अंगदान का रोल माॅडल बनेंगे उच्च शिक्षा के छात्र, यूजीसी ने सभी विश्वविद्यालयों को लिखा पत्र
देश के सभी उच्च शिक्षण संस्थानों के चार करोड़ छात्र अंगदान जागरुकता के रोल मॉडल बनेंगे। युवा अंगदान की शपथ के साथ आम लोगों को जोड़ने और उनकी भ्रांतियां दूर करने में मदद करेंगे। यूजीसी ने सभी विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों को अंगदान की शपथ को लेकर पत्र लिखा है।
उपलब्ध अंगों की भारी कमी
खास बात यह है कि युवाओं में अंगदान की शपथ से सामाजिक जिम्मेदारी और करुणा की भावना भी जागृत होगी। इसके अलावा सेमिनार, वर्कशाप के माध्यम से छात्रों को अंगदान की नैतिक, चिकित्सा, सामाजिक आयामों की जानकारी भी दी जाएगी। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष प्रोफेसर एम जगदीश कुमार ने बताया कि देश में रोगियों की संख्या की तुलना में प्रत्यारोपण के लिए उपलब्ध अंगों की भारी कमी है, जिसके परिणामस्वरूप मांग और आपूर्ति में भारी अंतर है।
अंगदान को सबसे बड़ा दान माना गया है। हालांकि, अंगदान की कमी के कारण कई मरीज जिंदगी की जंग हार जाते हैं। इसलिए 18 से 30 आयु वर्ग के उच्च शिक्षण संस्थानों के छात्रों के माध्यम से अंगदान की कमी को दूर करने का फैसला लिया है ताकि वे अपने घर, पड़ोस और आसपास के लोगों की भ्रांतियां दूर करते हुए जागरूक कर सकें। सभी उच्च शिक्षण संस्थानों से आग्रह किया गया है कि वे छात्रों से अंगदान की शपथ पत्र भरवाते हुए उनसे जागरूकता की अपील करें। छात्रों में इस मुहिम से सामाजिक जिम्मेदारी और करुणा की भावना भी पैदा होगी।
एक व्यक्ति आठ को दे सकता है जीवनदान
एक व्यक्ति, अपनी मृत्यु के बाद, महत्वपूर्ण अंगों, अर्थात गुर्दे, यकृत, फेफड़े, हृदय, अग्न्याशय और आंत को दान करके आठ लोगों को नया जीवन दे सकता है। इसके अलावा कॉर्निया, त्वचा, हड्डी जैसे ऊत्तकों को दान करके कई लोगों के जीवन को बेहतर बना सकता है।
कोविड -19 के बाद फेफड़ों के प्रत्यारोपण की मांग बढ़ी
वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि एक अनुमान के मुताबिक, हर साल दो लाख नए रोगियों को किडनी प्रत्यारोपण की आवश्यकता होती है, जिसके लिए केवल 12,000 किडनी ही उपलब्ध होती हैं। इसी तरह, 40,000-50,000 लिवर प्रत्यारोपण की आवश्यकता के लिए, केवल 4,000 उपलब्ध हैं। वहीं, कुल 50,000 हृदय प्रत्यारोपण के लिए, केवल लगभग 250 ही किए जाते हैं।
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