CENSUS : बजट आवंटन को देखते हुए साल 2024 में भी जनगणना और NPR की संभावना नहीं
नई दिल्ली : जनगणना और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) इस साल भी शुरू होने की संभावना नहीं है, क्योंकि अंतरिम बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसके लिए केवल 1,277 करोड़ रुपये आवंटित की है। इसके लिए 2021-22 से 3,768 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे उसकी तुलना में यह काफी कम है। 24 दिसंबर 2019 को केंद्रीय मंत्रिमंडल की एक बैठक में 8,754.23 करोड़ रुपये की लागत से भारत की जनगणना 2021 आयोजित करने और 3,941.35 करोड़ रुपये की लागत से राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को अपडेट करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी।
जनगणना और एनपीआर को अपडेट करने की कवायद एक अप्रैल से 30 सितंबर, 2020 तक देशभर में की जानी थी, लेकिन कोरोना के कारण इसे स्थगित कर दिया गया। जनगणना का काम अभी भी रुका हुआ है और सरकार ने अभी तक नए कार्यक्रम की घोषणा नहीं की है।
अधिकारियों ने कहा कि चूंकि इस साल आम चुनाव होने हैं, इसलिए जनगणना 2024 में होने की संभावना नहीं है। अंतरिम बजट के अनुसार, जनगणना सर्वेक्षण और सांख्यिकी के लिए 1277.80 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।
अधिकारियों ने कहा कि पूरी जनगणना और एनपीआर प्रक्रिया पर सरकार को 12,000 करोड़ रुपये से अधिक का खर्च आने की संभावना है। अब जब भी जनगणना होगी, वह डिजिटली की जाएगी। यह देश की पहली डिजिटल जनगणना होगी। एनपीआर को उन नागरिकों के लिए अनिवार्य बना दिया गया है, जो सरकारी गणनाकर्ताओं के बजाय स्वयं जनगणना फार्म भरना चाहते हैं।
इसके लिए जनगणना प्राधिकरण ने एक स्व गणना पोर्टल डिजायन किया है, जिसे अभी लांच नहीं किया गया है। स्व गणना के दौरान आधार या मोबाइल नंबर अनिवार्य रूप से एकत्र किया जाएगा।
जनगणना में 31 सवाल पूछे जाएंगे
रजिस्ट्रार जनरल व जनगणना आयुक्त के कार्यालय के अनुसार इस बार की जनगणना में 31 सवाल पूछे जाएंगे। इनमें परिवार के पास टेलीफोन लाइन, इंटरनेट कनेक्शन है या नहीं, मोबाइल या स्मार्टफोन है या नहीं, वाहन कौन सा है। कौन सा अनाज खाते हैं, पीने के पानी का मुख्य स्रोत, प्रकाश का मुख्य स्रोत, शौचालय तक पहुंच, शौचालय का प्रकार, अपशिष्ट जल निकासी, रसोई और एलपीजी, पीएनजी कनेक्शन, खाना पकाने के लिए उपयोग किया जाने वाला मुख्य ईंधन, रेडियो, ट्रांजिस्टर, टेलीविजन की उपलब्धता के बारे में पूछा जाएगा।
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