बोर्ड में फेल लाखों छात्रों की नहीं रुकेगी पढ़ाई, मिलेगा प्रवेश
नियमित छात्र के रूप में कक्षाएं, मार्कशीट में दर्ज नहीं होगा फेल
फेल छात्रों को प्रवेश नहीं देते हैं निजी स्कूल, प्राइवेट देते हैं परीक्षा
नई दिल्ली: दसवीं और बारहवीं में फेल होने वाले छात्रों से स्कूल अब किनारा नहीं कर सकेंगे। न ही उन्हें नियमित छात्र के रूप में दाखिला देने से मना कर पाएंगे। शिक्षा मंत्रालय ने दसवीं और बारहवीं में फेल होने वाले छात्रों की पढ़ाई जारी रखने के लिए पहल तेज की है। इसके तहत स्कूल उन्हें नियमित छात्र के रूप में दाखिला देंगे और उनके लिए नियमित कक्षाएं भी आयोजित कराऐंगे। वहीं उन्हें दिए जाने वाले प्रमाण पत्रों में भी कहीं भी उनके फेल होने या फिर एक्स छात्र जैसा कोई जिक्र भी नहीं रहेगा।
शिक्षा मंत्रालय ने यह पहल उस समय तेज की है, जब देश में हर साल औसतन 46 लाख छात्र दसवीं और बारहवीं में फेल हो जाते हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक 2022 में दसवीं में 27.47 लाख और बारहवीं में 18.63 लाख छात्र फेल हुए थे। इनमें से अधिकांश राज्यों में छात्रों को नियमित छात्र के रूप में दाखिला नहीं दिया गया। ऐसे में फेल होने वाले करीब 55 प्रतिशथ छात्रों ने दोबारा कहीं भी दाखिला नहीं लिया। इन छात्रों ने पढ़ाई छोड़ दी और दूसरे काम-धंधों में लग गए। मंत्रालय का मानना है कि यदि फेल होने वाले इन छात्रों पर ध्यान दिया जाए, तो इनमें से अधिकांश पढ़ाई जारी रख सकते हैं और अपने भविष्य को नए सिरे से संवार सकते हैं।
मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक आंध्र प्रदेश ने दसवीं और बारहवीं में फेल होने वाले छात्रों के लिए कुछ ऐसी ही पहल की है। अब से उन्हें स्कूलों में फेल होने के बाद फिर से नियमित छात्र के रूप में दाखिला दिया जा रहा है। मंत्रालय का मानना है कि स्कूली छात्रों के तैयार किए जा रहे पहचान पत्र से इसमें और आसानी होगी। क्योंकि इसके जरिये छात्रों को आसानी से ट्रैक किया जा सकेगा। सूत्रों की मानें तो इस संबंध में शिक्षा मंत्रालय की ओर से सभी राज्यों को जल्द ही निर्देश जारी करने की तैयारी है।
नई दिल्ली। अब फेल होने पर छात्र को प्राइवेट उम्मीदवार की तरह घर में रहकर पढ़ाई करने की जरूरत नहीं है। उसे उसी स्कूल की नियमित कक्षा में दोबारा दाखिला मिलेगा। शिक्षक ऐसे बच्चों की भाषा और विषय की दिक्कतों को दूर करेंगे और पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करेंगे।
10वीं और 12वीं कक्षा में करीब 46 लाख छात्र फेल होते हैं। शिक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत राज्यों के साथ मिलकर वर्ष 2030 तक 100 फीसदी स्कूली साक्षरता का लक्ष्य पूरा करने की योजना तैयार की है और इसके लिए आंध्र प्रदेश के शिक्षा मॉडल को बेहतर माना है।
शिक्षा राज्यों का विषय होता है, इसीलिए मंत्रालय ने सभी राज्यों से आंध्र की तरह योजना बनाकर अपने प्रदेश की शिक्षा में सुधार लाने को कहा है। दरअसल, देशभर के स्कूल शिक्षा बोर्ड में फेल शब्द को स्कूली शिक्षा की पढ़ाई बीच में छोड़ने का सबसे बड़ा कारण माना गया है। वर्ष 2024 में 10वीं में करीब 34 लाख छात्र फेल हुए हैं। जबकि वर्ष 2022-23 में 1.89 करोड़ से अधिक छात्र कक्षा 10वीं की परीक्षा में शामिल हुए थे। इसमें से 1.60 करोड़ से अधिक पास और करीब 29 लाख से अधिक फेल थे। देशभर में 10वीं कक्षा में ड्रॉपआउट प्रतिशत 2021-22 में 20.6 प्रतिशत था, जबकि 2018-19 में 28.4 फीसदी था और अब यह 21 प्रतिशत है।
10वीं में 27.50, 12वीं में 18.50 लाख छात्र हुए थे असफल
राज्यों और सीबीएसई के स्कूलों में वर्ष 2022-23 में दसवीं में 27.50 लाख से अधिक और 12वीं कक्षा में 18.50 लाख से अधिक छात्र फेल हुए थे। स्कूलों में मनमाने नियमों के कारण ऐसे ज्यादातर छात्रों को दोबारा नियमित कक्षा में दाखिला ही नहीं मिला। स्कूलों को अपना रिजल्ट बेहतरीन की होड़ लगी हुई है। ऐसे में कमजोर छात्रों को जब स्कूल दाखिला नहीं देते हैं तो उन्हें प्राइवेट छात्र के रूप में अलग से परीक्षा देनी होती है।
इन सबके कारण छात्र घर में बैठकर खुद या प्राइवेट कोचिंग लेकर तैयारी करता है। इसके बाद करीब पांच लाख छात्र ही ओपन स्कूल बोर्ड में शामिल होकर अपनी पढ़ाई पूरी करते हैं। नियमित कक्षा में सहपाठियों के साथ पढ़ने का मौका न मिलने के कारण उनका आत्मविश्वास कमजोर होता है और वे पिछड़ते चले जाते हैं। इसी कारण फेल के बाद पास होने वाले छात्रों का आंकड़ा भी बेहद कम है।
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