यूपी में आठ साल से एक भी नए मदरसा को मान्यता नहीं
■ गैर मान्यता प्राप्त मदरसों को मान्यता की अपील
■ बिना मान्यता संचालित होते मिले 8449 मदरसे
लखनऊ । उत्तर प्रदेश में नए मदरसों को मान्यता पिछले आठ वर्षों से नहीं मिली है। बिना मान्यता के संचालित मदरसा संचालकों का इंतजार बढ़ता जा रहा है। मान्यता नहीं होने से प्रदेश में साढ़े सात लाख से अधिक बच्चों को भविष्य दांव पर है।
प्रदेश में 16513 मान्यता प्राप्त मदरसे संचालित हो रहे हैं। वहीं पिछले वर्ष नवम्बर माह में हुए सर्वे में 8449 मदरसे ऐसे मिले थे जो मान्यता प्राप्त नहीं थे।
मान्यता को लेकर ऑल इंडिया टीचर्स एसोसिएशन मदारिसे अरबिया ने मदरसा बोर्ड को पत्र लिखा था। पत्र का संज्ञान लेते हुए मदरसा बोर्ड के चेयरमैन डॉ. इफ्तिखार अहमद जावेद ने मुख्यमंत्री योगी को पत्र लिखकर गैर मान्यता प्राप्त मदरसों को मान्यता की अपील की है।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश का अल्पसंख्यक कल्याण विभाग यूपी मदरसा बोर्ड द्वारा लगातार गैर मान्यता प्राप्त मदरसों को मान्यता देने संबंधी उठाई जा रही मांग से सहमत नहीं है। विभाग के अफसरों का कहना है कि जब राज्य के मदरसों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं की तादाद लगातार हर साल घटती जा रही है, मदरसे बंद होते जा रहे हैं तो ऐसे में नए मदरसों को मान्यता देने का क्या औचित्य है ?
पिछले साल प्रदेश सरकार ने प्रदेश में गैर मान्यता प्राप्त मदरसों की जांच के लिए एक सर्वे करवाया था, जिसमें करीब साढ़े आठ हजार ऐसे मदरसे सामने आए, जिनके पास सरकारी मान्यता नहीं है। यूपी मदरसा बोर्ड मदरसों को मान्यता दिये जाने की मांग लगातार उठा रहा है।
प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने शिक्षण संस्थाओं में पंजीकृत छात्र- छात्राओं के ब्यौरे से संबंधित पोर्टल यूडीआईएसई प्लस पर उपलब्ध आंकड़ों के हवाले से तर्क दिया कि वर्ष 2021-22 में प्रदेश में कुल 15,105 मान्यता प्राप्त मदरसे थे जो कि वर्ष 2022-23 में घटकर 13490 रह गये। मदरसों में पढ़ने वाले छात्र- छात्राओं की तादाद सात लाख 59 हजार 168 घटी।
क्या सरकारी स्कूलों में विद्यार्थी नहीं घटे ? मदरसों में पढने वालों की तादाद घट रही है तो इसकी सजा उन्हें क्यों दी जा रही, जिन मदरसों के पास बरसों से मान्यता नहीं है। -डा. इफ्तेखार अहमद जावेद, चेयरमैन, यूपी मदरसा बोर्ड
बोर्ड के चेयरमैन की मांग राज्य के उन 560 मदरसों के पाठ्यक्रमों को ही मान्यता नहीं मिल सकी है। इस वजह से यहां की उपाधियां महत्वहीन हैं। - क़मर अली, सदस्य, यूपी मदरसा बोर्ड
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