सर नेम बदलने के आधार पर 6 साल से बेसिक शिक्षिका पेंशन रोके रखना एकदम अनुचित – हाईकोर्ट
प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केवल सरनेम बदले जाने के आधार पर रिटायर शिक्षिका की पेंशन व सेवानिवृत्ति भुगतान रोकने के कदम को अनुचित करार दिया है। कोर्ट ने कहा कि सरकार का काम जनता के हित का ध्यान रखना है, अनावश्यक के तकनीकी आधारों पर लोगों को परेशान करना नहीं।
कोर्ट ने कहा कि दस्तावेजों में सिर्फ सरनेम बदल जाने के आधार पर पेंशन रोकना सरकार का अत्यधिक तकनीकी रवैया है। इसी के साथ कोर्ट ने दिवंगत शिक्षिका के विधिक उत्तराधिकारी को बकाया पेंशन का भुगतान करने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने ममता जौहरी उर्फ ममता भटनागर की याचिका पर दिया।
मामले के तथ्यों के अनुसार याची बेसिक शिक्षा विभाग में सहायक अध्यापिका के पद से सेवानिवृत हुई। नौकरी ज्वाइन करते समय रिकॉर्ड में उनका नाम ममता भटनागर था। बाद में उन्होंने अपना नाम ममता जौहरी कर लिया। उनका बैंक अकाउंट भी इसी नाम से खुला और आधार कार्ड में भी उन्होंने अपना नाम ममता भटनागर की जगह ममता जौहरी करा लिया। सेवानिवृत्ति के बाद उनकी पेंशन व अन्य सेवानिवृत्ति भुगतान के कागजात ममता जौहरी के नाम से तैयार नहीं किया जा सके। जिससे भुगतान नहीं हो सका।
याची ने वर्ष 2018 में हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की जो करीब छह साल तक लंबित रही और इस दौरान 2021 में याची का निधन हो गया। बाद में उसके विधिक उत्तराधिकारी के नाम से याचिका में परिवर्तन किया गया। कोर्ट ने बेसिक शिक्षा विभाग को निर्देश दिया कि याची के विधिक उत्तराधिकारी के बैंक खाते में उसकी पेंशन और सेवनिवृत्ति का जो भी बकाया है, उसका भुगतान किया जाए।
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