अब एमबीबीएस के छात्र भी पढ़ेंगे आयुष का ककहरा
• आयुष मंत्रालय की पहल पर पाठ्यक्रम में होगा शामिल
एकीकृत स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ावा देने पर पूरा जोर
लखनऊ : अब एमबीबीएस के छात्र अपने पाठ्यक्रम में आयुष की भी पढ़ाई कर सकेंगे। उन्हें आयुर्वेद, होम्योपैथी व यूनानी इत्यादि का आधारभूत ज्ञान देने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है। आयुष मंत्रालय की पहल पर जल्द इसे पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाएगा। एकीकृत स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ावा देने पर पूरा जोर दिया जा रहा है। एलोपैथ के विद्यार्थी आयुर्वेद व होम्योपैथी इत्यादि का ज्ञान अर्जित कर इस विधा के चिकित्सकों के साथ मिलकर रोगियों का उपचार करेंगे तो अच्छे परिणाम सामने आएंगे और आयुष को बढ़ावा मिलेगा।
आयुष मंत्रालय के सलाहकार डा. कौस्तुभ उपाध्याय के मुताबिक राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी), राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग (एनएचसी) और भारतीय चिकित्सा प्रणाली के लिए गठित राष्ट्रीय आयोग (एनसीआइएसएम) इन तीनों के विशेषज्ञों की टीम पाठ्यक्रम तैयार करने में जुटी है।
योग को पहले से ही एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे विद्यार्थियों के पाठ्यक्रम में जोड़ा गया है। अब पाठ्यक्रम में उन्हें आयुष का विकल्प भी दिया जाएगा। जब एलोपैथ के डाक्टर व आयुष के डाक्टर आपस में मिलकर काम करेंगे तो एक-दूसरे की चिकित्सा पद्धति के प्रति आदर का भाव भी बढ़ेगा।
अभी एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करने वाले छात्रों को आयुष अस्पतालों में 10 दिन के विशेष प्रशिक्षण के लिए भेजा जाता है। अब देश में धीरे-धीरे एकीकृत स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए एकीकृत चिकित्सालय बनाने पर जोर दिया जा रहा है। यहां एक छत के नीचे ही एलोपैथी, आयुर्वेद व होम्योपैथी आदि के चिकित्सक आपस में मिलकर रोगी का इलाज करेंगे। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत कोई भी मनपसंद विषय पढ़ने की आजादी मिलेगी। देश भर में 12 हजार आयुष वेलनेस सेंटर भी खोले जाएंगे।
No comments:
Write comments