यूपी बोर्ड : पुराने अंकपत्रों में संशोधन और नए प्रकरण लटकाए, जून में जिलों में कैंप लगवाकर निपटाए थे लंबित मामले
प्रयागराज : यूपी बोर्ड ने हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट के अंकपत्र / प्रमाणपत्र में त्रुटि संशोधन के 38 वर्ष तक पुराने मामलों को निस्तारित कराकर छात्र - छात्राओं को बड़ी राहत तो दी, लेकिन इसके बाद क्षेत्रीय कार्यालयों में त्रुटि संशोधन की रफ्तार फिर धीमी पड़ गई।
सचिव दिव्यकांत शुक्ल ने छह जून के बाद त्रुटि संशोधन के मामलों की क्षेत्रीय कार्यालयों प्रयागराज, वाराणसी, गोरखपुर, बरेली और मेरठ से रिपोर्ट मांगी तो प्रकरण लंबित होते देख नाराजगी जताई। उन्होंने निर्देश दिए कि प्रकरणों को तेजी से निपटाएं, अन्यथा जिम्मेदारी तय करते हुए कार्रवाई की जाएगी।
क्षेत्रीय कार्यालयों ने अंकपत्र / प्रमाणपत्र में नाम, स्पेलिंग, माता-पिता के नाम आदि में त्रुटि संशोधन के लिए जिलों से जरूरी साक्ष्य जुटाने के बाद संशोधित अंकपत्र प्रिंट कराकर विद्यालय भेजने में तेजी तो दिखाई, लेकिन उसके बाद आने वाले मामलों का निस्तारण उपेक्षित हो गया।
छह जून के बाद आए प्रकरणों की संख्या एक सप्ताह पहले 14,900 पहुंच गई थी। इस स्थिति पर बोर्ड सचिव ने क्षेत्रीय कार्यालयों के अपर सचिवों के साथ वर्चुअल मीटिंग में कहा था कि मामले लंबित रखकर छात्र - छात्राओं से क्षेत्रीय कार्यालयों की परिक्रमा न लगवाई जाए।
इसके बाद निस्तारण ने फिर रफ्तार पकड़ी और करीब नौ हजार मामले निस्तारित कर दिए गए। सभी क्षेत्रीय कार्यालयों में अभी भी करीब साढ़े पांच हजार प्रकरण लंबित हैं, जिनका निस्तारण कर संशोधित अंकपत्र निर्गत करने के निर्देश दिए गए हैं।
बोर्ड पुराने आवेदनों का निस्तारण कर बैकलाग खत्म करने के साथ त्रुटि संशोधन व्यवस्था को आनलाइन करने की तैयारी में है, जिससे उसकी आनलाइन निगरानी भी की जा सकेगी। इससे छात्र- छात्राओं को क्षेत्रीय कार्यालयों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे।
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