अनुदानित व स्थायी मान्यता प्राप्त मदरसों की भी होगी जांच
• मदरसा बोर्ड के चेयरमैन ने किया विरोध, इससे परीक्षाएं होंगी बाधित
• अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री को पत्र लिख जांच स्थगित करने की मांग
लखनऊ : गैर मान्यता प्राप्त मदरसों की जांच कराने के बाद अब सरकार अनुदानित व स्थायी मान्यता प्राप्त मदरसों की भी जांच कराने जा रही है। मदरसों में तैनात शिक्षकों व कर्मचारियों की शैक्षिक योग्यता व मूलभूत सुविधाओं की जांच होगी। जांच के लिए प्रत्येक जिले में जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी व डीएम द्वारा नामित खंड शिक्षा अधिकारी की समिति बना दी गई है।
उधर मदरसों की जांच पर उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डा. इफ्तिखार अहमद जावेद ने नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि इससे परीक्षाएं बाधित होंगी। उन्होंने अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री धर्मपाल सिंह से मिलकर उन्हें पत्र सौंपा और जांच बोर्ड परीक्षा तक स्थगित करने का अनुरोध किया।
मदरसा बोर्ड की रजिस्ट्रार प्रियंका अवस्थी ने निदेशक अल्पसंख्यक कल्याण को पत्र भेजकर जांच कराने का अनुरोध किया था। इसी के तहत अल्प संख्यक कल्याण विभाग की निदेशक जे. रीभा ने सभी मंडलीय उप निदेशक और सभी जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों को पत्र भेजकर जांच के निर्देश दिए हैं। जिन जिलों में 20 से अधिक मदरसे हैं वहां दूसरी समिति उप निदेशक अल्पसंख्यक कल्याण व डीएम द्वारा नामित खंड शिक्षा अधिकारी रहेंगे।
निदेशक ने मदरसों के भवनों, आधारभूत सुविधाओं एवं कार्यरत शिक्षक तथा कर्मचारियों के शैक्षिक अभिलेखों की जांच कराने के निर्देश दिए थे। यह जांच 30 दिसंबर तक पूरी कर रिपोर्ट मदरसा बोर्ड के रजिस्ट्रार को देना होगा। प्रदेश में 560 मदरसों को सरकार से अनुदान मिलता है। इसकी जांच पहले चरण में 30 दिसंबर तक पूरी करनी है। दूसरे चरण में 3,834 स्थायी मान्यता प्राप्त मदरसों की जांच 15 जनवरी से 30 मार्च के बीच होनी है।
निदेशक ने पत्र में यह भी लिखा कि प्रदेश में स्थित मदरसों में अब भी आधारभूत सुविधाओं का अभाव है और वहां पढ़ रहे बच्चों को गुणवत्तापरक वैज्ञानिक एवं आधुनिक शिक्षा प्राप्त नहीं हो पा रही है जिसके कारण छात्रों को रोजगार के समुचित अवसर उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं।
वहीं, मदरसा बोर्ड के चेयरमैन डा. इफ्तिखार अहमद जावेद ने इस पर नाराजगी जताते हुए अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री से मिलकर उन्हें एक पत्र सौंपा है। कहा कि मदरसों में अभी कंपार्टमेंट का परीक्षाफल घोषित किया जाना है। बोर्ड के फार्म भरे जा रहे हैं। अल्प संख्यक कल्याण विभाग निदेशक जे. रीभा का कहना है कि अल्प संख्यक कल्याण मंत्री के साथ मंगलवार को एक बैठक हुई थी जिसमें मदरसों की जांच व परीक्षाओं के बारे में विचार- विमर्श हुआ। यह विचार भी सामने आया कि बोर्ड परीक्षा के बाद मदरसों की जांच करा ली जाए। हालांकि अभी मदरसों की जांच रोकने के संबंध में कोई स्पष्ट निर्देश जारी नहीं हुए हैं। ऐसे में जांच करने का पहले वाला आदेश प्रभावी है।
स्थायी मान्यता वाले 4,394 मदरसों की भी होगी जांच
सुविधाएं, भवन, शिक्षक व कर्मचारियों की शैक्षिक योग्यता परखी जाएगी
पहले अनुदानित मदरसों की होगी जांच
रजिस्ट्रार ने बताया कि 59 जिलों में 560 अनुदानित मदरसों की जांच 30 दिसंबर तक पूरी कर ली जाएगी। इसके बाद स्थायी मान्यता वाले 3,834 मदरसों की जांच 15 जनवरी से 30 मार्च तक की जाएगी।
लखनऊ। गैर मान्यता प्राप्त मदरसों की फंडिंग की जांच के बाद अब सरकार स्थायी मान्यता प्राप्त मदरसों की जांच कराने जा रही है। उप्र मदरसा शिक्षा परिषद प्रदेश के ऐसे 4,394 मदरसों के मानकों की जांच करेगी। इसकी शुरुआत सरकार से अनुदान प्राप्त 560 मदरसों से होगी। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने इसके लिए दो सदस्यीय कमेटी का गठन किया है।
मदरसा शिक्षा परिषद की रजिस्ट्रार डॉ. प्रियंका अवस्थी ने अल्पसंख्यक कल्याण निदेशक जे रीभा को पत्र भेजकर उप्र मदरसा मान्यता प्रशासन एवं सेवा विनियमावली 2016 के तहत मदरसों के मानकों की जांच करने की सिफारिश की है। इसमें शिक्षकों व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के शैक्षिक अभिलेख, आधारभूत सुविधाओं व भवन की जांच होगी।
पत्र में कहा गया है कि मदरसों में सुविधाओं की कमी से बच्चों को गुणवत्तापरक, वैज्ञानिक व आधुनिक शिक्षा नहीं मिल रही है। इस पर अल्पसंख्यक कल्याण निदेशक ने सभी जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी, मंडलीय उप निदेशकों को राज्य से अनुदानित मदरसों की जांचकर रिपोर्ट 30 दिसंबर तक बोर्ड की रजिस्ट्रार को उपलब्ध कराने के निर्देश जारी किए हैं।
ये करेंगे जांच
अनुदानित मदरसों की जांच जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी व जिलाधिकारी द्वारा नामित खंड शिक्षा अधिकारी करेंगे। जिन जिलों में अनुदानित मदरसों की संख्या 20 से अधिक है, वहां संबंधित मंडल के अल्पसंख्यक कल्याण उप निदेशक और जिलाधिकारी द्वारा नामित खंड शिक्षा अधिकारी जांच करेंगे।
इन बिंदुओं पर पड़ताल
🔵 मान्यता प्रमाणपत्र के निर्गमन में दर्ज मान्यता का स्तर
🔵 कुल स्वीकृत पदों की संख्या
🔵 शिक्षक व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की शैक्षिक योग्यता
🔵 कक्षों की संख्या व मानक के अनुसार माप
🔵 शिक्षकों के सापेक्ष छात्रों का अनुपात
🔵 एससीईआरटी पाठ्यक्रम चल रहा है या नहीं?
राज्य वित्त पोषित मदरसों में सभी सुविधाओं की जांच करने के निर्देश के साथ शिक्षकों की क्वालिफिकेशन जांचने का निर्देश
यूपी में अधिकारियों को शिक्षकों की एज्युकेशनल क्वालिफिकेशन को चेक करने के आदेश दिए गए हैं, और साथ ही साथ राज्य वित्त पोषित मदरसों में सभी सुविधाओं की जांच करने का निर्देश भी दिया गया है.
शनिवार को उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने अधिकारियों को मदरसों में पढ़ाने वाले शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों की एजूकेशनल क्वालिफिकेशन और बुनियादी सुविधाओं की स्थिति पर गौर करने का आदेश दिया गया है. सभी राज्य-वित्त पोषित मदरसों में क्या-क्या सुविधाएं उपलब्ध हैं, और कितना ठीक तरह से काम कर रहे हैं की नहीं इस बात को भी चेक करने के निर्देश दिए गये हैं.
इस में आदेश के खिलाफ अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष इफ्तिकार अहमद जावेद ने कहा कि इस तरह की पूछताछ एक "नियमित प्रक्रिया" बन गई है, जिससे इन शैक्षणिक संस्थानों की शैक्षिक गतिविधियों और कामकाज में व्यवधान पैदा हो रही है. साथ ही साथ उन्होंने यह भी कहा की"जांच पर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन जांच एक बार ठीक से होनी चाहिए ताकि भविष्य में मदरसों में काम पर ध्यान केंद्रित किया जा सके.
क्या दिए गए आदेश?
1 दिसंबर को, अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की निदेशक ने सभी मंडलीय उपनिदेशकों और सभी जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे मदरसों में मूलभूत सुविधाओं और योग्य शिक्षकों की उपलब्धता सुनिश्चित करें, ताकि नामांकित छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके. उस पत्र में छात्रों में वैज्ञानिक, दिलचस्प और खोजपूर्ण दृष्टिकोण विकसित करने और उन्हें मुख्यधारा में एकीकृत करने की जरूरत पर जोर दिया गया है और साथ ही साथ उस पत्र में यह भी कहा गया कि राज्य सहायता प्राप्त मदरसों के शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के शैक्षिक रिकॉर्ड की जांच भी होनी चाहिए, साथ ही मदरसा भवनों में उपलब्ध बुनियादी सुविधाओं की जांच भी नियमित तौर पर होनी चाहिए. पत्र में यह भी कहा गया कि जांच पूरी करने के बाद रिपोर्ट को 30 दिसंबर तक मदरसा शिक्षा बोर्ड के रजिस्ट्रार को सौंपा जाए.
जांच के लिए कमेटी का किया गया गठन
आपको बता दें की उत्तर प्रदेश में वर्तमान में लगभग 25,000 मान्यता प्राप्त और गैर-मान्यता प्राप्त मदरसे हैं, जिनमें से 560 राज्य सरकार से अनुदान प्राप्त हैं. लिखे गए पत्र में यह भी कहा गया है कि राज्य के मदरसों में अभी भी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है, और विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण, वैज्ञानिक और आधुनिक शिक्षा नहीं दी जा रही है. इसके परिणामस्वरूप, विद्यार्थियों को रोजगार के अवसर नही मिल रहे हैं. इसे में मदरसों की ठीक तरह से जांच के लिए जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी और जिलाधिकारी की एक कमेटी बनाई गई है. इसके अलावा, राज्य सरकार से अनुदान प्राप्त 20 से अधिक मदरसे वाले जिलों में कार्य को शीघ्र पूरा करने के लिए एक अतिरिक्त समिति का गठन किया जाएगा.
क्या प्रतिक्रिया दी मदरसा शिक्षा बोर्ड अध्यक्ष जावेद ने
इस मुद्दे पर यूपी मदरसा शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष जावेद ने कहा कि उन्हें पत्र का पता था और कहा कि ऐसी किसी भी जांच से आगामी बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी बाधित होगी. सितंबर में हुई बोर्ड बैठक में, उन्होंने कहा कि इस जांच को लेकर कोई सुझाव या प्रस्ताव नहीं दिया गया था, और आदेश जारी करने से पहले उन्हें कोई जानकारी भी नहीं दी गई थी. उन्होंने यह भी कहा कि सरकारी सहायता से चलने वाले मदरसों की जांच करना स्वतंत्र है और एसी जांच अब नियमित हो गयी हैं जिसके कारण कामकाज पर काफी प्रभाव पड़ता है. उनका यह भी कहना है की आगामी फरवरी में मदरसों में बोर्ड परीक्षाएं होनी हैं ऐसे में एक अतिरिक्त जांच तैयारियों को बाधित करेगी. राज्य के सभी मान्यता प्राप्त और गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का पिछले साल भी सर्वे कराया गया था, लेकिन उस रिपोर्ट की कोई कार्रवाई नहीं की गई "ऐसे में अब नई जांच शुरू करने के फिर आदेश दिए गए हैं.
आपको बता दें पिछले साल सितंबर में राज्य सरकार ने राज्य के सभी मान्यता प्राप्त और गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों की सख्त जांच की, जिसमें लगभग 8,000 मदरसे गैर-मान्यता प्राप्त पाए गए. इतना ही नही 2017 में राज्य के सभी मदरसों को मदरसा बोर्ड के पोर्टल पर शिक्षकों सहित अन्य विवरणों को अपलोड करने के लिए भी कहा गया था. सभी मान्यता प्राप्त मदरसों के शिक्षकों के शैक्षिक रिकॉर्ड बोर्ड के रिकॉर्ड में मौजूद हैं. इसे में जावेद ने यह भी कहा की उन्हें जांच पर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन जांच एक बार ठीक से होनी चाहिए ताकि मदरसों के काम पर भविष्य में ध्यान केंद्रित किया जा सके. परीक्षा की तैयारी के दौरान मदरसों में कोई जांच नहीं होनी चाहिए
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