यूपी में शुरू होगी योग और प्राकृतिक चिकित्सा की पढ़ाई, आयुर्वेद, होम्योपैथ की तर्ज पर बनेगा योग व नेचुरोपैथी निदेशालय और बोर्ड
लखनऊ। प्रदेश सरकार योग और प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देने की तैयारी में है सबकुछ ठीक रहा तो अगले सत्र से विभिन्न कॉलेजों में इस विधा की पढ़ाई भी शुरू हो जाएगी। विभिन्न अस्पतालों में इस विधा से इलाज और शोध की सुविधा भी मिलेगी। इसके लिए आयुर्वेद, होम्योपैथ की तर्ज पर अलग से निदेशालय बनेगा।
विभिन्न कॉलेजों से इस विधा की पढ़ाई पूरी करने वाले छात्रों की डिग्री को मान्यता देने के लिए बोर्ड का भी गठन किया जाएगा। पूरा ढांचा तैयार करने के लिए कमेटी गठित करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। यह कमेटी देश- विदेश में चल रही इन विधाओं का अध्ययन कर अत्याधुनिक सुविधायुक्त मॉडल तैयार करेगी।
सरकार की ओर से आयुष चिकित्सा पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। आयुष में शामिल आयुर्वेद, यूनानी, होम्योपैथ के अस्पताल और डिग्री को मान्यता देने के लिए बोर्ड बने हैं, लेकिन प्राकृतिक चिकित्सा, योग और सिद्धा की डिग्री का पंजीयन नहीं हो पाता है। ऐसे में प्रदेश सरकार की कोशिश है कि योग और प्राकृतिक चिकित्सा निदेशालय की स्थापना की जाए यह निदेशालय विभिन्न अस्पतालों में शुरू होने वाली इन विधाओं के विशेषज्ञों और अन्य कर्मचारियों और संसाधनों की निगरानी करेगा। इसी तरह बोर्ड डिग्री की मान्यता देगा।
फिलहाल क्या है स्थिति
प्रदेश में लखनऊ सहित विभिन्न विश्वविद्यालयों के जरिए योग और प्राकृतिक चिकित्सा के डिग्री व डिप्लोमा कोर्स चल रहे हैं, लेकिन इनका पंजीयन नहीं हो पाता है। ऐसे में डिग्री लेने वाले छात्र-छात्राएं दूसरे राज्यों में नौकरी हासिल नहीं कर पाते हैं। चिकित्सा पद्धति के रूप में व्यापकता नहीं होने की वजह से रोजगार के साधन सीमित हैं। बोर्ड का गठन होने से इनकी डिग्री का पंजीयन हो सकेगा।
बोर्ड का किया जा रहा है गठन
भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धति का लाभ पूरा विश्व उठा रहा है। हमारे प्रदेश में इन चिकित्सा पद्धतियों का व्यापक प्रचार-प्रसार और संचालन नहीं हो पाया है। ऐसे में आयुष विभाग की कोशिश है कि अपनी प्राचीन पद्धति को संवारा जाए। लोगों को सस्ते दर पर इलाज उपलब्ध कराया जाए। इसलिए अलग से निदेशालय और बोर्ड गठन का प्रयास किया जा रहा है। –डॉ. दयाशंकर मिश्र दयालु एफएसडीए एवं आयुष मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)
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