बेसिक शिक्षा सचिव को तबादला आवेदन पर विचार के लिए छह हफ्ते की मोहलत
प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव को एचआईवी पीड़ित सहायक अध्यापक के अंतर्जनपदीय स्थानांतरण के दावे पर छह हफ्ते में सहानुभूति पूर्वक विचार करने का आदेश दिया है। यह आदेश पीठ ने बहराइच के एक सरकारी पाठशाला में तैनात सहायक अध्यापक की ओर से अंतर्जनपदीय तबादले की मांग को लेकर दाखिल याचिका निस्तारित करते हुए दिया।
न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ला की एकल कोर्ट ने कहा कि एचआईवी जैसी बीमारी को सिर्फ इस आधार पर नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि सरकार द्वारा जारी गंभीर बीमारियों की सूची में उसे शामिल नहीं किया गया है। सचिव ऐसे विशिष्ट मामलों को विशेष परिस्थितियों के अंतर्गत मानते हुए सहानुभूति पूर्वक निर्णय ले सकते है।
याची के अधिवक्ता नवीन कुमार शर्मा की दलील थी कि याची एचआईवी रोग से ग्रसित है। स्थानांतरण नीति के तहत 2 जून 2023 को याची ने अंतर्जनपदीय स्थानांतरण लिए ऑनलाइन आवेदन करते हुए बहराइच से संभल या बदायूं तबादला किए जाने की मांग की थी। हालांकि, याची ने एचआईवी रोग का जिक्र नहीं किया था, क्योंकि शासन द्वारा गंभीर बीमारियों की सूची में एचआईवी को सूचीबद्ध नहीं किया गया था।
स्थानांतरण नीति के तहत गंभीर बीमारियों से पीड़ित आवेदकों को 20 अंक का भारांक दिए जाने के प्रावधान है। यदि यह भारांक याची को दिया जाता तो वह अंतर्जनपदीय तबादले का हकदार हो सकता है। बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से अधिवक्ता अर्चना सिंह ने याचिका का विरोध किया। कहा कि याची ने अपने आवेदन में एचआईवी के आधार पर तबादले की मांग नहीं की है।
याची की ओर से पेश मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट ने बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव को याची के तबादला आवेदन पर छह सप्ताह में सहानुभूति पूर्वक विचार करते हुए उचित आदेश पारित करने का आदेश दिया दिया है।
सचिव को एचआइवी पीड़ित शिक्षक के स्थानांतरण पर निर्णय लेने का निर्देश
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा, सचिव बेसिक शिक्षा परिषद अपनी शक्ति का करें इस्तेमाल
प्रयागराज : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बेसिक शिक्षा परिषद प्रयागराज के सचिव को एचआइवी पीड़ित सहायक अध्यापक के अंतर्जनपदीय स्थानांतरण आवेदन पर सहानुभूतिपूर्वक विचार कर निर्णय लेने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि एचआइवी गंभीर बीमारी है, किंतु 27 दिसंबर, 2016 को जारी शासनादेश में इसे शामिल नहींकिया गया है। कोर्ट ने कहा, उप्र बेसिक शिक्षा (अध्यापक) सेवा नियमावली के तहत सचिव बेसिक शिक्षा परिषद को असामान्य परिस्थितियों में निर्णय लेने का अधिकार प्राप्त है। इसलिए सचिव याची के प्रत्यावेदन पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करते हुए छह सप्ताह में सकारण आदेश पारित करें।
यह आदेश न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ल ने बहराइच में नियुक्त एचआइवी पीड़ित सहायक अध्यापक की याचिका पर दिया है। याची ने अंतर्जनपदीय स्थानांतरण के लिए दो जून, 2023 को 2016 के शासनादेश के तहत अपना स्थानांतरण बहराइच से संभल या बदायूं करने के लिए आनलाइन आवेदन किया। शासनादेश में प्रविधान है कि जो अध्यापक गंभीर बीमारियों से पीड़ित हैं, उनके अंतर्जनपदीय तबादले संबंधी आवेदन पर 20 वरीयता अंक दिए जाएंगे।
याची के आवेदन पर कोई अंक नहीं दिया गया और यह कहते हुए उसका आवेदन खारिज कर दिया गया कि शासनादेश की गंभीर रोगों की सूची में एचआइवी शामिल नहीं है। कोर्ट ने कहा, 'एचआइवी को गंभीर बीमारियों की सूची में न शामिल करना सही नहीं है। यह सर्वविदित है कि एचआइवी गंभीर रोग है और इससे पीड़ित व्यक्ति सामान्य जीवन नहीं जी पाता।'
बेसिक शिक्षा परिषद की वकील का कहना था कि याची ने अपने आवेदन में रोग को लेकर कोई दावा नहीं किया और अब स्थानांतरण की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, इसलिए कुछ नहीं किया जा सकता।
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