मदरसों में आधुनिक शिक्षा योजना का किया जाएगा नवीनीकरण, अल्पसंख्यक आयोग की ओर से केंद्र सरकार को लिखा पत्र
प्रयागराज। मदरसों में आधुनिक शिक्षा के नवीनीकरण के साथ शिक्षकों को वेतन मिलने की उम्मीद जगी है। उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक आयोग की ओर से प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को इस संबंध में पत्र लिखा गया है।
मदरसों को आधुनिक शिक्षा से जोड़ने, उनका कायाकल्प करने समेत कई अन्य योजनाओं शुरू किया गया है। साथ ही शिक्षकों को वेतन मिलने की उम्मीद भी जगी है। बताया जा रहा है कि इस मद में कुछ राशि आई थी लेकिन उससे एक-दो महीने का भी वेतन भी नहीं दिया जा सका था।
प्रदेश अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष अशफाक सैफी ने बताया कि आधुनिक शिक्षा योजना के नवीनीकरण, शिक्षकों का बकाया वेतन दिए जाने के लिए भी पीएम और सीएम को लिखा है।
अध्यक्ष ने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय के बच्चों को अन्य वर्ग की तरह शिक्षा दी जा रही है। बैठक में एडीएम वित्त एवं राजस्व विनय सिंह, डूडा की परियोजना निदेशक वर्तिका सिंह, जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी कृष्ण मुरारी शुक्रवार को प्रयागराज आए उत्तर आदि मौजूद रहे।
केंद्रांश बंद होने से उत्तर प्रदेश के मदरसों में बंद हुई आधुनिक शिक्षा
प्रयागराज । उत्तर प्रदेश के मदरसों में अब आधुनिक शिक्षा बंद हो गई है। इन मदरसों में पढ़ाने वाले शिक्षकों का मानदेय रोक दिया गया है। मानदेय न मिलने की स्थिति में मदरसों में केवल दीनी तालीम ही दी जाएगी।
मदरसों में पढ़ रहे छात्रों को आधुनिक शिक्षा जैसे कंप्यूटर, वोकेशनल कोर्स के लिए सरकार ने वर्ष 2016 में प्रबंध किया था। इस सम्बन्ध में यह आदेश हुआ था कि केंद्र सरकार से मिल रहा केंद्रांश जब तक मिलता रहेगा, आधुनिक शिक्षा के लिए शिक्षकों को मानदेय दिया जाता रहेगा।
पिछले दिनों निदेशक अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की ओर से सभी जिलों के जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों को पत्र भेजा गया। जिसमें इस बात का जिक्र किया गया है कि केंद्र सरकार से मिलने वाला केंद्रांश अब बंद हो गया है। ऐसी दशा में मानदेय की वित्तीय सहायता अब नहीं दी जा सकेगी।
शिक्षकों को मानदेय न देने की दशा में अब मदरसों में आधुनिक पढ़ाई भी बंद हो गई है। इस योजना के तहत जिले के 147 मदरसों में 388 शिक्षक आधुनिक शिक्षा के लिए रखे गए थे।
60 और 40 का था भुगतान अनुपात
प्रदेश में मदरसों में आधुनिक शिक्षा के लिए जो योजना चलाई जा रही थी, उसमें बजट का प्रावधान केंद्र व राज्य सरकार दोनों की ओर से था। जिसमें 60 फीसदी अंशदान केंद्र और 40 फीसदी राज्य सरकार का था।
12 और 15 हजार था मानदेय
शिक्षकों को मानदेय दो श्रेणियों में दिया जा रहा था। स्नातक पास 128 शिक्षक के लिए 12 हजार तो परास्नातक या एमए करने वाले 260 शिक्षकों के लिए 15 हजार रुपये प्रति माह का प्रावधान किया गया था।
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