विवाद बढ़ा तो तलब किया तदर्थ शिक्षकों का ब्योरा, निदेशक ने दिए सभी जेडी को आदेश, लंबित मामले तत्काल निस्तारित करें
लखनऊ : प्रदेश सरकार ने नवंबर 2023 को एडेड माध्यमिक विद्यालयों के 2090 तदर्थ शिक्षकों की सेवाएं समाप्त कर दीं। इसके बावजूद अभी ये मामला सुलझ नहीं रहा। लगातार शिक्षक कोर्ट जा रहे हैं। बढ़ते विवादों के बाद माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने सभी मंडलीय शिक्षा निदेशकों (जेडी) को आदेश दिए हैं कि तदर्थ शिक्षकों के विवादित मामले तत्काल निस्तारित करके ब्योरा भेजें। यह भी सुनिश्चित करें कि अब एक भी मामला लंबित नहीं है।
ये था मामला : प्रदेश के एडेड माध्यमिक विद्यालयों में समय समय पद तदर्थ शिक्षकों की नियुक्ति की जाती रही। लम्बे समय तक काम करने के बाद उनको नियमित भी किया जाता रहा। 2016 में एक अधिसूचना जारी कर 1993 से लेकर 2000 तक नियुक्त शिक्षकों को नियमित किया गया। इस आधार पर 2000 के बाद नियुक्त शिक्षक भी नियमित करने की मांग करने लगे। कई शिक्षक कोर्ट गए। मामला सुप्रीम कोर्ट गया। इस बीच यह बात भी आई कि कुछ शिक्षक नियमानुसार नियुक्त नहीं हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने नियमों की पड़ताल करते हुए सभी मामलों को निस्तारित करने के आदेश दिए।
इस पर सभी जिलों को मामले निस्तारित करने को कहा गया। सभी जिलों से आए ब्योरे के बाद नवंबर में 2090 शिक्षकों की नियुक्ति निरस्त कर दी गई। इसमें 997 ऐसे थे जो 2000 से पहले नियुक्त थे और 1111 ऐसे थे जो बाद में नियुक्त हुए थे।
जिम्मेदार होंगे मंडलीय और जिले के अफसर : इसके बाद फिर शिक्षक हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट जाने लगे। उनका तर्क है कि समान प्रकृति का मामला होने पर भी कुछ को वेतन दिया जा रहा है और कुछ को नहीं। इस आधार पर कोर्ट भी उनको राहत दे रहा है।
कोर्ट के ही निर्देशों पर एक बार फिर से सभी मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशकों को आदेश दिए हैं कि वे ऐसे मामलों का प्राथमिकता के आधार पर निस्तारण करें। यदि कोई मामला लंबित पाया जाता है तो जेडी जिम्मेदार होंगे। माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने आदेश में सभी जेडी को दो दिन में डीआईओएस को कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। उसके बाद डीआईओएस को प्रबंधक से दो दिन में कार्रवाई करवानी है। प्रबंधक को सात दिन में डीआईओएस को पत्रावली उपलब्ध करानी होगी। उसके बाद डीआईओएस को तीन दिन में और फिर जेडी को सात दिन में मामला निस्तारित करके रिपोर्ट निदेशालय को भेजनी है।
साढ़े तीन साल से 979 तदर्थ शिक्षक बने त्रिशंकु, सभी तदर्थ शिक्षकों को निश्चित मानदेय पर समायोजित करने की चर्चा
1993 से 30 दिसंबर 2000 तक नियुक्त शिक्षकों का मामला, सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में हुई थी नियुक्ति
सेवा समाप्ति के आदेश के बाद मंडल स्तर पर छोड़ा निर्णय, संयुक्त शिक्षा निदेशकों को इन पर निर्णय लेने के निर्देश
प्रयागराज । सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में सात अगस्त 1993 से 30 दिसंबर 2000 तक नियुक्त 979 तदर्थ शिक्षक साढ़े तीन साल से त्रिशंकु बने हुए हैं। संजय सिंह के मामले में सुप्रीम कोर्ट के 26 अगस्त 2020 के आदेश पर इन शिक्षकों को नौ नवंबर 2023 को बाहर कर दिया गया था जिसके खिलाफ 2000 के पूर्व नियुक्त शिक्षकों की याचिका पर हाईकोर्ट ने फिलहाल उनकी सेवाएं समाप्त करने के आदेश पर रोक लगा दी है।
इस पर माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेन्द्र देव ने सभी संयुक्त शिक्षा निदेशकों से तदर्थ शिक्षकों के विनियमितीकरण के निस्तारण की रिपोर्ट शिक्षा निदेशालय को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं।
इन शिक्षकों का तर्क है कि संजय सिंह के आदेश पर वर्ष 2000 के बाद नियुक्त शिक्षकों को तो प्रशिक्षित स्नातक (टीजीटी) और प्रवक्ता (पीजीटी) भर्ती में मौका दिया गया था।
लेकिन साल 2000 से पहले नियुक्त शिक्षकों को अवसर नहीं मिला था। बिना मौका दिए सभी को बाहर का रास्ता दिखाना उचित नहीं है। सूत्रों के अनुसार सभी तदर्थ शिक्षकों को निश्चित मानदेय पर समायोजित करने की तैयारी चल रही है।
माध्यमिक स्कूलों में पढ़ा रहे तदर्थ शिक्षकों को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत, सेवाएं समाप्त करने के आदेश पर रोक
09 नवंबर 2023 के शासनादेश को तदर्थ शिक्षकों ने दी थी चुनौती
तदर्थ शिक्षकों को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी के माध्यमिक विद्यालयों में पढ़ा रहे तदर्थ शिक्षकों की सेवाएं समाप्त करने के शासनादेश पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है। तदर्थ शिक्षकों की ओर से दाखिल याचिकाओं में उनकी सेवा समाप्त करने के नौ नवंबर 2023 के शासनादेश को चुनौती दी गई है। कोर्ट ने शिक्षकों के पक्ष में अंतरिम आदेश में यह भी स्पष्ट किया है की यह आदेश केवल उन्हीं तदर्थ शिक्षकों पर लागू होगा, जिनकी नियुक्तियां सेकंड रिमूवल ऑफ डिफिकल्टी ऑर्डर एवं धारा 18 तथा यूपी माध्यमिक शिक्षा सेवा आयोग रूल्स 1995 के नियम 15 के तहत हुई हो।
हाईकोर्ट ने यह आदेश विनोद कुमार श्रीवास्तव व कई अन्य की याचिकाओं पर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि अंतरिम आदेश का लाभ उन्हीं तदर्थ शिक्षकों को मिलेगा जो धारा 33 बी, सी, जी के तहत विनीयमितीकरण के हकदार होंगे। प्रदेश के माध्यमिक विद्यालयों में नियुक्त तदर्थ शिक्षकों ने याचिकाएं दाखिल कर प्रदेश सरकार द्वारा नौ नवंबर 2023 के शासनादेश को विभिन्न आधारों पर चुनौती दी है। सरकार ने इस शासनादेश से प्रदेश तदर्थ शिक्षकों को जो धारा 33 जी के तहत विनीयमितीकरण के हकदार नहीं है, उनकी सेवाएं समाप्त करने का निर्देश दिया है।
प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के माध्यमिक विद्यालयों में पढ़ा रहे तदर्थ शिक्षकों की सेवाएं समाप्त करने के शासनादेश पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है। तदर्थ शिक्षकों की ओर से दाखिल याचिकाओं में उनकी सेवा समाप्त करने के नौ नवंबर 2023 के शासनादेश को चुनौती दी गई है। कोर्ट ने शिक्षकों के पक्ष में अंतरिम आदेश में यह भी स्पष्ट किया है की यह आदेश केवल उन्हीं तदर्थ शिक्षकों पर लागू होगा, जिनकी नियुक्तियां सेकंड रिमूवल ऑफ डिफिकल्टी ऑर्डर एवं धारा 18 तथा यूपी माध्यमिक शिक्षा सेवा आयोग रूल्स 1995 के नियम 15 के तहत हुई हो।
हाईकोर्ट ने यह आदेश विनोद कुमार श्रीवास्तव व कई अन्य की याचिकाओं पर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि अंतरिम आदेश का लाभ उन्हीं तदर्थ शिक्षकों को मिलेगा जो धारा 33 बी, सी, जी के तहत विनीयमितीकरण के हकदार होंगे। प्रदेश के माध्यमिक विद्यालयों में नियुक्त तदर्थ शिक्षकों ने याचिकाएं दाखिल कर प्रदेश सरकार द्वारा नौ नवंबर 2023 के शासनादेश को विभिन्न आधारों पर चुनौती दी है। सरकार ने इस शासनादेश से प्रदेश तदर्थ शिक्षकों को जो धारा 33 जी के तहत विनीयमितीकरण के हकदार नहीं है, उनकी सेवाएं समाप्त करने का निर्देश दिया है।
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