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Thursday, January 4, 2024

18 वर्ष से कम आयु के छात्र/छात्राओं द्वारा दो पहिया एवं चार पहिया वाहन चलाने पर प्रतिबंध लगाने एवं उक्त के फलस्वरूप होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के सम्बन्ध में शिक्षा निदेशक का सभी डीआईओएस को आदेश

स्कूलों की हर कक्षा में एक छात्र को रोड सेफ्टी कैप्टन बनाएंगे, वाहन स्कूल में लाने पर प्रतिबन्ध लगाया गया


18 वर्ष के कम उम्र के बच्चों के लिए बड़ी खबर है। बाइक और कार चलाने पर रोक लगाने और सड़क दुर्घटनाओं में बच्चों को बचाने के लिए स्कूलों में रोड सेफ्टी क्लब के गठन की कवायद तेज हो गई है। इसी क्रम में अब हर स्कूलों की हर कक्षा में एक छात्र को रोड सेफ्टी कैप्टन बनाया जाएगा। कैप्टन की ओर से बच्चों को सड़क सुरक्षा विषय पर हर सप्ताह क्लास ली जाएगी।

दरअसल, परिवहन विभाग की ओर से सितंबर 2022 में स्कूलों के लिए रोड सेफ्टी क्लब का गठन किया गया था। सवा साल तक इस व्यवस्था पर कोई काम नहीं हुआ। अब विभाग की ओर से स्कूलों में रोड सेफ्टी के लिए नोडल शिक्षक भी नामित किए जाएंगे। इस संबंध में जनवरी और जुलाई में होने वाले जिला विद्यालय परिवहन सुरक्षा समिति की बैठक में गठन को लेकर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।


बाल अधिकार संरक्षण को लेकर कवायद शुरू

उत्तर प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य डा. शुचिता चतुर्वेदी की ओर से 18 वर्ष के कम उम्र के बच्चों के लिए रोड सेफ्टी के गठन पर कवायद तेज गई है। उन्होंने 15 दिसंबर को अवगत कराया था कि 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों द्वारा बिना ड्राइविंग लाईसेंस के एक्टिवा, मोटरसाइकिल व अन्य वाहन चलाने से दुर्घटनाएं हो रही है। कानून का कड़ाई से अनुपालन कराना होगा।


वाहन स्कूल में लाने पर प्रतिबन्ध लगाया गया

गौरतलब है कि माध्यमिक स्कूलों में 18 वर्ष से कम आयु के छात्र- छात्राओं के स्कूटी-मोटर साइकिल या चारपहिया वाहन लाने पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया है। माध्यमिक शिक्षा निदेशक डा. महेन्द्र देव की ओर से मंगलवार को सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को भेजे सर्कुलर में कहा गया है कि स्कूलों में 18 वर्ष से कम आयु के छात्र- छात्राओं को स्कूलों में स्कूटी या मोटर साइकिल या कार लाने पर तत्काल रोक लगाई जाए। 50 सीसी से कम क्षमता वाले मोटरसाइकिल को इस प्रतिबंध से मुक्त रखा गया है। ऐसा करने की वजह बच्चों को हादसों से बचाना है।


स्कूलों में विद्यार्थियों के कार-स्कूटी लाने पर प्रतिबंध, 18 वर्ष से कम आयु के छात्र-छात्राओं पर तत्काल रोक लगेगी


माध्यमिक स्कूलों में 18 वर्ष से कम आयु के छात्र-छात्राओं के स्कूटी- मोटर साइकिल या चारपहिया वाहन लाने पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया है। माध्यमिक शिक्षा निदेशक डा. महेन्द्र देव की ओर से मंगलवार को सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को भेजे सर्कुलर में कहा गया है कि स्कूलों में 18 वर्ष से कम आयु के छात्र- छात्राओं को स्कूलों में स्कूटी या मोटर साइकिल या कार लाने पर तत्काल रोक लगाई जाए। 50 सीसी से कम क्षमता वाले मोटरसाइकिल को इस प्रतिबंध से मुक्त रखा गया है। परिवहन आयुक्त द्वारा 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों द्वारा दोपहिया-चार पहिया वाहन चलाने पर रोक के लिए हाल ही में परिवहन कानून में संशोधन की जानकारी देते हुए शिक्षा विभाग से इसमें सहयोग की अपेक्षा की गई थी।



अब स्कूलों में विद्यार्थियों के वाहन लाने पर होगी सख्ती, परिवहन विभाग नोडल शिक्षकों को करेगा प्रशिक्षित

स्कूलों में बनेंगे रोड सेफ्टी क्लब, बनाए जाएंगे रोड सेफ्टी कैप्टन



लखनऊ : सरकारी व निजी स्कूलों में विद्यार्थियों के दोपहिया व चार पहिया वाहन लाने पर सख्ती की जाएगी। विद्यालयों में रोड सेफ्टी क्लब बनाए जाएंगे। सड़क सुरक्षा के लिए जागरुकता फैलाने के लिए प्रत्येक कक्षा में एक विद्यार्थी को रोड सेफ्टी कैप्टन बनाया जाएगा। ये सप्ताह में कम से कम एक कक्षा में विद्यार्थियों को सड़क दुर्घटनाओं के प्रति जागरूक करेंगे। सड़क सुरक्षा के लिए सभी स्कूलों में नोडल शिक्षक भी बनाए जाएंगे। परिवहन विभाग के सहयोग से इन्हें प्रशिक्षित किया जाएगा। 


माध्यमिक शिक्षा निदेशक डा. महेन्द्र देव के मुताबिक 899 राजकीय इंटर कालेजों को रोड सेफ्टी क्लब बनाने के लिए 50-50 हजार रुपये की धनराशि दी जा रही है। वहीं 2,373 सरकारी माध्यमिक स्कूलों को पांच-पांच सौ रुपये यातायात नियम दीवारों पर लिखवाने के लिए दिए गए हैं। 


सात जनवरी तक विद्यालय प्रबंधन के साथ मिलकर परिवहन विभाग विशेष अभियान चलाएगा और ऐसे विद्यार्थियों के वाहनों का चालान करेगा जो नियम विपरीत उसे लेकर आ रहे हैं। हर तीन महीने में विद्यालय परिवहन सुरक्षा समित की बैठक होगी। साथ ही जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जनवरी व जुलाई में सभी स्कूलों की बैठक होगी।


उत्तर प्रदेश राज्य बाल अधिकारी संरक्षण आयोग की सदस्य डा. शुचिता चतुर्वेदी की ओर से पत्र लिखकर सचेत किया गया है कि बिना ड्राइविंग लाइसेंस के बड़ी संख्या में विद्यार्थी स्कूलों में वाहन लेकर आ रहे हैं। 


उन्होंने केजीएमयू व डा. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के विशेषज्ञों की रिपोर्ट के आधार पर यह जानकारी भी दी है कि सड़क दुर्घटना में जान गंवाने वाले 40 प्रतिशत तक नाबालिग बच्चे हैं, जिनकी आयु 12 से 18 वर्ष के बीच होती है। सिर्फ 16 वर्ष से अधिक उम्र के किशोर को 50 सीसी से कम क्षमता के इंजन वाली मोटरसाइकिल चलाने की छूट है। 


स्कूल विद्यार्थियों के साथ-साथ अभिभावकों को भी अलर्ट करेगा कि मोटरवाहन अधिनियम के अनुसार अगर कोई नाबालिग किसी वाहन से दुर्घटना व अपराध करता है तो मोटर वाहन के स्वामी को तीन वर्ष तक की जेल, 25 हजार जुर्माना व गाड़ी का एक वर्ष तक रजिस्ट्रेशन रद किया जा सकता है। ऐसे किशोर को 25 वर्ष की आयु के बाद ही ड्राइविंग लाइसेंस जारी किया जाएगा।



18 साल से कम उम्र के बच्चों को न दें वाहन,  स्कूलों में भी होगी सख्ती और चेकिंग अभियान 

लखनऊ : यूपी में उन अभिभावकों के खिलाफ अब ऐक्शन होगा, जो 18 साल से कम उम्र के अपने बच्चों को बाइक और कार चलाने को देते हैं। उप्र राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सिफारिश पर परिवहन विभाग ने इसको लेकर सख्ती के निर्देश दिए हैं। कानून के मुताबिक, अगर कोई अभिभावक अपने नाबालिग बच्चे को गाड़ी चलाने के लिए देता है उसे 3 साल की सजा और ₹25 हजार जुर्माने का प्रावधान हैं। अब इस कानून को सख्ती से लागू कराने के निर्देश दिए गए हैं।


उप्र राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य डॉ. सुचिता चतुर्वेदी ने इसको लेकर 15 दिसंबर 2023 को इस प्रकरण को लेकर परिवहन आयुक्त को पत्र लिखा था। पत्र के साथ लोहिया और केजीएमयू के विशेषज्ञों के आंकड़ों - का भी उल्लेख किया था। जिसके मुताबिक, सड़क दुर्घटनाओं में जान गंवाने वाले 40% नाबालिग बच्चे होते हैं। उन्होंने 18 साल से पहले बच्चों के वाहन चलाने पर रोक लगाने का अनुरोध किया था।


परिवहन आयुक्त ने कहा, चेकिंग करें: बाल आयोग के अनुरोध को गंभीरता से लेते हुए परिवहन आयुक्त चंद्र भूषण सिंह की ओर से प्रदेश के सभी आरएम, एआरएम और आरटीओ को पत्र लिख कर चेकिंग के निर्देश दिए हैं। परिवहन आयुक्त ने कहा कि मोटर वाहन अधिनियम की धारा 4 में स्पष्ट है कि 18 साल से कम उम्र के बच्चे वाहन नहीं चलाएंगे। 2019 में इसमें संशोधन कर एक नई धारा 199 क जोड़ी गई है, जिसमें कहा गया है कि अगर किसी किशोर द्वारा वाहन चलाने का अपराध किया जाता है, तो किशोर के अभिभावक और वाहन मालिक को दोषी मानते हुए दंडित किया जाएगा। साथ ही ऐसे किशोरों का ड्राइविंग लाइसेंस 25 उम्र के बाद ही बन सकेगा। अगर किसी 16 साल के नाबालिग के पास वैध लाइसेंस है तो वह 50 सीसी इंजन का वाहन चला सकते हैं।


शिक्षा निदेशक ने भी लिखा पत्र : परिवहन विभाग के बाद माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेंद्र देव ने दो जनवरी 2024 को सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को इस संबंध में पत्र लिखा है। निर्देश दिए हैं कि स्कूलों में इसको लेकर एक हफ्ते का अभियान चलाया जाए और अभियान का पूरा ब्योरा निदेशालय को भेजा जाए।


18 वर्ष से कम आयु के छात्र/छात्राओं द्वारा दो पहिया एवं चार पहिया वाहन चलाने पर प्रतिबंध लगाने एवं उक्त के फलस्वरूप होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के सम्बन्ध में शिक्षा निदेशक का सभी डीआईओएस को आदेश

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