कार्रवाई: 2090 तदर्थ शिक्षकों की सेवा समाप्त, एडेड कॉलेज में हुई थीं अनियमित नियुक्तियां
■ अपर शिक्षा निदेशक ने जारी किया आदेश
प्रयागराज | सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में सात अगस्त 1993 से नियुक्त 2090 तदर्थ शिक्षकों की सेवाएं प्रदेश सरकार ने समाप्त कर दी हैं। अपर शिक्षा निदेशक माध्यमिक सुरेन्द्र कुमार तिवारी ने इस संबंध में 10 नवंबर को दिशा- निर्देश जारी किए हैं। संजय सिंह के मामले में सुप्रीम कोर्ट के सात दिसंबर 2021 के आदेश के अनुसार तदर्थ शिक्षकों को राजकोष से वेतन भुगतान का करना उचित नहीं है।
सर्वोच्च न्यायालय के ही 26 अगस्त 2020 के आदेश पर तदर्थ शिक्षकों को उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की टीजीटी-पीजीटी 2021 शिक्षक भर्ती परीक्षा में अवसर दिया जा चुका है। जिसमें केवल 40 तदर्थ शिक्षक सफल हुए थे। लिहाजा शेष शिक्षकों के वेतन भुगतान की जिम्मेदारी राज्य सरकार की नहीं है। इनके भुगतान दायित्व प्रबंधतंत्र का है। इनकी नियुक्ति नियमों के विपरीत की गई थी। वहीं उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष पूर्व एमएलसी सुरेश कुमार त्रिपाठी ने आदेश की कड़ी निंदा की है।
तदर्थ शिक्षकों को हटाने का निर्णय अमानवीय, माध्यमिक शिक्षक संघ ने सरकार के निर्णय को बताया गलत
लखनऊ। शासन की ओर से एडेड माध्यमिक विद्यालयों में 25-30 साल से पढ़ा रहे तदर्थ शिक्षकों को हटाने के निर्णय पर उप्र माध्यमिक शिक्षक संघ ने नाराजगी जताई है। संघ ने इस निर्णय को अमानवीय बताया है। संघ पदाधिकारियों ने कहा कि शिक्षकों का बकाया वेतन भुगतान करने के निर्णय का तो स्वागत है, लेकिन उनकी सेवाएं समाप्त करना अनुचित है।
संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कुमार त्रिपाठी व शिक्षक दल के नेता ध्रुव कुमार त्रिपाठी ने शासन के शिक्षकों के हटाए जाने के निर्णय की निंदा की है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में जब शिक्षकों की काफी कमी थी, तब तदर्थ शिक्षकों को रखा गया था। अब जब 25 से 30 साल इन्होंने सेवा दी तो उनको नियमित करने की जगह हटाने का निर्णय काफी गलत है।
संघ के महामंत्री नरेंद्र कुमार वर्मा व प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. आरपी मिश्र ने कहा कि संघ भी इन शिक्षकों को नियमित करने की मांग लंबे समय से कर रहा है। उन्होंने शासन से अपने निर्णय पर पुनर्विचार करने की मांग की है। संघ के प्रदेश संयोजक संजय द्विवेदी ने कहा है कि सरकार ने तदर्थ शिक्षकों को बकाया वेतन देकर उनकी सेवाएं समाप्त करने का निर्णय किया, जो अनुचित है।
तदर्थ शिक्षकों का 17 माह का बकाया वेतनशर्तों के साथ होगा जारी
🟣 शीर्ष कोर्ट ने लगाई थी रोक, नियम विपरीत भर्ती शिक्षक होंगे बाहर
🟣 बकाया वेतन के साथ-साथ फिलहाल आगे भी वेतन मिलता रहेगा
🟣 यूपी सरकार ने मानवीय आधार पर इन्हें वेतन देने का फैसला किया
🟣 ऐसे तदर्थ शिक्षक जो नियमों को पूरा नहीं करते उन्हें बकाया वेतन देकर नौकरी से बाहर किया जाएगा
लखनऊ। सरकार ने धनतेरस पर माध्यमिक के एडेड विद्यालयों के तदर्थ शिक्षकों को बड़ी राहत दी है। शासन ने लगभग 17 माह से रोके गए बकाया वेतन को शर्तों के साथ जारी करने का आदेश दिया है। वहीं, नियमानुसार नियुक्त न होने वाले तदर्थ शिक्षकों की सेवाएं समाप्त करने का भी निर्णय लिया गया है।
माध्यमिक के एडेड कॉलेजों में तैनात लगभग 1100 शिक्षकों का 17 माह पहले वेतन रोक दिया गया था। इन शिक्षकों का पिछले दिनों निदेशालय पर 53 दिन तक धरना भी चला। आश्वासन के बाद धरना समाप्त हुआ। इसी क्रम में माध्यमिक के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार ने शिक्षा निदेशक माध्यमिक को सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए बकाया वेतन 30 दिन में जारी करने का निर्देश दिया है।
उन्होंने कहा, उनके बकाया वेतन का भुगतान स्वीकृत किया जाता है, जिनका सुप्रीम कोर्ट के 26 अगस्त, 2020 के आदेश के क्रम में रुका था। साथ ही इस तिथि तक उनकी सेवाएं, प्रमाणित व सत्यापित हों। इस परिधि में आने वाले शिक्षक, जिनकी सेवावधि में मृत्यु हो गई हो, उनके उत्तराधिकारी को मृत शिक्षक के शिक्षण कार्य किए जाने की अवधि का बकाया भुगतान भी किया जाएगा। नियमानुसार नियुक्त न होने वाले तदर्थ शिक्षकों की सेवाएं समाप्त करने का भी निर्णय लिया है। इससे 500 शिक्षक प्रभावित होंगे।
लखनऊ : अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) माध्यमिक स्कूलों के 1,111 शिक्षकों को आखिरकार 17 महीने बाद वेतन देने के निर्देश दिए गए हैं। अब इन्हें बकाया वेतन के साथ-साथ फिलहाल आगे भी वेतन मिलता रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ने तदर्थवाद को खत्म करने का निर्णय सुनाया था, लेकिन अब राज्य सरकार ने मानवीय आधार पर इन्हें वेतन देने का फैसला किया है।
फिलहाल दीपावली के मौके पर 20 से लेकर 25 वर्षों से अपनी सेवाएं दे रहे इन शिक्षकों को बड़ी राहत मिल गई है। मगर ऐसे तदर्थ शिक्षक जो नियमों को पूरा नहीं करते उन्हें बकाया वेतन देकर नौकरी से बाहर भी कर दिया जाएगा।
अपर मुख्य सचिव, माध्यमिक शिक्षा दीपक कुमार की ओर से शुक्रवार को तदर्थ शिक्षकों को 17 महीने का बकाया वेतन देने का आदेश जारी कर दिया है। फिलहाल अभी आगे भी इनसे पूर्ववत सेवाएं ली जाएंगी। एडेड माध्यमिक स्कूलों में वर्ष 1994 के बाद नियमित शिक्षकों की संख्या कम होने पर प्रबंध तंत्र के माध्यम से तदर्थ शिक्षकों को पूरे वेतन पर रखकर सेवाएं लेना शुरू हुईं।
वर्ष 2000 के बाद प्रबंध तंत्र ने गलत ढंग से तदर्थ शिक्षक भर्ती करना शुरू कर दिया जो कि वर्ष 2004 तक जारी रहा। ऐसे में नियमित पदों के सापेक्ष कार्य कर रहे इन शिक्षकों की कुल संख्या बढ़ती गई और यह दो हजार के करीब पहुंच गई। 20 से 25 वर्षों से सेवाएं दे रहे यह शिक्षक लगातार विनियमितिकरण की मांग करते रहे, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
गड़बड़ी माध्यमिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने भी की और कई जिलों में तदर्थ शिक्षकों को विनियमित कर दिया गया। वर्ष 2020 में तदर्थ शिक्षक संजय सिंह ने विनियमितिकरण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में वाद दायर किया। 26 अगस्त 2020 और सात दिसंबर 2021 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश में तदर्थवाद को खत्म करने का निर्णय सुनाया गया और शिक्षकों को कोई राहत नहीं दी गई।
सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षकों के खाली पदों पर भर्ती में इन्हें भारांक देने का निर्देश दिए। वर्ष 2021 में हुई भर्ती में इन्हें भारांक दिया गया लेकिन सिर्फ 12 शिक्षक ही इसका लाभ उठा सके। फिर बीते वर्षों में विनियमित किए गए शिक्षकों के मामले में आधिकारियों पर कार्रवाई शुरू हुई।
बीते वर्ष अयोध्या के संयुक्त शिक्षा निदेशक अरविंद पांडेय को गलत ढंग से विनियमितिकरण करने के आरोप में निलंबित भी कर दिया गया। माध्यमिक शिक्षा विभाग ने जून 2022 से इन शिक्षकों का वेतन पूरी तरह रोक दिया गया।
माध्यमिक तदर्थ शिक्षक संघर्ष समिति के संयोजक राजमणि ने बताया कि इसे लेकर बीते सितंबर-अक्टूबर में माध्यमिक शिक्षा निदेशालय पर शिक्षकों ने याचना कार्यक्रम के माध्यम से 53 दिन आंदोलन चलाया, तब उन्हें आश्वासन दिया गया था कि इनके हित में कोई निर्णय होगा।
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