एक सप्ताह में जवाबी हलफनामा दें डीआईओएस बलिया : हाईकोर्ट
शिक्षाधिकारियों की उदासीन संस्कृति से लंबित हो रहे मुकदमे, हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अदालत की कार्रवाई में देरी के लिए सरकारी अधिकारियों की उदासीन संस्कृति को जिम्मेदार ठहराया है। न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की कोर्ट ने कहा, मुकदमों के निस्तारण में देरी के लिए सिर्फ न्यायिक प्रणाली ही जिम्मेदार नहीं है, इसमें 75 प्रतिशत योगदान सरकारी अधिकारियों का है, जो सरकारी मुकदमा सोचकर ध्यान नहीं देते हैं।
बलिया के जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआईओएस) की ओर से डॉ.उमा शंकर सिंह के निलंबन को मंजूरी देने के खिलाफ याचिका पर जवाबी हलफनामा देने के लिए कोर्ट ने डीआईओएस को जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए एक सप्ताह की मोहलत दी है।
साथ ही कोर्ट ने चेतावनी भी दी कि इस बार हलफनामा दाखिल न होने पर अदालत में डीआईओएस खुद पेश होकर बताएं कि क्यों न उनके खिलाफ आदेश पारित किया जाए। मामले में याची ने अपने निलंबन आदेश के अनुमोदन को चुनौती दी थी, जिस पर अदालत ने दो दिसंबर को डीआईओएस से जवाबी हलफनामा तलब किया था।
करीब चार माह बाद भी जवाबी हलफनामा दाखिल नहीं करने से खफा कोर्ट ने मुकदमों की देरी के लिए राज्य के अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया। कोर्ट ने कहा, अधिकारी न्यायिक प्रक्रिया में अपने खिलाफ आदेश पारित होने पर विचलित हो जाते हैं, आदेशों के खिलाफ शीघ्र ऊपरी अदालतों का रुख करते हैं, जबकि सरकारी मुकदमों के प्रति उदासीन रहते हैं। अधिकारियों का यह रवैया मुकदमों के त्वरित निस्तारण में बाधक बन रहा है
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