संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में शास्त्री में दाखिले के लिए अब संस्कृत जरूरी नहीं
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय विद्या परिषद की बैठक में हुआ फैसला
वाराणसी। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में शास्त्री में दाखिले के लिए संस्कृत की अनिवार्यता अब खत्म कर दी गई है। शनिवार को कुलपति की अध्यक्षता में हुई विद्यापरिषद की बैठक में इस पर मुहर लग गई। प्रवेश के नियम निर्धारण के लिए विद्या परिषद ने समिति का गठन कर प्रक्रिया को अगले सत्र से शुरू करने और एक नियम तैयार करने का निर्णय लिया है। शास्त्री में सेमेस्टर में तैयार पाठ्यक्रमों की संस्तुति की गई।
शनिवार को योग साधना केंद्र में कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा की अध्यक्षता में विद्यापरिषद की बैठक हुई। कुलपति प्रो. शर्मा ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा का अधिक से अधिक लोगों को लाभ देने, संस्कृत का ज्ञान व व्यापक प्रसार के साथ ही अधिक से अधिक लोगों को इससे जोड़ने की पहल की जा रही है। शास्त्री कक्षा में प्रवेश के लिए आधुनिक विषय से (बिना संस्कृत) अध्ययन किए हुए विद्यार्थियों को भी प्रवेश दिया जाएगा।
दाखिले की प्रक्रिया को शिथिल बनाने पर सर्वसम्मति से स्वीकार किया गया। इसके तहत शास्त्री प्रथम सेमेस्टर में एक अतिरिक्त संस्कृत पेपर अध्ययन करना अनिवार्य होगा। अगले सत्र से दाखिले में विद्यार्थियों को यह सुविधा मिलेगी। विद्या परिषद ने ऑनलाइन संस्कृत प्रशिक्षण केंद्र द्वारा संचालित 10 पाठ्यक्रमों पर भी अपनी मुहर लगा दी। संचालन कुलसचिव राकेश कुमार ने किया। इस दौरान प्रो. रामकिशोर त्रिपाठी, प्रो. रामपूजन पांडेय, प्रो. सुधाकर मिश्र, प्रो हरिशंकर पांडेय, प्रो अमित कुमार शुक्ल, प्रो. दिनेश कुमार गर्ग, डॉ. विशाखा शुक्ला मौजूद रहे।
लेखा प्रपत्र पर अवकाश
विद्या परिषद ने विश्वविद्यालय में कार्मिकों को विभिन्न तरह के अवकाश लेने के लिए एक लेखा प्रपत्र तैयार किया है। इस पर आवेदन करने पर इसके माध्यम से अवकाश दिया जाएगा।
ऑनलाइन मिलेगी संबद्धता
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से संबद्धता की प्रक्रिया को भी ऑनलाइन कर दिया गया है। देश- विदेश से कहीं भी संबद्धता के लिए आवेदन किया जा सकेगा। इसके लिए पोर्टल तैयार किया जा रहा है। पोर्टल पर सभी नियम होंगे और समय पर उनके आवेदनों पर विचार कर संबद्धता दी जाएगी।
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