शिक्षा बजट में बना हुआ बढ़ोतरी का रुझान, पीएम श्री योजना के तहत नए स्कूल खोलने समेत कई योजनाओं के लिए बजट आवंटन
उच्च शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार पर विशेष ध्यान
नई दिल्ली । शिक्षा क्षेत्र पर अंतरिम बजट में भी केंद्र सरकार ने अपना फोकस बरकरार रखा है। एक तरफ बुनियादी शिक्षा पर जोर है, वहीं उच्च शिक्षा में अनुसंधान और नवाचार पर सरकार का ध्यान है। स्कूल शिक्षा के बजट में केंद्रीय योजनाओं के लिए करीब 19 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी की गई है। जबकि स्कूली शिक्षा का कुल बजट भी पिछली साल की तुलना में बढ़ा है। उच्च शिक्षा का बजट आवंटन भी बढ़ाया गया है।
शिक्षा का बजट
- 73,498 करोड़ स्कूली शिक्षा के लिए, अब तक का सबसे ज्यादा
- 47,619 करोड़ उच्च शिक्षा पर खर्च होंगे
- 03 हजार करोड़ रुपये ज्यादा पिछले साल की तुलना में
केंद्रीय योजनाओं में ज्यादा खर्च
संशोधित अनुमान वर्ष 2023-24 से वित्त वर्ष 2024-25 में स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग के तहत केंद्रीय योजनाओं के लिए बजट आवंटन में 12,024 करोड़ रुपये यानी 19.56% की कुल वृद्धि हुई है।
केवीएस और एनवीएस पर भी फोकस
केवीएस और एनवीएस के स्वायत्त निकायों में अब तक का सबसे अधिक बजट आवंटन देखा जा सकता है। केवीएस के लिये 9,302 करोड़ रुपए और नवोदय विद्यालय के लिये 5,800 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है।
डिजिटल शिक्षा को ज्यादा पैसा
डिजिटल इंडिया लर्निंग के तहत आवंटन में करीब 80 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी की गई है। गत वर्ष 420 करोड़ रुपये की तुलना में इस बार 505 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।
अध्ययन के लिए ज्यादा राशि
उच्च शिक्षा विभाग के तहत अध्ययन और नवाचार के लिए 355 करोड़ रुपए दिए गए हैं। जबकि गत वर्ष यह आवंटन करीब 210 करोड़ रुपये था।
पीएम श्री योजना का आवंटन बढ़ा
पीएम श्री स्कूल योजना के तहत आवंटन 4000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 6000 करोड़ रुपये तक कर दिया गया है। इस योजना के तहत नए स्कूल खोले जाएंगे।
विशेषज्ञ टिप्पणी 👇
नहीं दिखी बजट में नई शिक्षा नीति को लेकर स्पष्टता, सुधारों के लिए ज्यादा धन नहीं हुआ आवंटित
शिक्षा के क्षेत्र में आवंटन जीडीपी के छह फीसदी तक पहुंचना चाहिए। आवंटन बढ़ा है पर वह महंगाई के मुताबिक बहुत ज्यादा नहीं है। नई शिक्षा नीति के तहत सुधारों के लिये ज्यादा धन की दरकार होगी। यह बजट में दिखाई नहीं दे रहा है।
नई शिक्षा नीति के तहत प्री स्कूलिंग को लेकर जो लक्ष्य तय किया गया उस पर स्पष्टता होनी चाहिए। इसके अलावा, नवी से बारहवीं तक की पढ़ाई को लेकर भी कुछ घोषणा होनी चाहिए थी।
शिक्षा के अधिकार के दायरे में लाने के लिए बड़े पैमाने पर निवेश की दरकार है। एआईसीटीई, यूजीसी सहित अन्य नियामक संस्थाओं के स्थान पर आयोग बनाने जैसे सुधार भी अधर में हैं। नई शिक्षा नीति के तहत इन सभी सुधारों पर समयबद्ध तरीके से काम होना था। लेकिन बजट से इन पर कोई स्पष्टता नहीं नजर आती।
~ एके रथ, पूर्व शिक्षा सचिव
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