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Wednesday, November 22, 2023

शिक्षक-कर्मचारियों का पैसा निजी बीमा कंपनियों में निवेश पर अधिकारी भी शक के घेरे में

NPS घोटाला : बिना अनुमति निजी बैंकों में पैसा जमा करने वाले कर्मचारियों पर कार्रवाई की मांग


लखनऊ : माध्यमिक स्कूलों में शिक्षकों और कर्मचारियों की नई पेंशन योजना (एनपीएस) से संबंधित धनराशि निजी बैंकों में बगैर उनके अनुमति के जमा कर दिया गया। इसके दोषी कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की गई है।

उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के पदाधिकारियों ने मंगलवार को इस संदर्भ में मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। शिक्षक संघ के अध्यक्ष सुरेश कुमार त्रिपाठी, शिक्षक विधायक ध्रुव कुमार त्रिपाठी, महामंत्री नरेंद्र कुमार वर्मा ने ऐसी धनराशि को नियमानुसार ब्याज सहित एनएसडीएल खाते में जमा कराए जाने की मांग की है। संघ के प्रादेशिक उपाध्यक्ष डा. आरपी मिश्र और प्रदेशीय मंत्री डा. आरके त्रिवेदी ने बताया कि निजी बैक में निवेश करने पर पांच प्रतिशत तक कमीशन मिलता है। इसलिए कुछ लोग कमीशन खोरी के चक्कर में अनियमित रूप से निजी संस्थाओं में शिक्षकों और कर्मचारियों की सहमति के बगैर उनकी कटौती की धनराशि निजी बैंक में निवेशित कराते हैं।

शिक्षक नेताओं ने कहा कि शिक्षा निदेशक ने एक अप्रैल 2022 से सात नवंबर 2023 तक की सूचनाओं के आधार पर 25 जिलों के 4257 शिक्षकों और कर्मचारियों के अनियमित निवेश पर संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश दिया था, लेकिन एक अप्रैल 2022 से पूर्व की जांच के लिए आदेश नहीं दिए गए।


शिक्षक-कर्मचारियों का पैसा निजी बीमा कंपनियों में निवेश पर अधिकारी भी शक के घेरे में 

लखनऊ। प्रदेश में अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) माध्यमिक विद्यालयों में न्यू पेंशन स्कीम (एनपीएस) के मामले शासन की ओर से दिए गए जांच के निर्देश पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। एनपीएस के पैसे का आहरण-वितरण अधिकारी डीआईओएस होता है और उसके पास इसकी आईडी-पासवर्ड होती है। वहीं शासन ने डीआईओएस समेत चार अधिकारियों को ही इस मामले में जांच कर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।


 माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेंद्र देव की ओर से इस मामले की जांच कराने के निर्देश दिए गए हैं। अब विभाग इस मामले में कर्मचारियों, बाबुओं की जांच करा रहा है। जबकि इसमें बड़े अधिकारी भी शक के घेरे में आ रहे हैं। 



NPS का पैसा बिना सहमति के निजी कंपनियों में लगाने को लेकर शिक्षक संगठनों में नाराजगी, मांगी NPS men निवेशित धन की जानकारी 

सभी कॉलेजों की जांच की मांग


लखनऊ। बिना सहमति शिक्षक- कर्मचारियों के एनपीएस का पैसा निजी बीमा कंपनियों में जमा करने से शिक्षक संगठनों में काफी नाराजगी है। राजकीय शिक्षक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष रामेश्वर प्रसाद पांडेय ने कहा कि अभी यह मामला सिर्फ एडेड कॉलेजों का सामने आया है। शासन राजकीय कॉलेजों की भी जांच कराए।

उप्र माध्यमिक शिक्षक संघ (चंदेल गुट) के प्रांतीय संयोजक संजय द्विवेदी ने कहा कि इस मामले की उच्चस्तरीय जांच की जाए। इसमें विभागीय अधिकारियों की भी मिलीभगत सामने आएगी। बिना अधिकारियों की मिलीभगत के नीचे का कर्मचारी पैसे को निजी कंपनियों में निवेश नहीं कर सकता है।

25 जिलों में गड़बड़ी : लखनऊ, बाराबंकी, अंबेडकरनगर, बुलंदशहर, वाराणसी, प्रयागराज, गोरखपुर, कुशीनगर, गौतमबुद्ध नगर, इटावा, मुरादाबाद, मुजफ्फरनगर, बलरामपुर, काशगंज, बिजनौर, झांसी, रामपुर, देवरिया, गाजियाबाद, अलीगढ़, चित्रकूट, फतेहपुर, मेरठ, आगरा, सोनभद्र।


क्या है नियम

एक अप्रैल, 2005 के बाद नियुक्त/कार्यरत शिक्षक- कर्मचारियों के मूल वेतन का 10 फीसदी और सरकार का 14 फीसदी अंश एनएसडीएल के माध्यम से निर्धारित एसबीआई, एलआईसी या यूटीआई में जमा किया जाएगा। इसके लिए विभागीय अधिकारियों को लिंक व पासवर्ड दिया गया है। संबंधित अंशधारक की सहमति से इसे अन्य निजी बीमा कंपनियों में जमा कर सकते हैं। संबंधित कर्मी अपने परमानेंट रिटायरमेंट एकाउंट नंबर (प्रान) से इसकी जानकारी कर सकेंगे।




निजी बीमा कंपनियों में लगा दी गई 4257 शिक्षकों की ‘पेंशन’

• सबसे ज्यादा प्रकरण कुशीनगर में सात जिलों में दो-दो मामले

• कई जिलों में दोषियों पर मुकदमा दर्ज, अन्य में कार्रवाई तेज


प्रयागराज : अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) माध्यमिक विद्यालयों में एक अप्रैल 2005 के बाद नियुक्त शिक्षक व शिक्षणेतर कर्मचारियों की अंशदायी पेंशन योजना (एपीएस) की धनराशि बिना संबंधित से अनुमति लिए निजी बीमा कंपनियों में लगाने का मामला तूल पकड़ गया है। प्रदेश के 25 जिलों के कुल 4257 शिक्षकों शिक्षणेतर कर्मचारियों की पेंशन राशि को निर्धारित तीन बीमा कंपनियों से हटाकर दूसरी निजी बीमा कंपनियों में लगाने के मामले में माध्यमिक शिक्षा निदेशक डा. महेंद्र देव के निर्देश पर एफआइआर दर्ज कराने की कार्यवाही शुरू कर दी गई है। प्रयागराज सहित कुछ जिलों में पहले ही एफआइआर दर्ज कराई जा चुकी है।

माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने इस संबंध में मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशकों, मंडलीय उप शिक्षा निदेशकों, जिला विद्यालय निरीक्षकों, वित्त एवं लेखाधिकारी को भेजे पत्र में बताया है कुल 4257 प्रान नंबरों की पेंशन की राशि निजी बीमा कंपनी में लगाए जाने का प्रकरण सामने आया है। कासगंज में 38, बिजनौर में 21, झांसी में 20, रामपुर में चार शिक्षकों/कर्मचारियों की पेंशन की धनराशि निजी बीमा कंपनी में लगाई गई है। देवरिया, गाजियाबाद, गोरखपुर, अलीगढ़ में दो-दो तथा आंबेडकरनगर, चित्रकूट, फतेहपुर, मेरठ, आगरा, बाराबंकी और सोनभद्र में एक-एक प्रकरण प्रकाश में आए हैं।

एक फीसदी कमीशन का लालच

उप्र माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रादेशिक उपाध्यक्ष डॉ. आरपी मिश्रा ने कहा कि यह पूरा मामला कमीशनखोरी का है। निजी कंपनियों में एक फीसदी कमीशन मिलता है। सिर्फ लखनऊ की बात करें तो 25 करोड़ का एक फीसदी कमीशन संबंधित को मिला होगा। मामले की एसटीएफ से जांच हो व दोषियों पर कार्रवाई हो। यह भी देखा जाए कि इससे पहले तो गड़बड़ी नहीं हुई है।


NPS मामले में दोषी कर्मचारियों पर FIR कराने का आदेश

लखनऊ : बगैर अनुमति के नई पेंशन स्कीम (एनपीएस) के तहत फंड ट्रांसफर करने का मामला गंभीर हो गया है। माध्यमिक शिक्षा के जिन दो कर्मचारियों को इसका दोषी ठहराते हुए निलंबित किया गया था अब उनके खिलाफ एफआइआर दर्ज कराने का आदेश निदेशक माध्यमिक शिक्षा ने दिया है।

माध्यमिक शिक्षा विभाग के दो कर्मचारियों ने बगैर अनुमति लिए 287 शिक्षकों व कर्मचारियों की एनपीएस की धनराशि निजी बैंकों में जमा करा दी थी। इस मामले को पेंशन निदेशालय ने पकड़ा। जिला विद्यालय निरीक्षक राकेश कुमार की रिपोर्ट के आधार पर संयुक्त शिक्षा निदेशक डा. प्रदीप कुमार ने वरिष्ठ सहायक सर्वेश निगम और कनिष्ठ सहायक आशीष कुमार को शनिवार को निलंबित कर दिया था। साथ ही जांच कमेटी भी गठित की थी। उधर, इस तरह की गड़बड़ी लखनऊ के अलावा प्रदेश के 25 जिलों में भी हुई है।



NPS घोटाला : शिक्षक मांगे हिसाब–निदेशक पेंशन ने शुरू की जांच,  अब तक प्रयागराज, वाराणसी और लखनऊ में हो चुकी है FIR 

16 अन्य जिलों के भी डीआईओएस से मांगी सूचना बिना सहमति के पेंशन की रकम निवेश का मामला


प्रयागराज । अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों-कर्मचारियों के एनपीएस घोटाले की जांच निदेशक पेंशन ने शुरू कर दी है।


एक अप्रैल 2005 के बाद नियुक्त शिक्षकों-कर्मचारियों के पेंशन की रकम बिना उनकी सहमति के निजी कंपनियों में निवेशित करने का खुलासा होने के बाद शासन ने सख्त रुख अपनाया है। इस पूरे मामले की जांच पेंशन निदेशालय के निदेशक को दी गई है। इस मामले में प्रयागराज, वाराणसी व लखनऊ में एफआईआर हो चुकी है। इसके अलावा 16 और जिलों इटावा, बलरामपुर, कासगंज, बिजनौर, रामपुर, देवरिया, गाजियाबाद, गोरखपुर, अलीगढ़, अम्बेडकरनगर, चित्रकूट, फतेहपुर, मेरठ, आगरा, बाराबंकी व सोनभद्र में पेंशन की धनराशि में हेराफेरी की शिकायत मिली है। 


अपर शिक्षा निदेशक माध्यमिक सुरेन्द्र कुमार तिवारी ने सभी 16 जिला विद्यालय निरीक्षकों से निर्धारित प्रोफॉर्मा पर डिफॉल्ट फंड मैनेजर के स्थान पर अन्य फंड मैनेजर में पेंशन की कटौती निवेशित करने की सूचना मांगी है। डीआईओएस से कर्मचारी का पैन नंबर, नाम, फंड मैनेजर परिवर्तन की तारीख, अभिदाता की सहमति या असहमति, फंड मैनेजर परिवर्तन का कारण, डिफॉल्ट फंड मैनेजर परिवर्तन की जानकारी मांगी है।


निजी कंपनी में निवेश करने की हो जांच

प्रयागराज। परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों के एनपीएस कटौती में घोटाले को लेकर प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव और मंत्री शिव बहादुर सिंह ने वित्त एवं लेखाधिकारी को पत्र लिखा है। परिषदीय शिक्षकों के एनपीएस कटौती की धनराशि बिना उनकी सहमति के निजी कम्पनी (एचडीएफसी एवं मैक्स) में लगा दी गई है। इसकी जांच होनी चाहिए। इसके अलावा एनपीएस कटौती को समय से निवेशित करने और दूसरे विभागों से आए शिक्षकों का प्रान शिफ्ट करने की मांग की है।

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