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Saturday, April 13, 2024

10वीं-12वीं की परीक्षाएं वर्ष में दो बार कराने के प्रस्ताव पर संशय, परीक्षा परिणाम व विश्वविद्यालयों में दाखिले के बीच समय नहीं, नए सिरे से मंथन व मांगी रिपोर्ट

10वीं-12वीं की परीक्षाएं वर्ष में दो बार कराने के प्रस्ताव पर संशय, परीक्षा परिणाम व विश्वविद्यालयों में दाखिले के बीच समय नहीं, नए सिरे से मंथन व मांगी रिपोर्ट


साल में दो बार बोर्ड परीक्षा कैसे हो, फैसला जल्द

परीक्षा परिणाम व विश्वविद्यालयों में दाखिले के बीच समय नहीं, नए सिरे से मंथन व मांगी रिपोर्ट


नई दिल्ली। साल में दो बार बोर्ड परीक्षा कैसे और किस समय हो, इस पर जल्द फैसला होगा। इसको लेकर शिक्षा मंत्रालय और सीबीएसई की अगले हफ्ते बैठक होने जा रही है। सीबीएसई ने इस खाका तैयार कर लिया है। 

बैठक में इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि बोर्ड परीक्षा दो बार करवाने के साथ-साथ स्नातक दाखिले की अन्य राष्ट्रीय प्रवेश परीक्षाओं से लेकर विश्वविद्यालयों में दाखिले का शेड्यूल न बिगड़े। इसके अलावा विभिन्न प्रदेश शिक्षा बोर्ड के साथ तालमेल भी बिठाना है। ताकि छात्रों को तनाव रहित परीक्षा की सुविधा मिले। 

सीबीएसई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत 2025 से साल में दो बार बोर्ड परीक्षा करवाने की तैयारी कर चुका है। इसी के तहत शिक्षा मंत्रालय अन्य हितधारकों के साथ सीबीएसई के प्रस्ताव पर मंथन करेगा। सीबीएसई 15 फरवरी से 31 मार्च तक बोर्ड परीक्षा आयोजित करती है। इसके बाद मई के पहले हफ्ते तक रिजल्ट आता है। 

जनवरी से फरवरी में जेईई मेन का पहले चरण की परीक्षा, फरवरी-मार्च में बोर्ड परीक्षा, अप्रैल में जेईई मेन के दूसरे चरण की परीक्षा, इसी के बीच निफ्ट, क्लैट की परीक्षा, मई में सीयूईटी यूजी की परीक्षा। मई में जेईई एडवांस और नीट की परीक्षा। अब यदि सीबीएसई दूसरी बोर्ड परीक्षा जून में करवाता है तो उसका रिजल्ट जुलाई तक आ पाएगा। 


10वीं-12वीं की परीक्षाएं वर्ष में दो बार कराने के प्रस्ताव पर संशय

नई दिल्लीः अगले वर्ष यानी 2025 से दो बार बोर्ड परीक्षाओं को कराने की प्रस्तावित योजना पर ग्रहण लगता दिख रहा है। इसका पहला कारण बोर्ड परीक्षाओं के परिणाम आने और स्कूलों या विश्वविद्यालयों में नए सत्र के होने वाले दाखिले के बीच दूसरी परीक्षा के लिए समय का नहीं होना है। दूसरा कारण बोर्ड परीक्षाओं को साल में दो बार कराने के पीछे छात्रों का तनाव दूर करने का जो मकसद था, वह भी हल होता नहीं दिख रहा है। माना जा रहा है कि साल में दो बार बोर्ड परीक्षाएं आयोजित की गईं, - तो छात्र लंबे समय तक परीक्षाओं में ही फंसा रहेगा। यह परीक्षाओं से जुड़े उसके तनाव को कम करने के बजाय और बढ़ा सकता है।

शिक्षा क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों के साथ साल में दो बार बोर्ड परीक्षा कराने को लेकर रायशुमारी के बाद शिक्षा मंत्रालय और सीबीएसई के बीच इस दिशा में मंथन तेज हुआ है। सूत्रों की मानें तो शिक्षा मंत्रालय ने सीबीएसई से इसे लेकर विस्तृत रिपोर्ट भी देने को कहा है। माना जा रहा है कि रिपोर्ट के आने के बाद इस पर कोई अंतिम निर्णय लिया जा सकता है। गौरतलब है कि इससे पहले शिक्षा मंत्रालय ने 2025 से दसवीं और बारहवीं की बोर्ड परीक्षाओं को साल में दो बार कराने का ऐलान किया था।


यह है अड़चन

विशेषज्ञों की मानें तो साल में दो बार बोर्ड परीक्षा कराने की योजना इसलिए भी उपयुक्त नहीं है, क्योंकि छात्रों का इससे तनाव खत्म होने के बजाय बढ़ेगा। अधिकतर छात्र जेईई मेंस की तरह दोनों परीक्षाओं में शामिल होंगे। ऐसे में दोनों परीक्षा की यह अवधि फरवरी से अगस्त तक हो सकती है। वहीं दूसरी परीक्षा कराने के लिए नई सिरे से सारी तैयारी करनी होगी। छात्रों को अधिक बोर्ड फीस चुकानी होगी। इससे साथ ही दूसरी बड़ी चुनौती यह भी है कि अप्रैल से स्कूलों में नया सत्र शुरू हो जाता है। विश्वविद्यालयों में भी अप्रैल से दाखिले की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। ऐसे में दूसरी परीक्षा के लिए समय कब मिलेगा। वहीं इन्हें कराया गया तो विश्वविद्यालय और स्कूल में उन्हें नए सत्र में दाखिला नहीं मिल पाएगा। 

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