यूपी बोर्ड : एक दशक में कम हो गए लगभग 15 लाख परीक्षार्थी, अंग्रेजी माध्यम में रुझान से छात्र संख्या में आई गिरावट
प्रयागराज। हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षाओं को संचालित कराने वाले संस्था माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) में अब विद्यार्थियों की संख्या में कमी आने लगी है। एक दशक में विद्यार्थियों की संख्या में 14.86 लाख की कमी आई है। यह गिरावट पिछले कुछ वर्षों से देखा जा रहा है।
इस बार यूपी बोर्ड ने पुराने रिकार्ड को तोड़ते 20 अप्रैल को परिणाम जारी कर दिया था। पूर्व के सापेक्ष परिणाम तो अच्छा रहा, लेकिन विद्यार्थियों की संख्या में गिरावट आई है। इस बार यूपी बोर्ड में 55,25,342 परीक्षार्थी पंजीकृत थे। एक दशक पहले 2014 में विद्यार्थियों की संख्या 69,93,462 थी। तब हाईस्कूल में 38,61,434 और इंटरमीडिएट में 31,32,028 परीक्षार्थी पंजीकृत थे। अब यह संख्या 30 लाख से नीचे आ गई है।
बीते वर्ष हाईस्कूल में 31,16,454 विद्यार्थी पंजीकृत थे। इस बार 29,47,335 विद्यार्थी हाईस्कूल में पंजीकृत हुए। यानी पिछले साल की तुलना में इस साल हाईस्कूल में 1,69,119 बच्चे कम हो गए हैं।
इंटरमीडिएट में यह गिरावट 2017 से और हाईस्कूल में 2021 से देखने को मिल रही है। इसका बड़ा कारण अंग्रेजी माध्यम के प्रति बच्चों का रुझान माना जा रहा है।
रोजगार के लिए अंग्रेजी माध्यम में संभावनाएं ज्यादा हैं। इसलिए बच्चे अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में जाने लगे है। इसे देखते हुए यूपी बोर्ड ने 2018 में बड़ा बदलाव करते हुए राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की किताबें अनिवार्य कर दी थी। साथ ही कई स्कूलों में अंग्रेजी माध्यम से भी पढ़ाई शुरू हो गई है।
प्रतियोगी परीक्षाओं के आकर्षण के साथ ही कान्वेंट स्कूलों की पढ़ाई की ओर बढ़ते रुझान की वजह से ऐसा हो रहा है। पिछले कुछ वर्षों से यूपी बोर्ड के विद्यार्थियों में गिरावट को इसी रूप में देखा जा रहा है। अजय प्रताप सिंह, प्रधानाचार्य, जीआईसी, प्रयागराज
आरपी रस्तोगी इंटर कालेज के प्राचार्य लालजी यादव ने बताया कि बदले दौर में अंग्रेजी की महत्ता बढ़ी है। इसलिए बच्चे अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों को प्राथमिकता दे रहे हैं। अब प्रयागराज के राजकीय इंटर कालेज समेत कई कॉलेजों में अंग्रेजी माध्यम की कक्षाएं चलने लगी हैं।
देश का सबसे बड़ा बोर्ड है यूपी बोर्ड
1921 में गठन के बाद बोर्ड ने पहली बार 1923 में परीक्षा कराई थी। विद्यार्थियों की संख्या को देखते हुए देश का यह सबसे बड़ा बोर्ड बन गया। इस बोर्ड से हाईस्कूल के 2427 राजकीय विद्यालय, 4508 अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड), 20936 वित्तविहीन विद्यालय और इंटरमीडिएट के 892 राजकीय, 4066 एडेड और 13124 वित्तविहीन विद्यालय संचालित हैं।
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