बेसिक स्कूलों में परीक्षाएं शुरू, पेपर 30 नंबर का है या फिर 50 नंबर का? शिक्षकों से लेकर अफसरों तक को पूर्णांक का पता नहीं
लखनऊ : बेसिक शिक्षा विभाग में कॉपी-पेपर के लिए कोई बजट दिए बिना परीक्षाओं के आदेश कर दिए गए। अब शिक्षक इस बात को लेकर परेशान हैं कि एक पेपर 30 नंबर का होगा या फिर 50 नंबर का। बेसिक स्कूलों में अर्द्धवार्षिक परीक्षाओं को लेकर यह भ्रम खुद शिक्षा विभाग के अफसरों के अलग- अलग आदेशों से फैला है। किसी बीएसए ने 50 पूर्णांक के साथ परीक्षा के आदेश कर दिए है तो किसी ने 30 के। वहीं कई बीएसए ऐसे हैं, जिन्होंने इस बारे में कुछ स्पष्ट ही नहीं किया। सिर्फ परीक्षा करवाने आदेश किए हैं।
ये थी पुरानी व्यवस्था
विभाग के ही जो पुराने आदेश हैं, उसके अनुसार साल में दो टर्म परीक्षाएं होनी चाहिए। ये परीक्षाएं 10-10 अंक की होती हैं। एक टर्म परीक्षा अर्द्धवार्षिक परीक्षा से पहले होनी चाहिए और एक उसके बाद में । अर्द्धवार्षिक परीक्षा 30 अंक की होती है। वहीं, वार्षिक परीक्षा 50 अंक की होती है। इस तरह सालभर में 100 अंक की परीक्षा होती है। उसके आधार पर रिजल्ट तैयार किया जाता है। इस दौरान दो साल कोविड के कारण परीक्षाएं ही नहीं हुई। पिछले साल सिर्फ वार्षिक परीक्षाएं ही करवाई गई। वह 100 अंक की करवा ली गई।
बीएसए के अलग-अलग आदेश
इस साल अचानक अर्द्धवर्षिक परीक्षा के आदेश कर दिए गए। बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि 10 नवंबर तक सभी जिलों में परीक्षाएं करवा ली जाएं। अब सभी बीएसए ने अलग-अलग आदेश जारी कर दिए हैं। कानपुर के बीएसए ने जारी आदेश में कहा है कि सभी विषयों की परीक्षा का पूर्णांक 50 अंक होगा। कहीं सहारनपुर के बीएसए ने जारी आदेश में कहा है कि हर विषय की अर्द्धवार्षिक परीक्षा 30 अंक की होगी। वहीं 20 अंक की दो टर्म परीक्षाएं होंगी जबकि इस बार पहले टर्म की परीक्षा ही नहीं हुई है। कई ऐसे जिले हैं, जहां बीएसए ने इस बारे में कुछ स्पष्ट नहीं किया है। लखनऊ समेत कई जिलों में परीक्षाएं शुरू भी हो गई हैं लेकिन शिक्षक यह तय नहीं कर पा रहे कि अंक 50 पूर्णांक में से देने हैं या फिर 30 में से इस बारे में प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक असोसिएशन के अध्यक्ष विनय कुमार सिंह कहते हैं कि शिक्षकों को कुछ भी स्पष्ट नहीं किया गया। न कॉपी पर्चे के बारे में कोई निर्देश दिए और न बजट दिया। अभी तक यह भी स्पष्ट नहीं है कि कितने अंकों की परीक्षा है।
परीक्षाओं की तारीखों को लेकर लचीलापन बरता गया है ताकि अपनी सुविधानुसार जिले परीक्षाएं करवा सकें। यदि अंकों को लेकर किसी तरह का भ्रम है तो इसका निराकरण किया जाएगा।
- विजय किरण आनंद, महानिदेशक- स्कूल शिक्षा
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