बालगृह में शिक्षा व खेलकूद की व्यवस्था करे सरकार – हाईकोर्ट, बालगृहों की स्थिति पर स्वतः संज्ञान लेकर जनहित याचिका पर दिया निर्देश
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि प्रदेश सरकार बालगृह में शिक्षा, मनोरंजन और खेलकूद जैसी गतिविधियों की व्यवस्था करे, ताकि बच्चों का सर्वांगीण विकास हो सके। साथ ही बालगृह में अपनी समयावधि पूरी करके सामान्य जनजीवन में लौटें तो उन्हें किसी तरह की झिझक, दबाव या मानसिक परेशानी का सामना न करना पड़े।
यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति अजय भनोट की खंडपीठ ने बालगृहों की स्थिति के संबंध में दाखिल स्वतः संज्ञान जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। यूपी सरकार के अपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी व अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता रामानंद पांडेय की ओर से हाईकोर्ट द्वारा पारित पिछले आदेश के अनुपालन में महिला एवं बाल कल्याण विभाग की विशेष सचिव की ओर से हलफनामा दाखिल किया गया।
इसमें बताया गया कि विभाग आश्रय गृह में मूलभूत सुविधाओं के लिए लघु एवं व्यापक स्तरों पर काम करा रहा है। लघु योजना के तहत किराये पर चल रहे है बालग्रहों को सरकारी आवासों में शिफ्ट करने की योजना है। वहीं, बृहद योजना के तहत जुबेनाइल जस्टिस केयर एंड प्रोटेक्टशन ऑफ चिल्ड्रेन (मॉडल रूल्स 2016) के तहत बच्चों को रहने के लिए निर्धारित मानकों के अनुरूप निर्माण कराने की योजना है।
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