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Tuesday, December 31, 2024

Madhyamik Shiksha Parishad UP Board Holiday List उत्तर प्रदेश के माध्यमिक विद्यालयों के लिये वर्ष 2025 की अवकाश तालिका जारी

बेसिक शिक्षा के स्कूलों में सभी शिक्षिकाओं को अवकाश जबकि माध्यमिक में विवाहित शिक्षिकाओं को ही करवा चौथ का अवकाश

लखनऊ । माध्यमिक शिक्षा के स्कूलों में विवाहित शिक्षिकाओं को ही करवा चौथ का अवकाश मिलेगा जबकि बेसिक शिक्षा के स्कूलों में सभी शिक्षिकाओं को इस दिन पूरे दिन अवकाश की सुविधा मिलेगी।


माध्यमिक विद्यालयों में बुद्ध पूर्णिमा की भी मिलेगी छुट्टी, नए साल की छुट्टियों का विभाग ने जारी किया कैलेंडर

लखनऊ। माध्यमिक शिक्षा विभाग ने वर्ष 2025 की छुट्टियों का कैलेंडर सोमवार को जारी कर दिया है। विभाग ने इस बार माध्यमिक विद्यालयों में बुद्ध पूर्णिमा की भी छुट्टी घोषित की है, जो 12 मई को पड़ रही है। इस साल कुल 30 दिन छुट्टी है। हालांकि घोषित छुट्टी, रविवार व गर्मी की छुट्टियां मिलाकर कुल 119 दिन अवकाश रहेगा।

जबकि बोर्ड परीक्षा के लिए 12 दिन आरक्षित हैं और कुल 234 कार्य दिवस होंगे। जारी कैलेंडर में पिछले साल की तरह विवाहित शिक्षिकाओं को करवा चौथ का अवकाश मिलेगा। जबकि क्षेत्र विशेष में हरितालिका तीज, हरियाली तीज, संकठा चतुर्थी, हलषष्ठी, ललई छठ, जिउतिया व्रत के लिए शिक्षिकाओं को प्रधानाचार्य कोई दो छुट्टी दे सकेंगे। माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेंद्र देव ने कहा है कि विशेष परिस्थिति में प्रधानाचार्य तीन दिन का विवेकाधीन अवकाश कर सकेंगे। 



Madhyamik Shiksha Parishad UP Board Holiday List 
उत्तर प्रदेश के माध्यमिक विद्यालयों के लिये वर्ष 2025 की अवकाश तालिका जारी  


स्कूली शिक्षा के नामांकन में 37 लाख से अधिक की गिरावट दर्ज, शिक्षा मंत्रालय की UDISE+ की वर्ष 2022-23 और 2023- 24 की रिपोर्ट में खुलासा

स्कूली शिक्षा के नामांकन में 37 लाख से अधिक की गिरावट दर्ज, शिक्षा मंत्रालय की UDISE+ की वर्ष 2022-23 और 2023- 24 की रिपोर्ट में खुलासा


नई दिल्ली। देशभर मेंस्कूली शिक्षा के नामांकन में 37 लाख से अधिक की गिरावट आई है। यह गिरावट एससी, एसटी, ओबीसी और लड़कियों के वर्ग में सबसे अधिक है। वर्ष 2022-23 की तुलना में वर्ष 2023-24 में स्कूली शिक्षा की विभिन्न श्रेणियों में यह गिरावट है। माध्यमिक के तहत कक्षा नौंवी से 12वीं में यह गिरावट 17 लाख से अधिक है। हालांकि प्री-प्राइमरी के नामांकन में मामूली तो कुल स्कूलों में 5782 की बढ़ोतरी है।



शिक्षा मंत्रालय की यूडीआईएसई प्लस (यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। इसके मुताबिक, प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में छात्र नामांकन में 37.45 लाख की गिरावट है। 


वर्ष 2023-24 में सकल नामांकन 24.80 करोड़ था। इससे पहले वर्ष 2022-23 में 25.17 करोड़ तो वर्ष 2021-22 में 26.52 करोड़ से कम था। इस प्रकार वर्ष 2022- 23 की तुलना में वर्ष 2023-24 में यह आंकड़ा 37 लाख से अधिक पार कर गया है। हालांकि, प्रतिशत में यह आंकड़ा सिर्फ 1.5 फीसदी है। 


वर्ष 2023-24 में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के छात्रों के कुल नामांकन में 25 लाख की गिरावट आई है। अनुसूचित जाति (एससी) श्रेणी में 2022-23 की तुलना में स्कूलों में 12 लाख कम छात्र नामांकित हैं।

अब छह जनवरी तक भरें मदरसा परीक्षाओं के ऑनलाइन फॉर्म

अब छह जनवरी तक भरें मदरसा परीक्षाओं के ऑनलाइन फॉर्म

31 दिसंबर 2024
लखनऊ। मदरसा शिक्षा परिषद की मुंशी/मौलवी (सेकेंडरी), आलिम (सीनियर सेकेंडरी) की परीक्षाओं के ऑनलाइन आवेदन फॉर्म अब छह जनवरी तक भरे जा सकेंगे। मदरसा बोर्ड ने आवेदन पत्र भरने की सुस्त रफ्तार को देखते हुए फॉर्म भरने और परीक्षा शुल्क जमा करने की अंतिम तिथि बढ़ा दी है। बोर्ड की परीक्षाओं का शुल्क अब चार जनवरी तक जमा किया सकेगा। मदरसा शिक्षा परिषद की वर्ष 2025 की परीक्षा के आवेदन पत्र मदरसा बोर्ड के पोर्टल पर ऑनलाइन भरवाने की प्रक्रिया 13 दिसंबर से शुरू हुई थी। 



अब 31 दिसंबर तक जमा कर सकेंगे मदरसा बोर्ड परीक्षा का शुल्क

28 दिसंबर 2024
लखनऊ। मदरसा शिक्षा परिषद की मुंशी/मौलवी (सेकेंडरी), आलिम (सीनियर सेकेंडरी) की परीक्षाओं का शुल्क अब 31 दिसंबर तक जमा किया जा सकेगा।

मदरसा बोर्ड ने आवेदन पत्र भरने की सुस्त रफ्तार और अंतिम तिथि में बैंक बंद होने पर परीक्षा शुल्क जमा करने की अंतिम तिथि को बढ़ा दिया है। मदरसा शिक्षा परिषद की वर्ष 2025 की परीक्षा के आवेदन पत्र मदरसा बोर्ड के पोर्टल पर ऑनलाइन भरवाने की प्रक्रिया 13 दिसंबर से शुरू हुई थी। परीक्षा के आवेदन पत्र मदरसा पोर्टल पर ऑनलाइन भरने की अंतिम तिथि 31 दिसंबर तय की गई थी। 



मदरसा बोर्ड परीक्षा के लिए आवेदन 31 दिसंबर तक

16 दिसंबर 2024
लखनऊ। मदरसा शिक्षा परिषद की मुंशी/मौलवी (सेकेंड्री), आलिम (सीनियर सेकेंड्री) की परीक्षा के आवेदन पत्र मदरसा पोर्टल पर शनिवार से ऑनलाइन भरे जाएंगे। मदरसा बोर्ड ने परीक्षा फार्म भरने की प्रक्रिया शुक्रवार को शुरू कर दी है। बोर्ड ने आवेदन करने की अंतिम तिथि 31 दिसंबर तय की है। 

बोर्ड के रजिस्ट्रार आरपी सिंह ने बताया कि राजकीय कोष में परीक्षा शुल्क चालान के जरिये 28 दिसंबर तक जमा किया जा सकेगा। मदरसों के प्रधानाचार्य आवेदन पत्रों को नियमानुसार मदरसा पोर्टल पर 2 जनवरी 2025 तक लॉक करेंगे। इसके बाद जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी परीक्षा आवेदन पत्रों को ऑनलाइन मदरसा पोर्टल पर संदेहास्पद डाटा को सम्मिलित करते हुए 6 जनवरी तक लॉक करेंगे। 



मदरसा शिक्षा बोर्ड परीक्षा 2025 की आवेदन प्रक्रिया शुरू, परीक्षा फार्म भरने को लेकर दिशानिर्देश जारी

ट्रेजरी चालान के माध्यम से भरा जाएगा परीक्षा शुल्क

8 दिसम्बर 2024
लखनऊ : उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड की मुंशी/ - मौलवी (सेकेंड्री फारसी एवं अरबी), आलिम (सीनियर सेकेंड्री फारसी - एवं अरबी) परीक्षा-2025 के परीक्षा फार्म भरने को लेकर दिशानिर्देश - जारी कर दिए गए हैं। यह दिशानिर्देश बोर्ड के रजिस्ट्रार ने सभी जिला -अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी को भेज दिए हैं।

परीक्षा शुल्क मदरसा से परीक्षा - वर्ष 2025 की गाइडलाइन जारी होने की तिथि से ट्रेजरी चालान के माध्यम से जमा किया जाएगा। शिक्षा, खेलकूद, कला एवं संस्कृति - विषय का परीक्षा शुल्क 0202 लेखाशीर्षक से जमा किया जाएगा। इसके अलावा सामान्य शिक्षा का 01, प्रारंभिक शिक्षा का 101 और अरबी फारसी मदरसों का मान्यता शुल्क व - अन्य शुल्क लेखाशीर्षक 10 होगा। - मदरसे परीक्षार्थियों से आफलाइन आवेदन प्राप्त करके निर्धारित शुल्क जमा करने के उपरांत पोर्टल - के माध्यम से आनलाइन भरेंगे।


मदरसा बोर्ड से वर्ष 2018 से 2024 के बीच परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले परीक्षार्थियों को आवंटित स्टूडेंट आइडी आनलाइन फार्म भरते समय उपलब्ध कराने पर अपना व्यक्तिगत विवरण भरने की आवश्यकता नहीं होगी। मुंशी/मौलवी (सेकेंड्री फारसी एवं अरबी) पाठ्यक्रम के लिए न्यूनतम आयु 14 वर्ष निर्धारित की गई है। राज्यानुदानित/सहायता प्राप्त मदरसों के लिए व्यक्तिगत परीक्षा फार्म भरवाने की अधिकतम संख्या 500 होगी। वहीं, गैर अनुदानित मान्यता प्राप्त मदरसों के लिए व्यक्तिगत परीक्षा फार्म भरवाने की अधिकतम संख्या 400 होगी।


संस्थागत बालकों के मुंशी मौलवी की परीक्षा के लिए परीक्षा शुल्क 120 और अंक पत्र शुल्क 50 रुपये होगा। आलिम के लिए परीक्षा शुल्क 180 और अंक पत्र शुल्क 50 रुपये होगा। संस्थागत बालिकाओं का मुंशी/मौलवी का परीक्षा शुल्क 60 और अंक पत्र शुल्क 50 रुपये, आलिम की परीक्षा के लिए परीक्षा शुल्क 80 और अंक पत्र शुल्क 50 रुपये होगा। इसी तरह मुंशी/मौलवी की व्यक्तिगत परीक्षा देने वाले बालकों का परीक्षा शुल्क 240 रुपये और अंक पत्र शुल्क 50 रुपये, आलिम की परीक्षा का परीक्षा शुल्क 280 और अंक पत्र शुल्क 50 रुपये होगा। मुंशी/मौलवी की व्यक्तिगत परीक्षा देने वाली बालिकाओं का परीक्षा शुल्क 130 रुपये और अंक पत्र शुल्क 50 रुपये, आलिम की परीक्षा का शुल्क 160 और अंक पत्र 50 रुपये होगा।

अभियान चलाकर स्कूल, कॉलेज, हॉस्टल इत्यादि के आस-पास हॉटस्पॉट चिन्हित कर अवैध रूप से मादक पदार्थों का सेवन व क्रय-विक्रय करने वालों के विरुद्ध सख्त कार्यवाही के निर्देश

मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एनकॉर्ड की राज्य स्तरीय समिति की बैठक संपन्न

अभियान चलाकर स्कूल, कॉलेज, हॉस्टल इत्यादि के आस-पास हॉटस्पॉट चिन्हित कर अवैध रूप से मादक पदार्थों का सेवन व क्रय-विक्रय करने वालों के विरुद्ध सख्त कार्यवाही के निर्देश 


लखनऊ । मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने कहा है कि अभियान चलाकर स्कूल, कालेज, छात्रावास के आसपास हॉटस्पॉट चिह्नित कर अवैध रूप से मादक पदार्थों के सेवन और बिक्री पर रोक लगाई जाए। ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए, साथ ही सुनिश्चित किया जाए कि दूसरे स्थान पर हॉटस्पॉट न बन पाए। 


मुख्य सचिव सोमवार को एनकॉर्ड की राज्य स्तरीय समिति की बैठक में यह बातें कहीं। उन्होंने कहा कि एनकॉर्ड जिला स्तरीय समिति की बैठकें नियमित रूप से आयोजित होनी चाहिए। सभी संबंधित विभागों द्वारा नशा मुक्ति जागरूकता अभियान नियमित रूप से आयोजित कराए जाए। मुख्य सचिव को बैठक में बताया गया कि पूर्व में 212 हॉटस्पॉट चिह्नित किए गए थे, कार्रवाई के बाद यह संख्या अब 44 रह गई है।




तबादला निर्देश जारी होते ही जोड़ा बनाने के लिए भटकने लगे बेसिक शिक्षक, विभाग ऑनलाइन करे शिक्षकों की सूचना तो न हो परेशानी

तबादला निर्देश जारी होते ही जोड़ा बनाने के लिए भटकने लगे बेसिक शिक्षक, विभाग ऑनलाइन करे शिक्षकों की सूचना तो न हो परेशानी

परिषदीय विद्यालयों में जिले के अंदर परस्पर तबादले का मामला, व्यवस्था बेहतर करने की मांग


लखनऊ। प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में शिक्षकों के जिले के अंदर परस्पर तबादले का दिशा निर्देश जारी कर दिया गया है। इसके साथ ही शिक्षकों ने जोड़ा (पेयर) बनाने के लिए दूसरे शिक्षकों की खोज भी शुरू कर दी है। विभाग स्तर पर इसके लिए कोई व्यवस्था न करने से उन्हें जोड़ा खोजने के लिए मशक्कत करनी पड़ती है।

शिक्षकों का कहना है कि जोड़ा बनाने के लिए उन्हें काफी परेशान होना पड़ता है। वहीं कई बार इसे लेकर मोल-भाव भी करना पड़ता है। क्योंकि विभाग के स्तर पर ऐसी कोई व्यवस्था नहीं होती है कि उन्हें यह जानकारी मिल जाए कि दूसरे कौन शिक्षक तबादले के इच्छुक या आवेदक हैं। जबकि एक से दूसरे जिले में परस्पर तबादले के लिए शिक्षक अपने नाम, मोबाइल नंबर व स्कूल दर्ज करते हैं। पेयरिंग के लिए जब वेबसाइट खुलती है तो आवेदक को भी दिखती है।


ऐसे में बेसिक शिक्षा विभाग अपने पोर्टल पर ही ऐसी व्यवस्था करे कि जिले के अंदर भी परस्पर तबादले के इच्छुक शिक्षकों की जानकारी ऑनलाइन मिले। ऐसा करने से शिक्षकों को इस मशक्कत से राहत मिल सकती है। वहीं शिक्षक संगठन भी इसके लिए पहल कर सकते हैं। ऐसा करने से शिक्षकों को मानसिक व आर्थिक दोनों तरह की परेशानियों से राहत मिल सकती है।


इस बार तबादले से जुड़ी प्रक्रिया शुरू हो गई है, इसके लिए आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए जा चुके हैं। हमारा प्रयास होगा कि अगली बार पेयरिंग से जुड़ी जानकारी भी ऑनलाइन उपलब्ध हो, इसकी अलग से व्यवस्था की जाएगी। - डॉ. एमकेएस सुंदरम, प्रमुख सचिव, बेसिक शिक्षा विभाग


Monday, December 30, 2024

यूपी राज्य विश्वविद्यालय से संबद्ध 5 कालेजों ने बिना मान्यता आदेश के बढ़ा लीं सीटें, जांच शुरू, बीएड की 300, डीएलएड की 100 व एमएड की 50 सीटें मनमाने ढंग से बढ़ाईं

यूपी राज्य विश्वविद्यालय से संबद्ध 5 कालेजों ने बिना मान्यता आदेश के बढ़ा लीं सीटें, जांच शुरू, बीएड की 300, डीएलएड की 100 व एमएड की 50 सीटें मनमाने ढंग से बढ़ाईं

राज्य विश्वविद्यालय को भेजे गए एनसीटीई के पत्र में हुआ गड़बड़ी का खुलासा


प्रयागराज। प्रो. राजेंद्र सिंह (रज्जू भइया) राज्य विश्वविद्यालय से संबद्ध पांच कॉलेजों ने बिना मान्यता आदेश के मनमाने तरीके से बीएड कोर्स की 300, डीएलएड कोर्स की 100 व एमएड कोर्स की 50 सीटें बढ़ा लीं। शिकायत मिलने पर राज्य विवि के रजिस्ट्रार ने जब एआरसी, एनसीटीई को पत्र भेजकर इस बारे में पूछा तो एनसीटीई की ओर से प्रेषित जवाब में इस गड़बड़ी का खुलासा हुआ।


नेशनल रीजनल कमेटी (एनआरसी), नेशनल कौंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (एनसीटीई) के क्षेत्रीय निदेशक सतीश कुमार की ओर से राज्य विवि के रजिस्ट्रार संजय कुमार को भेजे गए पत्र में स्पष्ट किया गया है कि केपी उच्च शिक्षा संस्थान झलवा प्रयागराज, नंद किशोर सिंह डिग्री कॉलेज धनुहा शौका नैनी प्रयागराज व डिग्री कॉलेज उपरदहा बरौत हंडिया प्रयागराज में बीएड की 100-100 सीटें (दो-दो यूनिट) बढ़ाए जाने के लिए एनआरसी-एनसीटीई की ओर से कोई मान्यता आदेश जारी नहीं किया गया है।


इसी तरह नंद किशोर सिंह डिग्री कॉलेज धनुहा में डीएलएड की 100 सीटें (दो यूनिट) शामिल किए जाने के लिए भी एसआरसी एनसीटीई की ओर से कोई मान्यता आदेश जारी नहीं किया गया है। वहीं, डिग्री कॉलेज उपरदहा बरौत हंडिया प्रयागराज में एमएड की 50 सीटों (एक यूनिट) के लिए एनआसी-एनसीटीई ने मान्यता आदेश जारी नहीं किया है।


एनआरसी-एनसीटीई ने रजिस्ट्रार को भेजे पत्र में सिफारिश की है कि इन संस्थानों के खिलाफ विधिक कार्रवाई करें और संबंधित पाठ्यक्रमों में इन्हें संबद्धता प्रदान न करें। साथ ही यह आग्रह भी किया है कि छात्र-छात्राओं को संबंधित पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए ये संस्थान आवंटित न करें।


एनआरसी-एनसीटीई ने राज्य विवि से इन संस्थानों में संचालित टीचर ट्रेनिंग प्रोग्राम की विस्तृत जानकारी भी मांगी है। साथ ही राज्य विवि से उन संस्थानों के नाम भेजने का अनुरोध किया है, जो संदिग्ध हैं और जिनके खिलाफ विधिक कार्रवाई की जा सकती है।


राज्य विवि के कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार सिंह ने बताया कि संबंधित संस्थानों के खिलाफ शिकायत मिली थी, जिसकी तस्दीक के लिए विश्वविद्यालय की ओर से एनआरसी-एनसीटीई को पत्र भेजा गया था। एनसीटीई से मिले जवाब के आधार पर संबंधित संस्थानों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।

यूपी: 15 लाख छात्रों को अगले सप्ताह होगा शुल्क प्रतिपूर्ति के साथ वजीफे का भुगतान

यूपी: 15 लाख छात्रों को अगले सप्ताह होगा शुल्क प्रतिपूर्ति के साथ वजीफे का भुगतान


लखनऊ। प्रदेश में करीब 15 लाख छात्रों को अगले सप्ताह शुल्क भरपाई के साथ छात्रवृत्ति के भुगतान की संभावना है। इसके लिए समाज कल्याण विभाग ने तैयारियां पूरी कर ली हैं। डाटा परीक्षण का काम अंतिम चरण में है।

समाज कल्याण विभाग दो लाख रुपये तक सालाना आय वाले सामान्य वर्ग और ढाई लाख रुपये तक सालाना आय वाले अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए छात्रवृत्ति के साथ शुल्क भरपाई की सुविधा देता है। इस दायरे में चालू वित्त वर्ष में इन दोनों वर्गों के करीब 15 लाख छात्र आएंगे।


इनकी ऑनलाइन आवेदन में दी गई जानकारियों का सत्यापन कराया जा रहा है। एनआईसी को शीघ्र ही डाटा का परीक्षण करने के लिए कहा गया है। समाज कल्याण विभाग के सूत्रों के मुताबिक, दो- तीन दिनों के भीतर डाटा परीक्षण का काम पूरा हो जाएगा। जनवरी के प्रथम सप्ताह में भुगतान करने की योजना है। छात्रों के डाटा को लॉक जिलास्तरीय अधिकारी करेंगे। उसके बाद समाज कल्याण निदेशालय से भुगतान की प्रक्रिया पूरी होगी। 

UGC: पढ़ाई के साथ शारीरिक व मानसिक सेहत का भी रखना होगा ख्याल, यूजीसी ने उच्च शिक्षण संस्थानों की तय की जिम्मेदारी, मेंटल हेल्थ कोर्स जुड़ेंगे

UGC: पढ़ाई के साथ शारीरिक व मानसिक सेहत का भी रखना होगा ख्याल, यूजीसी ने उच्च शिक्षण संस्थानों की तय की जिम्मेदारी, मेंटल हेल्थ कोर्स जुड़ेंगे

मनोविशेषज्ञ स्ट्रेस दूर और इमोशनल स्पोर्ट पर काम करेंगे।


नई दिल्ली। उच्च शिक्षण संस्थानों के अधिकारियों को अब पढ़ाई के साथ छात्रों की शारीरिक, भावनात्मक व मानसिक सेहत का भी ख्याल रखना होगा। यह जिम्मेदारी प्रोफेसर स्तर के डीन या डायरेक्टर स्तर के अधिकारियों की होगी। कैंपस में छात्र सेवा केंद्र (एसएससी) खुलेंगे। फिजिकल फिटनेस और मेंटल हेल्थ पर काम होगा।


मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े किसी भी केस को गोपनीय रखना होगा। खास बात है कि सभी भाषाओं, धर्मो, सामाजिक विविधता का सम्मान सुनिश्चित और समलैंगिक पर खास ध्यान देना होगा।


विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (एनईपी) के तहत उच्च शिक्षण संस्थानों में शारीरिक फिटनेस, खेल, छात्रों के स्वास्थ्य, कल्याण, मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक कल्याण को बढ़ावा देने के लिए पहले दिशा-निर्देश तैयार किए है।


छात्र सेवा केंद्र में सिंगल विंडो, हर छात्र का रिकॉर्ड

छात्र सेवा केंद्र होने पर एनआईआरएफ, नैक व एनबीए कुछ अंक या ग्रेड दे सकते हैं। यह सिंगल विंडो होगा। इसका प्रबंधन मनोविज्ञान, शारीरिक शिक्षा और खेल, मनोचिकित्सा, सामाजिक कार्य या समाजशारूत्र जैसे विषयों के प्रोफेसर के पद के बराबर निदेशक या डीन स्तर के अधिकारी करेंगे।

 यदि किसी कॉलेज या संस्थान में ये विषय नहीं हैं, तो अन्य विश्वविद्यालय के विभागों के साथ मिलकर कर सकते हैं। सेंटर में महिला-पुरुष प्रोफेशनल ट्रेंड काउंसलर होंगे। यहां शारीरिक, मानसिक स्वास्थ्य परामर्शदाता, शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ, शारीरिक-शारीरिक-मनोवैज्ञानिक के मूल्यांकन के लिए उपकरण भी रखने पड़ेंगे।

बेसिक में किताबों की खरीद शुरू, माध्यमिक में करना पड़ेगा इंतजार

बेसिक में किताबों की खरीद शुरू, माध्यमिक में करना पड़ेगा इंतजार

■ वर्तमान सत्र में जीएसटी रॉयल्टी विवाद के कारण नहीं छपी थीं किताबें

■ रॉयल्टी न मिलने पर एनसीईआरटी ने नहीं दी थी प्रकाशन की अनुमति


प्रयागराज। बेसिक शिक्षा परिषद के सवा लाख से अधिक स्कूलों में अध्ययनरत कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को तो आगामी सत्र में भी निःशुल्क किताबें समय से मिल जाएंगी लेकिन यूपी बोर्ड के 27 हजार से अधिक स्कूलों में पढ़ने वाले कक्षा नौ से 12 तक के एक करोड़ से अधिक छात्र-छात्राओं को इंतजार करना पड़ सकता है। कक्षा एक से आठ तक की किताबों का टेंडर खुल चुका है और मार्च अंत तक पुस्तकें जिलों को उपलब्ध हो जाएंगी। इसके ठीक उलट यूपी बोर्ड को अब तक शासन की अनुमति ही नहीं मिल सकी है।


2021 की रॉयल्टी और जीएसटी का दो करोड़ से अधिक रुपये नहीं मिलने पर एनसीईआरटी ने 2024- 25 सत्र में किताबों के प्रकाशन का अधिकार देने से इनकार कर दिया था। किताबें नहीं छपने के कारण यूपी बोर्ड की भी काफी किरकिरी हुई थी। मामला कोर्ट में विचाराधीन होने के कारण बोर्ड के अफसरों ने शासन से यह धनराशि देने का अनुरोध किया था ताकि एनसीईआरटी से प्रकाशन का अधिकार लेकर 2025-26 सत्र की किताबें समय से छपवाई जा सकें।


सूत्रों के अनुसार धनराशि देने के लिए शासन से सैद्धांतिक सहमति भी मिल गई थी लेकिन आज तक धनराशि जारी नहीं हो सकी है। धनराशि मिलने के बाद पहले एनसीईआरटी को भुगतान होगा और उसके बाद किताबों के प्रकाशन की प्रक्रिया शुरू होगी। शासन के स्तर से अनुमति मिलने में अब और देरी होती है तो एक अप्रैल से पहले किताबें छपना मुश्किल होगा। गौरतलब है कि कोरोना काल में किताबें नहीं बिकने से नुकसान होने के कारण रॉयल्टी और जीएसटी देने में असमर्थता जताते हुए प्रकाशकों ने हाईकोर्ट में याचिका कर दी थी।

Sunday, December 29, 2024

कैडर एक लेकिन प्राइमरी के हेड व जूनियर के सहायक का म्यूचुअल ट्रांसफर नहीं, जनपद के अंदर हालिया जारी तबादला नीति में यह व्यवस्था

कैडर एक लेकिन प्राइमरी के हेड व जूनियर के सहायक का म्यूचुअल ट्रांसफर नहीं, जनपद के अंदर हालिया जारी तबादला नीति में यह व्यवस्था 

नई नीति में विकल्प चुनने का विकल्प नहीं दिया गया

शिक्षकों ने जताई आपत्ति, जब ग्रेड एक तो विकल्प क्यों नहीं




लखनऊ : प्राइमरी स्कूल के हेड और जूनियर स्कूल के सहायक अध्यापक एक-दूसरे की जगह म्यूचुअल तबादला नहीं ले सकेंगे। हाल ही में अंतःजनपदीय म्यूचुअल तबादलों के लिए जारी की गई नई नीति में यह व्यवस्था की गई है कि प्राइमरी के हेड का विकल्प प्राइमरी का हेड और जूनियर स्कूल के सहायक अध्यापक का विकल्प जूनियर स्कूल का सहायक अध्यापक ही होगा। इस फैसले पर शिक्षकों ने आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि जब जूनियर हाईस्कूल के शिक्षक और प्राइमरी के हेड का ग्रेड व कैडर समान है तो फिर एक-दूसरे की जगह तबादले का विकल्प होना ही चाहिए।


शिक्षकों का कहना है कि प्राइमरी स्कूल के सहायक अध्यापक का प्रमोशन होता है तो वह प्राइमरी का हेड या जूनियर हाईस्कूल का सहायक अध्यापक बनता है। पहले तबादलों में भी दोनों एक-दूसरे के विकल्प रहे हैं। हाल ही में समायोजन प्रक्रिया चल रही थी तो भी दोनों का समायोजन एक-दूसरे की जगह करने की व्यवस्था उसमें थी। 


इससे साफ है कि विभाग दोनों का कैडर एक ही मानता है। दोनों का ग्रेड भी समान है। अब तो ज्यादातर कम्पोजिट विद्यालय भी चल रहे हैं। इनमें प्राइमरी और जूनियर हाईस्कूल एक कैंपस में ही चलते हैं। ऐसे में विकल्प देने से पढ़ाई पर भी कोई फर्क नहीं पड़ेगा। इस बारे में प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक असोसिएशन के अध्यक्ष विनय कुमार सिंह कहते हैं कि जब एक ही ग्रेड है और पहले विकल्प दिया गया है तो इस बार भी देना चाहिए। इससे लंबे समय से दूर-दराज के ब्लॉक में पड़े ज्यादा शिक्षकों को नजदीकी स्कूल में आने का मौका मिल सकेगा।

परिषदीय बेसिक शिक्षकों को सामान्य तबादले के लिए भी डेढ़ साल से इंतजार

परिषदीय बेसिक शिक्षकों को सामान्य तबादले के लिए भी डेढ़ साल से इंतजार

पिछले साल जून में हुए थे एक से दूसरे जिले में सामान्य तबादले

बेसिक विद्यालयों की महिला शिक्षिकाएं इसके लिए कर रहीं इंतजार


लखनऊ। बेसिक शिक्षा विभाग ने एक से दूसरे जिले में परस्पर तबादले की प्रक्रिया एक साल में दूसरी बार शुरू कर दी है। लेकिन, काफी शिक्षक ऐसे हैं जो जोड़ा (पेयर) न बना पाने के कारण तबादले का लाभ नहीं ले पा रहे हैं। ऐसे शिक्षक, खासकर महिलाएं सामान्य तबादले का डेढ़ साल से इंतजार कर रही हैं। हालांकि अभी विभाग इसकी कोई प्रक्रिया नहीं कर रहा है।


प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों को पिछले दो साल से तबादले की सुविधा दी जा रही है। हालांकि शासन की ओर से पूर्व में जारी आदेश में कहा गया था कि साल में दो बार गर्मी व जाड़े की छुट्टियों में तबादले का अवसर दिया जाएगा। लेकिन, अभी साल में एक बार ही इस प्रक्रिया को अमलीजामा पहनाया जा रहा है। वहीं सामान्य तबादले के लिए तो डेढ़ साल से इंतजार करना पड़ रहा है।


जून 2023 में सामान्य (एक से दूसरे जिले में) तबादले हुए थे। उस समय 16614 शिक्षकों को तबादले का अवसर मिला था। जबकि आवेदक 45914 शिक्षक थे। नियमों की सख्ती से पुरुष शिक्षकों को अपेक्षाकृत इसमें कम मौका मिला था। ऐसे में काफी शिक्षक दोबारा सामान्य तबादले का इंतजार कर रहे हैं। यह स्थिति तब है जबकि शहरी क्षेत्र में काफी विद्यालयों में शिक्षकों की काफी कमी है। अगर बेसिक शिक्षा विभाग इसके लिए मौका दे तो यह कमी भी पूरी की जा सकती है। 


सामान्य तबादलों के लिए नियमावली बनाई जा रही है। प्रयास है कि जल्द से जल्द इसे तैयार करके प्रभावी किया जाए। अभी परस्पर तबादले की प्रक्रिया शुरू की गई है। इसे जल्द पूरा करने का लक्ष्य है। जून में प्रयास करेंगे कि शिक्षकों को सामान्य तबादले का भी अवसर मिले। - डॉ. एमकेएस सुंदरम, प्रमुख सचिव, बेसिक शिक्षा विभाग

शिक्षा के भविष्य को नया आकार देने को लेकर मंथन, हरिद्वार में भारतीय शिक्षा बोर्ड की परिवर्तनकारी शैक्षणिक संगोष्ठी का आयोजन

शिक्षा के भविष्य को नया आकार देने को लेकर मंथन, हरिद्वार में भारतीय शिक्षा बोर्ड की परिवर्तनकारी शैक्षणिक संगोष्ठी का आयोजन


हरिद्वार। पतंजलि विश्वविद्यालय में प्राचीन भारतीय ज्ञान एवं परंपरा के आधुनिक शिक्षा में समावेशन को लेकर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह संगोष्ठी पतंजलि योगपीठ ने नवीन राष्ट्रीय विद्यालय बोर्ड, भारतीय शिक्षा बोर्ड (बीएसबी) से मिलकर की गई। इस कार्यक्रम में सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि को सुसंगत बनाने और पाठ्यक्रम में आधुनिक शैक्षणिक पद्धतियों के समावेशन के लिए अभिनव तरीकों पर संवाद हुआ। इसमें अग्रणी शैक्षणिक संस्थानों और संगठनों के प्रतिनिधि सम्मिलित हुए।

संगोष्ठी का उद्घाटन योग गुरु स्वामी रामदेव ने किया। उन्होंने प्रतिभागियों को युवा पीढ़ी में भारतीय मूल्यों और दृष्टिकोणों के समावेशन के साथ उन्हें वैश्विक नेतृत्व में बदलने के लिए स्वदेशी शिक्षा प्रणाली के नवीन आंदोलन में सम्मिलित होने के लिए प्रेरित किया। एक सत्र में आचार्य बालकृष्ण ने संगठनों को युवा पीढ़ी को भारतीय सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संवेदनाओं में निहित करने के लक्ष्य में सहयात्री बनने के लिए भी आमंत्रित किया।

भारतीय शिक्षा बोर्ड के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. एनपी सिंह ने कहा कि यह संगोष्ठी हमारे पारंपरिक ज्ञान और मानव मन के विकास की वैज्ञानिक समझ के साथ समकालीन शिक्षा प्रणाली को आकार देने की हमारी यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। उन्होंने कहा कि हम एक ऐसा शैक्षिक पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए समर्पित हैं, जो न केवल शैक्षणिक उत्कृष्टता, बल्कि समग्र मानव विकास का पोषण करता है।

संगोष्ठी में विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षण संस्थान, भारतीय शिक्षण मंडल, ईशा योग फाउंडेशन, रामकृष्ण मिशन शैक्षिक और शोध संस्थान, अगस्त्य इंटरनेशनल फाउंडेशन, चिन्ना जीयर स्वामी संगठन, स्वामीनारायण गुरुकुल संस्थान, विवेकानंद केंद्र, श्री अरबिंदो सोसाइटी, भिक्खु संघ सेना, जैन एजुकेशन ट्रस्ट, देव संस्कृति विश्वविद्यालय, सनातन धर्म प्रतिनिधि सभा और कई अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों ने भविष्योन्मुखी शैक्षणिक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया।

वक्ताओं ने इस कार्यक्रम को भारतीय मूल्यों, रचनात्मकता और समग्र विकास पर ध्यान केंद्रित करते हुए शिक्षा के भविष्य को नया आकार देने की दिशा में एक बड़ा कदम बताया। 



हरिद्वार में शैक्षणिक संगोष्ठी का समापन: परंपरा और नवाचार का समावेश

हरिद्वार। प्राचीन भारतीय ज्ञान एवं परंपरा के आधुनिक शिक्षा में समावेशन के उद्देश्य से गठित भारत सरकार द्वारा स्थापित एवं पतंजलि योगपीठ द्वारा प्रायोजित नवीन राष्ट्रीय विद्यालय बोर्ड, भारतीय शिक्षा बोर्ड द्वारा हरिद्वार के पतंजलि विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित दो दिवसीय शैक्षणिक संगोष्ठी, विद्यालयी शिक्षा में परिवर्तन: नवीन भारत निर्माण हेतु भारतीय मूल्यों का समावेशन” का समापन किया गया। 

इस कार्यक्रम में सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि को सुसंगत बनाने और पाठ्यक्रम में आधुनिक शैक्षणिक पद्धतियों के समावेशन हेतु अभिनव तरीकों पर संवाद करने के लिए अग्रणी शैक्षणिक संस्थानों और संगठनों के प्रतिनिधि सम्मिलित हुए। 

संगोष्ठी में विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षण संस्थान, भारतीय शिक्षण मंडल, ईशा योग फाउंडेशन, रामकृष्ण मिशन शैक्षिक और शोध संस्थान, अगस्त्य इंटरनेशनल फाउंडेशन, चिन्ना जीयर स्वामी संगठन, स्वामीनारायण गुरुकुल संस्थान, विवेकानंद केंद्र, श्री अरबिंदो सोसाइटी, भिक्खु संघ सेना, जैन एजुकेशन ट्रस्ट, देव संस्कृति विश्वविद्यालय, सनातन धर्म प्रतिनिधि सभा और कई अन्य संस्थानों द्वारा शैक्षणिक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया गया। 

यह संगोष्ठी समग्र शिक्षा, अनुभवात्मक शिक्षा और पारंपरिक भारतीय ज्ञान को समकालीन शैक्षणिक तकनीकों में एकीकृत करने हेतु विचारों के आदान-प्रदान का मंच था। संगोष्ठी का उद्घाटन स्वामी रामदेव ने किया। उन्होंने प्रतिभागियों को युवा पीढ़ी में भारतीय मूल्यों और दृष्टिकोणों के समावेशन के साथ उन्हें वैश्विक नेतृत्व में बदलने हेतु स्वदेशी शिक्षा प्रणाली के नवीन आंदोलन में सम्मिलित होने के लिए प्रेरित किया। प्रतिभागियों ने संगोष्ठी के उद्देश्य को आत्मसात करते हुए नवीन भारत की आवश्यकताओं के अनुरूप निर्मित समकालीन शिक्षा में बदलाव की महत्ता को स्वीकार किया।

संगोष्ठी में संवाद के मुख्य तत्व थे- भारतीय शैक्षणिक पारिस्थितिकी तंत्र को भारतीय संवेदनाओं और मूल्यों के साथ पुनः निर्मित करना ताकि व्यावहारिक विज्ञान और कला शिक्षा के माध्यम से जिज्ञासा को बढ़ावा दिया जा सके। नवीन, अनुभवात्मक शिक्षण तकनीकों को बढ़ावा देना, समग्र विकास, गहन शिक्षक सहायता कार्यक्रमों के माध्यम से जमीनी स्तर पर शिक्षकों के साथ जुड़ाव, प्रौद्योगिकी और कौशल की महत्वपूर्ण भूमिका को समझना, छात्रों और शिक्षकों के सामाजिक और भावनात्मक विकास को मजबूत करना और बच्चों की शैक्षणिक यात्रा में माता-पिता एवं समाज की भागीदारी को बढ़ाना।

 एक सत्र में आचार्य बालकृष्ण ने प्रतिभागियों को उनके विद्यालय प्रणाली में सांस्कृतिक लोकाचार को बढ़ावा देने के प्रयासों के लिए बधाई दी। उन्होंने भाग लेने वाले संगठनों को बीएसबी के युवा पीढ़ी को भारतीय सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संवेदनाओं में निहित करने के लक्ष्य में सह-यात्री बनने के लिए भी आमंत्रित किया। कार्यक्रम के समापन पर बोलते हुए, भारतीय शिक्षा बोर्ड के कार्यकारी अध्यक्ष, डॉ. एन पी सिंह ने कहा कि “यह संगोष्ठी हमारे पारंपरिक ज्ञान और मानव मन के विकास की वैज्ञानिक समझ के साथ समकालीन शिक्षा प्रणाली को आकार देने की हमारी यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।”
      

UPSOS : उत्तर प्रदेश राज्य मुक्त विद्यालय परिषद से कर सकेंगे नवीं से बारहवीं तक की पढ़ाई, यूपी सरकार को भेजा गया प्रस्ताव, 16 साल बाद संचालन की तैयारी

UPSOS :  उत्तर प्रदेश राज्य मुक्त विद्यालय परिषद से कर सकेंगे नवीं से बारहवीं तक की पढ़ाई, यूपी सरकार को भेजा गया प्रस्ताव, 16 साल बाद संचालन की तैयारी



11 विषयों का विकल्प मिलेगा कक्षा नौ और दस में

11वीं और 12वीं में 27 विषयों की विद्यार्थी कर सकेंगे पढ़ाई


प्रयागराज । राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 में दिए गए प्रावधान के क्रम में नए सिरे से गठित हो रहे उत्तर प्रदेश राज्य मुक्त विद्यालय परिषद (एसओएस) में पहले चरण में कक्षा नौ से 12 तक की पढ़ाई का मौका मिलेगा। कक्षा नौ और दस में 11 विषयों का विकल्प मिलेगा, जबकि कक्षा 11 और 12 में 27 विषयों की पढ़ाई की जा सकेगी। इस संबंध में पत्राचार संस्थान की ओर से प्रदेश सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है।


दूसरे चरण में प्राथमिक कक्षाओं के लिए पठन-पाठन, स्टडी मैटेरियल से लेकर परीक्षा तक की व्यवस्था की जाएगी, ताकि आउट ऑफ स्कूल बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ा जा सके। व्यावसायिक शिक्षा के लिए भी प्रावधान किया जा रहा है। वर्तमान में पत्राचार संस्थान की ओर से सिर्फ कक्षा 11 और 12 के छात्र-छात्राओं के पंजीकरण और स्टडी मैटेरियल उपलब्ध कराया जाता है और फिर परीक्षा यूपी बोर्ड कराता है।


 पत्राचार संस्थान का काम देख रहे अपर शिक्षा निदेशक राजकीय अजय कुमार द्विवेदी ने बताया कि कक्षा नौ से 12 तक के लिए स्टडी मैटेरियल विकसित करने का काम चल रहा है। साल में दो बार जुलाई और दिसंबर में परीक्षाएं कराई जाएंगी।


16 साल बाद संचालन की तैयारी

यूपी में एसओएस के गठन के लिए 2008 में अधिसूचना जारी की गई थी। हालांकि पिछले 16 सालों में इसका संचालन शुरू नहीं हो सका। वैसे तो माध्यमिक शिक्षा विभाग के अफसर इस सत्र से ही एसओएस का कामकाज शुरू करने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन जो गति है उससे थोड़ा समय लगने की आशंका है। मध्य प्रदेश मुक्त विद्यालय परिषद काफी अच्छा काम कर रहा है और यूपी की एक टीम ने एमपी का दौरा भी किया है।

परीक्षक को एप से देने होंगे यूपी बोर्ड प्रयोगात्मक परीक्षा के अंक, प्रधानाचार्य करेंगे वीडियो रिकॉर्डिंग

परीक्षक को एप से देने होंगे यूपी बोर्ड प्रयोगात्मक परीक्षा के अंक, प्रधानाचार्य करेंगे वीडियो रिकॉर्डिंग

29 दिसंबर 2024
प्रयागराज। यूपी बोर्ड वर्ष 2025 की प्रयोगात्मक परीक्षा को लेकर भी विशेष तैयारी की जा रही है। प्रयोगात्मक परीक्षा में पारदर्शिता लाने के लिए शिक्षा परिषद की ओर से एप जारी किया गया है। एप के जरिए परीक्षक कॉलेज से ही छात्रों को परीक्षा के अंक दे सकेंगे। इससे परीक्षकों अथवा स्कूल के जिम्मेदारों की मनमानी पर कहीं न कहीं रोक लग सकेगी।

यूपी बोर्ड परीक्षा जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे तैयारियों को धार दी जा रही है। यूपी बोर्ड की ओर से प्रयोगात्मक परीक्षा पर भी फोकस किया जा रहा है। अभी तक प्रयोगात्मक परीक्षा के दौरान बोर्ड से आने वाले परीक्षक एक फार्म पर परीक्षा के अंक भरकर परिषद कार्यालय भेजते रहे। परिषद की ओर से इन अंकों को फाइनल रिजल्ट में जोड़ा जाता है। यह भी सामने आता रहा है कि कॉलेज प्रबंधन प्रयोगात्मक परीक्षा में मनमानी करते हुए परीक्षकों को प्रभावित करता रहा है। अब इस पर नकेल कसने के लिए कड़ा कदम उठाया है।

यूपी बोर्ड की ओर से एप लांच किया गया है, उसकी खासियत है कि परीक्षा केंद्र के 200 मीटर दायरे से बाहर जाने पर एप काम नहीं करेगा। इससे परीक्षकों को परीक्षा केंद्र से परीक्षार्थियों को एप के माध्यम से पोर्टल पर अंक देने होंगे। परीक्षकों को एप पर ही ऑनलाइन पासवर्ड उपलब्ध कराया जाएगा।


प्रधानाचार्य करेंगे वीडियो रिकॉर्डिंग

परीक्षा के दौरान वायवा लेते परीक्षकों की वीडियो रिकार्डिंग भी की जाएगी। प्रधानाचार्य इसकी जिम्मेदारी संभालेंगे। इससे परीक्षकों पर भी निगरानी हो सकेगी कि वह केंद्र पर आए हैं या नहीं। प्रधानाचार्य रिकार्डिंग को बोर्ड में भी भेजेंगे। परीक्षा के लिए परीक्षक की ड्यूटी लगाने में भी सख्ती बरती जाएगी। बोर्ड उसी शिक्षक की परीक्षक के रूप में ड्यूटी लगाएगा। जिसके पास संबंधित विषय की अर्हता हो।



प्रैक्टिकल के बाद छात्रों संग सेल्फी भेजेंगे, 200 मीटर में परीक्षक को अपलोड करने होंगे अंक, 23 जनवरी से आठ फरवरी के बीच होगी यूपी बोर्ड प्रायोगिक परीक्षा

27 दिसंबर 2024
प्रयागराज । यूपी बोर्ड की इंटरमीडिएट प्रायोगिक परीक्षाएं 23 जनवरी से आठ फरवरी के बीच दो चरणों में कराई जाएगी। इस साल पहली बार परीक्षकों को परीक्षा केंद्र के 200 मीटर दायरे में मोबाइल एप के माध्यम से प्रायोगिक परीक्षा के नंबर देने होंगे। खास बात यह है कि परीक्षक को बच्चों के साथ सेल्फी भी एप पर अपलोड करनी होगी। 

एक दिन में 40-40 के बैच में अधिकतम 80 बच्चों की ही प्रायोगिक परीक्षा ले सकेंगे। यदि किसी स्कूल में विद्यार्थियों की संख्या 400 है तो परीक्षक को संबंधित जिले में कम से कम पांच दिन रहना पड़ेगा।

एप तैयार हो चुका है और जल्द ही उसकी जांच की जाएगी। सचिव भगवती सिंह का कहना है कि मोबाइल एप का लिंक और पासवर्ड परीक्षकों को परीक्षा से पहले दिया जाएगा। परीक्षा केंद्र पर यदि परीक्षक पर अनुचित दबाव बनाया गया तो वह एप से ही शिकायत कर सकेंगे। इसी प्रकार यदि परीक्षक ने अनुचित लाभ लेने की कोशिश की तो स्कूल के प्रधानाचार्य साक्ष्य के साथ शिकायत कर सकेंगे। बोर्ड ने पहले ही प्रायोगिक परीक्षाएं सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में कराने के निर्देश दिए हैं।



यूपी बोर्ड सॉफ्टवेयर के जरिए ऑनलाइन करेगा प्रायोगिक परीक्षकों की नियुक्तिअयोग्य शिक्षकों की नियुक्ति होने पर प्रधानाचार्य होंगे उत्तरदायी

24 दिसंबर 2024
प्रयागराज । यूपी बोर्ड के पोर्टल पर सोमवार को शिक्षकों की अपडेट सूची प्रधानाचार्यों ने अपलोड कर दी। बोर्ड शिक्षकों की अपलोड सूची विवरण के की जांच करेगा। सॉफ्टवेयर द्वारा ऑनलाइन परीक्षकों की नियुक्ति की जाएगी। जनवरी के पहले सप्ताह में बोर्ड परीक्षकों को प्रमाण पत्र देगा।

 इसके बाद  बोर्ड परीक्षा के लिए केंद्र व्यवस्थापक, कक्ष निरीक्षक और परीक्षक की नियुक्ति के लिए माध्यमिक शिक्षा परिषद सचिव ने प्रधानाचार्यों को निर्देश दिए थे कि वह सूची में शिक्षकों के विवरण की जांच कर लें। त्रुटियों को सुधारकर दोबारा से सूची अपलोड की गई।

डीआईओएस ने प्रधानाचार्यों को इस संबंध में पत्र भेजा था। जिसमें चेतावनी दी गई थी कि अपात्र व अयोग्य शिक्षकों की नियुक्ति मिलने पर प्रधानाचार्य का उत्तरदायित्व होगा। उनके खिलाफ कार्यवाही होगी।

डीआईओएस ओमकार राणा ने बताया कि शिक्षकों की अपडेट सूची बोर्ड के पोर्टल पर अपलोड की गई है। बोर्ड ऑनलाइन सॉफ्टवेयर से परीक्षकों की नियुक्ति करेगा। अयोग्य शिक्षकों की नियुक्ति होने पर प्रधानाचार्य उत्तरदायी होंगे। 



यदि अपात्र या अयोग्य शिक्षक बने परीक्षक तो प्रधानाचार्य होंगे जिम्मेदार, यूपी बोर्ड ने स्कूलों से 23 दिसंबर तक मांगी शिक्षकों की अपडेट लिस्ट

21 जनवरी से पांच फरवरी तक होनी है यूपी बोर्ड की प्रायोगिक परीक्षाएं

17 दिसम्बर 
प्रयागराज। यूपी बोर्ड की प्रायोगिक - परीक्षाएं 21 जनवरी से पांच फरवरी तक आयोजित की जानी है। इसमें परीक्षकों की तैनाती के लिए बोर्ड ने स्कूलों के प्रधानाचार्यों से 23 दिसंबर तक शिक्षकों की अपडेट लिस्ट की मांग की है। बोर्ड के सचिव ने कहा कि अगर कोई अपात्र या अयोग्य शिक्षक परीक्षक बनता है तो स्कूल के प्रधानाचार्य इसके जिम्मेदार होंगे।


यूपी बोर्ड के सचिव भगवती सिंह ने कहा है कि वर्ष 2025 की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट परीक्षा का कार्यक्रम घोषित किया जा चुका है। परीक्षा केंद्रों पर केंद्र व्यवस्थापकों, बाह्य केंद्र व्यवस्थापकों, कक्ष - निरीक्षकों एवं प्रयोगात्मक परीक्षा व मूल्यांकन कार्य के लिए परीक्षकों की नियुक्ति की जानी है। इसके लिए सभी प्रधानाचार्य अपने-अपने विद्यालय में कार्यरत शिक्षकों के अपलोड कराए गए विवरणों की एक बार फिर गहनता से जांच कर लें।


सचिव ने चेतावनी भी दी है कि पोर्टल पर अपलोड कराई गई त्रुटिपूर्ण या भ्रामक सूचनाओं के आधार पर यदि कोई अपात्र या अयोग्य शिक्षक परीक्षक नियुक्त हो जाता है तो प्रधानाचार्य इसके उत्तरदायी माने जाएंगे। सचिव ने निर्देश दिए हैं कि शिक्षकों के नाम, जन्मतिथि, नियुक्ति तिथि, पंजीकरण संख्या व अध्यापन का विषय, अर्हता की ठीक से जांच कर ली जाए।


साथ ही हाईस्कूल या इंटरमीडिएट के जिस विषय के अध्यापन के लिए उनकी नियुक्ति की गई है, उस विषय का विषय कोड व विषय के नाम की भी सावधानीपूर्वक जांच की जाए। ताकि कोई भी शिक्षक किसी गलत विषय में परीक्षक नियुक्त न हो सके और न ही कोई अपात्र शिक्षक परीक्षक नियुक्त हो सके। यह भी ध्यान रखने को कहा है कि का किसी भी दशा में एक शिक्षक विवरण एक से अधिक विद्यालयों से अग्रसारित न हो।




यूपी बोर्ड प्रैक्टिकल और वायवा की होगी वीडियो रिकार्डिंग, परीक्षा केंद्र से ही पोर्टल पर अपलोड होंगे नंबर

यूपी बोर्ड इंटरमीडिएट प्रायोगिक परीक्षा में करेगा बड़ा परिवर्तन

परीक्षा केंद्र से 200 मीटर दूर जाने के बाद एप नहीं करेगा काम

15 दिसंबर 
प्रयागराज : हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की वर्ष 2025 की परीक्षा के प्रश्नपत्रों की स्ट्रांग रूम में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) से निगरानी की तैयारी के बीच यूपी बोर्ड प्रायोगिक परीक्षा के आयोजन को लेकर भी बड़ा बदलाव करने जा रहा है। इंटरमीडिएट प्रायोगिक परीक्षा में शुचिता और पारदर्शिता के लिए तकनीक का उपयोग किया जाएगा। 


इसके लिए यूपी बोर्ड सचिव भगवती सिंह ने एप विकसित कराया है। यह एप परीक्षा केंद्र के 200 मीटर दायरे के बाहर जाने पर काम नहीं करेगा। यानी परीक्षक परीक्षा केंद्र से ही परीक्षार्थियों को एप के माध्यम से पोर्टल पर अंक प्रदान कर सकेंगे। केंद्र पर परीक्षकों द्वारा परीक्षार्थियों का वायवा लिए जाने की प्रधानाचार्यों को वीडियो रिकार्डिंग भी करानी होगी।


यूपी बोर्ड सचिव के निर्देश पर इंटरमीडिएट प्रायोगिक परीक्षा को ड्यूटी लगाने के पहले शिक्षकों का विवरण उप्र माध्यमिक शिक्षा परिषद के पोर्टल पर अपडेट किया रहा। इसके अतिरिक्त प्रायोगिक परीक्षा के दौरान केंद्र पर गए बिना ही परीक्षा संपन्न कराकर अंक देने में अब परीक्षकों की मनमर्जी नहीं चलेगी। प्रायोगिक परीक्षा के लिए जिन परीक्षकों की ड्यूटी लगेगी, उन्हें नई व्यवस्था के तहत एप पर ही पासवर्ड आनलाइन उपलब्ध कराया जाएगा। इस व्यवस्था से परीक्षक अब किसी विशेष स्थान पर बैठकर सुनियोजित तरीके से परीक्षार्थी को अंक नहीं दे सकेंगे। 

इसके अलावा प्रायोगिक परीक्षा के दौरान वायवा लिए जाने की वीडियो रिकार्डिंग कराकर प्रधानाचार्य को उसे यूपी बोर्ड को भेजना होगा। इतना ही नहीं, परीक्षक नियुक्त किए जाने में भी बोर्ड सख्ती बरतेगा। इसमें उसी शिक्षक की परीक्षक के रूप में ड्यूटी लगाई जाएगी, जिनके पास संबंधित विषय की अर्हता तो होगी ही, साथ में वह विद्यालय में वही विषय पढ़ा भी रहे होंगे। यानी अगर कंप्यूटर विषय में भी अर्हता है, इतिहास या कोई अन्य विषय पढ़ा रहे हैं, तो उनकी ड्यूटी कंप्यूटर विषय की प्रायोगिक परीक्षा में नहीं लगेगी। नई व्यवस्था के क्रम में परीक्षकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा, ताकि वह आसानी से प्रायोगिक परीक्षा संपन्न करा सकें।

फर्जी मॉडल प्रश्नपत्र जारी करने वाले अब यूपी बोर्ड के निशाने पर, जारी की गई सार्वजनिक चेतावनी

फर्जी मॉडल प्रश्नपत्र जारी करने वाले अब यूपी बोर्ड के निशाने पर, जारी की गई सार्वजनिक चेतावनी

यूपी बोर्ड व कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने बढ़ाई निगरानी


प्रयागराज। यूपी बोर्ड की परीक्षाएं नजदीक आते ही सोशल मीडिया पर फर्जी मॉडल प्रश्नपत्रों के प्रचार-प्रसार की आशंका है। बोर्ड ने ऐसे मामलों को गंभीरता से लेते हुए सार्वजनिक चेतावनी जारी की है और छात्र- छात्राओं व अभिभावकों को सलाह दी है कि ऐसे किसी झांसे में न आएं। फर्जी मॉडल प्रश्नपत्र जारी करने वाले बोर्ड के निशाने पर हैं।


बोर्ड के सचिव भगवती सिंह की ओर से जारी सार्वजनिक चेतावनी में कहा गया है कि माध्यमिक शिक्षा परिषद की वर्ष 2025 की 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं 24 फरवरी से 12 मार्च तक होंगी। परिषद ने परीक्षा की शुचिता एवं निष्पक्षता बनाए रखने के लिए विस्तृत व्यवस्था की है।


अनुचित कृत्य की स्थिति में असामाजिक तत्वों के खिलाफ साइबर सिक्योरिटी एक्ट एवं भारतीय न्याय संहिता 2023 के विभिन्न प्रावधानों के तहत कार्रवाई की जाएगी। सचिव भगवती सिंह ने परीक्षा के दौरान असत्यापित/अप्रमाणिक, तथ्यहीन समाचार और अफवाहों के प्रति सचेत किया है।


उन्होंने कहा, किसी भी माध्यम से ऐसी जानकारी न फैलाएं। यदि किसी के संज्ञान में ऐसी कोई खबर आती है तो माध्यमिक शिक्षा परिषद की ई-मेल आईडी (upm-spho@gmail.com) पर तत्काल सूचित करें।


यहां मिलेंगी विश्वसनीय सूचनाएं

परीक्षा से संबंधित विश्वसनीय सूचनाएं माध्यमिक शिक्षा परिषद, उत्तर प्रदेश, प्रयागराज की आधिकारिक वेबसाइट www.upmsp.edu.in, एक्स हँडल @upboardpry, फेसबुक पेज Madhyamik Shiksha Parishad Uttar Pradesh, यूट्यूब चैनल Madhyamik Shiksha Parishad, UP, Prayagraj (www.youtube.com/@upboardpryj) एवं इंस्टाग्राम आईडी @upboardpryj पर उपलब्ध हैं।

Saturday, December 28, 2024

CBSE Single Girl Child Scholarship 2024 के लिए अब 10 जनवरी तक करें आवेदन, सीबीएसई ने बढ़ाई अंतिम तिथि

CBSE Single Girl Child Scholarship 2024 के लिए अब 10 जनवरी तक करें आवेदन, सीबीएसई ने बढ़ाई अंतिम तिथि


🔴 आधिकारिक वेबसाइट cbse.gov.in पर करें आवेदन
🔴 10 जनवरी, 2025 तक है अप्लाई करने का मौका
🔴 पहले 23 दिसंबर, 2024 थी आवेदन की अंतिम तिथि

27 दिसंबर 2024
नई दिल्ली। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने सिंगल गर्ल चाइल्ड स्कॉलरशिप 2024 के लिए आवेदन करने की अंतिम तिथि को आगे बढ़ा दिया है। नई तिथि के अनुसार, अब छात्राएं इस छात्रवृत्ति के लिए 10 जनवरी, 2025 तक आवेदन कर सकते हैं। सीबीएसई बोर्ड ने आवेदन करने के साथ वर्ष 2023 के लिए भी नवीनीकरण की लास्ट डेट को आगे दस जनवरी, 2025 ही कर दिया है।

इसलिए, जिन छात्राओं को आवेदन करना है और जिन्हें इस स्कॉलरशिप के लिए रिन्यूअल करना है, वे दोनों ही ऐसा कर सकते हैं। अप्लाई करने के लिए स्टूडेंट्स को आधिकारिक वेबसाइट cbse.gov.in पर जाकर आवेदन करना होगा। साथ ही, स्कूलों द्वारा इस छात्रवृत्ति आवेदन का सत्यापन करने के लिए 17 जनवरी, 2025 निर्धारित की गई है। बता दें कि इससे पहले आवेदन करने की अंतिम तिथि 23 दिसंबर, 2025 थी।


CBSE Single Child Scholarship 2024 Eligibility Criteria: सीबीएसई सिंगल गर्ल चाइल्ड स्कॉलरशिप के लिए ये मांगा है एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया

सीबीएसई सिंगल गर्ल चाइल्ड स्कॉलरशिप के लिए आवेदन करने वाली छात्राओं को दसवीं कक्षा में की परीक्षा में 60% या अधिक अंक प्राप्त करना होंगे। साथ ही सीबीएसई से संबंद्ध स्कूलों में कक्षा 12 या 11 में अध्ययनरत होना आवश्यक है। साथ ही एनआरआई आवेदक भी इस स्कॉलरशिप के लिए पात्र हैं। हालांकि, इनके लिए ट्यूशन फीस अधिकतम 6,000 रुपये प्रति माह होनी चाहिए।


CBSE Single Child Scholarship 2024: सीबीएसई सिंगल गर्ल चाइल्ड स्कॉलरशिप के लिए ऐसे करें ऑनलाइन आवेदन 

सीबीएसई सिंगल गर्ल चाइल्ड स्कॉलरशिप के लिए आवेदन करने वाले छात्राओं को सबसे पहले आधिकारिक वेबसाइट cbse.gov.in पर जाना होगा। अब, होमपेज पर 'सिंगल गर्ल चाइल्ड स्कॉलरशिप X-2024 REG' पर क्लिक करें और फिर एप्लिकेशन लिंक पर क्लिक करें। अब यह चुनें कि नया आवेदन जमा करना है या फिर साल 2023 के आवेदन पत्र को नवीनीकरण करना करना है।आवेदन पत्र भरें, संबंधित डॉक्यूमेंट्स अपलोड करें और आवेदन सबमिट करने से पहले एक बार क्रॉस चेक करें। इसके बाद भविष्य के संदर्भ के लिए आवेदन पत्र डाउनलोड करें और प्रिंट कर लें।

इसके इतर बात करें तो सीबीएसई बोर्ड की ओर से दसवीं और बारहवीं की परीक्षाएं 15 फरवरी, 2025 से शुरू हो रही हैं। परीक्षा के लिए हाल ही में टाइमटेबल जारी किया जा चुका है। वहीं, अब परीक्षार्थियों को प्रवेश पत्र जल्द ही उपलब्ध करा दिए जाएंगे। ज्यादा जानकारी के लिए वेबसाइट पर विजिट कर सकते हैं।



24 नवंबर 2024
CBSE "सिंगल गर्ल चाइल्ड छात्रवृत्ति योजना" अंतर्गत 23 दिसम्बर तक मांगे गए नए और नवीनीकरण हेतु आवेदन, देखें नोटिफिकेशन और जारी विस्तृत निर्देश 


🔴 आवेदन लिंक


शिक्षकों पर कार्रवाई करने से पहले प्रबंधतंत्र ले अनुमति, शिक्षकों की सेवा सुरक्षा के लिए आयोग ने शासन को भेजा पत्र

अब आसानी से नहीं निकाले जा सकेंगे एडेड स्कूलों के शिक्षक, सेवा संबंधी शतों को जोड़ने के लिए शिक्षा सेवा चयन आयोग ने शासन को भेजा प्रस्ताव



शिक्षकों पर कार्रवाई करने से पहले प्रबंधतंत्र ले अनुमति,  शिक्षकों की सेवा सुरक्षा के लिए शिक्षा सेवा चयन आयोग ने शासन को भेजा पत्र

मांग : धारा 18 एवं 21 को शिक्षा सेवा चयन आयोग में शामिल करें


प्रयागराज । अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के तदर्थ प्रधानाध्यापक/ प्रधानाचार्य को वेतन एवं शिक्षकों की सेवा सुरक्षा की धारा हटाए जाने से शिक्षक व शिक्षक संगठन असंतुष्ट हैं। प्रधानाचार्य परिषद एवं माध्यमिक शिक्षक संघों की इस मांग पर शिक्षा सेवा चयन आयोग के सचिव ने प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा को पत्र भेजा है।

भेजे गए पत्र में धारा 18 एवं 21 में दी गई व्यवस्था को बिंदुवार बताया है। चयन बोर्ड की यह दोनों धारा शिक्षा सेवा चयन आयोग अधिनियम में नहीं है। इससे तदर्थ प्रधानाध्यापकों / प्रधानाचार्यों का वेतन और शिक्षक अपनी सेवा को लेकर चिंतित हैं। धारा 21 में शिक्षकों सेवा संबंधी प्रावधान थे। इससे प्रबंधतंत्र को किसी शिक्षक के विरुद्ध निलंबन, बर्खास्तगी आदि की कार्यवाही करने के पूर्व चयन बोर्ड से अनुमति लेनी पड़ती थी।

यह धारा नए आयोग में लागू होने से शिक्षकों पर कार्रवाई से पहले प्रबंधतंत्र को आयोग से अनुमति लेनी होगी। प्रधानाचार्य परिषद व माध्यमिक शिक्षक संघों ने शिक्षा सेवा चयन आयोग अधिनियम 2023 में चयन बोर्ड अधिनियम 1982 की इन दोनों धाराओं को प्रख्यापित किए जाने की मांग की है।

Friday, December 27, 2024

घर की राह देख रहे परिषदीय शिक्षक हुए चिंतित, पारस्परिक स्थानांतरण में शासन की उदासीनता पर बढ़ता जा रहा रोष

घर की राह देख रहे परिषदीय शिक्षक हुए चिंतित, पारस्परिक स्थानांतरण में शासन की उदासीनता पर बढ़ता जा रहा रोष


⬛ देखें क्लिक करके भेजे गए स्थानांतरण हेतु प्रस्ताव 👇





बेसिक शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश के शिक्षकों के पारस्परिक तबादलों की आस में बैठे बेसिक शिक्षकों का धैर्य जवाब देने लगा हैं। प्रशासनिक अधिकारियों की उदासीनता की वजह से घर जाने की बाट जोह रहे शिक्षकों को डर सता रहा है कि कहीं इस बरस भी तबादलों का ये मौसम यूं ही न गुजर जाए। अधिकारियों की लापरवाही की वजह से पिछले समर वेकेशन में पारस्परिक स्थानांतरण नहीं हो सका था। जिससे परिषदीय शिक्षक व शिक्षकायें काफी मायूस है। परिषदीय शिक्षकों का मानना है कि अगर शासनादेश जल्द जारी नहीं होता है तो इस विंटर वेकेशन में भी पारस्परिक स्थानांतरण नहीं हो पाएगाऔर फिर से लंबा इंतजार करना पड़ेगा। 


साल में सिर्फ दो बार गर्मी और सर्दी में ट्रांसफर का नियम

अंत- जनपदीय परस्पर स्थानांतरण के लिए शिक्षकों का एक शिक्षा सत्र में दो बाद तबादला किया जा सकता है। ये ट्रांसफर या तो ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान हो सकेंगे या फिर सर्दी के मौसम में छुट्टियों के समय। कक्षा के संचालित रहते हुए किसी भी सूरत में तबादले नहीं किए जा सकेंगे। शिक्षक निर्धारित तिथियों के मध्य ही ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।


वेबसाइट पर डालनी होगी संपूर्ण जानकारी

एनसीईआरटी की ओर से विकसित वेबसाइट पर अंत- जनपदीय तबादले के लिए आवेदन से पहले शिक्षकों को अपना संपूर्ण विवरण डालना होगा। ताकि अन्य शिक्षक भी इसे देख सकें और एक-दूसरे के विवरण के आधार पर तबादले के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकें। अंत-जनपदीय ट्रांसफर के दौरान स्थानांतरित होने वाले शिक्षकों को हर हाल में 7 दिन के अंदर विद्यालय में अनिवार्य रूप से कार्यभार ग्रहण करना होगा।


बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव सुरेंद्र तिवारी ने पारस्परिक तबादले का प्रस्ताव 10 दिसंबर को ही शासन में भेज दिया था, लेकिन शासन स्तर पर अधिकारी के उदासीनता के चलते अभी तक पारस्परिक स्थानांतरण के लिए कोई आदेश जारी नहीं हुआ।


प्राथमिक विद्यालय में विषय मैपिंग का झंझट नहीं

चूकि कक्षा एक से पांच तक के लिए तैनात बसिक शिक्षकों में सब्जेक्ट मेपिंग का झंझट नहीं है, इसलिए इन शिक्षकों के तबादलों के मध्य भाषा जैसे विज्ञान, गणित आदि की बाध्यता नहीं होगी। जबकि इसके उलट उच्च प्राथमिक विद्यालय में कक्षा 6 से 8 तक पढ़ने वाले बच्चों के लिए विषयवार शिक्षकों की तैनाती की जाती है। ऐसे में यदि समान जिले में दूर दराज तैनात कोई शिक्षक अदला बदली कर तबादला कराना चाहें तो उनके लिए समान विषय के शिक्षक का होना अनिवार्य है। यानि गणित का टीचर गणित वाले से ही रिप्लेस किया जा सकेगा और विज्ञान का शिक्षक विज्ञान वाले से।


समान पद पर समान पद वाले शिक्षक का ही तबादला

अंत- जनपदीय तबादले की शर्त ये भी है कि समान पद पर समान शिक्षक का ही तबादला हो सकेगा। यदि कोई प्रधानाचार्य पद पर तैनात है तो उसी पद पर तैनात दूसरा शिक्षक भी इच्छुक होगा तभी तबादला संभव है। इसके साथ ही कागजी कार्रवाई में किसी तरह की कमी नहीं होनी चाहिए। ऑनलाइन आवेदन करते वक्त यदि कोई कमी छूट गई तो उसे सुधारा नहीं जा सकेगा।


जिन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई उनका तबादला नहीं

यदि किसी शिक्षक पर अनुशासनात्मक कार्रवाई चल रही है तो अंत: जनपदीय स्थानांतरण की स्थिति में अनुशासनात्मक कार्रवाई समाप्त होने पर ही उस शिक्षक का तबादला या कार्यमुक्त या कार्य ग्रहण कराया जा सकेगा।

स्कूलों में कंप्यूटर नहीं, बच्चों को सिखाएंगे प्रोग्रामिंग, कक्षा छह, सात और आठ में शामिल की गई पाइथन और स्क्रैच जैसी प्रोगामिंग को पढ़ाने के लिए शिक्षक चिंतित

स्कूलों में कंप्यूटर नहीं, बच्चों को सिखाएंगे प्रोग्रामिंग, कक्षा छह, सात और आठ में शामिल की गई पाइथन और स्क्रैच जैसी प्रोगामिंग को पढ़ाने के लिए शिक्षक चिंतित


● प्रायोगिक विषय को सैद्धांतिक रूप से समझेंगे छात्र-छात्राएं

● डायटों में चल रहा विज्ञान एवं गणित शिक्षकों का प्रशिक्षण


प्रयागराज :  बेसिक शिक्षा परिषद के प्रदेश में 40 हजार से अधिक कंपोजिट और उच्च प्राथमिक स्कूलों में अध्ययनरत कक्षा छह से आठ तक के बच्चों के पाठ्यक्रम में इस सत्र से कंप्यूटर के कई टॉपिक शामिल कर दिए गए हैं।


विज्ञान की किताब में जोड़े गए टॉपिक को पढ़ाने के लिए लाखों रुपये खर्च करके विज्ञान और गणित विषय के शिक्षकों को जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान में प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है, लेकिन मजे की बात है कि बच्चों को इन विषयों का प्रायोगिक ज्ञान देने के लिए स्कूलों में कंप्यूटर ही नहीं है।


शिक्षक इस बात को लेकर चिंतित हैं कि कक्षा छह, सात और आठ में शामिल की गई पाइथन और स्क्रैच जैसी प्रोगामिंग को कैसे पढ़ाया जाए। कंप्यूटर का पाठ्यक्रम पहले से काफी बढ़ गया है। पिछले साल तक केवल एक पाठ के रूप में विज्ञान की किताब में शामिल था। इस साल कंप्यूटर की किताब तो अलग से नहीं शामिल की गई है लेकिन विज्ञान में ही प्रत्येक कक्षा में सात-सात पाठ शामिल कर दिए गए हैं। इन्हें पढ़ाने के लिए यूपी में कई चरणों में पांच दिनी प्रशिक्षण दिया जा रहा है।


कुछ स्कूलों में स्मार्ट टीवी तो उपलब्ध हो गए हैं जिन पर कंप्यूटर विषय को पढ़ाया जा सकता है लेकिन 90 फीसदी से अधिक स्कूलों में डिजिटल लिटरेसी, कंप्यूटेशनल थिंकिंग, कोडिंग एवं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के नाम से शामिल कंप्यूटर के नए कोर्स को पढ़ाने की कोई सुविधा नहीं है।


इन टॉपिक को किया शामिल
कक्षा छह में कंप्यूटर, माइक्रोसॉफ्ट पेंट, माइक्रोसॉफ्ट वर्ड, स्टेपवाइस थिंकिंग, स्क्रैच और पाइथन जबकि कक्षा सात में माइक्रोसॉफ्ट एक्सेल, लॉजिकल थिकिंग, स्क्रैच द्वारा कोडिंग, पाइथन टोकन्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को शामिल किया गया है। कक्षा आठ में नेटवर्किंग और साइबर सुरक्षा, पाइथन में यूजर इनपुट आदि है।

झांसी : BSA दफ्तर में रिश्वतखोरी, 50 हजार रुपये घूस लेते बाबू गिरफ्तार

झांसी : BSA दफ्तर में रिश्वतखोरी, 50 हजार रुपये घूस लेते बाबू गिरफ्तार 


झांसी: जिले में एंटी करप्शन टीम ने शिक्षा विभाग के एक और बाबू को पचास हजार की रिश्वत लेते रंगेहाथ दबोच लिया. दरअसल, शिक्षा विभाग के कनिष्ठ लिपिक ने शिक्षिका को बहाल करने के एवज में उनसे डेढ़ लाख रुपये की मांग की थी. एंटी करप्शन टीम के द्वारा बिछाए गए जाल में 50 हजार एडवांस के तौर लेते हुए बाबू को रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया गया.टीम के अनुसार बाबू की संपत्ति और बैंक अकाउंट को भी खंगाला जा रहा है. इस मामले में मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जा रही है. चार माह पहले भी शिक्षा विभाग के एक बाबू को एंटी करप्शन टीम ने रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया था.


एंटी करप्शन टीम में शिकायत करने वाले सीपरी बाजार थाना क्षेत्र निवासी राकेश कुमार पाठक ने बताया कि उनकी पत्नी जागृति पाठक उच्च प्राथमिक विद्यालय पच्चरगढ़ (कम्पोजिट स्कूल) झांसी के ब्लॉक चिरगांव में इंचार्ज प्रधानाध्यापिका के पद पर तैनात थीं.3 अगस्त को ग्राम प्रधान पच्चरगढ़ एवं अन्य ग्रामवासियों द्वारा दिये गये शिकायती प्रार्थना पत्र में लगाये गये आरोपों के आधार पर झांसी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के द्वारा उनकी पत्नी जागृति पाठक से अपना स्पष्टीकरण साक्ष्य सहित देने के लिए कहा गया था. 16 अगस्त को खंड शिक्षा अधिकारी चिरगांव की रिपोर्ट पर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी झांसी ने शिकायतकर्ता की पत्नी को निलम्बित कर दिया था. निलम्बन अवधि में शिकायतकर्ता की पत्नी जागृति पाठक को कन्या उच्च प्राथमिक विद्यालय विकास खण्ड मोंठ से सम्बद्ध कर दिया था.


बीएसए दफ्तर में तैनात लिपिक रमाशंकर सोनकिया के द्वारा निलम्बन आदेश को निरस्त कराकर बहाल कराने के एवज में उनसे डेढ़ लाख रुपये की मांग की गयी. इसकी शिकायत उन्होंने एंटी करप्शन टीम से की. दोपहर लगभग 2 बजे शिकायतकर्ता 50 हजार लेकर मेडिकल कॉलेज पहुंचे और अपनी कार में बाबू को बैठा लिया. जैसे ही बाबू ने रिश्वत के पैसे अपनी जैकेट में रखे, वैसे ही एंटी करप्शन टीम ने बाबू को रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया. बाबू को लेकर टीम सदर बाजार थाने पहुंची. वहां एंटी करप्शन टीम बाबू से इस मामले में पूछताछ कर रही है.


शिक्षिका जागृति पाठक ने आरोप लगाया कि बीएसए के स्टेनो देवेंद्र सभी शिक्षकों से रुपये मांगते हैं. अगर कोई शिक्षक अवकाश भी लेता है, तो उसके तीन हजार रुपये देने पड़ते है. वहीं सीओ रामवीर सिंह ने बताया कि एंटी करप्शन टीम ने रमाशंकर सोनकिया पुत्र स्वर्गाीय रामरतन निवासी- डिफेंस कॉलौनी करगुवांजी थाना नबावाद शिक्षा विभाग के बाबू को रिश्वत लेते गिरफ्तार किया है. टीम की तहरीर के आधार पर मुकदमा दर्ज किया गया है.


Barbing the BRIBE ✂️
झाँसी इकाई द्वारा जनपद झांसी में बेसिक शिक्षा कार्यालय के कनिष्ठ लिपिक को ₹50,000/- रिश्वत लेते हुए ट्रैप किया गया। कृपया भ्रष्टाचार के प्रकरणों को एसीओ की हेल्पलाइन:📱9454402484,  📧 aco@nic.in पर रिपोर्ट करें।

महत्वपूर्ण धार्मिक महत्व के पर्वों के अवकाश रद्द किए जाने पर सवाल उठाते सीएम योगी से PSPSA ने ज्ञापन के जरिए पर्वों के महत्त्व को रेखांकित करते हुए अवकाश की पुनः बहाली की मांग की

प्रमुख पर्वों की छुट्टियां फिर से बहाल करने की मांग


लखनऊ। प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर परिषदीय विद्यालयों में भारतीय संस्कृति से संबंधित प्रमुख पर्वों की छुट्टियां फिर से बहाल करने की मांग की है। 

संघ के प्रांतीय अध्यक्ष विनय कुमार सिंह ने बताया है कि मौनी अमावस्या, भैयादूज, जमात उल विदा (अलविदा), नाग पंचमी, अनंत चतुर्दशी, पितृ विसर्जन और नवरात्र के पहले दिन की छुट्टी पूर्व में होती थी लेकिन अधिकारियों ने बिना इन पर्वों का महत्व जाने की संबंधित छुट्टियों को रद्द कर दिया। इसके कारण सरकार की छवि सनातन विरोधी बन रही है।

 उन्होंने कहा कि शिक्षक व बच्चे भी अपने पारिवारिक, सामाजिक व धार्मिक दायित्वों का निर्वहन नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में जांच की जानी चाहिए कि इन बड़े पर्वो के अवकाश को क्यों समाप्त किया गया। उन्होंने बेसिक शिक्षा परिषद की 2025 की अवकाश तालिका में इन पर्वो पर अवकाश घोषित करने की मांग की। 



महत्वपूर्ण धार्मिक महत्व के पर्वों के अवकाश रद्द किए जाने पर सवाल उठाते सीएम योगी से PSPSA ने ज्ञापन के जरिए पर्वों के महत्त्व को रेखांकित करते हुए अवकाश की पुनः बहाली की मांग की

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा बेसिक शिक्षा परिषद के अंतर्गत घोषित अवकाशों में कई महत्वपूर्ण धार्मिक पर्वों के अवकाश रद्द किए जाने पर समाज और शिक्षकों में गहरा असंतोष व्याप्त है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को संबोधित PSPSA के ज्ञापन में शिक्षकों और अभिभावकों ने इन पर्वों के महत्त्व को रेखांकित करते हुए इन पर अवकाश की पुनः बहाली की मांग की है।  

ज्ञापन में यह बताया गया कि मौनी अमावस्या, होली भैयादूज, नाग पंचमी, अनंत चतुर्दशी, और पितृ विसर्जन अमावस्या जैसे पर्वों पर पहले अवकाश घोषित किए जाते थे। हालांकि, वर्तमान में इन पर्वों के अवकाश रद्द कर दिए गए हैं, जिसके कारण शिक्षक और विद्यार्थी अपने धार्मिक, पारिवारिक और सामाजिक दायित्वों का निर्वहन करने में असमर्थ हो रहे हैं।  

शिक्षकों का कहना है कि इन पर्वों के माध्यम से बच्चों को भारतीय संस्कृति और परंपराओं से जोड़ा जाता था। मौनी अमावस्या जैसे पर्वों पर गंगा स्नान, दान और मौन व्रत की प्रथा सदियों से चली आ रही है। वहीं, पितृ विसर्जन अमावस्या पर पिंडदान और नवरात्रि के प्रथम दिन कलश स्थापना जैसे महत्वपूर्ण अनुष्ठानों के लिए समय चाहिए।  

अधिकारियों द्वारा इन अवकाशों को रद्द करने को समाज सरकार की "सनातन विरोधी" छवि से जोड़ रहा है। शिक्षकों ने यह सवाल भी उठाया कि जब एक संत मुख्यमंत्री की सरकार में धार्मिक पर्वों की उपेक्षा हो रही है, तो इसे दुर्भावना के सिवाय और क्या कहा जा सकता है?  

 
संगठन ने यह भी आरोप लगाया कि अधिकारियों ने अवकाश रद्द करने से पहले न तो पर्वों का महत्व समझा और न ही समाज के सुझाव लिए। ज्ञापन में मांग की गई है कि इन अधिकारियों की पृष्ठभूमि की जांच होनी चाहिए और यह देखा जाए कि कहीं यह निर्णय सरकार की छवि खराब करने की साजिश तो नहीं।  


शिक्षकों ने 2025 की अवकाश तालिका में इन पर्वों को पुनः शामिल करने की मांग की है। साथ ही, 2015 से 2019 और 2024 की अवकाश तालिकाओं को आधार बनाकर इन छुट्टियों की महत्ता को रेखांकित किया है।  




परिषदीय विद्यालयों में भारतीय संस्कृति से संबंधित प्रमुख पर्वों के अवकाश को पुनः घोषित करने के संदर्भ में PSPSA ने सीएम योगी से की मांग



Wednesday, December 25, 2024

यूपी बोर्ड : फर्जीवाड़ा रोकने व सुरक्षा की दृष्टि से मार्क्सशीट में होंगे कई बड़े बदलाव

यूपी बोर्ड : फर्जीवाड़ा रोकने व सुरक्षा की दृष्टि से मार्क्सशीट में होंगे कई बड़े बदलाव


प्रयागराज। फर्जीवाड़ा रोकने व सुरक्षा की दृष्टि से यूपी बोर्ड की 10वीं और 12वीं की मार्क्सशीट में बड़े बदलाव होंगे। ए-फोर साइज की मार्क्सशीट धूप-छांव में अलग-अलग रंग में दिखेगी। इस पर न पानी का असर होगा और न ही फाड़ा जा सकेगा। अभी छोटे आकार की मार्क्सशीट मिलती है। कंटेंट काफी अधिक होते हैं। 

इसे देखते हुए आगे से ए-फोर साइज की मार्क्सशीट बनाने का निर्णय लिया गया है। इसमें ऐसे इनपुट तथा मोनोग्राम, होंगे जिससे धूप में ले जाने पर यह लाल रंग की दिखेगी। छांव में सामान्य रंग हो जाएगा। न छेड़छाड़ हो सकेगी और न ही इसे नष्ट किया जा सकेगा। खुरचकर ओवरराइटिंग भी नहीं हो पाएगी। इसे न तो फाड़ा जा सकेगा और न ही यह पानी में गलेगी। मार्क्सशीट में कुछ ऐसे फीचर भी होंगे जिन्हें सिर्फ अल्ट्रा वॉयलट किरणों से ही देखा जा सकेगा। 


धूप-छांव में रंग बदलेगी यूपी बोर्ड की मार्कशीट, अब फटेगी न गलेगी

फर्जीवाड़ा रोकने के लिए कई अन्य सिक्योरिटी फीचर होंगे शामिल

प्रयागराज। फर्जीवाड़ा रोकने व सुरक्षा की दृष्टि से यूपी बोर्ड की दसवीं और बारहवीं की मार्कशीट में बड़े बदलाव किए जाएंगे। ए- फोर साइज की मार्कशीट धूप और छांव में अलग-अलग रंग में दिखेगी। इतना ही नहीं उस पर पानी का असर नहीं होगा और न ही फाड़ा जा सकेगा।

अभी छोटे आकार की मार्कशीट मिलती है। इसके विपरीत कंटेंट काफी अधिक होते हैं। इसे देखते हुए आगे से ए-फोर साइज की मार्कशीट बनाने का निर्णय लिया गया है। इसमें ऐसे इनपुट तथा मोनोग्राम, होंगे जिसकी वजह से धूप में ले जाने पर यह लाल रंग की दिखेगी। वहीं, छांव में सामान्य रंग हो जाएगा।

मार्कशीट के साथ छेड़छाड़ नहीं हो सकेगी और न ही इसे नष्ट किया जा सकेगा। मार्कशीट को खुरचकर ओवरराइटिंग नहीं हो पाएगी। इसे न तो फाड़ा जा सकेगा और न ही यह पानी में गलेगी। मार्कशीट में कुछ ऐसे फीचर भी होंगे जिन्हें सिर्फ अल्ट्रा वॉयलट किरणों से देखा जा सकेगा। इस पर वाटर मार्क होंगे।

बोर्ड के सचिव भगवती सिंह का कहना है कि ए-फोर स्टैंडर्ड साइज है। सभी बोर्ड की मार्कशीट इसी साइज में होती है। ए-फोर साइज की मार्कशीट से लुक अच्छा होगा।




मार्कशीट फटेगी नहीं, फोटो प्रति पर लिखकर आ जाएगा फोटोकॉपी, यूपी बोर्ड के अंक पत्र का आकार होगा बड़ा

54 लाख से अधिक परीक्षार्थी होंगे लाभान्वित, मार्कशीट में कुछ सुरक्षा उपाय बढ़ाए गए

प्रयागराज । उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) 10वीं और 12 वीं के अंक पत्र में बड़ा बदलाव करने जा रहा है। बोर्ड परीक्षा 2025 में शामिल परीक्षार्थियों को ऐसी मार्कशीट दी जाएगी आसानी से नहीं फटेगी। पानी में डालने पर यह गलेगी भी नहीं। इसकी एक और खास बात यह होगी कि चाहे जिस भी प्रिंटर से इसकी फोटोकॉपी की जाए फोटो प्रति पर फोटोकॉपी लिखा आ जाएगा।

यूपी बोर्ड के इस निर्णय से 54 लाख से अधिक परीक्षार्थी लाभांवित होंगे। अब यूपी बोर्ड के अंकपत्र सह प्रमाणपत्र ए-4 साइज के होंगे जबकि इससे पहले साइज छोटा होता था। मार्कशीट में कुछ सुरक्षा उपाय भी किए गए हैं। इसमें जो मोनोग्राम लगाया जाएगा वह धूप में ले जाने पर लाल रंग में दिखेगा और छांव में आने के बाद इसका रंग बदल जाएगा। अंक पत्र के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की जा सकेगी।

 अंक पत्र में कुछ सुरक्षात्मक उपाय इस तरह से किए जाएंगे जिसे सिर्फ अल्ट्रावायलेट किरणों से ही देखा जा सकेगा। अंक पत्र को खुरच कर उस पर ओवरराइटिंग नहीं की जा सकेगी। उस पर वाटर मार्क और रेनबो होगा। यूपी बोर्ड सचिव भगवती सिंह ने बताया कि ए-4 साइज स्टैंडर्ड होता है और सभी बोर्ड इसी साइज में अंक पत्र देते देते हैं। यूपी बोर्ड के अंक पत्र में कंटेंट काफी ज्यादा होते हैं और जगह कम होती है। इसी वजह से उसका लुक अच्छा नहीं आता है। इसलिए इसके आकार में बदलाव किया जा रहा है, जो वर्तमान में दिए जा रहे अंक पत्र से काफी अच्छा दिखेगा।

परिषदीय स्कूलों में छमाही परीक्षायें तो शुरू हुईं पर पूर्णांक पर असमंजस अब तक बरकरार

परिषदीय स्कूलों में छमाही परीक्षायें तो शुरू हुईं पर पूर्णांक पर असमंजस अब तक बरकरार 

24 दिसंबर 2024
लखनऊ । परिषदीय स्कूलों में सोमवार से शुरू हुई अर्द्धवार्षिक परीक्षाओं में अव्यवस्थाओं का बोलबाला रहा।  शिक्षक परीक्षा के पूर्णांक को लेकर असमंजस में रहे। शिक्षक एआरपी व अन्य शिक्षक साथियों को फोन कर वास्तविक पूर्णांक जानने का प्रयास करते रहे लेकिन सटीक जवाब देने के लिए कोई सामने नहीं आया। परीक्षा के पूर्णांक को लेकर लगातार गलतफहमी बनी रही।

निदेशक के आदेश में अर्द्धवार्षिक परीक्षा का पूर्णांक 50 घोषित किया गया था लेकिन बीते वर्षों में 30 अंक की छमाही परीक्षाएं आयोजित होती रहीं हैं। एक बिडंबना यह भी है कि प्रेरणा पोर्टल के होलिस्टिक प्रोग्रेस रिपोर्ट में कक्षावार पूर्णांक 30 से लेकर 60 तक निर्धारित किए गए हैं।


मॉडल प्रश्न पत्र व्हाट्सएप में पोस्ट किए

कुछ ब्लॉकों में विभिन्न शिक्षक व्हाट्सएप समूहों में माडल प्रश्न पत्र पोस्ट किए गए। यह प्रश्नपत्र 50 अंक के थे। सभी स्कूलों में ब्लैक बोर्ड में प्रश्न लिखकर परीक्षाएं कराई गईं। 


रिपोर्ट कार्ड में पूर्णांक कुछ और !

प्रेरणा पोर्टल में छमाही परीक्षा के लिए कक्षा एक में 30 अंक, कक्षा दो से पांच तक 60 अंक और कक्षा 6 से 8 तक 30 अंक निर्धारित हैं। इनमें मौखिक और लिखित का विभाजन होना है। जबकि माडल पेपर में कक्षा दो से आठ तक 50 अंक का निर्धारण किया गया है। कक्षा 2 से 5 तक में प्रत्येक सत्र परीक्षा के लिए 20 अंक निर्धारित हैं। मजे की बात है कि पहली सत्र परीक्षा विभाग 10 अंक के आधार पर करा चुका है। जबकि कक्षा 1 व 6 से 8 में सत्र परीक्षा के लिए 10 अंक निर्धारित किए गए हैं।




परीक्षाएं 23 दिसंबर से और पेपर कितने नंबर का? यह पता नहीं, बेसिक स्कूलों की अर्द्धवार्षिक परीक्षाएं शुरू होने वाली हैं लेकिन विभाग के अलग-अलग निर्देशों से असमंजस

15 दिसंबर 2024
लखनऊ: बेसिक स्कूलों में 23 दिसंबर से अर्द्ध वार्षिक परीक्षाएं होनी हैं। स्कीम जारी कर गई है लेकिन शिक्षक परेशान है कि किस पूर्णाक के आधार पर नंवर दें? टर्म परीक्षाओं, अर्द्धवार्षिक और वार्षिक परीक्षाएं 100, 120 या 200 में से कितने पूर्णाक पूणर्णांक का ही पता नहीं 100, 120 या 200 नंबर में से किस आधार पर जांचें कॉपियां और कैसे बनाएं मार्कशीट की होगी? 


वेसिक सकूलों में कक्षा एक से आठ तक की अर्द्धवार्षिक परीक्षाओं की स्कीम जारी कर दी गई है। परीक्षाएं 23 दिसंबर से हैं। उसी के साथ लिखित और मौखिक अंकों का विवरण भी दिया गया है। उसमें लिखा है कि लिखित अर्द्धवार्षिक परीक्षा में सभी प्रश्न पत्रों के पूर्णांक 50 होंगे। शिक्षकों का कहना है कि वार्षिक परीक्षा  50 पूर्णांक की पहले से ही होती है। वहीं एक टर्म एग्जाम हो चुके हैं। उसका पूर्णाक 10 था। एक और टर्म एग्जाम होगा तो वह भी 10 नंवर का होगा। इस तरह साल भर में कुल पूर्णांक 120 हो गया।


पहले यह थी व्यवस्था

पहले अर्द्धवार्षिक परीक्षा 30 अंक की होती थी। वहीं, टर्म एग्जाम 10-10 नंवर के होते थे। 50 अंक की वार्षिक परीक्षा होती थी। इस तरह पूर्णाक 100 हो जाता था। शिक्षकों का कहना है कि तव कोई कंफ्यूजन नहीं होता था। पिछले साल से यह गड़बड़ी देखने को मिल रही है। विभाग के स्तर से मार्गदर्शन भी नहीं दिया जाता। यही वजह है कि अलग-अलग स्कूल अलग-अलग पूर्णाक तय करके नंवर देते हैं।


मार्कशीट के प्रोफार्मा में 200 पूर्णांक

शिक्षकों की मुसीबत तब और बढ़ गई जब उन्होंने मार्कशीट तैयार करने का प्रोफार्मा देखा। उसमें टर्म एग्जाम 20-20 नंबर के हैं। अर्द्धवार्षिक परीक्षा के पूर्णाक 60 दिए गए हैं। वार्षिक परीक्षा 100 पूर्णांक की होनी है। इस तरह कुल पूर्णांक 200 हो गया। अब शिक्षक तय नहीं कर पा रहे है कि किस पूर्णांक को मानकर वे कॉपी जांचें और मार्कशीट बनाएं। इस बारे में प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक असोसिएशन के अध्यक्ष विनय कुमार सिंह का कहना है कि शिक्षक बहुत कन्फ्यूज है। इससे मूल्यांकन में काफी दिक्कत आएगी। विभाग को इस बारे में स्पष्ट करना चाहिए कि किस आधार पर मूल्यांकन किया जाए और मार्कशीट तैयार की जाए।


ये गड़बड़ी सुधारी

बेसिक शिक्षा विभाग ने इस बार स्कीम भी गलत जारी कर दी थी। जो स्कीम जारी की गई थी उसमें कक्षा 6 में हिंदी और कक्षा सात और आठ में विज्ञान की परीक्षा का कोई जिक्र ही नहीं था। विवाद उठने पर विभाग ने शुक्रवार को संशोधित स्कीम जारी कर दी।




असमंजस : सौ की परीक्षा में दो सौ अंक देंगे गुरुजी, रिपोर्ट फार्म में अधिक पूर्णाक देख परेशान हो रहे शिक्षकप्रत्येक बच्चे की ऑनलाइन की जा रही हॉलिस्टिक (समग्र) रिपोर्ट


लखनऊ। बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से जारी हो रहे नित नए आदेशों ने शिक्षकों को पशोपेश में डाल दिया है। ऑनलाइन की जा रही छात्र- छात्राओं को हॉलिस्टिक रिपोर्ट (समग्र रिपोर्ट) में गुरुजी को अब पूर्णांक से भी ज्यादा अंक देने होंगे।


पूरे सत्र में 100 अंकों की परीक्षा होती है, लेकिन रिपोर्ट में पूर्णांक 200 दिया गया है। परिषदीय स्कूलों में प्रतिवर्ष 10-10 अंकों की दो सत्र परीक्षा के अलावा 30 अंकों की अर्धवार्षिक और 50 अंकों की वार्षिक परीक्षा होती है। इस तरह पूरे सत्र में कुल 100 अंकों की परीक्षा होती है।


इसी के आधार पर इस बार की प्रथम सत्र परीक्षा सितंबर माह में 10 अंकों की हो चुकी है। इसके अंक भी परिणाम रजिस्टर में दर्ज किए जा चुके हैं। अर्द्धवार्षिक परीक्षा का भी कार्यक्रम जारी किया जा चुका है।


इसका भी पूर्णांक 50 दिया गया है। इसके बावजूद कक्षा तीन, चार और पांच की ऑनलाइन की जा रही रिपोर्ट में सत्र परीक्षा का पूर्णांक 20 और अर्द्धवार्षिक का 60 दिया गया है। साल भर में होने वाली परीक्षाओं का कुल पूर्णांक 100 है, जबकि हॉलिस्टिक रिपोर्ट में वर्षभर की परीक्षाओं का पूर्णांक 200 दर्ज करना है।


शिक्षकों की समझ नहीं आ रहा कि जब सत्र परीक्षा 10 अंकों की हुई है तो वे 20 पूर्णांक में से अंक कैसे भरें। आगे होने वाली परीक्षाओं में भी यही स्थिति होने वाली है।

Tuesday, December 24, 2024

नियमित NPS अंशदान में घोर लापरवाही पर वित्त नियंत्रक (बेसिक शिक्षा) ने रायबरेली के वित्त एवं लेखाधिकारी से मांगा स्पष्टीकरण, देखें कोर्ट ऑर्डर और आदेश

नियमित NPS अंशदान में घोर लापरवाही पर वित्त नियंत्रक (बेसिक शिक्षा) ने रायबरेली के वित्त एवं लेखाधिकारी से मांगा स्पष्टीकरण, देखें कोर्ट ऑर्डर और आदेश 

हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद सरकार के निर्देशों की अनदेखी पर इस कृत्य को बताया सरकारी कार्यों के प्रति लापरवाही का प्रतीक 

पर्याप्त बजट के बावजूद जमा नहीं हुआ अंशदान  


रायबरेली । हाईकोर्ट के आदेश और पर्याप्त धनराशि आवंटन के बावजूद रायबरेली में न्यू पेंशन स्कीम (एनपीएस) अंशदान जमा करने में हो रही लापरवाही ने सरकारी तंत्र की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। बेसिक शिक्षा परिषद के वित्त नियंत्रक राकेश सिंह ने इस मामले में वित्त एवं लेखाधिकारी, रायबरेली से स्पष्टीकरण मांगते हुए इसे सरकारी कार्यों के प्रति लापरवाही का प्रतीक बताया है।  


कंपोजिट स्कूल बेलाखारा, विकास क्षेत्र राही के सहायक अध्यापक श्री राहुल बाजपेयी ने 21 नवंबर 2024 को लिखित शिकायत में बताया कि उनके वेतन से हर महीने एनपीएस अंशदान काटा जा रहा है, लेकिन अगस्त 2024 से अब तक यह उनके एनपीएस खाते में जमा नहीं किया गया है। यही नहीं, सरकारी अंशदान भी लगातार लंबित है, जिससे उनके वित्तीय अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।  


रिपोर्ट के अनुसार, मुख्यालय ने जून और अक्टूबर 2024 में क्रमशः ₹36.60 करोड़ और ₹19.16 करोड़ की धनराशि, कुल ₹55.76 करोड़, रायबरेली को आवंटित की थी। इतनी बड़ी राशि होने के बावजूद एनपीएस खाते में अंशदान जमा न करना विभागीय कर्तव्य के प्रति घोर लापरवाही और असंवेदनशीलता को दर्शाता है।  


वित्त नियंत्रक ने रायबरेली के वित्त एवं लेखाधिकारी को निर्देश दिया है कि तत्काल लंबित अंशदान को अद्यतन कराते हुए यह स्पष्ट करें कि पर्याप्त बजट होने के बाद भी नियोक्ता अंशदान नियमित रूप से क्यों नहीं जमा किया गया। इसके साथ ही मुख्यालय ने इसे शासकीय कार्यों में ढिलाई का गंभीर मामला मानते हुए स्पष्टीकरण मांगा है।  


इस घटना से रायबरेली के बेसिक शिक्षा के कर्मचारियों और शिक्षकों में भारी नाराजगी है। उनका कहना है कि यदि एनपीएस जैसे महत्वपूर्ण वित्तीय दायित्वों में ही विभाग इतनी लापरवाही बरतेगा, तो कर्मचारियों का भविष्य सुरक्षित कैसे होगा?  


वित्तीय मामलों के विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटना उच्च अधिकारियों की कार्यशैली और सरकारी आदेशों के अनुपालन में ढिलाई का नतीजा है। यदि समय पर अंशदान जमा नहीं किया गया, तो न केवल कर्मचारियों के रिटायरमेंट फंड पर असर पड़ेगा, बल्कि यह सरकार की साख पर भी बट्टा लगाएगा।  


हाईकोर्ट के स्पष्ट आदेश के बावजूद एनपीएस अंशदान में हो रही इस घोर लापरवाही ने सरकारी तंत्र की जवाबदेही और कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह मामला केवल वित्तीय लापरवाही नहीं, बल्कि कर्मचारियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ का उदाहरण है। ऐसे में सरकार और प्रशासन को तुरंत इस पर कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।  

फर्जी शिक्षक बता रिक्शा चालक को भेजी गई वसूली नोटिस निरस्त, बेसिक शिक्षा विभाग की कार्यशैली पर उठ रहे सवाल

फर्जी शिक्षक बता रिक्शा चालक को भेजी गई वसूली नोटिस निरस्त, बेसिक शिक्षा विभाग की कार्यशैली पर उठ रहे सवाल


24 दिसंबर 2024
श्रावस्तीः भिनगा क्षेत्र के गोड़पुरवा निवासी रिक्शा चालक को फर्जी शिक्षक बताकर भुगतान किए गए वेतन की वसूली के लिए 51 लाख 63 हजार 52 रुपये की रिकवरी नोटिस बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से भेजी गई थी। मीडिया में खबरें आने के बाद बीएसए ने इसे संज्ञान लेते हुए रिकवरी नोटिस को निरस्त कर दिया है। इस घटना का कारण लिपिकीय त्रुटि बताया गया है।

गोड़पुरवा गांव निवासी मनोहर यादव दिल्ली में रहकर हाथ रिक्शा चलाते हैं। वह निरक्षर भी हैं। वर्तमान समय में घर आए थे। शुक्रवार को उन्हें डाकिया के माध्यम से बीएसए कार्यालय से जारी 51 लाख 63 हजार 53 रुपये वसूली नोटिस मिली। इसमें उसे फर्जी शिक्षक भी बताया गया था।

बीएसए अजय कुमार ने बताया कि जमुनहा ब्लाक के उच्च प्राथमिक विद्यालय नौव्वापुरवा में फर्जी सहायक शिक्षक को पकड़ा गया था। फर्जी सहायक शिक्षक सुरेंद्र प्रताप सिंह को बर्खास्त करते हुए भिनगा कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया गया था। लिपिकीय त्रुटिवश इसमें भिनगा क्षेत्र के गोड़पुरवा निवासी मनोहर यादव को आरोपित बनाया गया था। 

पड़ताल के बाद पता चला कि वसूली नोटिस अंबेडकर नगर जिले के सीहमई कारीरात गांव निवासी देवमणि को जारी होनी थी। पहले जारी नोटिस को निरस्त करते हुए वसूली की नई नोटिस जारी कर दी गई है।



अजब गजब: बेसिक शिक्षा विभाग ने फर्जी शिक्षक बता रिक्शाचालक को भेजा 51 लाख रुपए की रिकवरी नोटिस, जानिए किस जनपद का है मामला 


22 दिसम्बर 2024
उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती में बेसिक शिक्षा विभाग ने रिक्शा चालक को 51 लाख रुपए की रिकवरी नोटिस भेज दिया है। एक सप्ताह में जमा कराने को कहा गया। यह सुनकर परिवार के होश उड़ गए।

यूपी के श्रावस्ती जिले में बेसिक शिक्षा विभाग ने फर्जी शिक्षक बताकर एक रिक्शा चालक को 51 लाख 63 हजार रुपये की रिकवरी नोटिस थमा दी है। भुगतान न करने पर आरसी जारी कराते हुए वसूली की चेतावनी भी दी गई है। एक सप्ताह में जमा कराने को कहा गया। यह सुनकर उसके परिवार के होश उड़ गए।


कोतवाली भिनगा क्षेत्र के गांव गोड़पुरवा निवासी मनोहर यादव पुत्र ठाकुर प्रसाद दिल्ली में रहकर रिक्शा चलाता है। परिवार के लोग गांव में ही रहते हैं। कुछ दिन पहले ही वह घर आया है। शुक्रवार को डाकिया से मनोहर को एक पत्र मिला। गांव के कुछ लोगों को दिखाने पर पता चला कि वह पत्र जिला बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से भेजा गया है जो रिकवरी नोटिस है। 

इसमें उसे फर्जी शिक्षक बताया गया है और उसकी नियुक्ति समाप्त कर दी गई है। अब तक उसके द्वारा प्राप्त की गई धनराशि 51 लाख 63 हजार रुपये एक सप्ताह में जमा कराने को कहा गया। यह सुनकर उसके होश उड़ गए। उसका कहना है कि वह निरक्षर है और दिल्ली में रिक्शा चलाता है।


दूसरे के नाम व अभिलेख से नौकरी करने का है मामला

मनोहर को जारी की गई रिकवरी नोटिस में दावा किया गया है कि वह सुरेन्द्र प्रताप सिंह पुत्र बहादुर सिंह निवासी सीहमई कारीरात तहसील अकबरपुर अम्बेडकरनगर के फर्जी नाम व पते का प्रयोग कर बेसिक शिक्षा विभाग के अधीन श्रावस्ती के जमुनहा ब्लाक स्थित उच्च प्राथमिक विद्यालय नौव्वापुरवा में सहायक शिक्षक की नौकरी कर रहा था। 

कूटरचित अभिलेखों का प्रयोग कर नौकरी अर्जित करने की पुष्टि होने पर 14 जुलाई वर्ष 2020 में उसकी नियुक्ति समाप्त कर दी गई। साथ ही कोतवाली भिनगा में मामला दर्ज कराया गया। 12 दिसम्बर को जिला बेसिक शिक्षाधिकारी की ओर से नोटिस जारी कर कथित रूप से बेसिक शिक्षा विभाग से फर्जी तरीके से नौकरी करते हुए प्राप्त की गई 51 लाख 63 हजार 53 रुपये एक सप्ताह में कोषागार में जमा कराने का निर्देश दिया गया। भुगतान न करने पर भू-राजस्व वसूली की तरह कार्रवाई की चेतावनी दी गई।


मामले की पुष्टि करके ही कार्रवाई होगी: बीएसए

बीएसए अजय कुमार ने बताया कि पुलिस विवेचना के बाद जो लिस्ट आई है उसमें दिए गए नाम के हिसाब से कार्रवाई की गई है। बाबू को थाने भेजकर फिर नाम चेक करने को कहा गया है। यदि कमी हुई तो सुधार किया जाएगा लेकिन यदि विवेचना में पुलिस ने यही नाम दिया है तो मामले की पुष्टि करके ही कार्रवाई होगी।