तदर्थ शिक्षकों की सेवा सुरक्षा के लिए पूरे प्रदेश में प्रदर्शन
लखनऊ। तदर्थ शिक्षकों की सेवा समाप्त करने के विरोध में उप्र माध्यमिक शिक्षक संघ (चंदेल गुट) के नेतृत्व में शिक्षकों ने बृहस्पतिवार को पूरे प्रदेश में काली पट्टी बांधकर प्रदर्शन किया। शिक्षको ने सभी सहायता प्राप्त विद्यालयों में कार्यरत तदर्थ शिक्षकों की सेवा बहाल करने की मांग की। वाराणसी में आंदोलन का नेतृत्व कर रहे प्रदेश अध्यक्ष चेत नारायण सिंह ने कहा कि संगठन तदर्थ शिक्षकों के साथ अन्याय नहीं होने देगा। उनकी सेवा सुरक्षा के लिए हर संभव संघर्ष होगा।
अगले चरण में 22 व 23 नवंबर को लखनऊ स्थित निदेशालय में दो दिवसीय धरना दिया जाएगा। लखनऊ, कानपुर, जौनपुर, अंबेडकरनगर, गोंडा, अयोध्या, बस्ती, कुशीनगर, आगरा, अलीगढ़, प्रतापगढ़, बहराइच, सुल्तानपुर, बलरामपुर, गाजीपुर, बलिया, आजमगढ़ में भी शिक्षकों ने काली पट्टी बांधकर प्रदर्शन किया। संघ के आईटी सेल के प्रदेश संयोजक संजय द्विवेदी ने कहा कि तदर्थ शिक्षकों के साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा।
सेवाकाल के आखिरी पड़ाव पर तदर्थ शिक्षकों को हटाना अन्याय, शिक्षकों का बकाया वेतन जल्द जारी करे सरकार, तदर्थ शिक्षकों को हटाने के शासन के निर्णय का विरोध हुआ तेज
लखनऊ। माध्यमिक के एडेड कॉलेजों में तैनात तदर्थ शिक्षकों को हटाने के शासन के निर्णय का विरोध तेज हो रहा है। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के साथ ही तदर्थ शिक्षक संघर्ष समिति ने इस निर्णय को शिक्षकों के साथ अन्याय बताया है। खासकर उन शिक्षकों के साथ जिनकी दो, चार या छह साल की सेवाएं ही बची हुई हैं।
संघर्ष समिति ने कहा कि सरकार ने तदर्थ शिक्षकों के बकाया वेतन भुगतान करने का निर्णय लिया, इसका स्वागत है। शिक्षकों का बकाया वेतन जल्द रिलीज किया जाए, क्योंकि 17-18 महीने से वेतन न मिलने के कारण उनके सामने अपने बुजुर्ग अभिभावकों की दवा, बच्चों की पढ़ाई और परिवार की परवरिश करना भी संभव नहीं हो पा रहा है। इससे शिक्षक बहुत परेशान हैं।
तदर्थ शिक्षक संघर्ष समिति के संयोजक राजमणि सिंह ने कहा कि तदर्थ शिक्षकों की सेवा समाप्ति का निर्णय अन्यायपूर्ण है। यह वही शिक्षक हैं जब पूर्व में चयन बोर्ड से अभ्यर्थी न चयनित होने से विद्यालय चलाने के लिए रखे गए थे। इन्होंने मनोयोग से अध्यापन करते हुए बंद होने के कगार पर पहुंचे विद्यालयों का 100% रिजल्ट लाकर इन एडेड विद्यालयों को बंद होने से बचाया है। वहीं अब सरकार उन्हीं अध्यापकों की 20-25 वर्ष की सेवा हो जाने के बाद उन्हें बाहर का रास्ता दिखा रही है।
जबकि उनकी सेवा के 2, 4, 6 साल ही बचे हैं। 55-58 साल के पड़ाव पर यह शिक्षक कहां जाएंगे? उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने तदर्थ वाद समाप्त करने की बात की है ना की तदर्थ शिक्षकों की सेवा समाप्त करने की। नई शिक्षा नीति में कहीं भी 1 मानदेय, संविदा पर कर्मचारी न रखने की बात की गई है। ऐसे में सरकार जो भी कर्मचारी या शिक्षक संविदा या मानदेय पर हैं, उनको नियमित करे। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की सभी तदर्थ शिक्षकों की सेवा सुरक्षित की जाए।
माध्यमिक शिक्षक संघ तदर्थ शिक्षकों को हटाने के निर्णय का करेगा विरोध, काली पट्टी बांधकर करेंगे विरोध-प्रदर्शन
जल्द निर्णय वापस नहीं लिया गया तो आंदोलन होगा तेज
लखनऊ। प्रदेश में माध्यमिक एडेड विद्यालयों में काम कर रहे तदर्थ शिक्षकों को हटाने के निर्णय पर माध्यमिक शिक्षक संघ (चंदेल गुट) व्यापक विरोध करेगा। इसकी शुरुआत 16 नवंबर को जिलों में विद्यालय स्तर पर प्रदर्शन से होगी। संघ के पदाधिकारियों के अनुसार यदि शासन ने जल्द अपना निर्णय वापस नहीं लिया तो नियमित आंदोलन शुरू किया जाएगा।
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष चेत नारायण सिंह व महामंत्री राम बाबू शास्त्री ने तदर्थ शिक्षकों की सेवा समाप्ति के निर्णय का कड़ा विरोध किया है। उन्होंने सरकार के इस अमानवीय व अव्यवहारिक निर्णय की निंदा करते हुए कहा कि हम तदर्थ शिक्षकों के साथ अन्याय नही होने देंगे। संगठन उनकी सेवा सुरक्षा के लिए हर संभव संघर्ष करेगा।
इसी के पहले चरण में 16 नवंबर को प्रदेश के सभी जिलों में इकाई अध्यक्ष व मंत्री के नेतृत्व में अपने अपने विद्यालय पर काली पट्टी बांधकर विरोध-प्रदर्शन करेंगे। संघ के प्रांतीय संयोजक (आईटी सेल) संजय द्विवेदी ने कहा कि सरकार ने तदर्थ शिक्षकों का बकाया वेतन जारी करने का निर्णय तो अच्छा लिया लेकिन उनकी सेवा समाप्ति का निर्णय घातक है। इसमें कई शिक्षक 25 तो कुछ 30 साल से विद्यालयों में अपनी सेवा दे रहे हैं। ऐसे में अब उनके सामने कोई और विकल्प भी नहीं है।
शिक्षक संघ उनके साथ हर स्तर पर लड़ाई लड़ेगा। जल्द अगर इस पर सकारात्मक निर्णय नहीं लिया गया तो फिर आंदोलन तेज किया जाएगा।
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