बिना मान्यता के चल रहे मदरसे होंगे बंद, एसआइटी ने अंतरिम रिपोर्ट में की सिफारिश
लखनऊ : मदरसों में शैक्षिक कायर्यों को बढ़ावा देने के लिए हो रही विदेशी फंडिंग के दुरुपयोग की जांच के दौरान प्रदेश में 8,848 मदरसे अवैध पाए गए हैं। एसआइअटी (विशेष जांच दल) की जांच में सामने आया है कि इन मदरसों का संचालन बिना किसी अनुमति के हो रहा था और इनके संचालक अपनी आय के श्रोत का कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दे सके। मानकों को दरकिनार कर चलाए जा रहे इन मदरसों को खाड़ी देशों से फंडिंग भी हो रही थी। इनमें मदरसा बोर्ड व जिला अल्पसंख्यक अधिकारी की कोई मानीटरिंग नहीं है।
सूत्रों का कहना है कि अवैध पाए गए ज्यादातर मदरसे वर्ष 2005 के बाद से संचालित हो रहे हैं। इनमें सिद्धार्थनगर में 800 से अधिक व श्रावस्ती में 400 से अधिक अवैध मदरसे हैं। नेपाल सीमा से सटे जिलों में इनकी संख्या अधिक है। एसआइटी मामले में अब तक दो अंतरिम रिपोर्ट सौंप चुकी है। इनमें अवैध पाए गए मदरसों के खिलाफ विधिक कार्रवाई की संस्तुति की गई है। माना जा रहा है कि बोर्ड परीक्षा के बाद अवैध मदरसों को बंद किए जाने की कार्रवाई शुरू हो सकती है।
जांच के बाद एसआईटी ने शासन को सौंपी रिपोर्ट, बताया- खाड़ी देशों से आई रकम से हुआ निर्माण
टेरर फंडिंग के लिए जुटाई गई रकम हवाला के जरिये भेजने की आशंका
लखनऊ। सरकार के निर्देश पर प्रदेश के अवैध मदरसों की जांच कर रही एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी है। इसमें करीब 13 हजार अवैध मदरसों को बंद कराने की सिफारिश की गई है। रिपोर्ट के आधार पर अब मदरसा बोर्ड कार्रवाई करने की तैयारी में है। जांच में जिन मदरसों को अवैध पाया गया है, उनमें से अधिकतर नेपाल सीमा पर स्थित हैं। इनका निर्माण खाड़ी देशों से मिली रकम से बीते दो दशकों में हुआ है।
शासन के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में कई और चौंकाने वाले खुलासे भी किए हैं। जिन 13 हजार मदरसों को बंद करने की सिफारिश की गई है, उनमें से अधिकतर नेपाल की सीमा से सटे महराजगंज, श्रावस्ती, बहराइच समेत कई जिलों में हैं। हर एक सीमावर्ती जिले में ऐसे मदरसों की संख्या 500-500 से ज्यादा है। एसआईटी ने इन मदरसों से उनकी आय और व्यय का ब्योरा मांगा तो वे उपलब्ध नहीं करा सके।
इससे आशंका जताई जा रही है कि सोची-समझी साजिश के तहत टेरर फंडिंग के लिए जुटाई गई रकम को हवाला के जरिये मदरसों के निर्माण के लिए भेजा गया। अधिकतर मदरसों ने अपने जवाब में चंदे की रकम से निर्माण कराने का दावा किया है, हालांकि वह चंदा देने वालों का नाम नहीं बता सके।
बच्चों के शारीरिक शोषण का आरोप भी
जांच में यह भी सामने आया है कि गैरकानूनी तरीके से बने इन मदरसों में बच्चों का शारीरिक शोषण भी होता है। पूर्व में ऐसे तमाम प्रकरण सामने आ चुके हैं। इन मदरसों की मान्यता भी नहीं है। वहीं, सर्टिफिकेट मान्य नहीं होने की वजह से यहां से शिक्षा प्राप्त करने वालों को नौकरी भी नहीं मिल पाती है।
पांच हजार के पास अस्थायी मान्यता
जांच में कुल 23 हजार मदरसों में से 5 हजार के पास अस्थायी मान्यता का पता चला। कुछ तो बीते 25 वर्षों में मान्यता के मानक पूरे नहीं कर सके हैं। शिक्षा का अधिकार व धार्मिक शिक्षा का प्रचार-प्रसार करने के नाम पर चल रहे तमाम मदरसों ने मान्यता का नवीनीकरण कराना तक जरूरी नहीं समझा व धड़ल्ले से उसे संचालित कर रहे हैं। बाकी पांच हजार में फिलहाल कोई गड़बड़ी सामने नहीं आई है।
हैरानी की बात यह है कि इन मदरसों का कोई भी सरकारी अधिकारी या कर्मचारी निरीक्षण करने तक नहीं जाता है।
100 करोड़ मिलने की हुई थी पुष्टि
एसआईटी की जांच में सीमावर्ती इलाकों के 80 मदरसों को विदेश से करीब 100 करोड़ रुपये की फंडिंग होने की पुष्टि बीते दिनों हुई थी। राज्य सरकार ने इस मामले को बेहद गंभीरता से लेते हुए सारे मदरसों की गहनता से जांच करने का एसआईटी को आदेश दिया था।
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