छह राज्यों का समग्र शिक्षा योजना फंड रोकेगी केन्द्र सरकार; पैसा लेने के बावजूद योजना पर अमल नहीं करने की मिलेगी सजा
केंद्र सरकार ने छह राज्यों को मिलने वाले फंड पर रोक लगाने का फैसला लिया है। मामला शिक्षा विभाग से जुड़ा है। आरोप हैं कि राज्यों ने केंद्र से पैसे लेने के बावजूद योजना पर अमल नहीं किया।
वित्तीय मदद लेने के बाद भी मनमानी और लचर रवैया दिखाना छह राज्यों को भारी पड़ने वाला है। दरअसल, केंद्र सरकार शिक्षा में सियासत करने के साथ कोताही बरतने वाले दिल्ली, पंजाब समेत छह राज्यों पर लगाम लगाने की तैयारी कर रही है। यह राज्य स्कूली शिक्षा के लिए समग्र शिक्षा योजना में फंडिंग तो लेते हैं, लेकिन योजनाओं को लागू नहीं कर रहे हैं।
इसमें दिल्ली, पंजाब, तमिलनाडु, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, केरल की प्रदेश सरकार ने नई शिक्षा नीति (एनईपी 2020) की सिफारिश के तहत पीएमश्री स्कूलों के लिए शिक्षा मंत्रालय के साथ बार-बार नोटिस भेजने के बाद समझौता हस्ताक्षर से इंकार कर दिया है। अब ऐसे राज्यों को समग्र शिक्षा योजना में मिलने वाली पैसा नहीं दिया जाएगा।
नई शिक्षा नीति के तहत शिक्षा जगत में बदलाव की तैयारियां
सूत्रों के मुताबिक, एनईपी 2020 के तहत ही सरकारी स्कूलों की शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार, इंफ्रास्ट्रक्चर और आम छात्रों को अच्छी शिक्षा देने के मकसद से पीएम श्री स्कूलों को शुरू किया गया है। इसके लिए समग्र शिक्षा योजना के तहत केंद्र सरकार फंडिंग दे रही है। इसमें सरकारी स्कूलों को पीएम श्री स्कूल में बदलने के बाद उसका सारा खर्चा केंद्र की ओर से दिया जाता है।
90 फीसदी खर्च केंद्र का, 10 फीसदी राज्य सरकार देती है
इसके अलावा पीएम श्री स्कूल अन्य सरकारी स्कूलों को रोल मॉडल बनकर आगे बढ़ने में मदद कर सकते हैं। हालांकि उक्त राज्यों ने पैसा तो ले लिया, लेकिन योजना को लागू नहीं किया। शिक्षा मंत्रालय के बार-बार आग्रह के बाद अब समझौता हस्ताक्षर करने से इंकार कर दिया है।
स्कूली शिक्षा के लिए उत्तराखंड, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर,लददाख और नॉर्थ ईस्ट के राज्यों को 90 फीसदी केंद्र और 10 फीसदी राज्य सरकार खर्च करती है। जबकि अन्य राज्यों में 60 फीसदी पैसा केंद्र सरकार और 40 फीसदी राज्य खर्च करते हैं। वहीं, पीएम श्री स्कूलों पर सारा खर्चा केंद्र सरकार देती है।
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