टेबलेट मिला पर शिक्षकों का 'सिरदर्द' बरकरार !
16 नवंबर को महानिदेशक ने एक पत्र जारी किया था
05 माह तक कंपोजिट ग्रांट से इंटरनेट का खर्च मिलेगा
■ एक टेबलेट के लिए पंद्रह सौ रूपये खर्च किए जा सकेंगे
■ टेबलेट की सुरक्षा शिक्षकों का व्यक्तिगत उत्तरदायित्व
फतेहपुर । बेसिक शिक्षा विभाग ने भले ही स्कूलों को हाईटेक करने के लिए शिक्षकों को टेबलेट थमा दिए हैं लेकिन शिक्षकों का सिरदर्द अब तक कायम है। यह सिरदर्द टेबलेट में पड़ने वाले सिम कार्ड की आईडी व कुछ अन्य सवालों को लेकर है। शिक्षकों का सवाल है कि क्या सिम कार्ड की खरीद उनकी आईडी अथवा आधार से की जाएगी।
सिम के इंतजार में अधिकतर टेबलेट अब तक स्विच आफ मोड में ही हैं। स्वयं की आईडी लगाकर सिम कार्ड खरीदने की शंका के मद्देनजर अंदरखाने विरोध के स्वर उठ रहे हैं।
16 नवंबर को स्कूल शिक्षा महानिदेशक ने एक पत्र जारी कर निर्देश दिया था कि सिम कार्ड एवं इंटरनेट की सुविधा के लिए नवंबर 2023 से मार्च 2024 तक यानी पांच माह तक व्यय कम्पोजिट ग्रांट से किया जाएगा। इस अवधि में एक टेबलेट के लिए अधिकतम पंद्रह सौ रूपए एवं दो टेबलेट के लिए अधिकतम तीन हजार रूपए खर्च किए जा सकेंगे।
इस तरह प्रतिमाह करीब तीन सौ रूपए की धनराशि खर्च करने के निर्देश दिए गए हैं। इस व्यय का समायोजन विद्यालय को प्राप्त होने वाली कम्पोजिट ग्रांट से यथा समय किया जाएगा। सिम की खरीद स्थानीय स्तर पर मोबाइल नेटवर्क कनेक्टिविटी की उपलब्धता के आधार पर किया जाएगा।
शिक्षकों के साथ रहेगा टेबलेटः निर्देश दिया गया है कि विद्यालय अवधि में टेबलेट सम्बन्धित प्रधानाध्यापक एवं वरिष्ठतम सहायक अध्यापक की कस्टडी में रहेगा। विद्यालय बंद होने पर हेडमास्टर एवं वरिष्ठतम सहायक अध्यापक टेबलेट अपने साथ घर ले जा सकेंगे और अगले दिन फिर विद्यालय लाएंगे। टेबलेट की सुरक्षा इन शिक्षकों का व्यक्तिगत उत्तरदायित्व होगा।
लेकिन सुलग रहे हैं यह सवाल
■ विभागीय कार्यों के लिए विभाग द्वारा सीयूजी सिम कार्ड क्यों नहीं दिया जा रहा है?
■ विभागीय कार्यों के लिए दिए जा रहे टेबलेट में शिक्षक अपनी आईडी का प्रयोग क्यों करें?
■ आईडी लगाने वाले शिक्षक का ट्रांसफर या अन्य कारणों से स्कूल से बाहर जाने पर उसकी आईडी का प्रयोग होता रहेगा?
■ हेडमास्टर व वरिष्ठतम शिक्षक यदि अचानक सीएल पर चले गए तो टेबलेट स्कूल कौन लाएगा?
■ टेबलेट व अन्य स्कूली सम्पति की सुरक्षा के लिए अब तक सुरक्षा व्यवस्था के उपाय क्यों नहीं किए गए?
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