा बार कोड

यूपी बोर्ड : उत्तरपुस्तिका का रंग बदलेगा, होगा बार कोड

★ नकल माफिया के मंसूबे तोड़ने को फिर किया गया बड़ा परिवर्तन

★ रंग और बार कोड का स्थान बदलने पर नहीं बदल सकेंगे कापियां


प्रयागराज : वर्ष 2023 की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा में कीर्तिमान रच चुके यूपी बोर्ड ने वर्ष 2024 की परीक्षा में नकल माफिया पर नियंत्रण के लिए फिर बड़ा बदलाव किया है। वर्ष 2023 की परीक्षा में उत्तरपुस्तिकाओं के कवर पेज पर लगाया गया बार कोड वर्ष 2024 की परीक्षा में उत्तरपुस्तिका के मध्य में होगा। बार कोड से उत्तरपुस्तिका की रेंडम चेकिंग की जाएगी। इसके साथ ही उत्तरपुस्तिका के कवर पेज पर अंकित विवरण का रंग भी बदला गया है। इस परिवर्तन से पुरानी उत्तरपुस्तिका पर बाहर से लिखवाकर जमा कराने की आशंका ही नहीं रहेगी।

वर्ष 2024 की बोर्ड परीक्षा में कुल 55,08, 206 छात्र-छात्राएं सम्मिलित होंगी। इसमें हाईस्कूल के परीक्षार्थियों की संख्या 29, 47,324 एवं इंटरमीडिएट की 26,60,882 है। बोर्ड परीक्षा में नकल माफिया साल्वर बैठाने की कोशिश के साथ उत्तरपुस्तिका बाहर से लिखवाकर केंद्र से सेटिंग कर जमा करने का कुचक्र रचते हैं। ऐसे में बोर्ड ने नकल माफिया से एक कदम आगे बढ़कर तैयारी की है। उत्तरपुस्तिका के स्वरूप में बदलाव करने से पुरानी उत्तरपुस्तिकाएं अनुपयोगी हो गई हैं। इस बदलाव की कड़ी में हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की उत्तरपुस्तिका के कवर पेज पर अंकित सूचनाओं / जानकारियों का रंग परिवर्तित कर दिया गया है। हाईस्कूल की उत्तरपुस्तिकाओं पर अंकित विवरण का रंग परिवर्तित कर काला कर दिया गया है। इसके साथ ही बायी और की पट्टी का रंग भी काला किया गया है। वर्ष 2023 की परीक्षा में रंग लाल था।

इंटरमीडिएट की उत्तर पुस्तिकाओं पर लाल रंग की पट्टी इसी तरह इंटरमीडिएट की वर्ष 2024 की परीक्षा के लिए उत्तरपुस्तिकाओं पर अंकित विवरण का रंग बदलकर लाल किया गया है और बायीं ओर की पट्टी भी लाल रंग की है। वर्ष 2023 की परीक्षा में इंटरमीडिएट के कवर पेज पर अंकित विवरण वा पट्टी का रंग काला था। इस तरह इस बार हाईस्कूल और इंटरमीडिएट का रंग आपस में बदल दिया गया है। उत्तरपुस्तिकाओं पर प्रयुक्त बोर्ड का मोनोग्राम भी रंग के अनुरूप किया गया है। हालांकि, इस बार भी उसी स्थान पर रहेगा। गवर्नमेंट प्रेस ने निर्देश मिलने के बाद इस बदलाव के अनुरूप करीब तीन करोड उत्तरपुस्तिकाएं छापने की तैयारी तेज कर दी है।

अध्यापकों के खाते में नहीं पहुंचे पेंशन के 80 करोड़ रुपये

अध्यापकों के खाते में नहीं पहुंचे पेंशन के 80 करोड़ रुपये

प्रयागराज : सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में एक अप्रैल 2005 के बाद नियुक्त शिक्षकों और कर्मचारियों की न्यू पेंशन स्कीम (एनपीएस) में निवेशित करोड़ों रुपये बगैर उनकी सहमति के निजी कंपनी में लगाने के अलावा 17 महीने से इन शिक्षकों का अंशदान उनके खाते में नहीं भेजा गया है। जिलेभर के ढाई हजार से अधिक शिक्षकों की 80 करोड़ रुपये से अधिक की राशि एनपीएस खाते में निवेशित नहीं होने से प्रत्येक शिक्षक को सालाना औसतन 30-35 हजार रुपये का नुकसान हो रहा है।


एडेड कॉलेज के प्रत्येक शिक्षक का वेतन औसतन 80-90 हजार रुपये प्रतिमाह है। इनके वेतन से एनपीएस खाते में हर महीने 10 प्रतिशत कटौती होती है जबकि इसका 14 प्रतिशत अंशदान सरकार देती है। दोनों राशि मिलाकर प्रत्येक शिक्षक की एक महीने में 22-23 हजार रुपये की कटौती होती है। ढाई हजार शिक्षकों और कर्मचारियों की औसतन 20 हजार प्रतिमाह एनपीएस कटौती मान ली जाए तो यह रकम हर महीने पांच करोड़ रुपये और 17 महीने की राशि 85 करोड़ होती है।


माध्यमिक शिक्षक संघ (ठकुराई गुट) के प्रदेश महामंत्री लालमणि द्विवेदी का कहना है कि शिक्षकों के वेतन से हर महीने एनपीएस कटौती हो रही है और सरकार की ओर से भी नियमित ग्रांट मिल रही है जिसे शिक्षकों के खाते में तुरंत निवेशित हो जाना चाहिए लेकिन प्रयागराज में 17 महीने से यह रकम खातों में नहीं पहुंची है। इस हिसाब से एक-एक शिक्षक के औसतन तीन से साढ़े लाख रुपये खाते में निवेशित नहीं हो सका है। एनपीएस खाते की औसत वृद्धि दर सालाना 10 प्रतिशत रही है। इस लिहाज से एक साल में 30 से 35 हजार और 17 महीने में 50 हजार रुपये तक का नुकसान हो चुका है क्योंकि रुपये निवेशित होते तो उसका लाभांश भी मिलता।

यदि  शिक्षकों-कर्मचारियों की एनपीएस कटौती की राशि उनके खातों में निवेशित नहीं हो रही है तो यह घोर वित्तीय अनियमितता है। इस प्रकरण की जांच कराकर कठोर कार्रवाई की जाएगी। दिब्यकांत शुक्ल,

मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक

शिक्षकों-कर्मचारियों की एनपीएस कटौती हो रही है जो कि कोषागार में जमा भी हो रही है। महीनेवार धीरे-धीरे उनके प्रान खाते में राशि स्थानान्तरित की जा रही है।

पीएन सिंह, जिला विद्यालय निरीक्षक

Saturday, October 28, 2023

यूपी में उच्च शिक्षा के लिए अब आधार अनिवार्य

यूपी में उच्च शिक्षा के लिए अब आधार अनिवार्य


प्रयागराज : प्रदेश के उच्च शिक्षण संस्थानों में दाखिला लेने के लिए अब आधार अनिवार्य होगा। उच्च शिक्षा विभाग की इनरोलमेंट इन हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूशन्स एवं अबेकस-यूपी पोर्टल में आधार डाटा के उपयोग के लिए सात अगस्त को अधिसूचना जारी की गई है।


विशेष सचिव गिरिजेश कुमार त्यागी ने इस अधिसूचना की प्रति 16 अक्तूबर को सभी राज्य व निजी विश्वविद्यालयों के कुलसचिव, निदेशक उच्च शिक्षा आदि को भेजते हुए आवश्यक कार्यवाही के निर्देश दिए हैं।


 नई व्यवस्था के अनुसार अबेकस-यूपी पोर्टल के माध्यम से राज्य के उच्चतर शैक्षणिक संस्थाओं में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को क्रेडिट ट्रांसफर और मल्टीपल इंट्री-मल्टीपल एक्जिट की सुविधा प्रदान की जानी है। भविष्य में छात्र-छात्राओं की उपस्थिति भी बायोमीट्रिक माध्यम से होगी जिसमें आधार आवश्यक होगा। 


डीबीटी के माध्यम से छात्रवृत्ति व अन्य योजना का लाभ आदि भी आधार के जरिए ही होगा। इससे सरकारी योजना लागू करने में सहूलियत होगी और लाभार्थी को कोई दस्तावेज देने की जरूरत नहीं होगी।

Friday, October 27, 2023

प्रमुख सचिव के साथ शिक्षक प्रतिनिधियों की वार्ता 30 अक्टूबर को

प्रमुख सचिव के साथ शिक्षक प्रतिनिधियों की वार्ता 30 अक्टूबर को


लखनऊ। शिक्षकों की विभिन्न लंबित मांगों के समाधान के लिए बेसिक शिक्षा के प्रमुख सचिव डॉ. शनमुग्गा सुंदरम के साथ वार्ता की अगली तिथि 30 अक्तूबर तय हुई है। बेसिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेंद्र देव ने इससे संबंधित सूचना उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा को भेजी है। 


पिछले दिनों बेसिक व माध्यमिक के शिक्षकों ने उत्तर प्रदेश शिक्षक महासंघ के बैनर तले बेसिक शिक्षा निदेशालय पर डेरा डाला था। इस क्रम में शिक्षकों की लंबित मांगों व जिले के अंदर और एक से दूसरे जिले में शिक्षकों के परस्पर तबादलों को लेकर 16 अक्तूबर को वार्ता की तिथि तय हुई थी। इसे स्थगित करते हुए 25 अक्तूबर की तिथि तय की। 


25 अक्तूबर को प्रस्तावित वार्ता भी विभाग ने अपरिहार्य कारणों से स्थगित कर दी थी। इसे लेकर शिक्षकों में नाराजगी थी। उनका कहना है कि विभाग जान-बूझकर इस मामले को लंबित रख रहा है। इसी बीच बेसिक शिक्षा निदेशक ने पत्र जारी कर कहा है कि 30 अक्तूबर को सुबह 11 बजे से प्रमुख सचिव के कक्ष में उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ / माध्यमिक शिक्षक संघ के मांग पत्र पर वार्ता होगी। 



अब 30 अक्टूबर को होगी शिक्षक संघों और शासन के बीच बैठक, नई तारीख हुई तय


🆕 Update 

फिर टली शिक्षकों संग वार्ता

लखनऊ : उत्तर प्रदेश शिक्षक महासंघ और शासन के बीच बुधवार को होने वाली वार्ता फिर टल गई है। गोरखपुर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यक्रम के कारण बेसिक शिक्षा विभाग के सभी उच्चाधिकारी वहां व्यस्त थे. ऐसे में वार्ता नहीं हो सकी। इससे पूर्व 16 अक्टूबर को वार्ता होनी थी, लेकिन बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों की ओर से तैयारी पूरी न होने की बात कहकर 25 अक्टूबर की तारीख तय की गई थी।

बेसिक और माध्यमिक शिक्षकों ने बीते सितंबर में विभिन्न मांगों को लेकर महानिदेशक, स्कूल शिक्षा कार्यालय का घेराव किया था। उत्तर प्रदेश शिक्षक महासंघ ने शिक्षकों की पदोन्नति न किए जाने और कैशलेस चिकित्सा सुविधा न मिलने सहित विभिन्न मांगों को लेकर प्रदर्शन किया था। महासंघ के संयोजक सुरेश कुमार त्रिपाठी और अध्यक्ष दिनेश चंद्र शर्मा की ओर से शिक्षकों को भरोसा दिलाया गया था की वार्ता कर जल्द मुझें को हल कराया जाएगा। दो बार वार्ता टलने के कारण महासंघ नए सिरे से रणनीति बना रहा है।


शासन और शिक्षक संघों की वार्ता बैठक फिर स्थगित, शिक्षक मायूस 


लखनऊ। बेसिक शिक्षा विभाग में परस्पर तबादले को लेकर निर्णय की आस लगाए शिक्षकों को फिर मायूसी मिली है। उत्तर प्रदेश शिक्षक महासंघ की इस मुद्दे व अन्य मांगों को लेकर शासन के अधिकारियों से 25 अक्तूबर को होने वाली वार्ता स्थगित हो गई है। इससे शिक्षक प्रतिनिधि नाराज हैं। पिछले दिनों बेसिक व माध्यमिक के शिक्षकों ने उत्तर प्रदेश शिक्षक महासंघ के बैनर तले बेसिक शिक्षा निदेशालय पर डेरा डाला था। इस क्रम में शिक्षकों की लंबित मांगों के अलावा जिले के अंदर और एक से दूसरे जिले में परस्पर तबादलों को लेकर 16 अक्तूबर को वार्ता की तिथि तय हुई थी। 


बेसिक शिक्षा विभाग ने अपरिहार्य कारणों से इसे स्थगित करते हुए 25 अक्तूबर की तिथि तय की अब बेसिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेंद्र देव ने पत्र जारी कर 25 अक्तूबर की वार्ता को भी स्थगित करने की सूचना दी है। हालांकि इसका कारण बुधवार को गोरखपुर में आयोजित बेसिक शिक्षा विभाग का कार्यक्रम बताया जा रहा है पर शिक्षकों का कहना है कि विभाग इसी तरह धीरे-धीरे कर तिथि को आगे बढ़ाता जा रहा है। शिक्षकों का आंदोलन स्थगित होने के बाद यह दूसरी बार है, जब वार्ता की तिथि तय होने के बाद स्थगित कर दी गई है। 


शिक्षकों का कहना है कि विभाग जान-बूझकर मामले को लंबित रख रहा है ताकि उनका मामला दिसंबर तक खिसक जाए। वहीं, महासंघ के अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा ने कहा कि विभागीय अधिकारियों से बीतचीत कर वार्ता की तिथि जल्द तय की जाएगी। अगर इसमें हीलाहवाली की गई तो संगठन फिर से कड़ा निर्णय लेगा। 



शिक्षक संघों के साथ 25 अक्टूबर को होने वाली तय बैठक फिर स्थगित, आगे तय होगी बैठक की नई तारीख




शिक्षक संघों व शासन के बीच वार्ता अब 25 अक्टूबर को, पत्र जारी




लखनऊ : उत्तर शिक्षक महासंघ के पदाधिकारियों के साथ सोमवार को शासन स्तर पर होने वाली बैठक को टाल दिया गया है। अब यह 25 अक्टूबर को प्रमुख सचिव, एमकेएस सुंदरम और महासंघ के पदाधिकारियों के साथ वार्ता होगी।


महानिदेशक, स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद ने बताया कि शिक्षकों के मांग पत्र पर मंथन जारी है, हर मुद्दे को हल करने की कोशिश होगी। ऐसे में इसे टालने का निर्णय लिया गया। 


विभिन्न मांगों को लेकर परिषदीय व माध्यमिक स्कूलों के शिक्षकों ने बीते नौ अक्टूबर को बेसिक शिक्षा निदेशालय का घेराव किया था । शिक्षकों ने पदोन्नति, उपार्जित व प्रतिकर अवकाश देने, कैशलेस उपचार की सुविधा और पुरानी पेंशन बहाली आदि की मांग की थी।


प्रदर्शनकारियों को बैठक कर मुद्दों को हल करने का आश्वासन दिया गया था। उप्र शिक्षक महासंघ के संयोजक सुरेश कुमार त्रिपाठी का कहना है कि हम पूरी तैयारी के साथ बैठक में जाने के लिए तैयार थे, लेकिन इसे फिलहाल टाल दिया गया है।


विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन ने केंद्र के मेमोरेंडम के समान मेमोरेंडम जारी करने की मांग की, बात नहीं मानी तो तीन दिसंबर से अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन की चेतावनी

विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन ने केंद्र के मेमोरेंडम के समान मेमोरेंडम जारी करने की मांग की, बात नहीं मानी तो तीन दिसंबर से अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन की चेतावनी



लखनऊ। विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन ने केंद्र के तीन मार्च के पेंशन सुधार मेमोरेंडम के समान उत्तर प्रदेश में भी मेमोरेंडम जारी करने की मांग की है। ताकि नई पेंशन नीति लागू होने के पहले के विज्ञापित पदों पर तैनात कर्मचारियों को पुरानी पेंशन का लाभ मिल सके। एसोसिएशन ने इस मामले में जल्द निर्णय न होने पर तीन दिसंबर से अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन की चेतावनी दी है। 


बहस्पतिवार को लखनऊ में हुई एसोसिएशन की प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में यह निर्णय लिया गया प्रदेश अध्यक्ष संतोष तिवारी ने कहा कि केंद्र के समान प्रदेश सरकार भी इस मामले में जल्द निर्देश जारी करे ताकि लाखों कर्मचारियों को इसका लाभ मिल सके। ऐसा न होने पर संगठन तीन दिसंबर से राजधानी में रैली कर अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन करेगा। इससे संबंधित मांग पत्र मुख्यमंत्री को भेजा गया है।


 उन्होंने कहा कि जब भाजपा शासित उत्तराखंड, हरियाणा, गुजरात आदि राज्यों ने केंद्र के समान पेंशन सुधार मेमोरेंडम लागू कर दिया तो उत्तर प्रदेश में क्यों नहीं हो रहा है। बैठक में वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष शालिनी मिश्रा, उपाध्यक्ष ललित किशोर आजाद, प्रदेश महामंत्री सुभाष कनौजिया, विनीत सिंह, शशि प्रभा सिंह, दिलीप चौहान, मंगेश यादव, अभय मिश्रा, महेंद्र गुर्जर, नृपेंद्र शुक्ला, प्रशांत बाजपेई व सुशील रस्तोगी आदि उपस्थित थे।



पुरानी पेंशन के लिए उठाई आवाज

लखनऊ । प्राथमिक स्कूल के शिक्षकों ने केंद्र सरकार के तीन मार्च 2023 के पेंशन सुधार मेमोरेंडम की तर्ज पर प्रदेश ने सरकार से मेमोरेंडम जारी करने की मांग उठायी है। जिससे नई पेंशन योजना लागू होने से पहले जारी हुए सरकार नौकरियों के विज्ञापनों पर नौकरी पाए शिक्षकों को पुरानी पेंशन का लाभ मिल सके।


सरकार ने यदि मेमोरेंडम जारी नहीं किया तो विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन के बैनर तले शिक्षक तीन दिसम्बर से लखनऊ में रैली निकाल कर अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन करेंगे। विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन की गुरुवार को आयोजित कार्यकारिणी की बैठक प्रदेश अध्यक्ष संतोष तिवारी प्रदर्शन का ऐलान किया है।


 वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष शालिनी मिश्रा का कहना है कि वर्ष 2004 बैच के करीब 40 हजार शिक्षकों का विज्ञापन जनवरी - 2004 में निकला था, लेकिन इनकी नियुक्ति दिसंबर 2005 के बाद हुई। इनमें से अधिकांश शिक्षकों का न एनपीएस कट रहा है न जीपीएफ। बैठक में उपाध्यक्ष ललित किशोर आजाद, प्रदेश महामंत्री श्री सुभाष कनौजिया, विनीत सिंह, शशि प्रभा सिंह, दिलीप चौहान, मंगेश यादव, अभय मिश्रा आदि शामिल हुए।

खंड शिक्षा अधिकारियों को नौकरी नहीं आ रही रास, बीते दो साल में नवनियुक्त बीईओ सहित दो दर्जन खंड शिक्षा अधिकारियों ने नौकरी से दिया इस्तीफा

खंड शिक्षा अधिकारियों को नौकरी नहीं आ रही रास, बीते दो साल में नवनियुक्त बीईओ सहित दो दर्जन खंड शिक्षा अधिकारियों ने नौकरी से दिया इस्तीफा


लखनऊ। बेसिक शिक्षा विभाग में बेसिक शिक्षकों के अलावा खंड शिक्षा अधिकारियों को भी विभागीय सेवा रास नहीं आ रही है। बीते दो सालों के दौरान विभागीय खंड शिक्षा अधिकारियों के लगातार इस्तीफों के बाद प्रांतीय उप विद्यालय निरीक्षक संघ के अध्यक्ष प्रमेद्र शुक्ल ने खंड शिक्षा अधिकारियों को समय पर पति तथा अन्य प्रदान किए जाने की मांग की है।


सूत्रों  के अनुसार बीते दो सालों में करीब दो दर्जन खंड शिक्षा अधिकारियों के द्वारा सेवा छोड़ने से विभागीय उच्च अधिकारी भी हलाकान है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार बेसिक शिक्षा विभाग में समय पर पदोन्नति और वेतनमान का लाभ प्रदान न किए जाने के कारण शिक्षक व खंड शिक्षा अधिकारी परेशान है। 


सूत्रों  के अनुसार बेसिक शिक्षा विभाग में अधिकारी संवर्ग के खंड शिक्षा अधिकारी भी समयबद्ध तरीके से नही मिलने के कारण परेशान होकर बीते दो में त्यागपत्र की झड़ी लगा दिए है। प्रति उप निरीक्षक संघ / खंड शिक्षा अधिकारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष प्रमेंद्र शुक्ला का कहना है कि बीते दो साल में करीब दो दर्जन अधिकारियों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। 


प्रमेंद्र शुक्ला के अनुसार खंड शिक्षा अधिकारी संवर्ग में बहुत सी समस्या कायम है। जिसमें प्रमुख तौर पर पदोन्नति एवं समय पर वेतन लाभ नहीं प्रदान किया जाना है। शिक्षा अधिकारी प्रदेशका आरोप है कि बेसिक शिक्षा विभाग में लोक सेवा आयोग द्वारा खंड शिक्षा अधिकारी अपनी करीब तीस सालों की सेवा के बाद भी उसी पद से रिटायर हो जाते हैं। 


पदोन्नति नहीं मिलने के कारण खंड शिक्षा अधिकारियों में अवसाद एवं तनाव कायम है। बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा राजपत्रित लाभ प्रदान किए जाने में शासन स्तर पर आदेश निर्गत न किए जाने के कारण विभागीय शिक्षा अधिकारियों की बहुत समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। 


शासकीय स्तर पर उपेक्षित रवैया अपना जाने के कारण खंड शिक्षा अधिकारी चयनित होने के बाद विभागीय स्तर पर खामियों की जानकारी मिलने के बाद भी दो सालों में तैनाती पाए कई अधिकारी अन्य सेवा में चयनित हो जाने पर शिक्षा अधिकारी के पद से त्यागपत्र दे चुके है। 


प्रमेंद्र शुक्ल का कहना है कि सेवा शर्तों की दिक्कतों के कारण और विभाग में अधिकारियों को लगातार कमी से विभाग के प्रशासनिक एवं महत्वपूर्ण काम भी प्रभावित होते है। खंड शिक्षा अधिकारी संघ प्रदेश अध्यक्ष प्रमेंद्र शुक्ला का कहना है कि शासन खंड शिक्षा अधिकारियों की मांग को लेकर शीघ्र निस्तारण की कार्रवाई करें जिससे अधिकारियों को विभागीय स्तर पर अपनी सुरक्षा मिल सके।

Thursday, October 26, 2023

शिक्षा अधिकारी नहीं कर सकते मदरसों का निरीक्षण, मदरसा शिक्षा परिषद के चेयरमैन का दावा

शिक्षा अधिकारी नहीं कर सकते मदरसों का निरीक्षण, मदरसा शिक्षा परिषद के चेयरमैन का दावा 

मदरसा शिक्षा परिषद के चेयरमैन ने कहा- शिक्षा अधिकारियों द्वारा नोटिस देना नियमों के विपरीत


लखनऊ : उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद के चेयरमैन डा. इफ्तिखार अहमद जावेद ने कहा है कि मदरसों के निरीक्षण का अधिकार केवल अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के पास है। शिक्षा अधिकारी मदरसों का निरीक्षण नहीं कर सकते हैं। शिक्षा विभाग द्वारा मदरसों का निरीक्षण कर उन्हें नोटिस जारी करना नियमों के विपरीत है।


जावेद ने बताया कि 1995 में विभाग के गठन के बाद मदरसों का समस्त कार्य अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को सौंप दिया गया था। इसके बाद उप्र मदरसा शिक्षा परिषद अधिनियम 2004 बनाया गया। इसके माध्यम से उत्तर प्रदेश अशासकीय अरबी और फारसी मदरसा मान्यता, प्रशासन और सेवा विनियमावली 2016 बनाई गई। साथ ही जिला मदरसा शिक्षा अधिकारी का पद जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी का हो गया।


 नियम बना कि निरीक्षक अरबी मदरसा अथवा अध्यक्ष या निदेशक द्वारा नामित किसी अधिकारी द्वारा कभी भी मदरसों का निरीक्षण किया सकेगा। यह भी नियम बना कि अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के अलावा किसी भी विभाग के अधिकारी द्वारा मदरसों का न निरीक्षण किया जाएगा और न ही किसी प्रकार का नोटिस दिया जाएगा।


अवैध मदरसों को नोटिस पर छिड़ा विवाद, 
अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने जताई आपत्ति

कई बीईओ ने कई जिलो में मदरसों को जारी किया नोटिस, 03 दिन में मांगा गया है जवाब


लखनऊ । प्रदेश के विभिन्न जिलों में अवैध मदरसों को खंड शिक्षा अधिकारियों की ओर से नोटिस दिए जाने पर विवाद छिड़ गया है। नोटिस पर खुद अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने ही गहरी आपत्ति जता दी है। बेसिक शिक्षा विभाग के अधीन आने वाले इन खंड शिक्षा अधिकारियों ने अपनी निरीक्षण रिपोर्ट के आधार पर यह नोटिस जारी किया है।


दरअसल, बेसिक शिक्षा विभाग के खंड शिक्षा अधिकारियों ने कई जिलों में बिना मान्यता चल रहे अवैध मदरसों को नोटिस जारी कर दिया। इसमें तीन दिन में स्पष्टीकरण मांगा गया। मसलन, गिलौला (श्रावस्ती) के खंड शिक्षा अधिकारी ने मदरसा दारूल उलूम मसऊदिया फैजाने गरीब नवाज सौरया को भेजी नोटिस में कहा कि उनके द्वारा निरीक्षण के समय 96 छात्र उपस्थित पाए गए, लेकिन मदरसा की मान्यता से संबंधित कोई भी उचित अभिलेख प्रस्तुत नहीं किया गया। इसी तरह खंड शिक्षा अधिकारी खतौली (मुजफ्फरनगर) ने मदरसा तालीम उल कुरान को इसी माह भेजी गई दूसरी नोटिस में कहा है कि कार्यालय में उपलब्ध अभिलखों के आधार पर आपके विद्यालय को मान्यता विहीन पाया गया है। नोटिस में अनिवार्य एवं बाल शिक्षा अधिनियम 2009 की धारा 18 (5) के तहत दंड के प्रावधान भी जिक्र किया है।


इस अधिनियम में कहा गया है कि कोई भी विद्यालय जिसे सक्षम अधिकारी द्वारा मान्यता प्रदान नहीं की गई है, उसे न तो स्थापित किया जाए और न ही संचालित किया जाए।


अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने जताई आपत्ति

इन नोटिसों पर मदरसों के प्रबंधकों व प्रधानाध्यापकों का जवाब आने से पहले खुद अल्पसंख्यक विभाग ही विरोध में सामने आ गया।

उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद के चेयरमैन डॉ. इफ्तिखार अहमद जावेद ने कहा कि वर्ष 1995 में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के के बाद शिक्षा विभाग से संचालित रहे मदरसों का सारा कार्य अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को गठन हो हस्तांतरित कर दिया गया। इसके बाद उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद अधिनियम 2004 प्रतिस्थापित किया गया, जिसके माध्यम से उत्तर प्रदेश अशासकीय अरबी और फारसी मदरसा मान्यता, प्रशासन और सेवा विनियमावली-2016 बनाई गई। इन नियमावली में जिला मदरसा शिक्षा अधिकारी का तात्पर्य जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी से हो गया।


नियमों से हटकर होता है निरीक्षण: जावेद

उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद के चेयरमैन डॉ. इफ्तिखार अहमद जावेद ने कहा कि अक्सर संज्ञान में आता है कि नियमों से हटकर शिक्षा विभाग के अधिकारी सक्षम प्राधिकारी न होने के बावजूद जिले में संचालित मदरसों का निरीक्षण करते हैं और नोटिस भी देते हैं। यह कार्रवाई अधिनियम के विपरीत है।


जमीयत उलमा ने मदरसों को नोटिस का किया विरोध

मुजफ्फरनगर : बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से गैर मान्यता प्राप्त मदरसों को नोटिस जारी होने का जमीयत उलमा संगठन ने विरोध किया है। उन्होंने डीएम को ज्ञापन देकर नोटिस वापस लेने की अपील की। कहा कि मदरसों पर निश्शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिनियम लागू नहीं होता। संगठन के प्रदेश सचिव कारी जाकिर कासमी ने कहा कि गैर मान्यता प्राप्त मदरसों को गलत तरीके से शिक्षा विभाग की ओर से नोटिस दिए जा रहे हैं। यह नियम विरूद्ध है।

डीएम अरविंद मल्लप्पा बंगारी ने बताया कि जमीयत उलमा का प्रतिनिधिमंडल मुझसे मिला था और मदरसों को नोटिस भेजने पर एतराज जताया है। इस बारे में बेसिक शिक्षा अधिकारी से नोटिस जारी करने से संबंध में जानकारी ली जाएगी। नियमानुसार कार्रवाई होगी।


यह है मामला

मुजफ्फरनगर में 17 मदरसे और 20 गैर मान्यता प्राप्त विद्यालयों को बेसिक शिक्षा विभाग ने नोटिस भेजा था। नोटिस में कहा गया था कि अक्टूबर के बाद गैर मान्यता संस्थाओं पर 10 हजार रुपये प्रतिदिन के हिसाब से जुर्माना लगाया जाएगा। नोटिस मिलने के तीन दिन के अंदर संचालक को मान्यता संबंधित कागजात के साथ बीईओ के समक्ष प्रस्तुत होना होगा। ऐसा नहीं होने पर संस्था पर आरटीई एक्ट के प्रविधानों के तहत कार्यवाही की जाएगी। इसके बाद मदरसा / विद्यालय खुला मिला तो प्रतिदिन 10 हजार रुपये जुर्माना वसूल किया जाएगा ।

बच्चे इंडिया नहीं, भारत पढ़ेंगे, प्राचीन इतिहास के बजाय शास्त्रीय इतिहास पढ़ाया जाएगा

तैयारी : बच्चे इंडिया नहीं, भारत पढ़ेंगे, NCERT को समिति ने सिफारिश भेजी

एनसीईआरटी की सिफारिश : प्राचीन इतिहास के बजाय शास्त्रीय इतिहास पढ़ाया जाएगा

19 सदस्यीय समिति बनाई गई है पाठ्यक्रम संशोधन के लिए



नई दिल्ली । राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की एक उच्च स्तरीय समिति ने स्कूली किताबों में 'इंडिया' की जगह 'भारत' शब्द के इस्तेमाल की सिफारिश की है। हालांकि, एनसीईआरटी के अध्यक्ष दिनेश सकलानी ने कहा, समिति की सिफारिशों पर अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है।


सूत्रों ने दावा किया है कि किताबों में आवश्यक परिवर्तनों को लेकर बने पैनल के प्रस्ताव को एनसीईआरटी ने मंजूरी दे दी है। पैनल के सदस्यों में शामिल सी. आई. आइजक के हवाले से कहा गया है कि यह प्रस्ताव कुछ महीने पहले ही रखा गया था और अब इसे स्वीकार कर लिया गया है।


उधर, एनसीईआरटी ने कहा है कि वह नए पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तक विकास की प्रक्रिया में लगा है। इसके लिए संबंधित विषय विशेषज्ञों के विभिन्न पाठ्यचर्या क्षेत्र समूहों को अधिसूचित किया जा रहा है। अतः, संबंधित मुद्दे पर चल रही मीडिया रिपोर्ट पर टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी।


आइजक के अनुसार, समिति ने पाठ्यपुस्तकों में 'इंडिया' की जगह 'भारत' शब्द के इस्तेमाल के अलावा 'प्राचीन इतिहास' के स्थान पर 'क्लासिकल हिस्ट्री' शुरू करने, सभी विषयों के पाठ्यक्रम में भारतीय ज्ञान प्रणाली शुरू करने की सिफारिश की है।


समिति के अध्यक्ष सीआई इसाक के मुताबिक समिति ने सर्वसम्मति से पाठ्यपुस्तकों में 'प्राचीन इतिहास' के बजाय 'शास्त्रीय इतिहास' को शामिल करने और सभी विषयों के पाठ्यक्रम में भारतीय ज्ञान प्रणाली (आईकेएस) को भी शामिल करने का सुझाव दिया है। उन्होंने कहा कि भारत सदियों पुराना नाम है। 7,000 वर्ष पुराने विष्णु पुराण जैसे ग्रंथों में भी इसका जिक्र है। बता दें कि एनसीईआरटी ने स्कूली पाठ्यक्रम को संशोधित करने के लिए सामाजिक विज्ञान की समिति का गठन किया है।


हिंदू विजय गाथाओं पर जोर समिति ने पाठ्यपुस्तकों में विभिन्न संघर्षों में 'हिंदू विजय गाथाओं' पर जोर देने के लिए भी कहा है। आइजक ने बताया कि पाठ्यपुस्तकों में हमारी विफलताओं का उल्लेख किया गया है। लेकिन मुगलों और सुल्तानों पर हमारी विजयों का नहीं। एनसीईआरटी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अनुरूप स्कूली पाठ्यपुस्तकों के पाठ्यक्रम संशोधित कर रहा है। परिषद ने हाल में पाठ्यक्रम, पाठ्यपुस्तकों और शिक्षण सामग्री को अंतिम रूप देने के लिए विशेष समिति गठित की थी।


बदलाव के पीछे तर्क

समिति प्रमुख आइजक ने कहा कि पाठ्यपुस्तकों में हमारी विफलताओं का उल्लेख है। लेकिन मुगलों और सुल्तानों पर हमारी विजयों का नहीं। अंग्रेजों ने भारतीय इतिहास को तीन चरणों प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक में बांटा। इसमें भारत को अंधकारमय, विज्ञान और प्रगति से अनभिज्ञ बताया गया। इसलिए कुछ बदलाव की सिफारिश की गई है।


G20 के दौरान शुरू हुई चर्चा

एनसीईआरटी पैनल की सिफारिश ऐसे वक्त की गई है, जब सियासी हलको में इंडिया नाम बदलकर भारत रखने पर राजनीतिक चर्चाएं जोरों पर हैं। यह सुगबुगाहट बीते माह सितंबर में तब शुरू हुई जब जी20 के आयोजन के दौरान भारत की राष्ट्रपति के नाम से भेजे गए निमंत्रण पत्र में प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया की बजाय प्रेसिडेंट ऑफ भारत लिखा गया था।


हमने सर्वसम्मति से किताबों में 'भारत' शब्द के इस्तेमाल की सिफारिश की है। हजारों वर्ष पुराने विष्णु पुराण जैसे प्राचीन ग्रंथों में भारत का जिक्र है। -आईसी आइजक समिति के अध्यक्ष



एनसीईआरटी की किताबों में होगा बदलाव विद्यार्थी 'इंडिया' की जगह पढ़ेंगे 'भारत'

समिति की सिफारिश, निदेशक बोले विशेषज्ञ समिति ही लेगी अंतिम निर्णय


नई दिल्ली: नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत तैयार हो रही स्कूलों की नई किताबों में आने वाले दिनों में इंडिया की जगह यदि भारत शब्द पढ़ने को मिले तो बिल्कुल चौंकिएगा नहीं। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) से जुड़ी एक उच्चस्तरीय समिति ने एनईपी के तहत स्कूलों के लिए तैयार की जा रही सभी किताबों में इंडिया की जगह भारत शब्द के इस्तेमाल की सिफारिश की है। एनसीईआरटी ने इसकी पुष्टि नहीं की है और यह कहते हुए पूरे मामले से पल्ला झाड़ लिया है कि अभी पाठ्य पुस्तकों को तैयार करने की प्रक्रिया चल रही है। वैसे भी विषय वस्तु में बदलाव को लेकर कोई भी फैसला लेने का अधिकार सिर्फ विशेषज्ञ समिति के पास है।


एनसीईआरटी की किताबों में इंडिया की जगह भारत शब्द के इस्तेमाल की चर्चा बुधवार को उस समय तेज हुई, जब पाठ्यक्रम तैयार करने से जुड़ी एक उच्चस्तरीय समिति के अध्यक्ष प्रोफेसर सीआइ इसाक ने मीडिया को बताया कि उनकी समिति ने एनसीईआरटी की सभी पाठ्य पुस्तकों में इंडिया की जगह भारत शब्द के इस्तेमाल की सिफारिश की है। साथ ही प्राचीन इतिहास के स्थान पर शास्त्रीय इतिहास और सभी विषयों में भारतीय ज्ञान परंपरा को प्रमुखता से शामिल करने जैसे सुझाव भी दिए हैं। 


प्रोफेसर इसाक पद्मश्री से सम्मानित और प्रसिद्ध इतिहासकार हैं। वह भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद में भी रहे हैं और दशकों तक संघ परिवार के संगठनों से जुड़े रहे हैं। उन्होंने बताया, 'भारत सदियों पुराना नाम है। भारत नाम का प्रयोग विष्णु पुराण जैसे प्राचीन ग्रंथों में किया गया है, जो 7,000 वर्ष पुराना है।' इसाक ने कहा कि समिति ने विभिन्न युद्धों में हिंदुओं की जीत को भी रेखांकित करने की सिफारिश की है। 


पाठ्य पुस्तकों में अभी हमारी विफलताओं का उल्लेख किया गया है, लेकिन मुगलों और सुल्तानों पर हमारी जीत का नहीं। अंग्रेजों ने भारतीय इतिहास को तीन चरणों (प्राचीन, मध्यकालीन एवं आधुनिक) में विभाजित किया था, जिसमें भारत को वैज्ञानिक ज्ञान और प्रगति से अनभिज्ञ दिखाया गया था। इसलिए समिति ने सुझाव दिया है कि भारतीय इतिहास के शास्त्रीय काल को मध्य और आधुनिक काल के साथ-साथ स्कूलों में पढ़ाया जाए। एनसीईआरटी द्वारा गठित इस समिति में भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद के अध्यक्ष प्रोफेसर रघुवेंद्र तंवर, जेएनयू की प्रोफेसर वंदना मिश्र, शिक्षाविद वसंत शिंदे और समाजशास्त्र की शिक्षक ममता यादव भी शामिल हैं।


एनसीईआरटी के निदेशक प्रोफेसर दिनेश प्रसाद सकलानी ने बताया कि प्रोफेसर इसाक की अध्यक्षता वाली समिति का गठन स्कूली पाठ्यक्रम का फ्रेमवर्क तैयार करने के लिए किया गया था। उस समय 24 और समितियां गठित की गई थीं। इन समितियों की सिफारिशों के आधार पर फ्रेमवर्क तैयार करने का काम पूरा हो गया है। अब इसी फ्रेमवर्क के आधार पर पाठ्य पुस्तकें तैयार की जा रही हैं, जिसके लिए विशेषज्ञ समिति काम कर रही है। ऐसे में पाठ्यक्रम में कौन सी विषयवस्तु शामिल की जा रही है। या कौन सी हटाई जा रही है, यह कहना अभी जल्दबाजी होगी। शिक्षा मंत्रालय का दावा है कि एनईपी के तहत स्कूलों की नई पाठ्य पुस्तकें अगले शैक्षणिक सत्र यानी 2024- 25 तक आ जाएंगी।


इंडिया के स्थान पर भारत नाम करने की खबर मात्र से ही विपक्षी दलों में इसको लेकर खलबली मच गई है। कई नेताओं ने इस पर एक्स पर पोस्ट कर अपनी तीखी प्रतिक्रिया जताई है। शिवसेना उद्धव गुट के सांसद संजय राउत ने कहा कि भारत हो या इंडिया हम तो एक हैं और जल्दी ही आपको पता चलेगा कि 2024 में इंडिया जीतेगा और भारत भी। वहीं राजद के सांसद मनोज झा ने आलोचना करते हुए कहा है कि एनसीईआरटी यह कर रही है, अनुच्छेद एक का आप क्या करेंगे।

Wednesday, October 25, 2023

शिक्षक जानेंगे मोटे अनाज की खूबियां, मिलेट्स पुनरुद्धार कार्यक्रम के तहत शिक्षक किए जाएंगे प्रशिक्षित

छात्रों और अभिभावकों को श्री अन्न फसलों के बारे में जागरूक करेंगे गुरू जी


परिषदीय स्कूलों में अब नौनिहाल मिलट्स यानी श्री अन्न फसलों से भी रूबरू होंगे। इन्हें इन फसलों को परिचित कराने के लिए विद्यालयों में गुरूजन टीएलएम में श्रीअन्न को शामिल करेंगे, साथ ही श्रीअन्न से जागरूक करते हुए उन्हें पहचान व उपयोगिता भी बताएंगे।  उप्र मिलेट्स पुनरोद्धार कार्यक्रम के तहत स्कूल कैरीकुलम के माध्यम से शिक्षकों को इसकी  ट्रेनिंग दी जा रही है।


ट्रेनिंग  में मिलेट्स के बारे में बताते हुये कहा जा रहा है कि विद्यालयों में बनने वाले मिड-डे मील में मिलेट्स एवं सहजन का प्रयोग करें। जिससे बच्चों का बौद्धिक विकास के साथ-साथ शारीरिक विकास भी हो सके। 



शिक्षक जानेंगे मोटे अनाज की खूबियां, मिलेट्स पुनरुद्धार कार्यक्रम के तहत शिक्षक किए जाएंगे प्रशिक्षित

बेसिक और माध्यमिक शिक्षा विभाग के 100-100 शिक्षकों का होगा प्रशिक्षण


मोटा अनाज स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभप्रद है। इस अनाज की खूबियों व उपयोगिता कैसे बढ़ाई जाए, इसके लिए प्रत्येक जिले के शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जाएगा। बेसिक शिक्षा व माध्यमिक शिक्षा विभाग के 100-100 शिक्षकों को विशेष प्रशिक्षण कृषि विभाग की ओर से दिया जाएगा।


मोटे अनाज की जानकारी अब बच्चों को भी दी जाएगी। ज्वार बाजरा, कोदों, सावां, मडुवा, रागी, रामदाना मूल रूप से हमारी धरोहर हैं। गेंहू और चावल के अधिक चलन के कारण हम इसके महत्व को भूल गए हैं। जबकि आज पूरी दुनिया हमारे श्री अन्न की उपयोगिता को समझ रही है। इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्व हमें कई प्रकार की बीमारियों से बचाते है ।


श्री अन्न को बढ़ावा देने व नौनिहालों में इसकी जानकारी देने के लिए मिलेट्स पुनरुद्धार कार्यक्रम के तहत शिक्षक प्रशिक्षित होंगे। कृषि विभाग 200 शिक्षकों को प्रशिक्षण देकर उन्हें निपुण बनाएगा। ये शिक्षक नौनिहालों को स्कूल में इसकी उपयोगिता बताएंगे। साथ ही अभिभावकों को इसके उत्पादन के प्रति जागरूक करेंगे।

Tuesday, October 24, 2023

एडेड महाविद्यालयों में स्ववित्तपोषित शिक्षकों को विनियमित करने की तैयारी, शिक्षकों की मांगी गई रिपोर्ट


एडेड महाविद्यालयों में स्ववित्तपोषित शिक्षकों को विनियमित करने की तैयारी,  शिक्षकों की मांगी गई रिपोर्ट


प्रयागराज : अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) महाविद्यालयों में संचालित स्ववित्तपोषित कोर्स के शिक्षकों की सूची शासन से मांगी गई है । उच्च शिक्षा निदेशालय से सभी क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारियों को इस संबंध में रिपोर्ट बनाकर उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है।


प्रदेश भर में 331 एडेड महाविद्यालय हैं। इसमें से कई में स्ववित्तपोषित कोर्स संचालित हैं। इन कोर्स के शिक्षकों को बहुत कम वेतन मिलता है। इस मामले को लेकर विधान परिषद सदस्यों के विनियमन समीक्षा समिति की बैठक 12 जुलाई को हुई थी। बैठक में कहा गया कि एडेड कालेजों में शिक्षकों के वेतन में भारी अंतर है। स्थाई शिक्षकों को अच्छा वेतन और स्ववित्तपोषित शिक्षकों को बहुत कम मिलता है।


 इन शिक्षकों के विनियमितीकरण करने से सम्मानजनक वेतन मिल सकेगा। समिति के निर्देश पर स्ववित्तपोषित शिक्षकों का विवरण कालेजों से मांगा गया है। उच्च शिक्षा के संयुक्त निदेशक केसी वर्मा ने क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारियों को निर्देश जारी करते हुए निर्धारित फार्मेट पर रिपोर्ट मांगी है।


प्रयागराज । प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त अनुदानित महाविद्यालयों में स्ववित्तपोषित योजना के तहत संचालित पाठ्यक्रमों के शिक्षकों को विनियमित किए जाने की तैयारी चल रही है। उच्च शिक्षा निदेशालय ने सभी क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारियों से ऐसे शिक्षकों का विवरण मांगा है।


प्रदेश में 331 अशासकीय सहायता प्राप्त अनुदानित महाविद्यालय हैं। इन महाविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर के नियमित पद पर चयन उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग के माध्यम से होता रहा है। इनमें कई ऐसे महाविद्यालय भी हैं, जहां स्ववित्तपोषित योजना के तहत पाठ्यक्रमों का संचालन किया जाता है और इन पाठ्यक्रमों के लिए शिक्षकों की नियुक्ति प्रबंधन करता है।


नियमित शिक्षकों और प्रबंधन के माध्यम से नियुक्त शिक्षकों के वेतन में काफी अंतर है। नियमित शिक्षकों को अधिक वेतन मिलता है स्ववित्तपोषित शिक्षक काफी समय से मांग कर रहे हैं कि उनका विनियमितीकरण किया जाए और उन्हें नियमित शिक्षकों के समान वेतन का भुगतान किया जाएगा। इसके लिए कई बार प्रयास किए गए, लेकिन स्ववित्तपोषित शिक्षकों को राहत नहीं मिली।


एक बार फिर ऐसे शिक्षकों को राहत देने की कवायद शुरू हुई है और इसी के तहत उच्च शिक्षा निदेशालय की ओर से क्षेत्रीय उच्च शिक्षा की ओर से क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारियों को पत्र जारी कर ऐसे शिक्षकों का विवरण मांगा गया है। निदेशालय ने उत्तर प्रदेश विधान परिषद की विनियमन समीक्षा समिति की पिछले दिनों हुई बैठक का हवाला देते हुए शिक्षकों का विवरण मांगा है 


उच्च शिक्षा के संयुक्त निदेशक डॉ. केसी वर्मा की ओर से जारी पत्र के अनुसार क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारियों को इसी हफ्ते प्रदेश के 331 अशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में स्ववित्तपोषित योजना के तहत संचालित संकायों एवं उनके विश्वविद्यालय से अनुमोदन के उपरांत कार्यरत शिक्षकों की संख्या के बारे में सूचना उपलब्ध करानी है। इसके तहत महाविद्यालय का नाम, स्ववित्तपोषित योजना के तहत संचालित संकाय का नाम, विश्वविद्यालय से अनुमोदित शिक्षकों की संख्या के बारे में सूचना देनी है।


भ्रामक दावे करने वाले 20 कोचिंग संस्थानों को नोटिस, पांच पर ठोका एक एक लाख का जुर्माना

भ्रामक दावे करने वाले 20 कोचिंग संस्थानों को नोटिस, पांच पर ठोका एक एक लाख का जुर्माना


नई दिल्ली। केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने भ्रामक दावों और अनुचित कारोबारी प्रथाओं के लिए राव आईएएस, स्टडी सर्किल, इकरा आईएएस, चहल अकादमी और आईएएस बाबा पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। सीसीपीए की जांच के दायरे में 20 आईएएस कोचिंग सेंटर हैं, जिन्हें नोटिस भेजे गए हैं।



सीसीपीए की अध्यक्ष निधि खरे ने सोमवार को बताया कि उम्मीदवारों को प्रभावित करने के लिए टॉपर और सफल उम्मीदवारों के नाम तथा तस्वीरों का उपयोग करने के भ्रामक विज्ञापनों और अनुचित कारोबारी प्रथाओं के लिए 20 आईएएस कोचिंग सेंटरों के खिलाफ जांच चल रही है। 


उन्होंने कहा कि यूपीएससी 2022 के अंतिम परिणाम में 933 उम्मीदवारों का चयन हुआ लेकिन 20 कोचिंग संस्थानों ने 3,500 से अधिक पूर्व छात्रों का दावा किया है। खरे ने कहा, ये नोटिस पिछले डेढ़ साल में सफल छात्रों के बारे में जानबूझकर अहम जानकारी छिपाने के लिए जारी किए गए हैं। हमने चार केंद्रों पर जुर्माना लगाया है, जबकि अन्य मामलों की जांच चल रही है। नीट, जेईई परीक्षाओं की तैयारियां करा रहे संस्थानों पर भी ऐसी कार्रवाई की जा सकती है। 


समान रैंकिंग का दावा सीसीपीए अध्यक्ष ने कहा, संघ लोक सेवा आयोग के परिणाम घोषित होते ही कोचिंग संस्थान विज्ञापनों की होड़ में लग जाते हैं। कई संस्थान अहम जानकारी छिपाकर अपने छात्रों के समान रैंक धारक होने का दावा करते हैं। वे यह नहीं बताते हैं कि सफल अभ्यर्थी ने उनके यहां किस विषय में दाखिला लिया था।


कोचिंग इंडस्ट्री 58,000 करोड़ की

सीसीपीए के अनुसार, कोचिंग उद्योग का मौजूदा बाजार राजस्व करीब 58,088 करोड़ रुपये है। कोचिंग के लिए 2 लाख छात्र सालाना राजस्थान के कोटा जाते हैं। वहीं, दिल्ली यूपीएससी- सीएसई कोचिंग का गढ़ मानी जाती है।


इन कोचिंग सेंटरों को नोटिस जारी 

वाजीराव एंड रेड्डी इंस्टीट्यूट, चहल अकादमी, खान स्टडी ग्रुप आईएएस, एपीटीआई प्लस, एनालॉग आईएएस, शंकर आईएएस, नेक्स्ट आईएएस, दृष्टि आईएएस, इकरा आईएएस, विजन आईएएस, आईएएस बाबा, योजना आईएएस, प्लूटस आईएएस, एएलएस आईएएस, राव आईएएस स्टडी सर्किल।

बिना प्रशिक्षण शिक्षक कैसे चलाएंगे टैबलेट? तकनीकी प्रशिक्षण देने की उठ रही आवाज, सिम और इंटरनेट डेटा को लेकर उठे सवालों का नहीं मिल पा रहा जवाब

बिना प्रशिक्षण शिक्षक कैसे चलाएंगे टैबलेट? तकनीकी प्रशिक्षण देने की उठ रही आवाज, सिम और इंटरनेट डेटा को लेकर उठे सवालों का नहीं मिल पा रहा जवाब



लखनऊ। प्रदेश के स्कूलों में ऑनलाइन पठन-पाठन को बढ़ावा देने व शिक्षकों छात्रों की रियल टाइम फेस अटेंडेंस लेने के लिए टैबलेट का वितरण किया जा रहा है। लेकिन काफी संख्या में शिक्षक ऐसे हैं, जिनको टैबलेट चलाना ठीक से नहीं आता है। शिक्षकों ने टैबलेट चलाने का तकनीकी प्रशिक्षण देने की मांग की है।


शिक्षकों का कहना है कि उनको यह नहीं बताया गया है कि वह अटेंडेंस लेकर इसे किस तरह से अपलोड करेंगे। शिक्षक सामान्य रूप से मोबाइल चलाना जानते हैं। विद्यालयों को भी वाईफाई नेटवर्क से जोड़ा नहीं गया हैं। विद्यालयों को अनिवार्य रूप से वाईफाई नेटवर्क से जोड़ने के बाद ही टैबलेट से काम लिया जाए। ऐसे में सरकार जबरदस्ती शिक्षकों से सारे विद्यालयी व विभागीय कार्य टैबलेट से करने के लिए दबाव डाल रही है। 


मांग  उठ रही है कि प्रदेश सरकार शिक्षकों व छात्रों की टैबलेट से फेस अटेंडेंस लेने से पहले  शिक्षकों को ट्रेनिंग दी जाए व शिक्षकों की मांगों को पूरा करने के बाद ही नए शैक्षिक सत्र एक अप्रैल 2024 से इस व्यवस्था को प्रभावी बनाया जाए। 


दुविधा : हाथों में आए टैबलेट अब ट्रेनिंग का इंतजार, शिक्षकों को प्रयोग, उपस्थिति, प्रशिक्षण एवं अन्य बिन्दुओं के साथ सिम और इंटरनेट डेटा को लेकर उठे सवालों का नहीं मिल पा रहे जवाब


बेसिक शिक्षा विभाग ने दो दिन पहले आए टैबलेट को डीजीएसई की गाइडलाइन के मुताबिक शिक्षकों को वितरित करना शुरू कर दिया है।  टैबलेट मिलने के बाद शिक्षकों में इसके प्रयोग, प्रशिक्षण एवं अन्य बिन्दुओं को लेकर कई सवाल थे लेकिन इसका जवाब उन्हें फिलहाल नहीं मिल पाया।



टैबलेट वितरण के दौरान कुछ जगह शिक्षकों के पहचान पत्र भी मांगे गए। पहचान पत्र की संख्या को वितरण रजिस्टर में दर्ज किया गया। टैबलेट को लेकर शिक्षकों के बीच काफी कौतुहल दिखा। विभाग ने पहले ही बता दिया है कि टैबलेट के बारे में आनलाइन एवं आफलाइन प्रशिक्षण दिया जाएगा। शिक्षकों ने पूछा कि टैबलेट में सिम व डाटा कहां से आएगा, इस प्रश्न का अब तक स्पष्ट जवाब नहीं दिया गया। सूत्र बताते हैं। कि इस बारे में बीईओ और बीएसए भी पूरी तरह स्पष्ट नहीं हैं। उम्मीद जताई जा रही है कि कुछ दिनों में इस बारे में स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।



एक टैबलेट की एमआरपी 17 हजार से अधिकः बताया जा रहा है कि शिक्षकों को दिए जा रहे एक टैबलेट का अधिकतम खुदरा मूल्य सत्रह हजार से अधिक है। टैबलेट मिलने के बाद शिक्षकों ने इसकी रैम, रोम व अन्य फीचर्स पर नजरें दौड़ाई। 


प्रशिक्षण से मिलेंगे सवालों के जवाब: टैबलेट को लेकर शिक्षकों के मन में कई सवाल हैं। जानकारों ने बताया कि टैबलेट का प्रयोग किस तरह से और किन कार्यों में किया जाएगा, इसकी जानकारी प्रशिक्षण के दौरान दी जाएगी। प्रशिक्षण मिलने के बाद शिक्षकों की सारी शंकाएं दूर होने की उम्मीद है।


Monday, October 23, 2023

अंगदान का रोल माॅडल बनेंगे उच्च शिक्षा के छात्र, यूजीसी ने सभी विश्वविद्यालयों को लिखा पत्र

अंगदान का रोल माॅडल बनेंगे उच्च शिक्षा के  छात्र, यूजीसी ने सभी विश्वविद्यालयों को लिखा पत्र


अंगदान को सबसे बड़ा दान माना गया है। हालांकि, अंगदान की कमी के कारण कई मरीज जिंदगी की जंग हार जाते हैं। इसलिए 18 से 30 आयु वर्ग के उच्च शिक्षण संस्थानों के छात्रों के माध्यम से अंगदान की कमी को दूर करने का फैसला लिया है ताकि वे अपने घर, पड़ोस और आसपास के लोगों की भ्रांतियां दूर करते हुए जागरूक कर सकें।

देश के सभी उच्च शिक्षण संस्थानों के चार करोड़ छात्र अंगदान जागरुकता के रोल मॉडल बनेंगे। युवा अंगदान की शपथ के साथ आम लोगों को जोड़ने और उनकी भ्रांतियां दूर करने में मदद करेंगे। यूजीसी ने सभी विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों को अंगदान की शपथ को लेकर पत्र लिखा है।


उपलब्ध अंगों की भारी कमी 
खास बात यह है कि युवाओं में अंगदान की शपथ से सामाजिक जिम्मेदारी और करुणा की भावना भी जागृत होगी। इसके अलावा सेमिनार, वर्कशाप के माध्यम से छात्रों को अंगदान की नैतिक, चिकित्सा, सामाजिक आयामों की जानकारी भी दी जाएगी। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष प्रोफेसर एम जगदीश कुमार ने बताया कि देश में रोगियों की संख्या की तुलना में प्रत्यारोपण के लिए उपलब्ध अंगों की भारी कमी है, जिसके परिणामस्वरूप मांग और आपूर्ति में भारी अंतर है।


अंगदान को सबसे बड़ा दान माना गया है। हालांकि, अंगदान की कमी के कारण कई मरीज जिंदगी की जंग हार जाते हैं। इसलिए 18 से 30 आयु वर्ग के उच्च शिक्षण संस्थानों के छात्रों के माध्यम से अंगदान की कमी को दूर करने का फैसला लिया है ताकि वे अपने घर, पड़ोस और आसपास के लोगों की भ्रांतियां दूर करते हुए जागरूक कर सकें। सभी उच्च शिक्षण संस्थानों से आग्रह किया गया है कि वे छात्रों से अंगदान की शपथ पत्र भरवाते हुए उनसे जागरूकता की अपील करें। छात्रों में इस मुहिम से सामाजिक जिम्मेदारी और करुणा की भावना भी पैदा होगी।


एक व्यक्ति आठ को दे सकता है जीवनदान
एक व्यक्ति, अपनी मृत्यु के बाद, महत्वपूर्ण अंगों, अर्थात गुर्दे, यकृत, फेफड़े, हृदय, अग्न्याशय और आंत को दान करके आठ लोगों को नया जीवन दे सकता है। इसके अलावा  कॉर्निया, त्वचा, हड्डी जैसे ऊत्तकों को दान करके कई लोगों के जीवन को बेहतर बना सकता है।


कोविड -19 के बाद फेफड़ों के प्रत्यारोपण की मांग बढ़ी 
वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि एक अनुमान के मुताबिक, हर साल दो लाख नए रोगियों को किडनी प्रत्यारोपण की आवश्यकता होती है, जिसके लिए केवल 12,000 किडनी ही उपलब्ध होती हैं। इसी तरह, 40,000-50,000 लिवर प्रत्यारोपण की आवश्यकता के लिए, केवल 4,000 उपलब्ध हैं। वहीं, कुल 50,000 हृदय प्रत्यारोपण के लिए, केवल लगभग 250 ही किए जाते हैं।

छह महीने से मानदेय नहीं, कैसे मनाएं त्योहार? दीपावली से पहले मानदेय के लिए आंदोलन को मजबूर MDM रसोइए, 31 अक्टूबर को लखनऊ में जुटेंगे

छह महीने से मानदेय नहीं, कैसे मनाएं त्योहार!  दीपावली से पहले मानदेय के लिए आंदोलन को मजबूर MDM रसोइए, 31 अक्टूबर को लखनऊ में जुटेंगे


लखनऊ : बेसिक स्कूलों में एमडीएम बनाने वाले रसोइयों के लिए दावे तो खूब हुए लेकिन वे अब भी मानदेय के लिए प्रदर्शन को मजबूर हैं। उनको मात्र ₹2000 रुपये मानदेय मिलता है, वह भी छह महीने से नहीं मिला। अब उनको इंतजार है कि दीपावली से पहले किसी तरह मानदेय मिल जाए तो वे त्योहार मना सकें। वे इस मांग को लेकर 31 को लखनऊ में जुटेंगे और प्रदर्शन करेंगे।


प्रदेश के बेसिक स्कूलों में 3.77 लाख रसोइए हैं। इनमें से ज्यादातर महिलाएं हैं। पहले उनको ₹1500 महीना मानदेय मिलता था। विधानसभा चुनाव से पहले मानदेय बढ़ाकर ₹2000 कर दिया गया लेकिन ये बढ़ी हुई राशि इस साल मार्च तक मिली। उसके बाद से ज्यादातर जिलों में अब तक मानदेय का भुगतान ही नहीं हुआ है। वे कई बार अधिकारियों से मिल चुके हैं। हर बार जल्द भुगतान का आश्वासन दिया गया लेकिन अब तक मानदेय नहीं मिला। रसोइया कल्याणकारी समिति के महामंत्री उमाशंकर कहते हैं कि दिनभर काम करने के बाद ₹2000 मानदेय मिलता है। सालभर में केवल 10 महीने ही यह मानदेय दिया जाता है। उसके लिए भी छह-छह महीने का इंतजार करना पड़ता है। होली और दीपावली से पहले आंदोलन करने के बाद ही यह मानदेय मिलता है।


यही वजह है कि इस बार 31 अक्तूबर प्रदर्शन करने का निर्णय लिया है। इसमें प्रदेश भर से रसोइए आएंगे। इसमें पूरे 12 महीने का और समय पर मानदेय दिए जाने की मांग मुख्य होगी। इस बारे में एमडीएम प्राधिकरण के डिप्टी डायरेक्टर हरवंश सिंह कहते हैं कि जिन जिलों ने समय पर पुराना भुगतान नहीं किया था, उनको सख्त निर्देश दिए गए हैं। साथ ही केंद्र सरकार को पत्र लिखा गया है। उसके बाद जल्द ही राज्यांश भी जारी हो जाएगा। जल्द से जल्द मानदेय का भुगतान किया जाएगा।



ऐसे फंसा रसोइयों का मानदेय

रसोइयो को मानदेय के लिए केंद्र सरकार ने ₹1000 ही स्वीकृत किया है। प्रदेश सरकार ने इसे बढ़ाकर ₹2000 किया है। ऐसे में केंद्र सरकार स्वीकृत मानदेय का 60% यानि ₹600 प्रति रसोइया देती है। बाकी ₹1400 राज्य सरकार देती है। केंद्र सरकार ने मॉनिटरिंग सख्त कर दी है। मानदेय के लिए धनराशि जारी होने के बाद जिलो को भेजी जाती है। कई जिलो ने भुगतान नहीं किया। ऐसे मे खर्च न होने की वजह से केंद्र सरकार ने राशि रोक दी थी। उसके बाद एमडीएम प्राधिकरण ने बीएसए को सख्त निर्देश दिए। अब केंद्र सरकार को पत्र लिखा गया है। केंद्रांश न मिलने की वजह से राज्य सरकार का भी अंश नहीं मिल पाया। इसी फेर में रसोइयों का मानदेय फसा हुआ है। अभी तक उनको मार्च तक का ही भुगतान हो पाया है।

गिरोह बनाकर बेसिक शिक्षकों व कर्मचारियों से धन उगाही मामले में हरदोई के डीएम ने लिया संज्ञान, जाँच कमेटी गठन कर कार्यवाही का आदेश

गिरोह बनाकर बेसिक शिक्षकों व कर्मचारियों से धन उगाही मामले में हरदोई के डीएम ने लिया संज्ञान,  जाँच कमेटी गठन कर कार्यवाही का आदेश 


जिलाधिकारी मंगला प्रसाद सिंह ने बेसिक शिक्षा विभाग में शिकायतें करके दबाव बनाने के बाद धन उगाही करने के मामले की जांच करने के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित की है। वहीं जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी विजय प्रताप सिंह ने सभी खंड शिक्षा अधिकारी, समस्त जिला समन्वयक, पटल सहायक, अध्यापक, अध्यापिकाओं को पत्र भेजा गया है।


इसमें बीएसए ने लिखा है कि पिहानी थाना क्षेत्र निवासी विमलेश शर्मा, हरदोई कोतवाली के सुभाष नगर निवासी अतुल सिंह, महोलिया शिवपार निवासी रामशरण आदि के संबंध में एक शिकायती पत्र मिला है। इसमें कहा गया है कि ये लोग संगठित गिरोह चला रहे हैं। भारी संख्या में आधारहीन व साक्ष्यहीन शिकायतें करके विभागीय अधिकारियों, कर्मचारियों, शिक्षकों का मानसिक तथा आर्थिक शोषण कर रहे हैं।


बीएसए का कहना है कि शिकायती पत्र मे कहा गया है कि इस गिरोह द्वारा बड़ी संख्या में अधिकारियों, कर्मचारियों, शिक्षकों के संबंध में अनेक बिंदुओं में व्यक्तिगत तथा अन्य सूचनाएं मांगी जा रही हैं। सोशल मीडिया के विभिन्न माध्यमों से दबाव बनाकर धन उगाही की जा रही है। डीएम एमपी सिंह ने इस शिकायत पर उप जिलाधिकारी शाहाबाद, सीओ शाहाबाद व बीएसए की तीन सदस्यीय कमेटी गठित की है। यह कमेटी विस्तृत जांच करेगी।


बीएसए ने कहा है कि इसलिए उक्त लोगों द्वारा पटल पर जितने भी शिकायती पत्र, आईजीआरएस, सूचना अधिकार के तहत आवेदन भेजे हैं वे सभी साक्ष्यों, छाया प्रतियों के साथ लिखित रूप में दो दिन में बीएसए के समक्ष उपलब्ध कराएं। ताकि उसे जांच समिति के समक्ष प्रस्तुत करें। उचित जांच कर आवश्यक कार्रवाई की जा सके।


शिक्षकों व कर्मचारियों से धन उगाही मामले में जाँच कमेटी गठन  का आदेश



तीन सदस्यीय टीम को सौंपी गई जांच

बीएसए कार्यालय में सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी का मामला

बीएसए ने बीईओ व पटल सहायकों को दिए साक्ष्य उपलब्ध कराने के निर्देश


हरदोई। बेसिक शिक्षा विभाग में संगठित होकर सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगने और शिकायतों को करने में शामिल लोगों की तीन सदस्यीय टीम जांच करेगी। डीएम ने एसडीएम शाहाबाद की अध्यक्षता में टीम गठित की है। बीएसए ने सभी बीईओ को साक्ष्य उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं।


बेसिक शिक्षा अधिकारी विजय प्रताप सिंह ने सभी खंड शिक्षा अधिकारी, जिला समन्वयक व पटल सहायकों को जारी किए गए पत्र में कहा कि पिहानी के कुल्लही निवासी विमलेश शर्मा, उसके सहयोगी सुभाष नगर निवासी अतुल कुमार सिंह और ग्राम आशा निवासी राम शरण गुप्ता एक संगठित गिरोह चला रहे हैं। यह लोग आधारहीन व साक्ष्यहीन शिकायतें करके विभागीय अधिकारियों व कर्मचारियों की छवि खराब कर रहे हैं।


जांच के लिए डीएम की ओर से एसडीएम शाहाबाद की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी बनाई गई है। जिसमें क्षेत्राधिकारी शाहाबाद के अलावा बीएसए शामिल है। उन्होंने सभी को निर्देशित किया है कि इन लोगों की ओर से मांगी गई सूचनाओं के संबंध में किए गए आवेदन, उनको दी गई सूचनाओं, शिकायतों का विवरण व साक्ष्य दो दिन में उपलब्ध कराएं। इसमें लापरवाही करने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।


100 करोड़ से बदलेगी प्रदेश के संस्कृत स्कूलों की सूरत, प्रोजेक्ट अलंकार के जरिये 50 साल पुराने स्कूलों का होगा कायाकल्प

100 करोड़ से बदलेगी प्रदेश के संस्कृत स्कूलों की सूरत, प्रोजेक्ट अलंकार के जरिये 50 साल पुराने स्कूलों का होगा कायाकल्प


प्रयागराज। सरकार की तरफ से प्रोजेक्ट अलंकार के जरिये सूबे के संस्कृत स्कूलों का कायाकल्प करने की तैयारी शुरू हो गई है। सरकार की तरफ से शुरू की गई योजना में 50 साल पुराने स्कूलों का कायाकल्प किया जाना है। वहीं, स्कूलों के कायाकल्प में होने वाले खर्च का पांच प्रतिशत स्कूल प्रबंधन को देना होगा। शेष राशि सरकार की तरफ से खर्च की जाएगी। सरकार की तरफ से इसके लिए 100 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है। पूर्व नियम के अनुसार 50 प्रतिशत राशि स्कूल प्रबंधन द्वारा खर्च किए जाने की व्यवस्था थी।


माध्यमिक शिक्षा विभाग की तरफ से नियमों में बदलाव के बाद संस्कृत स्कूलों के प्रबंधन ने भी खुशी जाहिर की है। इसका असर है कि अब तक S 22 करोड़ का प्रस्ताव निदेशालय को प्राप्त हो चुका है। बस्ती, मुजफ्फरनगर, सोनभद्र अम्बेडकरनगर, गोंडा, गोरखपुर, बलरामपुर और महाराजगंज से मिले 22 करोड़ के प्रस्ताव को निदेशालय की तरफ से जल्द ही मंजूरी के लिए शासन को भेजा जाएगा।


सूबे में कक्षा छह से 12 तक के 958 संस्कृत विद्यालयों में उन विद्यालयों को प्राथमिकता दी जाएगी, जहां पर 100 से अधिक विद्यार्थी पढ़ रहे हैं। शासन की तरफ से आवंटित बजट में 50 प्रतिशत खर्च स्कूलों के सौंदर्यीकरण पर होगा। सौदामिनी संस्कृत महाविद्यालय के प्रबंधक प्रो. एमसी चटोपाध्याय ने बताया कि पूर्व में 50 प्रतिशत मैचिंग ग्रांट नियम होने के कारण प्रस्ताव नहीं भेजा गया था। प्रबंधन के पास इतना बजट नहीं था। नियमों में बदलाव के बाद विद्यालय की मरम्मत के लिए प्रस्ताव तैयार कराया गया है। 



बदले नियम से संवरेंगे संस्कृत विद्यालय सुंदरीकरण पर 50 प्रतिशत खर्च करने को नहीं थे तैयार


प्रयागराज : प्रोजेक्ट अलंकार के नियम बदलने के बाद प्रदेश के सहायता प्राप्त माध्यमिक संस्कृत विद्यालयों की सूरत बदलने जा रही है। 50 साल से अधिक पुराने संस्कृत विद्यालयों के लिए पहले सरकार ने जीर्णोद्धार पर आने वाले खर्च की 50 प्रतिशत राशि प्रबंधन द्वारा वहन करने की शर्त रखी थी। इसके चलते प्रबंधकों ने प्रोजेक्ट से अपने हाथ पीछे खींच लिए थे और पिछले साल 28 करोड़ रुपये की राशि लैप्स हो गई थी।


इसके बाद माध्यमिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने शर्तों में बदलाव करते हुए जीर्णोद्धार पर आने वाले खर्च का मात्र पांच प्रतिशत प्रबंध समिति से लेने का प्रावधान कर दिया। इसी के साथ जीर्णोद्धार के लिए 100 करोड़ का बजट आवंटित कर दिया गया। यह बदले नियम को संस्कृत विद्यालयों के प्रबंधकों ने हाथों-हाथ लिया है और अब तक 22 करोड़ रुपये के प्रस्ताव शिक्षा निदेशालय को प्राप्त हो चुके हैं। 


बस्ती, मुजफ्फरनगर, सोनभद्र, अम्बेडकरनगर, गोंडा, गोरखपुर, बलरामपुर और महराजगंज से मिले 22 करोड़ के प्रस्ताव शासन को मंजूरी के लिए भेजे जा रहे हैं। प्रदेश में कक्षा 6 से 12 तक के 958 संस्कृत विद्यालयों में से उन स्कूलों को प्राथमिकता देने की बात कही गई है जहां 100 से अधिक छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं।


पहले 50 प्रतिशत मैचिंग ग्रांट का नियम होने के कारण हमने जीर्णोद्धार का प्रस्ताव नहीं भेजा था। क्योंकि प्रबंधन के पास रुपये नहीं थे। अब बदले नियम पर विद्यालय की मरम्मत के लिए अनुरोध किया है। प्रो. एमसी चटोपाध्याय, प्रबंधक सौदामिनी संस्कृत महाविद्यालय