सुप्रीम कोर्ट के 15 फीसदी शुल्क वापसी के आदेश से अभिभावकों को मिली राहत, कोरोना काल में ली फीस प्राइवेट स्कूल समायोजित करेंगे
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लखनऊ : कोरोना काल में स्कूल बंदी के दौरान में वसूली गई फीस स्कूल वापस करेंगे। अनएडेड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने फीस समायोजित करने का फैसला लिया है। एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने कहा है कि ज्यादातर स्कूलों ने फीस कम कर दी थी और कुछ ने छूट दे दी थी। फिर भी यदि किसी स्कूल ने ऐसा नहीं किया होगा तो वह फीस समायोजित करेंगे।
अनएडेड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन की ओर से कहा गया कि हम सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का सम्मान करते हैं। एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने कहा कि अधिकांश विद्यालयों द्वारा कोरोना काल में आम सहमति से 20 प्रतिशत तक एवं कुछ अन्य परिस्थितियों में इससे अधिक की भी छूट अभिभावकों को थी।
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जारी शासनादेश का पालन करते हुए सत्र 2020-21 तथा 2021-22 में भी उत्तर प्रदेश के किसी भी निजी विद्यालय में कोई भी फीस नहीं बढ़ाई नई । यदि कुछ विद्यालयों द्वारा ऐसा नहीं किया गया है तो वह सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का सम्मान करते हुए सत्र 2020-21 में ली गई फीस को आगे की किस्तों में समायोजित कर देंगे।
अनिल अग्रवाल ने कहा कि जिन विद्यालयों द्वारा कोरोना काल में मासिक शुल्क में छूट दी गई थी उन्हें अनायास परेशान न किया जाए एवं उनके ऊपर किसी प्रकार का दबाव न बनाया जाए।
कोरोना काल में फीस वापसी के मसले पर सुप्रीम कोर्ट का क्या निर्णय है यह हमें नहीं पता। आदेश देखने के बाद ही कुछ कहना उचित होगा। आदेश का अध्ययन और परीक्षण करने के बाद ही कुछ कह सकूंगा । शन्मुगा सुन्दरम, प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा
अभिभावक एसोसिएशन ने कहा, आदेश मानें स्कूल
अभिभावक कल्याण संघ ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर खुशी जतायी है। अभिभावक कल्याण संघ के अध्यक्ष प्रदीप श्रीवास्तव ने कहा कि कोविड काल में दोहरी मार पड़ी। कुछ विद्यालयों को छोड़कर अधिकांश विद्यालयों ने अभिभावकों से पूरी फीस वसूली। जबकि स्कूलों प्रबंधन का कोई संसाधन प्रयोग नहीं किया गया और बड़ी संख्या में विद्यालय प्रबंधन ने शिक्षकों को भी हटाया।
स्कूल प्रबंधन काकोविड काल में कहीं कोई नुकसान नहीं हुआ। सिर्फ अभिभावकों को बच्चों को बिना स्कूल भेजे पूरी फीस जमा करनी पड़ी। प्रदीप श्रीवास्तव ने कहा कि सभी स्कूलों को तत्काल अदालत के आदेश का पालन करते हुए अभिभावकों को 15 फीसदी शुल्क वापस करना चाहिए। जिससे कि निश्चित रूप से अभिभावकों को बड़े स्तर पर राहत मिलेगी और वह इस राशि का इस्तेमाल बच्चों के लिए अन्य कामों में कर पाएंगे।
लौटानी होनी होगी 15 फीसदी फीस, सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर लगी रोक हटा दी
कोरोना काल में निजी स्कूलों की फीस वसूली का मामला
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश से रोक हटाई, सिर्फ तीन स्कूलों को राहत
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के निजी स्कूलों की ओर से कोविड महामारी में शैक्षणिक सत्र 2020-21 के दौरान विद्यार्थियों से ली गई फीस में से 15 फीसदी लौटाने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर लगी रोक हटा दी है। हालांकि राज्य के तीन स्कूलों को शीर्ष अदालत के फैसले का लाभ मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट की रोक पूर्व छात्रों को फीस वापसी तक सीमित थी।
कोर्ट ने कहा है कि, याचिकाकर्ता इंडिपेंडेंट स्कूल फेडरेशन ने बताया कि सिर्फ तीन स्कूल अदालती आदेश मानने को तैयार हुए हैं। हालांकि उनकी बैलेंसशीट और लाभ-हानि का लेखा-जोखा अधूरा है। पीठ ने कहा, उसके अंतरिम आदेश का लाभ इन्हीं तीन स्कूलों को मिलेगा। इन तीन स्कूलों को हलफनामे के जरिये एक अप्रैल, 2018 से 30 मार्च, 2022 तक का लाभ-हानि का ब्योरा छह हफ्ते में जमा कराना होगा।
पीठ ने तीनों से यह भी बताने के लिए कहा है कि क्या एक अप्रैल, 2020 और 31 मार्च, 2021 के बीच शिक्षकों व स्टाफ के वेतन में कोई कटौती की थी। यह भी कि दिन- प्रतिदिन या परिचालन व्यय में कोई कमी की थी? मई में सुप्रीम कोर्ट ने छह सप्ताह के लिए हाईकोर्ट के आदेश के मद्देनजर राज्य प्रशासन के किसी भी कठोर आदेश से स्कूलों की रक्षा की थी, लेकिन कहा था यदि उनकी बैलेंसशीट इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को न्यायोचित ठहराती हो, तो स्कूलों को 2020 और 2021 की महामारी के दौरान ली फीस वापस करनी होगी।
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