छह जिलों को मिले 28314 टैबलेट मात्र 69 में ही फेस रिकग्निशन एप, महानिदेशक स्कूल शिक्षा ने संबंधित जिलों के बीएसए को दी चेतावनी
परवान नहीं चढ़ रही बेसिक विद्यालयों में फेस रिकग्निशन आधारित उपस्थिति
लखनऊ। शासन की ओर से पायलट प्रोजेक्ट के रूप में प्रदेश के छह जिलों में बेसिक विद्यालयों में शुरू की गई फेस रिकग्निशन आधारित उपस्थिति की स्थिति बहुत खराब है। उपस्थिति शुरू होना तो दूर शासन की ओर से इन जिलों को दिए गए टैबलेट में से 63.5 फीसदी चालू ही नहीं किए गए। मात्र 69 टैबलेट में ही फेस रिकग्निशन एप इंस्टाल किया गया है। इस पर शासन ने संबंधित बीएसए से कड़ी नाराजगी व्यक्त की है।
शासन ने सीतापुर, रायबरेली, बाराबंकी, हरदोई, उन्नाव व लखीमपुर खीरी में प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों, कर्मचारियों व छात्रों के लिए फेस रिकग्निशन आधारित उपस्थिति का पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया था। लेकिन शिक्षकों के विरोध के कारण यह योजना परवान नहीं चढ़ पा रही है। हालत यह है कि इन जिलों में उपलब्ध कराए गए 28314 में से मात्र 10328 टैबलेट ही शुरू किए गए।
63.5 फीसदी टैबलेट अभी भी प्रयोग में नहीं लिए जा रहे हैं। इसमें भी सबसे खराब स्थिति बाराबंकी की है। जहां मात्र आठ फीसदी टैबलेट ही चल रहे हैं। सबसे बेहतर स्थिति हरदोई की है। यहां 60 फीसदी टैबलेट चल रहे हैं। कई जिलों में प्रेरणा ऐप भी नहीं इंस्टाल किया गया है। इसके माध्यम से सभी 12 डिजिटल रजिस्टर को अपडेट किया जाना है।
महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने इस लापरवाही पर संबंधित जिलों के बीएसए से कड़ी नाराजगी व्यक्त की है। महानिदेशक ने चेताया है कि पायलट प्रोजेक्ट को ठीक से सुनिश्चित न करने पर उत्तरदायित्व निर्धारित करते हुए कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने इसकी समीक्षा के लिए 22 दिसंबर को ऑनलाइन बैठक भी निर्धारित की है। वहीं, उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ बाराबंकी के उपाध्यक्ष निर्भय सिंह ने कहा कि शासन पहले शिक्षकों को ईएल की सुविधा दे। जल्द परस्पर तबादले व पदोन्नति, अन्य लंबित मांगों पर कार्यवाही करे। इसके बाद ही शिक्षक इस प्रक्रिया में सहयोग करेगा।
लखनऊ। प्रदेश में बेसिक विद्यालयों में शिक्षकों, कर्मचारियों और छात्रों की रियल टाइम बायोमेट्रिक उपस्थिति को लेकर सख्ती बढ़ रही है। शासन व निदेशालय की ओर से इसे लेकर बीएसए को सख्त निर्देश दिए गए हैं। इसके बाद सीतापुर में चार व लखीमपुर खीरी में कुछ बीईओ का दिसंबर माह का वेतन रोक दिया गया है। साथ ही डिजिटल पंजिकाओं को लेकर काम तेज करने को कहा गया है।
शासन की ओर से राजधानी लखनऊ समेत सीतापुर, उन्नाव, रायबरेली, हरदोई व लखीमपुर खीरी में फेस रिकग्निशन आधारित बायोमेट्रिक उपस्थिति समेत एक दर्जन रजिस्टर डिजिटल करने के निर्देश दिए गए हैं। दूसरी तरफ शिक्षकों ने बायोमेट्रिक आधारित उपस्थिति का विरोध शुरू कर दिया था। इसकी वजह से कुछ जिलों में तो टैबलेट खुले ही नहीं, जहां इसका प्रयोग किया गया, वह एक-दो फीसदी ही रहा है। अब शासन ने इस पर सख्ती शुरू कर दी है।
इसी के तहत सीतापुर के बीएसए अखिलेश प्रताप सिंह ने चार खंड शिक्षा अधिकारियों का दिसंबर का वेतन रोकने का निर्देश दिया है। कहा है कि शासन के निर्देश पर 12 रजिस्टर के रियल टाइम प्रयोग के निर्देश दिए गए हैं। इसके लिए यू- ट्यूब के माध्यम से प्रशिक्षण भी दिया गया है। इसके बाद भी यहां डिजिटल पंजिकाओं, विशेषकर उपस्थिति पंजिका के प्रयोग की स्थिति काफी खराब मिली है।
उन्होंने निर्देश दिया है कि इन सभी डिजिटल रजिस्टर का प्रयोग सभी परिषदीय विद्यालयों में कराया जाए। ऐसा न करने पर उनके खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाएगी। जानकारी के अनुसार लखीमपुर खीरी में भी कुछ बीईओ का वेतन रोकने का निर्देश दिया गया है। मालूम रहे कि बायोमीट्रिक उपस्थिति को लेकर अभी भी शिक्षक तैयार नहीं हैं।
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