UGC का निर्देश: फीस, छात्रावास और एनआईआरएफ और नैक रैंकिंग की जानकारियां सार्वजनिक करें
• उच्च शिक्षण संस्थानों की ओर से इन्हें सार्वजनिक नहीं करने पर यूजीसी ने लिया संज्ञान
• एनआईआरएफ और नैक रैंकिंग से जुड़ी जानकारी भी साझा करने को कहा
नई दिल्ली: ज्यादातर विश्वविद्यालयों व उच्च शिक्षण संस्थानों की ओर से फीस, छात्रावास व एनआईआरएफ (नेशनल इंस्टीट्यूट रैंकिंग फ्रेमवर्क) रैंकिंग जैसी बुनियादी जानकारियों को सार्वजनिक नहीं किए जाने पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने कड़ी आपत्ति जताई है। सभी विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों को निर्देश दिया है कि वह छात्रों व अभिभावकों से जुड़ी बुनियादी जानकारियों को अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक करें। ऐसा करना अनिवार्य है।
यूजीसी ने सभी उच्च शिक्षण संस्थानों को वेबसाइट पर अनिवार्य रूप से सार्वजनिक की जाने वाली जानकारियों की एक सूची भी जारी की है। इसमें संस्थान को अपने परिचय के साथ ही भविष्य की विकास योजना को भी सार्वजनिक करना होगा।
यूजीसी का कहना है कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को लागू हुए जब तीन साल पूरे हो गए हैं, ऐसे में अभी भी बड़ी संख्या में विश्वविद्यालयों और कालेजों द्वारा फीस सहित छात्रों से जड़ी बनियादी जानकारियों को साझा नहीं किए जाने का रवैया ठीक नहीं है। वैसे भी विश्वविद्यालय व उच्च शिक्षण संस्थानों को विश्वस्तरीय बनने के लिए और विदेशी छात्रों को लुभाने के लिए इन जानकारियों को सार्वजनिक करना जरूरी है, क्योंकि इसके आधार पर ही वह किसी संस्थान में दाखिला लेने के लिए आकर्षित होते हैं।
यूजीसी ने यह पहल तब की है जब बड़ी संख्या में छात्रों व अभिभावकों की ओर से पिछले कुछ दिनों में ही उसके पास इसे लेकर शिकायत दर्ज कराई गई। साथ ही समस्याओं से अवगत कराया गया। इसके बाद यूजीसी ने उच्च शिक्षण संस्थानों की ओर से सार्वजनिक की जाने वाली जानकारियों की एक सूची तैयार की है।
इन जानकारियों को करना होगा सार्वजनिक
विश्वविद्यालय से जुड़ी जानकारी, प्रशासन, शिक्षक और विभाग, प्रवेश और फीस, शोध, छात्रों से जुड़ी सुविधाएं, संस्थान की गतिविधियां, पूर्व छात्रों का ब्योरा, संस्थानों से जुड़ी सूचनाओं का ब्योरा, फोटोग्राफ और संपर्क आदि से जुड़ी प्रमुख बिंदुओं को शामिल करना है। देशी और विदेशी संस्थानों के साथ किए गए समझौते, संस्थान के भविष्य की योजना आदि की जानकारी देनी भी जरूरी होगी।
बड़ी संख्या में उच्च शिक्षण संस्थानों की वेबसाइट न तो अपटेड है और न ही चल रही है। छात्रों से जुड़ी बुनियादी जानकारी भी मुहैया नहीं कराई जा रही है। फिलहाल सभी संस्थानों को जरूरी बुनियादी जानकारी तुरंत मुहैया कराने के निर्देश दिए गए हैं।
- प्रोफेसर एम जगदीश कुमार, अध्यक्ष, यूजीसी
उच्च शिक्षा आयोग के दायरे में नहीं आएंगे चिकित्सा एवं विधि कालेजः प्रधान
नई दिल्ली : शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि एकल उच्च शिक्षा नियामक स्थापित करने के उद्देश्य से भारतीय उच्च शिक्षा आयोग (एचईसीआइ) विधेयक जल्द ही संसद में पेश किया जाएगा, लेकिन चिकित्सा एवं विधि कालेजों को इसके दायरे में नहीं लाया जायेगा। प्रधान ने एक साक्षात्कार में कहा कि एचईसी आई की तीन प्रमुख भूमिकाएं नियमित करना, मान्यता देना और पेशेवर मानक स्थापित करना हैं।
मंत्री ने कहा कि वित्त पोषण एचईसीआई के अधीन नहीं होगा और वित्त पोषण की स्वायत्तता प्रशासनिक मंत्रालय के पास रहेगी। प्रधान ने कहा कि हम जल्द ही संसद में एचईसीआइ विधेयक लाएंगे उसके बाद स्थायी समिति की भी जांच होगी लेकिन हमने हर चीज के लिए व्यापक काम शुरू कर दिया है। तीन प्रमुख कार्यक्षेत्र है। पहली भूमिका नियामक की है, जो यूजीसी करता है। इसने पहले ही अपने स्तर पर कई आंतरिक सुधार शुरू कर दिए हैं।
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