अल्पसंख्यक छात्रवृत्तिः बायोमीट्रिक सत्यापन अनिवार्य करने से घटे पात्र
प्रयागराज । अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति के लिए बायोमीट्रिक सत्यापन अनिवार्य किए जाने के बाद बड़ी संख्या में विद्यार्थी पीछे हट गए हैं। उन्होंने सत्यापन ही नहीं कराया। इससे गड़बड़ी की आशंका बन गई है। ऐसे में सत्यापन के लिए नहीं आने वाले विद्यार्थियों का विवरण एकत्रित करने के साथ कारणों की छानबीन की जा रही है।
पिछले वर्ष छात्रवृत्ति का वितरण नहीं किया गया। गड़बड़ी की शिकायतों को देखते हुए सभी का बायोमीट्रिक वेरिफिकेशन कराने के लिए कहा गया। अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति के लिए अब बायोमीट्रिक सत्यापन अनिवार्य भी कर दिया गया है। इसके तहत छात्र छात्रा के साथ प्रधानाचार्य या संस्था प्रमुख का भी बायोमीट्रिक वेरिफिकेशन होना चाहिए।
यह व्यवस्था लागू होने के बाद सत्र 2022-23 में आवेदन करने वाले कुछ विद्यार्थी बायोमीट्रिक वेरिफिकेशन के लिए नहीं आए। ऐसे में कई तरह के सवाल खड़े हो गए हैं। हालांकि, यह भी कहा जा रहा है कि ये पिछले सत्र के विद्यार्थी हैं और वेरिफिकेशन अब कराया जा रहा है। ऐसे में कई विद्यार्थी पासआउट हो चुके होंगे। ऐसे में बायोमीट्रिक वेरिफिकेशन न कराने वालों का विवरण खंगाला जा रहा है।
अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति के 14 हजार आवेदक निकले फर्जी
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में केंद्रीय अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति के 14 हजार आवेदक फर्जी निकले हैं। जिन संस्थानों ने इन छात्रों का डाटा अग्रसारित किया, अब उन्होंने ही इन्हें अपना छात्र मानने से इन्कार कर दिया है। राज्य अल्पसंख्यक कल्याण विभाग शीघ्र ही पूरी रिपोर्ट केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय को भेजेगा। इसके बाद संबंधित शिक्षण संस्थानों के खिलाफ भी कार्रवाई तय मानी जा रही है।
केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय ने वर्ष 2022-23 में छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति के लिए आवेदन करने वाले छात्रों का बॉयोमीट्रिक सत्यापन कराने के निर्देश सभी राज्यों को दिए थे। शुरुआती जांच में गड़बड़ियां मिलने पर यह निर्णय लिया गया था। उत्तर प्रदेश में वित्त वर्ष 2022-23 में 359659 छात्रों ने आवेदन किया था।
राज्य अल्पसंख्यक कल्याण विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक, बॉयोमीट्रिक सत्यापन के दौरान 17473 छात्रों का नाम आधार में दिए गए नाम से अलग मिला। 11377 छात्रों का आधार सत्यापन फेल हो गया। 93 आवेदकों की मृत्यु हो गई।
बॉयोमीट्रिक सत्यापन हुआ तो 27 फीसदी छात्र गायब, केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय ने कराई थी आधार की जांच
मुरादाबाद, कुशीनगर, सीतापुर, बिजनौर, बस्ती व संतकबीरनगर समेत कई जिलों में बड़ी संख्या में छात्रों ने नहीं कराया सत्यापन
लखनऊ। बॉयोमीट्रिक सत्यापन में 27 फीसदी अल्पसंख्यक छात्र गायब मिले हैं। केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय ने छात्रवृत्ति और शुल्क भरपाई के लिए आवेदन करने वाले छात्रों की उनके आधार के जरिये जांच कराई थी। इसमें मुरादाबाद, कुशीनगर, सीतापुर, बिजनौर, बस्ती और संतकबीरनगर समेत कई जिलों में बड़ी संख्या में छात्र गायब मिले हैं। बड़े फर्जीवाड़े की आशंका को देखते हुए प्रदेश सरकार ने इसके असली कारणों की पड़ताल की तैयारी शुरू कर दी है।
अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय ने 2022-23 में छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति के लिए आवेदन करने वाले छात्रों के बॉयोमीट्रिक सत्यापन कराने के निर्देश सभी राज्यों को दिए थे। शुरुआती जांच में गड़बड़ियां मिलने पर यह निर्णय लिया गया था। यह भी तय किया गया कि सत्यापन के बाद ही छात्रों को भुगतान किया जाएगा।
इस योजना में यूपी में उस वित्त वर्ष में 3,59,659 छात्रों ने आवेदन किया था। इनमें से 97,463 छात्रों ने दी गई अंतिम तिथि तक बॉयोमीट्रिक सत्यापन नहीं कराया। मुरादाबाद में 46,211 छात्रों में से सबसे ज्यादा 12, 161 ने सत्यापन नहीं कराया। इसी तरह कुशीनगर में 5630, सीतापुर में 4073, बिजनौर में 6738, वस्ती में 3726, फर्रुखाबाद में 4228, गोंडा में 4416 और संतकबीरनगर में 3339 छात्र आगे नहीं आए। इस मामले में औरेया, अंबेडकरनगर, सहारनपुर, उन्नाव, मेरठ, अमरोहा, रामपुर, संभल और अलीगढ़ जिलों में भी स्थिति काफी खराब मिली।
27 तक डाटा आगे बढ़ा सकते हैं संस्थान
बॉयोमीट्रिक सत्यापन के लिए संस्थान स्तर पर 4483 आवेदन और जिला नोडल अधिकारी के स्तर पर 231 आवेदन लंबित हैं। संस्थान स्तर पर आवेदन अग्रसारित करने की अंतिम तिथि 27 अक्तूबर और जिला व राज्य नोडल अधिकारी के स्तर पर सत्यापन की अंतिम तिथि 28 अक्तूबर कर दी गई है।
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