छह महीने से मानदेय नहीं, कैसे मनाएं त्योहार! दीपावली से पहले मानदेय के लिए आंदोलन को मजबूर MDM रसोइए, 31 अक्टूबर को लखनऊ में जुटेंगे
लखनऊ : बेसिक स्कूलों में एमडीएम बनाने वाले रसोइयों के लिए दावे तो खूब हुए लेकिन वे अब भी मानदेय के लिए प्रदर्शन को मजबूर हैं। उनको मात्र ₹2000 रुपये मानदेय मिलता है, वह भी छह महीने से नहीं मिला। अब उनको इंतजार है कि दीपावली से पहले किसी तरह मानदेय मिल जाए तो वे त्योहार मना सकें। वे इस मांग को लेकर 31 को लखनऊ में जुटेंगे और प्रदर्शन करेंगे।
प्रदेश के बेसिक स्कूलों में 3.77 लाख रसोइए हैं। इनमें से ज्यादातर महिलाएं हैं। पहले उनको ₹1500 महीना मानदेय मिलता था। विधानसभा चुनाव से पहले मानदेय बढ़ाकर ₹2000 कर दिया गया लेकिन ये बढ़ी हुई राशि इस साल मार्च तक मिली। उसके बाद से ज्यादातर जिलों में अब तक मानदेय का भुगतान ही नहीं हुआ है। वे कई बार अधिकारियों से मिल चुके हैं। हर बार जल्द भुगतान का आश्वासन दिया गया लेकिन अब तक मानदेय नहीं मिला। रसोइया कल्याणकारी समिति के महामंत्री उमाशंकर कहते हैं कि दिनभर काम करने के बाद ₹2000 मानदेय मिलता है। सालभर में केवल 10 महीने ही यह मानदेय दिया जाता है। उसके लिए भी छह-छह महीने का इंतजार करना पड़ता है। होली और दीपावली से पहले आंदोलन करने के बाद ही यह मानदेय मिलता है।
यही वजह है कि इस बार 31 अक्तूबर प्रदर्शन करने का निर्णय लिया है। इसमें प्रदेश भर से रसोइए आएंगे। इसमें पूरे 12 महीने का और समय पर मानदेय दिए जाने की मांग मुख्य होगी। इस बारे में एमडीएम प्राधिकरण के डिप्टी डायरेक्टर हरवंश सिंह कहते हैं कि जिन जिलों ने समय पर पुराना भुगतान नहीं किया था, उनको सख्त निर्देश दिए गए हैं। साथ ही केंद्र सरकार को पत्र लिखा गया है। उसके बाद जल्द ही राज्यांश भी जारी हो जाएगा। जल्द से जल्द मानदेय का भुगतान किया जाएगा।
ऐसे फंसा रसोइयों का मानदेय
रसोइयो को मानदेय के लिए केंद्र सरकार ने ₹1000 ही स्वीकृत किया है। प्रदेश सरकार ने इसे बढ़ाकर ₹2000 किया है। ऐसे में केंद्र सरकार स्वीकृत मानदेय का 60% यानि ₹600 प्रति रसोइया देती है। बाकी ₹1400 राज्य सरकार देती है। केंद्र सरकार ने मॉनिटरिंग सख्त कर दी है। मानदेय के लिए धनराशि जारी होने के बाद जिलो को भेजी जाती है। कई जिलो ने भुगतान नहीं किया। ऐसे मे खर्च न होने की वजह से केंद्र सरकार ने राशि रोक दी थी। उसके बाद एमडीएम प्राधिकरण ने बीएसए को सख्त निर्देश दिए। अब केंद्र सरकार को पत्र लिखा गया है। केंद्रांश न मिलने की वजह से राज्य सरकार का भी अंश नहीं मिल पाया। इसी फेर में रसोइयों का मानदेय फसा हुआ है। अभी तक उनको मार्च तक का ही भुगतान हो पाया है।
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