जीवन के हर क्षेत्र में महिलाओं को मिले समानता : हाईकोर्ट, कहा, प्रोन्नति के लिए संयुक्त अर्हता सूची बनाए सरकार
लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने एक फैसले में कहा कि संविधान रोजगार समेत जीवन के सभी क्षेत्रों में महिलाओं के लिए समानता को मान्यता देता है। लिहाजा ऐसे किसी भी चलन को हतोत्साहित किया जाना चाहिए, जो महिलाओं के अधिकारों को कमतर करता हो। संविधान का अनुच्छेद 16 सरकारी सेवायोजन या किसी भी पद पर नियुक्ति के मामलों में खासतौर पर लैंगिक आधार पर भेदभाव करने की मनाही करता है।
कोर्ट ने इस नजीर के साथ राज्य सरकार को सरकारी इंटर कॉलेज में प्रिंसिपल पद पर प्रोन्नति के लिए कंबाइंड एलिजिबिलिटी लिस्ट (संयुक्त अर्हता सूची) बनाने का आदेश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति एआर मसूदी और न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ल की खंडपीठ ने अलका तिवारी व अन्य, लालमनी राम व अन्य, राम समुझ व अमिता सिंह की अलग-अलग याचिकाओं व विशेष अपीलों पर एकसाथ सुनवाई करते हुए दिया।
कोर्ट ने प्रधानाध्यापिका को प्रोन्नति के लिए 22 फीसदी और प्रधानाध्यापक के लिए 61 फीसदी का निर्धारित कोटा देने संबंधी प्रावधान को लैंगिक न्याय के विपरीत बताया। कहा, इस प्रावधान में संशोधन होने तक संयुक्त अर्हता सूची बनाई जाए। इसमें 17 प्रतिशत कोटा नॉन टीचिंग स्टाफ का भी होगा। गौरतलब है कि याचिका के जरिये जीआईसी में प्रिंसिपल पद पर प्रोन्नति में महिलाओं के लिए पुरुषों से कम कोटा देने के नियमों को चुनौती दी गई थी।
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राज्य सरकार को राजकीय इंटर कॉलेज (जीआईसी) में प्रिंसिपल पद पर प्रोन्नति के लिए कम्बाइन्ड एलिजिबिलिटी लिस्ट बनाने का आदेश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति एआर मसूदी व न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने अलका तिवारी व अन्य, लालमनी राम व अन्य, राम समुझ तथा अमिता सिंह की ओर से दाखिल अलग-अलग याचिकाओं व विशेष अपीलों पर एक साथ सुनवाई करते हुए पारित किया।
न्यायालय ने अपने निर्णय में हेड मिस्ट्रेस को प्रोन्नति के लिए 22 प्रतिशत जबकि हेड मास्टर्स को 61 प्रतिशत का फिक्स्ड कोटा दिए जाने सम्बंधी प्रावधान को लैंगिक न्याय के विपरीत बताते हुए कहा कि सम्बंधित प्रावधान में संशोधन होने तक कम्बाइन्ड एलिजिबिलिटी लिस्ट बनाई जाए जिसमें 17 प्रतिशत कोटा नॉन टीचिंग स्टाफ का होगा। उल्लेखनीय है कि प्रावधानों के तहत जीआईसी के प्रिंसिपल पद पर 50 प्रतिशत नियुक्तियां प्रोन्नति के जरिए व 50 प्रतिशत यूपी लोक सेवा आयोग की सीधी भरती के जरिए होती हैं।
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