निजी स्कूल बसों और वैन के जरिए भी लूट का शिकार हो रहे बच्चे और अभिभावक, डीजल / पेट्रोल के दाम घटने के बाद भी एक साल में 20 से 30 फीसदी की हुई बढ़ोत्तरी
प्रयागराज : नया शिक्षा सत्र प्रारंभ होते ही निजी स्कूल संचालकों ने फीस के साथ ही स्कूल बसों का भी किराया बढ़ा दिया है। 20-30 फीसदी किराया बढ़ाने से अभिभावकों को अब एक किमी परिधि के लिए प्रतिदिन 56 रुपये की दर से किराया देना होगा।
निजी स्कूलों ने फीस बढ़ाने के साथ ही ट्रांसपोर्ट फीस के नाम पर 20 से 30 फीसदी का इजाफा कर दिया है। तीन किमी तक परिधि में स्कूल बसों का किराया 1800 रुपये प्रतिमाह कर दिया गया है।
बीते सत्र में बस के किराये के रूप में जिन अभिभावकों को करीब 2600 से 3000 रुपये देने पड़ते थे, नए सत्र में उन्हें अब करीब 2800 से 3500 रुपये देने रड़ेंगे। अभिभावकों का कहना है के बस के किराये में हर बार बस किराया प्रतिवर्ष बढ़ाया जाता है। अभिभावक मजबूर होकर किराया चुकाते हैं। निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाने की कोई पहल नहीं की जाती है। जिला प्रशासन को ऐसे लोगों पर अंकुश लगाना चाहिए।
डग्गामार बसें फिर भी बढ़ा दिया किराया
जिले में कई स्कूलों में डग्गामार बसे संचालित हो रही हैं। बिना फिटनेस प्रमाण पत्र के सड़कों पर बसें दौड़ती रहती हैं। हादसा होने के बाद एआरटीओ से लेकर शिक्षा विभाग जागता है। पिछले वर्ष एआरटीओ ने बिना फिटनेस के चलने वाली 319 स्कूल बसों का चालान किया था।
कॉपी-किताबों के नाम पर स्कूलों में लूट का खेल, अभिभावकों का आरोप, निजी स्कूलों और दुकानदारों की है मिलीभगत
नए शैक्षिक सत्र की शुरुआत होने के साथ ही फीस से लेकर कॉपी-किताबों के नाम पर लूट का खेल शुरू हो गया है। कई स्कूलों की ओर से किताबों की सूची तक दुकानदार ही दे रहे हैं। कॉपी-किताबों के इस सेट में कई ऐसी भी किताबें हैं, जो न कभी खोली जानी हैं और ना ही उनका पाठ्यक्रम से कोई सीधा नाता है। मनमानी की इस चक्की में अभिभावकों के पिसने के बावजूद अफसर चुप हैं। शिकायत के बाद न तो इस पर अंकुश लग सका है ना ही कोई कार्रवाई हो सकी है।
बाजारों से सरकारी किताबें गायब
कान्वेंट स्कूल प्रबंधनों के स्तर से किताबों का चयन किए जाने के कारण सरकारी किताबें बाजार से नया सत्र शुरू होने से पहले ही गायब हो गई हैं। इसकी वजह यह भी है कि यह किताबें दुकानदारों को प्रिंट रेट पर मिल रही हैं। इन किताबों को बेचने में दुकानदारों को कोई फायदा भी नहीं हैं। इसलिए सरकारी किताबें बाजारों में नहीं दिखाई पड़ रही हैं। अगर सरकारी किताबें चला दी जाए तो अभिभावकों का बोझ कुछ हद तक कम हो जाएगा।
स्कूल में वसूली जाती है अलग-अलग फीस
इलाके में स्थित सभी कॉन्वेंट स्कूलों में अलग-अलग फीस वसूल की जाती है। यहां कोई भी ऐसा कान्वेंट स्कूल नहीं है जो माह में एक हजार से कम फीस वसूल करता हो। कई स्कूल तो ऐसे हैं जहां प्रति बच्चे 2100 से 3200 रुपये तक फीस प्रतिमाह वसूल की जाती है। यहां तक कि देहात में कान्वेंट स्कूल का बोर्ड लगाकर 1200 से 1500 रुपये प्रति बच्चे फीस वसूल की जा रही है।
फीस को लेकर निजी स्कूलों की मनमानी के आगे लाचार शिक्षा विभाग के अफसर
नये सिरे से प्रवेश के नाम पर हजारों रुपये वसूले
स्कूल में कक्षा बदली और ले लिया प्रवेश शुल्क
प्रयागराज । शैक्षणिक सत्र शुरू होने के साथ ही स्कूलों की मनमानी के एक से बढ़कर एक मामले सामने आने लगे हैं। मनमानी फीसवृद्धि करने के साथ ही स्कूलों ने वसूली का नया तरीका अपनाया है। प्रतिष्ठित सेंट एंथोनी गर्ल्स कॉलेज में कक्षा पांच पास करने के बाद छठवीं में दाखिला लेने पर बच्चों से फिर से प्रवेश शुल्क (एडमिशन फीस) लिया जा रहा है।
किताबों के दाम में 30 प्रतिशत की वृद्धि से अभिभावकों की कमर टेढ़ी, नए सत्र में शिक्षण सामग्री महंगी होने से आफत
यूकेजी की किताबों का सेट सात हजार के पार
प्रयागराज। नया शैक्षिक सत्र शुरू होने के साथ ही किताबों के नाम पर अभिभावकों की जेब पर डाका डालने का खेल शुरू हो गया है। इस बार 30 प्रतिशत तक किताबों के दाम में वृद्धि हुई है। इतना ही नहीं कॉपी-किताबों के बने बनाए सेट ही दिए जा रहे हैं। बजट न होने पर एक किताब बाद में खरीदने का आग्रह करने पर अभिभावकों को वापस कर दिया जा रहा है। इससे जहां बच्चों की पढ़ाई महंगी हो गई है, वहीं बढ़ते आर्थिक बोझ से अभिभावक परेशान हो उठे हैं।
निजी स्कूल प्रबंधनों की मनमानी से इस बार कॉपी-किताब खरीदने में ही पसीने छूट जा रहे हैं। अभिभावक हर साल किताबें बदले जाने से भी परेशान हैं। जो कॉपी 20 रुपये में मिल रही थी, अब उसके दाम बढ़कर 30 रुपये हो गए हैं। स्कूलों में दाखिले के साथ बच्चों के लिए स्टेशनरी, बैग, बोतल खरीदने में जेब ढीली हो रही है। किताब खरीदने आईं कटरा की शिल्पी चौरसिया बताती हैं कि सीबीएसई सहित अन्य बोडों से संबंधित किताबों के प्रकाशकों ने 30 फीसदी तक दाम बढ़ा दिए हैं।
वहीं, किताबों के साथ स्टेशनरी के दामों में भी काफी इजाफा हुआ है। पिछले साल नर्सरी से तीसरी कक्षा तक की किताब कॉपियों का सेट ढाई से तीन हजार रुपये में मिलता था, इस साल 4000-5000 रुपये में मिल रहा है। स्कूलों ने कॉपी, किताब और स्टेशनरी खरीदने के लिए दुकानें पहले से तय कर रखी हैं। इसलिए यहां जो कीमतें बताई जाती हैं, मजबूरन अदा करना पड़ता है।
अल्लापुर की श्वेता साहू के तीन बच्चे अलग-अलग जगह निजी स्कूलों में पढ़ते हैं। जिसमें एक बेटा पांचवीं, दूसरा 10वीं और बेटी भी 10वीं में है। वह अपने बच्चों के लिए कॉपी- किताब खरीदने गईं तो दाम सुनकर ही हैरान रह गईं। उन्हें तीनों बच्चों की किताबों के लिए 15,500 रुपये चुकाने पड़े। जबकि, पिछले साल उन्होंने 12,500 रुपये में ही किताबें खरीदी थीं।
इसी तरह कटरा की रहने वाली आरती प्रकाश ने इस बार एक निजी स्कूल में अपनी बेटी का दाखिला यूकेजी में कराया है। जब कॉपी-किताब के सेट का दाम पूछने आई तो सन्न रह गई। यूकेजी का सेट सात हजार रुपये में है। कहा कि निजी प्रकाशकों की ओर से नई डिजाइन, बेहतर प्रिंट, और क्वालिटी के नाम पर अभिभावकों पर बोझ डाल दिया जाता है।
वहीं, अभिभावक पंकज बताते हैं कि स्कूल प्रबंधन से दाम कम करने की बात कहने पर सीधे वापस कर दिया जा रहा है। किताबों के सेट में से एक किताब भी कम कराई गई, तब भी अभिभावकों से रुखा व्यवहार किया जा रहा है। किताबें नहीं दी जा रही हैं
निजी विद्यालयों ने बढ़ाई फीस, अभिभावक परेशान, नए सत्र से महंगी हुई शिक्षा, प्रवेश शुल्क में भी बढ़ोतरी, कॉपी-किताब और यूनिफॉर्म के दाम भी बढ़े
लखनऊ। अप्रैल में नया सत्र शुरू होते ही अभिभावकों पर बढ़ी फीस का बोझ पड़ गया है। उत्तर प्रदेश अनएडेड स्कूल एसोसिएशन ने पांच से सात फीसदी फीस बढ़ाने की घोषणा की है। हालांकि एडमिशन फीस और कई अन्य मदों की वजह से काफी विद्यालयों में यह फीस बढ़ोतरी 10 से 12 फीसदी तक पहुंच गई है। इससे अभिभावक परेशान हैं।
इंदिरानगर निवासी अर्चना ने बताया कि - मेरी दो बेटियां हैं, नए सत्र से एक बेटी पांचवीं जबकि दूसरी सातवीं कक्षा में प्रवेश करेगी। फीस बढ़ने से नए सिरे से बजट तैयार करना होगा। बच्चों को पढ़ाना जरूरी है इसलिए अन्य मदों में कटौती करनी होगी। उनके अनुसार, स्कूल की ओर से बताया गया कि इस बार 200 रुपये प्रतिमाह फीस बढ़ाई गई है। पिछले साल मासिक फीस 2850 रुपये थी जो नए सत्र से 3050 हो गई है। साउथ सिटी निवासी अतुल ने बताया कि मेरे बेटे आदित्य का एडमिशन नर्सरी कक्षा में होना है। बताया, स्कूल की ओर से जानकारी दी गई कि प्रवेश शुल्क 20 हजार रुपये है।
इसके बाद हर महीने अच्छी-खासी अलग से फीस देनी है। कुल फीस के साथ ही निजी विद्यालयों में करीब 12 फीसदी एडमिशन फीस बढ़ाई गई है। इसमें कंज्यूमर प्राइज इंडेक्स भी शामिल है।
फीस ही नहीं बच्चों की किताबें, ड्रेस व वाहन शुल्क भी बढ़ाया गया है। सत्र 2024-25 के लिए शहर के नामचीन विद्यालयों में नर्सरी और यूकेजी कक्षा में बच्चों का प्रवेश शुल्क 20 हजार रुपये तक है।
निजी विद्यालयों में शिक्षा व अन्य व्यवस्थाओं की फीस दर अलग-अलग हैं। इसके बावजूद कॉपी-किताब और यूनिफॉर्म की कीमत लगभग हर जगह काफी अधिक है।
नियमानुसार पांच से सात फीसदी की होती है बढ़ोतरी
महंगाई के आधार पर ही फीस की बढ़ती है। फीस की गाइडलाइन सभी निजी विद्यालयों की वेबसाइट पर अपडेट की गई हैं। प्रत्येक साल नियमतः करीब पांच से सात फीसदी की फीस शुल्क बढ़ाया जाता है। स्कूल मे बेहतर शिक्षा का माहौल हो, इसके लिए विद्यार्थियों को बेहतर व्यवस्थाएं दी जाती हैं।
अनिल अग्रवाल, अध्यक्ष उत्तर प्रदेश अनएडेड स्कूल एसोसिएशन
शर्ट, पैंट, फ्रॉक, टी शर्ट, लोअर व जूते में 50 से 200 रुपये बढ़ाए, टाई, बेल्ट, मोजे और हेयर बैंड में 10 से 50 रुपये का इजाफा
निजी स्कूलों की यूनिफार्म खरीदना हुआ अब और महंगा, दाम 5 से 20 फीसदी तक बढ़ गए
लखनऊ । नये सत्र के शुरू होते ही निजी स्कूलों के बच्चों की किताबों व कापियों के साथ ही यूनिफार्म के दामों में पांच से 20 फीसदी तक बढ़ गए हैं।
स्कूलों के नामित दुकानदारों ने प्रति शर्ट, पैंट, फ्राक, टी शर्ट, लोअर व जूते में 50 से 200 रुपये तक बढ़ा दिये हैं। वहीं टाई, बेल्ट, मोजे और हेयर बैंड में 10 से 50 रुपये रुपये का इजाफा किया। अभिभावकों की जेब पर इस साल प्रति बच्चे 500 से 1000 रुपये का अतिरिक्त बोझ बढ़ गया है। कई स्कूलों ने यूनिफार्म व जूते में बदलाव कर दिया है। शहर में सीबीएसई, आईसीएसई, आईएससी बोर्ड और यूपी बोर्ड के करीब एक हजार निजी स्कूल संचालित हो रहे हैं। इन स्कूलों की गर्मी और सर्दी की अलग-अलग यूनिफार्म चलती है। इन स्कूलों में हाउस ड्रेस और स्पोर्ट ड्रेस अलग से चलती है।
नर्सरी के बच्चे की यूनिफार्म 1500 से 2000 रुपये में: अलीगंज स्थित एक निजी स्कूल में प्ले वे से नर्सरी कक्षा के बच्चे की यूनिफार्म (गर्मी) 1000 से 1500 रुपये की है। इस स्कूल की नर्सरी के बच्चे यूनिफार्म में शर्ट की कीमत 250, पैंट 280, बेल्ट 160, टाई 60, जूता 500 का है। साथ ही हाउस ड्रेस में टी शर्ट और लोवर 500 रुपये का जूता 300 रुपये का है। कक्षा जबकि कक्षा तीन के बच्चे की शर्ट की कीमत 280, पैंट 300, बेल्ट 170, टाई 80, जूता 650 का है। हाउस ड्रेस 600 से 700की और जूता 300 से 500 रुपये का है। वहीं कक्षा छह के बच्चे की शर्ट 300, पैंट 350, बेल्ट 200, टाई 100, जूता 500 से 800 रुपये, हाउस ड्रेस 800 व जूता 500 से 600 रुपये का। वहीं कक्षा नौ से 12 वीं के बच्चे का शर्ट 350 से 500 रुपये, पैंट 400 से 700 रुपये, बेल्ट 200 से 300 रुपये, टाई 150 रुपये तक, हाउस ड्रेस 1000 से 1500 व जूते की कीमत 1000 तक है। वहीं गोमतीनगर और अंसल गोल्स सिटी के कई नामी स्कूलों में नर्सरी के बच्चों की गर्मी की यूनिफार्म दो से तीन हजार रुपये के बीच है। वहीं सर्दी की यूनीफार्म तीन से पांच हजार रुपये की बीच है।
महंगाई: नए सत्र में निजी प्रकाशकों ने किताब-कॉपियों के दाम 30 फीसदी तक बढ़ाये
प्रिंटिंग सामग्री हुई महंगी, मुनाफे के लिए हर बार बदल देते हैं किताब
लखनऊ। नए सत्र में निजी प्रकाशकों ने किताब-कॉपियों के दाम 30 फीसदी तक बढ़ा दिये हैं। विषयवार प्रति किताब के दाम में 20 से 100 रुपये तक इजाफा हुआ है। कापियों व रजिस्ट्रर में पांच से 12 रुपये तक दाम बढ़ाये हैं। बाजार में निजी प्रकाशकों की किताबें एनसीईआरटी के मुकाबले पांच गुना से ज्यादा महंगी हैं।
एनसीईआरटी में 10वीं और 12वीं की किताबों का सेट 1500 के भीतर मिल रहा है। जबकि निजी प्रकाशकों की किताबें छह से आठ हजार के बीच में मिल रही हैं। निजी स्कूलों में कक्षा प्ले वे से 12वीं के बच्चों को पढ़ाने वाले प्रति बच्चा अभिभावकों की जेब पर 600 से 2000 हजार रुपये का अतिरिक्त बोझ बढ़ गया है।
सीबीएसई, आईसीएसई, आईएससी बोर्ड और यूपी बोर्ड के निजी स्कूलों ने नया सत्र शुरू कर दिया है। यूपी बोर्ड के वित्तविहीन स्कूल और सीबीएसई व सीआईएससीई स्कूलों के प्रबंधक एनसीईआरटी के किताबों के बजाय निजी प्रकाशकों की किताबों से बच्चों की पढ़ाई करा रहे हैं। यह किताबें स्कूलों द्वारा नामित पुस्तक विक्रेताओं के यहां मिलती हैं। स्कूलों से किताब-कॉपियों की सूची के साथ नामित बुक डिपो के पर्चे भी दे रहे हैं। बाजार में किसी अन्य दुकान पर यह किताबें नहीं मिलतीं।
प्रिंटिंग सामग्री हुई महंगी, मुनाफे के लिए हर बार बदल देते हैं किताब
यह स्कूल निजी प्रकाशकों की किताबें खुद तय करते हैं। मुनाफे के लिए हर बार किताबें बदल दी जाती हैं। सीआईएससीई बोर्ड में नर्सरी में किताब और कापियों का सेट 3500 रुपये में दे रहे हैं। जबकि बीते साल इसकी कीमत तीन हजार के भीतर थी। कक्षा तीन में किताब कॉपियों का सेट 6000 में मिल रहा है। बीते सत्र में यह सेट 5000 हजार था। वहीं सीबीएसई में कक्षा चार का सेट 6500 में दे रहे हैं। वहीं 10 वीं कक्षा मेंसेट 10 हजार और 12 वीं का सेट 12 हजार तक है पिछले साल यह सेट 10 हजार के भीतर था।
सरकार किताबों के दाम तय करे
सरकार को चाहिए कि किताबों के दाम तय करे। एनसीईआरटी की किताबें सभी बोर्डों के लिए लागू कराये। स्कूलों के प्रबंधक मुनाफे के लिए हर बार किताबें बदल देते हैं। यह खुद प्रकाशकों के नाम तय करने के एवज में मोटा कमीशन लेते हैं। इसका असर अभिभावकों पर पड़ता है। इस पर रोक लगनी चाहिए। प्रदीप कुमार श्रीवास्तव, अध्यक्ष, अभिभावक कल्याण संघ
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