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Thursday, November 2, 2023

विदेशी फंडिंग के मामले में SIT ने जुटाना शुरू किया मदरसों का ब्योरा

विदेशी फंडिंग के मामले में  SIT  ने जुटाना शुरू किया मदरसों का ब्योरा


 लखनऊ : मदरसों में शैक्षिक कार्यों को बढ़ावा देने के लिए हो रही विदेशी फंडिंग के दुरुपयोग को लेकर विशेष जांच दल (एसआइटी) ने अपनी जांच शुरू कर दी है। एसआइटी ने मदरसा बोर्ड से बीते वर्षों में पंजीकृत हुए मदरसों से जुड़ी सूचनाएं मांगी है। बिना मान्यता के संचालित मदरसों का भी पूरा ब्यौरा जुटाया जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के बारे में सूचनाएं जुटाने के लिए खुफिया इकाई की भी मदद ली जा रही है। पहले ऐसे मदरसों को सूचीबद्ध किया जा रहा है, जिन्हें विदेश से फंडिंग हो रही है।

विदेशी फंडिंग से देश- विरोधी व अवैध मतांतरण जैसी अन्य गतिविधियों को बढ़ावा दिए जाने की आशंका के चलते जांच शुरू की गई है। विशेषकर नेपाल सीमा से सटे जिलों में बीते कुछ वर्षों में खुले मदरसों की जानकारी जुटाई जा रही है। एसआइटी में एसपी साइबर क्राइम प्रो. त्रिवेणी सिंह व अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की निदेशक जे. रीभा बतौर सदस्य शामिल हैं। प्रदेश में 16,513 मान्यता प्राप्त व 8,500 गैर मान्यता प्राप्त मदरसे संचालित हैं।



मदरसों में विदेशी फंडिंग की जिलों से रिपोर्ट मांगेगी एसआईटी 

लखनऊ। प्रदेश के मदरसों में विदेशी फंडिंग की जांच के लिए गठित एसआईटी समस्त जिलों से रिपोर्ट मांगने की तैयारी में है।

एसटीएफ की रोज होने वाली बैठक में विदेशी फंडिंग के स्रोत और उसके व्यय के हर बिंदु को गहनता से खंगाला जा रहा है। साथ ही, मदरसों में शिक्षा देने के लिए जिन एनजीओ के माध्यम से विदेशों से रकम आती है, उनकी फेहरिस्त भी तैयार की जा रही है। 

दरअसल, एसआईटी की शुरुआती जांच में सामने आया है कि नेपाल सीमा पर बीते एक दशक के दौरान मदरसों की संख्या में अप्रत्याशित रूप से इजाफा हुआ है। 



मदरसों में विदेशी फंडिंग पर शिकंजा,  देवबंद से लेकर बंगाल तक नेटवर्क खंगाल रही यूपी ATS 

धर्मांतरण में विदेशी फंडिंग के प्रयोग से एजेंसियां चौकन्नी


लखनऊ । यूपी एटीएस को मदरसों के जरिए देश विरोधी गतिविधियों के लिए विदेशी फंडिंग के मास्टर माइंड की तलाश है। इसके लिए विदेशी फंडिंग लाने वाले स्वयंसेवी संगठनों और उनके जरिए चंदा प्राप्त करने वाले मदरसों को चिह्नित किया जा रहा है। बांग्लादेशी नागरिक आदिल को पश्चिम बंगाल ले जाकर ऐसे कुछ ठिकानों का पता भी लगाया गया है।


अवैध घुसपैठ कर भारत पहुंचे मीरपुर (बांग्लादेश) निवासी आदिल उर रहमान को गिरफ्तार करने के बाद एटीएस को कई अहम सूचनाएं मिलीं। इसके बाद आदिल के दो मददगारों नजीबुल शेख और अबू हुरायरा गाजी को गिरफ्तार किए जाने पर गिरोह के देवबंद (सहारनपुर) और पश्चिम बंगाल कनेक्शन के साथ-साथ विदेशी फंडिंग का भी खुलासा हुआ है। 


यह गिरोह विदेशी फंडिंग से बांग्लादेशियों को भारत में लाकर बसाने और उनके फर्जी दस्तावेज तैयार कराने में मदद करता है। पिछले तीन वर्षों में 20 करोड़ रुपये की फंडिंग की जानकारी मिलने के बाद जांच आगे बढ़ी तो इसमें मदरसों को माध्यम बनाने का भी खुलासा हुआ। 


सूत्रों के अनुसार आदिल को लेकर पश्चिम बंगाल गई एटीएस की टीम ने गिरोह के नेटवर्क के बारे में कुछ ठोस जानकारी एकत्र की है, जिसके आधार पर जल्द ही कुछ अन्य सदस्यों की गिरफ्तारी हो सकती है। मदरसों को मिलने वाली विदेशी फंडिंग का अवैध घुसपैठ और धर्मांतरण में उपयोग किए जाने की जांच के लिए गठित एसआईटी ने सबसे पहले नेपाल सीमा पर पिछले दो दशक में बने नए मदरसों की जांच करने का फैसला किया है।



सभी 24 हजार मदरसे एसआईटी के रडार पर, 16 हजार मदरसे वर्तमान में हैं पंजीकृत, आठ हजार अवैध

बैठक में पहले नेपाल बार्डर इलाकों के मदरसों की जांच कराने पर बनी सहमति


लखनऊ। विदेशी फंडिंग की जांच को गठित एसआईटी के रडार पर प्रदेश के सभी 24 हजार मदरसे हैं। इनमें से 16 हजार पंजीकृत हैं, जबकि बाकी आठ हजार अवैध हैं। एसआईटी सबसे पहले नेपाल सीमा पर बीते दो दशकों के दौरान बने नये मदरसों की जांच करेगी। एसआईटी की पहली बैठक में इस पर सहमति बनी है। यह भी तय किया गया है कि जिन मदरसों में विदेश से पैसा भेजा जा रहा है, उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया जाएगा।


बता दें कि शासन के निर्देश पर मदरसों में विदेशी फंडिंग की जांच के लिए एडीजी एटीएस मोहित अग्रवाल की अध्यक्षता में एसआईटी गठित की गई है, जिसमें एसपी साइबर क्राइम प्रो. त्रिवेणी सिंह और निदेशक अल्पसंख्यक कल्याण जे. रोभा को सदस्य बनाया गया है। एसआईटी के रडार पर इनमें से अधिकतर भारत- नेपाल सीमा पर बीते दो दशकों के दौरान विदेशी फंडिंग की बदौलत खोले गये। इन मदरसों के जरिए टेरर फंडिंग होने की आशंका भी जताई जाती रही है। 


अब एसआईटी विदेशी फंडिंग के इस्तेमाल के हर पहलू को गहराई से खंगालने जा रही है। बैठक में मदरसों में विदेशी फंडिंग को लेकर पूर्व में दर्ज हुए मुकदमों के बारे में भी जानकारी ली गयी, जिसमें सामने आया कि फिलहाल इस तरह का कोई मुकदमा दर्ज नहीं है। अब जिन मदरसों में नियम विरुद्ध तरीके से विदेशी फंडिंग का सुराग हाथ लगेगा, उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराकर विवेचना भी कराई जाएगी। 


आईबी ने भी दी थी रिपोर्ट

सूत्रों के मुताबिक नेपाल सीमा पर बने मदरसों के बारे में राजधानी स्थित केंद्रीय खुफिया एजेंसी आईबी के जोनल कार्यालय ने भी जानकारी एकत्र की थी, जिसकी सूचना केंद्रीय गृह मंत्रालय को दी गयी थी। इस रिपोर्ट में नेपाल सीमा पर बांग्लादेशी और रोहिंग्या नागरिकों का जमावड़ा होने के साथ मदरसों, मजारों व मस्जिदों का बड़े पैमाने पर निर्माण होने की जानकारी भी दी गयी थी।



मदरसों की सर्वे रिपोर्ट अब तक ठंडे बस्ते में, विदेशी चंदे का हिसाब लेने को भेजी जाएगी नोटिस


लखनऊ : प्रदेश में पिछले साल मदरसों की मान्यता, उनके आर्थिक स्रोत आदि के बारे में सर्वे करवाया गया था, जिसकी रिपोर्ट रविवार तक सार्वजनिक नहीं हो सकी है। इस लेटलतीफी को लेकर उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड के चेयरमैन डा. इफ्तेखार जावेद खासे नाराज हैं।


रविवार को उन्होंने कहा कि उक्त सर्वे को हुए 11 महीने गुजर चुके हैं और अभी तक शासन स्तर पर इस सर्वे की समीक्षा ही हो रही है। सर्वे में 8,449 मदरसे गैर मान्यता प्राप्त मिले हैं। चेयरमैन का कहना है कि इन साढ़े आठ हजार मदरसों के 7.5 लाख बच्चों का भविष्य अधर में है। सोचा यह गया था कि सर्वे रिपोर्ट आने के बाद इन गैर मान्यता प्राप्त मदरसों में से मानकों को पूरा करने वाले मदरसों को मान्यता दी जाएगी ताकि इन मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों को पढ़ाई के बाद जो प्रमाण पत्र जारी हो उससे उनका भला हो सके।


 उन्होंने कहा प्रदेश में 560 अनुदानित और 16 हजार से कुछ अधिक मान्यता प्राप्त मदरसे हैं। अगर इन साढ़े आठ हजार मदरसों को जोड़ दिया जाए तो मदरसों की कुल तादाद 25 हजार के आसपास बैठती है। जहां तक मदरसों की फण्डिंग का सवाल है तो इस बारे में मदारिस-ए-अरबिया के महासचिव वहीदुल्लाह खान ने कहा कि पहले भी नेपाल की तराई से सटे जिलों में मदरसों की फण्डिंग की जांच करवाई जा चुकी है, मगर कुछ गलत नहीं निकला।



लखनऊ : प्रदेश के मदरसों को मिले विदेशी चंदे के दुरुपयोग की जांच के लिए गठित एसआईटी की पहली बैठक बुधवार को होने की संभावना है। बैठक में जांच का दायरा तय करने पर भी विचार होगा। माना जा रहा है कि सबसे पहले मदरसों को नोटिस भेजकर विदेशी चंदे का हिसाब मांगा जाएगा।


आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) के एडीजी मोहित अग्रवाल की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय एसआईटी में एसपी साइबर क्राइम डॉ. त्रिवेणी सिंह व निदेशक अल्पसंख्यक कल्याण जे. रीभा को शामिल किया गया है। इससे पहले अल्पसंख्यक कल्याण विभाग मदरसों की जांच कर चुका है। एसआईटी की पहली बैठक में विभागीय जांच रिपोर्ट पर भी चर्चा होने की संभावना है। 


विदेशी चंदे से देश विरोधी व धर्मांतरण जैसी गैरकानूनी गतिविधियों को बढ़ावा दिए जाने की जानकारी मिलने के बाद एसआईटी का गठन किया गया है। एसआईटी सभी मदरसों को नोटिस देकर विदेशी मुद्रा अर्जक खातों (ईईएफसी) में हुए लेन-देन की जानकारी लेने के बाद उन मदरसों को सूचीबद्ध किया जाएगा, जिन्हें विदेशों से रकम प्राप्त हुई है। इसके बाद इस बात की जांच होगी कि किन-किन देशों से यह रकम भेजी गई है।



विदेशी फंडिंग को लेकर 4000 मदरसों की जांच SIT के हवाले 

 एडीजी एटीएस की अध्यक्षतामें तीन सदस्यीय टीम गठित


लखनऊ। मदरसों को हो रही विदेशी फंडिंग से धर्मांतरण और देश विरोधी गतिविधियों जैसी शिकायतों को लेकर सरकार ने कड़ा रुख अपनाया है। इसके मद्देनजर विभिन्न  जिलों में चल रहे चार हजार से अधिक मदरसों की जांच एसआईटी से कराने का फैसला किया गया है।


आतंक निरोधी दस्ता (एटीएस) के एडीजी मोहित अग्रवाल की अध्यक्षता में गठित एसआईटी को जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई है। टीम में एसपी साइबर क्राइम डॉ. त्रिवेणी सिंह और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की निदेशक जे. रीभा को भी शामिल किया गया है। 


एसआईटी मदरसों को मिलने वाली विदेशी व गैर-कानूनी फंडिंग का पता लगाएगी। सूत्रों का कहना है कि एसआईटी मदरसों में हो रही फंडिंग की सिलसिलेवार जांच करेगी। सभी मदरसों को नोटिस देकर फॉरेन करेंसी अकाउंट (ईईएफसी) के माध्यम से हो रहे लेनदेन की जानकारी मांगी जाएगी। इसके बाद उनको सूचीबद्ध किया जाएगा, जिन्हें विदेश से रकम भेजी जा रही है। फिर इस बात की जांच होगी कि किस-किस देश से रकम भेजी गई है और राशि का प्रयोग किन गतिविधियों में किया गया।


बीते दिनों एटीएस ने बांग्लादेशी व रोहिंग्या नागरिकों की घुसपैठ कराने वाले गिरोह के तीन सदस्यों को पकड़ा तो जांच में सामने आया कि दिल्ली से संचालित एनजीओ के माध्यम से देश में तीन वर्षों में 20 करोड़ की विदेशी फंडिंग हुई। इसका उपयोग घुसपैठियों की मदद के लिए किया जा रहा जांच के दायरे में यह भी प्रकरण रहेगा।


बता दें कि नेपाल सीमा से सटे लखीमपुर खीरी, पीलीभीत, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर और बहराइच के अलावा आसपास कई क्षेत्रों में एक हजार से अधिक मदरसों का संचालन किया जा रहा है। बीते कुछ वर्षों में इनकी संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। इन्हें विदेशी फंड मिलने की बात सामने आई है। इस आधार पर अल्पसंख्यक विभाग ने कई जिलों में गैर मान्यता प्राप्त मदरसों की जांच भी की थी, जिसमें इसके आय का स्रोत दिखाया गया। 


घुसपैठ से भी जुड़े हैं

बीते दिनों एटीएस ने बांग्लादेशी व रोहिंग्या नागरिकों की घुसपैठ कराने वाले गिरोह के तीन सदस्यों को पकड़ा तो जांच में सामने आया कि दिल्ली से संचालित एनजीओ के माध्यम से देश में तीन वर्षों में 20 करोड़ की विदेशी फंडिंग हुई। इसका उपयोग घुसपैठियों की मदद के लिए किया जा रहा था। जांच के दायरे में यह भी प्रकरण रहेगा।

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