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Thursday, January 4, 2024

सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की पदोन्नति के लिए महिला-पुरुष की अलग वरिष्ठता सूची तैयार करने पर दिल्ली हाईकोर्ट की रोक, कोर्ट आर्डर अपडेटेड

सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की पदोन्नति के लिए महिला-पुरुष की अलग वरिष्ठता सूची तैयार करने पर दिल्ली हाईकोर्ट की रोक

🔴 कोर्ट आर्डर अपडेटेड  👇 


नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसले के तहत सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की पदोन्नति के लिए महिला-पुरुष की अलग वरिष्ठता सूची तैयार करने पर रोक लगा दी है। उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि पदोन्नति के लिए वरिष्ठता क्रम ही आधार होगा, जिसकी नियुक्ति पहले होगी, वही पहले पदोन्नति पाएगा। इसके लिए महिला-पुरुष के लिए अलग से वरिष्ठता सूची तैयार कर पदोन्नति देना पूरी तरह गैरकानूनी है।


 न्यायमूर्ति वी कामेश्वर राव एवं न्यायमूर्ति ए के मेंदीरत्ता की पीठ ने दिल्ली सरकार की याचिका को खारिज करते हुए कहा है कि पदोन्नति के लिए महिला-पुरुष में भेदभाव का कोई आधार नहीं है। पीठ ने कहा कि नियुक्ति प्रक्रिया एवं पदोन्नति प्रक्रिया में कहीं भी ऐसा प्रावधान नहीं है कि महिला व पुरुष शिक्षकों के लिए अलग से वरिष्ठता क्रम तैयार किया जाए। दरअसल इस मामले में दिल्ली सरकार ने केन्द्रीय प्रशासनिक अधिकर (कैट) के एक आदेश को चुनौती दी थी जिसमें कैट ने एक शिक्षक की याचिका को मंजूर करते हुए सरकार के पुरुष व महिला के आधार पर अलग-अलग पदोन्नति सूची तैयार करने कानून विरुद्ध बताया था। 


उच्च न्यायालय ने भी अब कैट के आदेश पर मुहर लगा दी है। कोर्ट ने कहा कि सरकार को एक ही वरिष्ठता सूची तैयार करनी होगी, जिसमें नियुक्ति की तारीख के हिसाब से महिला व पुरुष दोनों शामिल होंगे। इसी के आधार पर पदोन्नति दी जाएगी।



10 हजार को राहत

सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय के समक्ष एक गंभीर मुद्दा यह भी उठा कि वर्ष 2014 व वर्ष 2022 के बीच पदोन्नत हुए शिक्षकों की स्थिति क्या रखी जाए। इस पर उच्च न्यायालय ने कहा कि उन शिक्षकों की स्थिति में कोई बदलाव ना किया जाए। क्योंकि इससे व्यवस्था बिगड़ जाएगी। एक अधिकारी के मुताबिक इस बीच करीब दस हजार शिक्षकों ने पदोन्नति पाई है।


2014 का मामला

मामले में वर्ष 2014 में एक शिक्षक ने कैट के समक्ष इस मुद्दे को उठाते हुए याचिका दायर की थी। शारीरिक शिक्षा अध्यापक ने अपनी याचिका में कहा था कि उन्होंने पहले नियुक्ति पाई। लेकिन उनसे बाद में नियुक्त होने वालों को पहले पदोन्नत कर दिया गया। इस पर सरकार का पक्ष था कि महिला शिक्षकों को अलग वरिष्ठता सूची के आधार पर पदोन्नत किया गया है।


सरकार की दलील

दिल्ली सरकार की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि राजधानी में दो पाली में स्कूल चलते हैं। पहली पाली में लड़कियों का स्कूल लगता है। जिसमें महिला शिक्षकों की तैनाती की जाती है। क्योंकि महिला सुरक्षा एक बेहद गंभीर मुद्दा है। वहीं दूसरी पाली में लड़कों के लिए स्कूल चलता है इसमें पुरुष शिक्षक होते हैं। ऐसे में जब पदोन्नति की जाती है तो पाली के हिसाब से वरिष्ठता सूची बनती है।


कोर्ट आर्डर 👇



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