शैक्षणिक सत्र समाप्त, बेटियों की फीस माफी न बटुकों को मिली छात्रवृत्ति
● 2023-24 शैक्षिक सत्र भी बीता, विद्यार्थियों को नहीं मिला लाभ
● निजी स्कूलों में पढ़ रही दो में से एक बहन की फीस माफी नहीं
● सीएम ने तीन साल पहले अफसरों को दिए थे माफी के निर्देश
● संस्कृत विद्यालयों के विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति भी नहीं मिली
प्रयागराज : 2023-24 शैक्षणिक सत्र समाप्त होने के बावजूद न तो बेटियों की फीस माफी हुई और न ही संस्कृत पढ़ने वाले विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति ही मिल सकी है। अफसरों की लापरवाही के कारण लाखों जरूरतमंद विद्यार्थियों तक उनका हक नहीं पहुंच पाया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दो अक्तूबर 2021 (गांधी जयंती) को निजी स्कूलों से अपील की थी कि यदि उनकी संस्था में दो बहनें एक साथ पढ़ रही हों तो एक की फीस माफ हो। मुख्यमंत्री ने घोषणा की थी अगर निजी स्कूल ऐसा नहीं करते हैं तो संबंधित विभाग एक छात्रा की फीस का प्रबंध करे।
विधानसभा चुनाव 2022 में सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री घोषणा प्रकोष्ठ के प्रमुख सचिव संजय प्रसाद ने शिक्षा विभाग के अफसरों से प्रस्ताव मांगा था। लेकिन अब तक यह तय नहीं हो सका है कितनी फीस वापसी होगी। दो बहनों में से बड़ी कक्षा की फीस माफ होगी या छोटी की। प्राथमिक से उच्च शिक्षा तक में निजी संस्थाओं की फीस अलग-अलग है।
ऐसे में फीस वापसी का मानक क्या हो। आय सीमा पर भी अंतिम निर्णय नहीं हो सका है। इसके अलावा पूरा सत्र बीतने के बावजूद प्रदेश में संचालित राजकीय, अशासकीय सहायता प्राप्त एवं स्ववित्तपोषित संस्कृत माध्यमिक विद्यालयों व महाविद्यालयों के विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति नहीं मिल सकी।
सरकार ने तकरीबन 1.38 लाख विद्यार्थियों को ऑनलाइन छात्रवृत्ति देने के लिए फरवरी 2023 में प्रस्तुत बजट में 10 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था। लेकिन छात्रवृत्ति नहीं मिल सकी है।
संस्कृत विद्यालयों एवं महाविद्यालयों के विद्यार्थियों को 2023-24 सत्र की छात्रवृत्ति नहीं मिल सकी है। इस प्रकार की योजनाओं का लाभ समय से मिले तो अधिक उपयोगी हो। - आचार्य राजेश मिश्र धीर, संरक्षक अध्यक्ष वॉयस ऑफ टीचर्स
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