यूपी में अब बिना नेट और पीएचडी के बन सकेंगे प्रोफेसर, जल्द लागू होगी नई योजना
अगर आपने नेट या पीएचडी नहीं की है तो भी विश्वविद्यालय में प्रोफेसर बन सकते हैं. ये जानकर आपको थोड़ी हैरानी हो सकती है लेकिन यूपी में जल्द ही ये योजना लागू हो सकती है. यूजीसी ने नई शिक्षा नीति के तहत प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस योजना के लिए गंभीरता से पहल करते हुए यूपी के राज्य विश्वविद्यालयों को प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस के पद पर नियुक्ति के लिए प्रोत्साहित किया है. इसके साथ ही इस मामले पर प्रगति की जानकारी देने को कहा है.
मई महीने में ही यूजीसी ने प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस पोर्टल पर पंजीकरण शुरू किया था. इस पोर्टल में अलग-अलग विषयों और क्षेत्रों में जानकारी रखने वाले अनुभवी प्रोफेशनल प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस पद के लिए अपना पंजीकरण करा सकते हैं. इस योजना के तहत इस पोर्टल पर अबतक देशभर की यूनिवर्सिटी और हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूशन में प्रोफसर बनने के लिए 10,0062 अभ्यार्थियों ने पंजीकरण कराया है. पोर्टल पर पंजीकरण करने वाले अभ्यार्थी अलग-अलग क्षेत्रों की विस्तृत जानकारी और अनुभव रखते हैं. इनमें सभी विषयों के साथ इंडस्ट्रीज, वाणिज्य, इंजीनियरिंग, साइंस, कला समेत तमाम क्षेत्र के जानकार शामिल हैं.
बिना नेट और पीएचडी के बन सकते हैं प्रोफेसर
दरअसल यूजीसी के नियमों के मुताबिक प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस पद पर अधिकतम चार साल के लिए नियुक्ति की जा सकती है. इसके लिए सभी उच्च शिक्षण संस्थानों को नियमों में जरूरी बदलाव के दिशा निर्देश भी जारी किए गए थे. इस योजना के तहत वो लोग भी अब प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस पद पर भर्ती हो सकते हैं जो प्रोफेशनल रूप से टीचर नहीं है और न हीं उनके पास नेट या पीएचडी की शैक्षणिक योग्यता हैं. लेकिन वो अपने क्षेत्र में विस्तृत जानकारी रखते हैं.
छात्रों को भी फायदा होगा
इस योजना से ऐसे लोगों को भी यूनिवर्सिटी में छात्रों को पढ़ाने का मौका मिलेगा जो काबिल तो हैं. लेकिन उनके पास नेट या पीएचडी की क्वालिफिकेशन नहीं थी. इससे छात्रों को भी फायदा होगा. यूजीसी ने अब यूपी के राज्य विश्वविद्यालयों को इस योजना पर काम करने के लिए प्रोत्साहित भी किया है, जिसके बाद माना जा रहा है कि जल्द ही यूपी में प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस पद पर भर्ती हो सकती है.
लखनऊ। नई शिक्षा नीति के तहत देश के उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए शुरू की गई प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस योजना को लेकर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने गंभीर पहल की है। यूजीसी ने यूपी के राज्य विश्वविद्यालयों को प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस के पद पर नियुक्ति के लिए प्रोत्साहित किया है। साथ ही इस मामले में प्रगति के बारे में जानकारी भी मांगी है।
योजना के तहत देश भर के विश्वविद्यालयों समेत 323 उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रोफेसर आफ प्रैक्टिस के रूप में छात्रों को पढ़ाने के लिए अब तक विभिन्न क्षेत्रों के 10062 विशेषज्ञों ने पंजीकरण कराया है। इनमें उद्योग, वाणिज्य, इंजीनियरिंग, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, उद्यमिता, सामाजिक विज्ञान, मीडिया, साहित्य व कला के क्षेत्र के विशेषज्ञ शामिल हैं।
यूजीसी ने पिछले मई माह में प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस पंजीकरण पोर्टल शुरू किया था। इस पर अपने-अपने कार्य क्षेत्र में महारत रखने वाले अनुभवी प्रोफेशनल शिक्षण के लिए पंजीकृत करा सकते हैं। यूजीसी ने पहले ही उच्च शिक्षण संस्थानों को नियुक्ति के संबंध में अपने नियमों व अध्यादेशों में आवश्यक परिवर्तन करने का सुझाव दिया था। इनकी नियुक्ति अधिकतम चार साल के लिए की जा सकती है।
हाल ही में यूजीसी के चेयरमैन एम. जगदीश कुमार ने सभी विश्वविद्यालयों के अनुसार वर्चुअल संवाद करके इस योजना के बारे में प्रगति के बारे में जानकारी ली थी। इसमें बताया गया कि आईआईटी दिल्ली ने प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस के पद पर नियुक्त की है।
पीएचडी या यूजीसी नेट की अनिवार्यता नहीं होगी
प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस वह लोग हो सकते हैं, जो अपने मूल व्यवसाय से शिक्षक नहीं हैं और न ही उनके पास विश्वविद्यालय में शिक्षण कार्य के लिए पीएचडी या यूजीसी नेट जैसी निर्धारित योग्यता है। विश्वविद्यालय उनके व्यापक प्रोफेशनल अनुभव के आधार पर छात्रों को पढ़ाने के लिए नियुक्त कर सकते हैं। प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस छात्रों को ऐसे विषय पढ़ाएंगे, जिसमें उनका लंबा प्रोफेशनल अनुभव है।
यूजीसी के दिशा-निर्देशों के अनुसार प्रोफेसर कऑफ प्रैक्टिस के पद पर नियुक्ति से संबंधित फैसला लेने के लिए राज्य विश्वविद्यालय स्वयं सक्षम हैं।
- एमपी अग्रवाल, प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा -
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